प्रकरण क्र.सी.सी./13/273
प्रस्तुती दिनाँक 28.09.2013
गोविंद प्रसाद गुप्त आ. श्री विश्वनाथ गुप्त, आयु 59 वर्ष, निवासी-म.नं 82/3, नेहरूनगर पूर्व, भिलाई, जिला-दुर्ग (छ.ग.)
- - - - परिवादी
विरूद्ध
1. राज्य चिकित्सा आयुक्त कर्मचारी राज्य बीमा निगम 107, जगन्नाथ चैक रामनगर रोड, रायपुर (छ.ग.)
2. प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, कर्मचारी राज्य बीमा निगम, बीमा औषधालय, कान्ट्रेक्टर कालोनी, सुपेला, भिलाई तह. व जिला-दुर्ग (छ.ग.)
- - - - अनावेदकगण
आदेश
(आज दिनाँक 12 फरवरी 2015 को पारित)
श्रीमती मैत्रेयी माथुर-अध्यक्ष
परिवादी द्वारा अनावेदकगण से इलाज में किया गया खर्च, दवाई खर्च कुल राशि 1,68,983रू. मय ब्याज, मानसिक कष्ट हेतु 1,00,000रू., वाद व्यय व अन्य अनुतोष दिलाने हेतु यह परिवाद धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत प्रस्तुत किया है।
परिवाद-
(2) परिवादी का परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी का अनावेदकगण के द्वारा चिकित्सा बीमा किया गया था, जिसके लिए अनावेदक के द्वारा 965.76 रूपये प्रतिमाह लिया जाता रहा। वर्ष 2012 में परिवादी को हृदय से संबंधित समस्या होने पर परिवादी के द्वारा डा.ॅ सुनील भूसारी द्वारा ई.सी.जी. कराने की सलाह दी गई थी तथा तत्पश्चात डाॅ.रिज़वी को दिखाने की सलाह दी गई थी एवं उनके द्वारा परिवादी को अन्य हृदय रोग विशेषज्ञ से मिलने की सलाह दी गई थी। परिवादी, अनावेदक क्र.2 के माध्यम से चंदूलाल चंद्राकर अस्पताल में दिखाने हेतु रिफर किया था तथा दि.03.04.12 को इलाज हेतु आवेदन पत्र परिवादी को प्राप्त होने पर इलाज कराने हेतु चंदूलाल चंद्राकर अस्पताल में गया, हृदय रोग विशेषज्ञ डाॅ.श्रीजयराम अय्यर द्वारा पुनः ई.सी.जी., ईको टेस्ट, टी.एम.टी. टेस्ट तथा ऐंजियोग्राफी की गई और बताया गया कि परिवादी के शरीर में एक नस में ब्लाकेज है जो दवा से ठीक हो जावेगा।
(3) दावा इस आशय का भी प्रस्तुत है कि दिनंाक 31 जुलाई 2012 को परिवादी की हृदय की धड़कन अचानक बढ़ जानें से उसे जान बचाने के लिए घर के समीपस्थ अस्पताल, अपोलो बी.एस.आर. अस्पताल मे भर्ती होना पड़ा। दिनंाक 02.03.12 तक परिवादी वहां भर्ती रहा तथा अस्पताल के द्वारा परिवादी की स्थिति को देखते हुए उसे हैदराबाद स्थित केयर हाॅस्पिटल बन्जाराहिल्स में ईलाज हेतु रेफर किया गया। अपालो बी.एस.आर.अस्पताल में पूरी सुविधा अनावेदक क्र.2 से प्राप्त हुई थी। हैदराबाद में केयर हास्पिटल बन्जाराहिल्स में डाॅ.नरसिंघम जो आर.एफ.ए. के विशेषज्ञ हैं ने फोन पर परिवादी को 6 अगस्त का समय प्रदान किया था। परिवादी 5 अगस्त की रात में हैदराबाद पहुंच तथा दिनांक 6 अगस्त को डाॅ.नरसिंघम द्वारा परिवादी से दो दिन रूकने कहा गया तथा जारी दवाऐं बंद होने के दो दिन बाद ई.पी.टेस्ट होगा बताया गया।
(4) दावा इस आशय का भी प्रस्तुत है कि दिनांक 07 अगस्त को परिवादी केयर अस्पताल मंे भर्ती हो गया तथा 8 अगस्त को परिवादी का ई.पी टेस्ट हुआ डाॅक्टर द्वारा परिवादी को पूर्व में ही वस्तुस्थिती से अवगत करा दिया गया था कि यदि आर.एफ.ए. होगा तो उसे मैं ही ई.पी. टेस्ट के समय कर दूंगा तथा थ्री. डी. के लिए दो महीने बाद आपको पुनः आना होगा, क्योकि उनके विशेषज्ञ बैंगलोर से बुलाना पड़ता है। इसके अतिरिक्त प्रथम विकल्प पर समस्त सुविधाएं अनावेदक क्र.2 से प्राप्त हो जावेंगी तथा दूसरे विकल्प पर परिवादी को नकद राशि जमा करना होगी जो पश्चात में परिवादी को ईलाज बीमा दावा प्रस्तुत कर अनावेदक क्र.2 से प्राप्त करना होगा। परिवादी का थ्री.डी. परीक्षण कराया गया तथा परिवादी से डाॅक्टर ने कल डिस्चार्ज कर देंगे पुनः 2-3 महीने के बाद बैंगलोर के डाॅक्टर का एप्वाईटमेंट मिल जाने पर परिवादी को बुला लिया जावेगा इस ईलाज का व्यय अनावेदक क्र.2 के द्वारा ही किया गया तथा उसी दिनांक को अस्पताल के डाॅक्टर के द्वारा आकर परिवादी को यह बताया गया कि आपका थ्री. डी. उपचार कल ही होगा आज राज 12 बजे के बाद से आप किसी प्रकार का भोजन नहीं लेंगे, खाली पेट रहेंगे तथा 09 अगस्त को परिवादी का थ्री डी. उपचार किया गया और परिवादी को इस प्रकार 11 अगस्त को डिस्चार्ज कर दिया गया, जिसका ईलाज व्यय 1,53,218रू. परिवादी के द्वारा अपनी कार्यरत संस्था कृष्णा पब्लिक स्कूल जहां परिवादी केयर टेकर के पद पर कार्यरत था, को प्रार्थना कर ऋण राशि मांगी गई तथा स्कूल प्रबंधन के द्वारा परिवादी को 1,53,218रू. प्रदान किए गए, जिसे परिवादी के द्वारा हैदराबाद अस्पताल में अदा किया गया।
(5) दावा इस आशय का भी प्रस्तुत है कि परिवादी के द्वारा घर आकर समस्त बिल अनावेदक क्र.2 कार्यालय में प्रस्तुत कर दावा दि.18.08.12 को प्रस्तुत किया गया, जिसका भुगतान अनावेदक क्र.2 के द्वारा छः माह व्यतीत हो जाने पर भी न करते हुए अंत में परिवादी की फाईल को यह कहकर लौटा दिया गया कि आपका रेफर लेटर राज्य चिकित्सा आयुक्त कर्मचारी राज्य बीमा निगम कार्यालय से बनवाया गया है। इस कारण आपका भुगतान अनावेदक क्र.1 के कार्यालय से किया जावेगा। अनावेदक क्र.1 के कार्यालय के द्वारा परिवादी के चिकित्सा व्यय की राशि में कांट-छांट कर 65,958रू. पास किए जावेंगे जो 15 दिवस के भीतर परिवादी के खाते मंे जमा करा दिए जावेगंे का कथन किया गया। 15 दिवस तक समय व्यतीत होने के उपरांत जब राशि परिवादी को प्राप्त नहंी हुई तब पुनः परिवादी के द्वारा अनावेदक क्र.1 कार्यालय में संपर्क किया गया जहां अनावेदक क्र.1 के द्वारा बताया गया कि आपको देनें वाली रकम 1,53,218रू. कहीं केयर हास्पिटल हैदराबाद ने भी इस बिल को प्रस्तुत कर न ले लिया हो तो उसे वापस प्राप्त करने हेतु परिवादी के माध्यम से ई-मेल हैदराबाद अस्पताल को प्रेषित किए जानें संबंधी निर्देश दिए गए तथा यह बताया गया कि भुगतान यदि हैदराबाद अस्पताल के द्वारा प्राप्त कर लिया गया होगा तो उसे दो दिन में परिवादी के खाते में जमा करा दिए जाने का आश्वासन दिया गया, पश्चात जब तक ई-मेल का जवाब प्राप्त नहंी होगा तो हम भुगतान नहीं करेंगे का कथन किया गया। इस प्रकार अनावेदक का उपरोक्त कृत्त सेवा में कमी एवं व्यवासायिक दुराचरण श्रेणी में आता है। अतः परिवादी को अनावेदकगण से इलाज में किया गया खर्च, दवाई खर्च कुल राशि 1,68,983रू. मय ब्याज, मानसिक कष्ट हेतु 1,00,000रू., वाद व्यय व अन्य अनुतोष दिलाया जावे।
जवाबदावाः-
(6) अनावेदक क्र.1 का जवाबदावा इस आशय का प्रस्तुत है कि बीमित श्री गोविंग प्रसाद गुप्त बीमा क्र.5900006418 के द्वारा अपने चिकित्सा पुर्नभुगतान का बिल राज्य चिकित्सा आयुक्त महोदय के पास सीधे जमा किया गया था जबकि चिकित्सा पुर्नभुगतान के बिल राज्य शासन के अधीन औषधालयों में जमा किए जातें हैं जहां से 10,000रू. तक की राशि बीमा चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा तथा अधिक की राशि संचालक कर्मचारी राज्य बीमा सेवाऐं, द्वारा स्वीकृति के पश्चात राज्य चिकित्सा आयुक्त कार्यालय भेजी जाती है, परंतु उक्त प्रकरण में बीमित को समझाए जानें केे पश्चात भी पुर्नभुगतान का बिल बीमित के द्वारा जमा किया गया। परिवादी का इलाज हैदराबाद, आंध्रप्रदेश अर्थात अन्य राज्य में किया गया था। अतः इस प्रकरण में आवश्यक था कि आंध्रप्रदेश के राज्य चिकित्सा आयुक्त से यह स्पष्ट किया जावे कि इस बिल का भुगतान उनके द्वारा नहीं किया गया है अतः उन्हे इस बाबत पत्र प्रेषित कर जानकारी प्राप्त हुई कि बिल का भुगतान उनके द्वारा हंी किया गया है तत्पश्चात राज्य चिकित्सा आयुक्त द्वारा इस प्रकरण को विशेष प्रकरण मानते हुए भुगतान की स्वीकृति दी तथा कुल देय राशि 65,958रू. का भुगतान दि.31.12.2013 को परिवादी के खाता क्र.30004666199 में कर दिया गया है। इस प्रकार कोई विवाद शेष न होने से परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद निरस्त किया जावे।
(7) अनावेदक क्र.2 जवाबदावा इस आशय का भी प्रस्तुत है शासकीय नियमानुसार परिवादी को संपूर्ण सुविधाएं कर्मचारी राज्य बीमा सेवाएं सुपेला केन्द्र द्वारा दी जानी थी वह उसे प्रदान की गई है। अनावेदक क्र.1 तथा अनावेदक क्र.2 की कार्य प्रणाली सर्वथा भिन्न हैं। अनावेदक क्र.1 कर्मचारी राज्य बीमा निगम है, जिसके अंतर्गत कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम 1948 में प्रावधानित नियम प्रभावशील है, जिसके अंतर्गत कर्मचारी बीमित होकर समस्त सुविधा लाभ अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत प्राप्त करता है जिसके अंतर्गत अनावेदक क्र.1 द्वारा निर्देशित आदेशों का परिपालन अनावेदक क्र.2 द्वारा किया जाता है। इस प्रकार बीमित कर्मचारी से प्रत्यक्ष संबंध उसके नियोक्ता के माध्यम से कर्मचारी राज्य बीमा निगम से रहता है, अनावेदक क्र.2 पूर्णतः शासकीय कार्यालय है तथा कर्मचारी राज्य बीमा निगम के प्रावधानित नियम एवं आदेशों पर प्रतिबंधित है। परिवादी कर्मचारी को केयर हास्पिटल बंजारा हिल्स, हैदराबाद के लिए अपोलो बी.एस.आर. द्वारा संदर्भित किया भी गया हो तो उसके लिए अनावेदक क्र.1 की अनुमति एवं अनुशंसा आवश्यक होती है, जिसकी जानकारी इस अनावेदक क्र.2 को नहीं थी। परिवादी के द्वारा प्रस्तुत बिल राशि 1,53,218रू. का भुगतान इस अनावेदक क्र.2 से संबंधित न होने से उसे परिवादी को मूलतः वापस कर दिया गया था, उपरोक्त विचारण एवं स्वीकृति का क्षेत्राधिकार व उत्तरदायित्व अनावेदक क्र.1 का होने से दावा उनके समक्ष प्रस्तुत किया गया। परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम 1948 से शासित है तथा उक्त अधिनियम स्पेशल एक्ट होने से इस फोरम को सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं होने से परिवादी द्वारा प्रस्तुत प्रकरण निरस्त किया जावे।
(8) उभयपक्ष के अभिकथनों के आधार पर प्रकरण मे निम्न विचारणीय प्रश्न उत्पन्न होते हैं, जिनके निष्कर्ष निम्नानुसार हैं:-
1. क्या परिवादी, अनावेदकगण से इलाज में किया गया खर्च, दवाई खर्च कुल राशि 1,68,983रू. मय ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है? नहीं
2. क्या परिवादी, अनावेदकगण से मानसिक परेशानी के एवज में 1,00,000रू. प्राप्त करने का अधिकारी है? नहीं
3. अन्य सहायता एवं वाद व्यय? आदेशानुसार परिवाद खारिज
निष्कर्ष के आधार
(9) प्रकरण का अवलोकन कर सभी विचारणीय प्रश्नों का निराकरण एक साथ किया जा रहा है।
फोरम का निष्कर्षः-
(10) प्रकरण का अवलोकन करने पर हम यह पाते है कि अनावेदक की ओर से तर्क किया गया कि पुर्नभुगतान का बिल राज्य चिकित्सा आयुक्त के पास परिवादी ने सीधे जमा कर दिया था, जबकि उक्त बिल राज्य शासन के अधीन औषधालय में जमा किया जाता है। परिवादी को समझाया भी गया था, परंतु उसने बिल राज्य चिकित्सा आयुक्त के पास जमा कर दिया, चूंकि परिवादी का इलाज दूसरे राज्य में किया गया था, इसलिए वहां से स्पष्टीकरण आवश्यक था कि उक्त राज्य द्वारा उस बिल का भुगतान तो नहीं कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम 1948 सेन्ट्रल एक्ट है। इस प्रकार इस स्थिति में यह पाया जाता है कि प्रथमतः परिवादी ने राज्य शासन के अधीन औषधालय में दस्तावेज जमा नहीं किया और दूसरे विभाग की कार्यवाही के स्वाभाविक अनुक्रम में आन्ध्रप्रदेश के राज्य चिकित्सा आयुक्त से स्पष्टीकरण लेने में अनावेदकगण द्वारा कोई त्रुटि नहीं की गई, फलस्वरूप चूंकि संबंधित विभाग के नियम और शर्तों का पालन किया जाना आवश्यक है, कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम 1948 सेन्ट्रल एक्ट है इस स्थिति में हम परिवादी को न ही उपभोक्ता की श्रेणी में रखना उचित पाते हैं और ना ही यह निष्कर्षित करते हैं कि अनावेदकगण ने किसी प्रकार की सेवा में निम्नता की है, वैसे भी अनावेदकगण का तर्क है कि परिवादी को संबंधित बिल के आंकलन पश्चात् 65,958रू. का भुगतान किया जा चुका है। फलस्वरूप हम अनावेदकगण के विरूद्ध सेवा में निम्नता पाये जाने का कोई आधार नहीं पाते हैं।
(11) फलस्वरूप परिवादी के परिवाद को स्वीकार करने का कोई आधार नहीं पाते हुए खारिज करते हैं।
(12) प्रकरण के तथ्य एवं परिस्थितियों को देखते हुए पक्षकार अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।