Rajasthan

Nagaur

74/2014

Gabbar Singh - Complainant(s)

Versus

Corporation Bank - Opp.Party(s)

Sh Rajesh Choudhary

12 Mar 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 74/2014
 
1. Gabbar Singh
Dada Bas ,Nagaur
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Brijlal Meena PRESIDENT
 HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya MEMBER
 HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya MEMBER
 
For the Complainant:Sh Rajesh Choudhary, Advocate
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 74/2014
गब्बरसिंह पुत्र हनुमान, जाति-मेघवाल, निवासी-मेघवालों की बस्ती, दडा बास, नागौर, (राजस्थान)।                       -परिवादी     
बनाम

1. काॅर्पोरेशन बैंक जरिये प्रबंधक, आंचलिक कार्यालय जयपुर। ओर्बिट माॅल, अजमेर रोड, सिविल लाइन्स, जयपुर-302006
2. काॅर्पोरेशन बैंक जरिये शाखा प्रबन्धक, देहली गेट-ए रोड, पीरजादों का मोहल्ला, नागौर।
                                               -अप्रार्थीगण
समक्षः
1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।
2. श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।

उपस्थितः
1. श्री राजेश चैधरी, अधिवक्ता वास्ते परिवादी।
2. श्री गोविन्द सोनी, अधिवक्ता वास्ते अप्रार्थी।

    अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986

                      आ  दे  श             दि0    12.03.2015

1. परिवाद के संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने अप्रार्थी संख्या 02 के यहां एक बचत खाता खुलवाया। परिवादी ने न तो नेटवर्किंग सेवा ली थी और ना ही अप्रार्थी को प्रार्थी ने किसी अन्य के द्वारा प्रार्थी के खाते के परिचालन की अनुमति दी थी। दिनांक 09.10.2012 को परिवादी के खाते में 7559/- रूपये का बेलेंस था। दिनांक 09.10.2012 को ही 59/- रूपये परिवादी की बिना जानकारी व अनुमति के निकाल लिए। दिनांक 10.10.2012 को भी परिवादी की बिना जानकारी व अनुमति के 1000/- रूपये, उसके पश्चात् उसी दिन 5000/- रूपये और निकाल लिए। जब इसकी शिकायत अप्रार्थी संख्या 02 के यहां की गई तो यह कहा गया कि ष्हमें नहीं पता कहां गये, तुम्हारे रूपये जो शेष राशि है, उसको निकाल लेना अन्यथा वह भी चली जाएगी।ष् दिनांक 15.10.2012 को उसी तरह से 50/- रूपये फिर से निकाल लिए। इस प्रकार से अप्रार्थीगण ने अपने दायित्व व कर्तव्य का पालन नहीं किया। परिवादी के खाते में से 6221/- रूपये निकाल लिए या निकालने दिए। अतः परिवादी को 6221/- रूपये मय ब्याज दिलाये जावें। हर्जा-खर्चा भी दिलाया जावे।

2. अप्रार्थीगण का मुख्य रूप से यह कहना है कि परिवादी के खाते में जमा राशि की सुरक्षा हमेंशा अप्रार्थी की होती है, उसके साथ-साथ परिवादी की भी डयूटी होती है कि वह अपने एटीएम कम डेबिट कार्ड एवं उसकी पीन नम्बर सुरक्षित रखे। क्योंकि जब से बैंक व्यवसाय में इलेक्ट्राॅनिक प्रणाली कम्प्यूटर तकनीक का प्रयोग हुआ है तब से उपभोक्ता के खाते को बिना पिन नम्बर जाने आॅपरेट नहीं किया जा सकता। बिना पिन नम्बर के कार्ड का उपयोग सम्भव नहीं है। परिवादी का यह कर्तव्य है कि वह नेट पर अथवा एटीएम कार्ड से अपने खाते को आॅपरेट करते वक्त पिन नम्बर एवं पासवर्ड की गोपनीयता कायम रखे। जो भी विवादित राशि निकालना बताया है, वह परिवादी के कार्ड द्वारा ही निकाली गई है। उपभोक्ता का खाता इंटरनेट पर भी बिना पासवर्ड के नहीं खुल सकता। एटीएम कार्ड केवल परिवादी के पास ही है। अप्रार्थी का कोई सेवा दोष नहीं है। परिवाद-पत्र खारिज किया जावे।

3. उभय पक्षकारान की बहस सुनी गई। पत्रावली का अवलोकन किया गया।

4. प्रश्न उत्पन होता है कि क्या उपरोक्त प्रकार से वर्णित राशि के निकालने या निकलवाने में अप्रार्थी बैंक का कोई हाथ है? इस सम्बन्ध में यह स्पष्ट करना उचित होगा कि एटीएम कार्ड एवं पासवर्ड केवल परिवादी के पास ही हैं। अप्रार्थीगण के पास उपरोक्त दोनों में से कोई भी उपलब्ध नहीं है। ऐसा भी कोई साक्ष्य पत्रावली पर प्रार्थी की ओर से प्रस्तुत नहीं हुआ है कि परिवादी ने अप्रार्थीगण को अपना एटीएम व पासवर्ड उपलब्ध करवाया हो या पासवर्ड डिस्क्लाॅज किया हो। इस बात की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता कि परिवादी के अलावा यदि उपरोक्त विवादित रकम उसके खाते से निकाली गई है तो वह परिवादी की सह से ही निकाली गई है। परिवादी ने किसी अपने परिचित को एटीएम व पासवर्ड दिया होगा, तभी विवादित राशि निकलना संभव है अन्यथा नहीं।

5. परिवादी का एकाउंट स्टेटमेंट प्रस्तुत हुआ है, उसमें 09.10.2012 को ब्रिकी केन्द्र इंटरनेट साइट पर मोबी क्विक बताया हुआ है। इस प्रकार से इंटरनेट से यह ट्रांजेक्शन हुआ है। इसका पता परिवादी अपने स्तर पर करवा सकता है या एफआईआर भी दर्ज करवा सकता है, जिससे सही बात सामने आ सकती है। परन्तु वर्तमान मामले में अप्रार्थीगण का कोई सेवा दोष प्रकट नहीं होता है। अतः परिवाद-पत्र खारिज किए जाने योग्य है।

 

आदेश

6. परिवादी का परिवाद-पत्र विरूद्ध अप्रार्थीगण खारिज किया जाता है। खर्चा पक्षकारान अपना-अपना वहन करें।

  
 आदेश आज दिनांक 12.03.2015 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

।बलवीर खुडखुडिया।    ।बृजलाल मीणा।   ।श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य।
 सदस्य                 अध्यक्ष            सदस्या

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Brijlal Meena]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya]
MEMBER

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