Final Order / Judgement | (मौखिक) राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ परिवाद संख्या-100/2010 गोरखपुर रिसोर्स लिमिटेड बनाम कामर्शियल आटो प्रोडक्ट (प्रा0) लि0 व अन्य समक्ष:- 1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य। 2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य। परिवादी की ओर से उपस्थित: श्री अम्बरीश कौशल श्रीवास्तव, विद्धान अधिवक्ता विपक्षी सं0 2 की ओर से उपस्थित: श्री अजय कुमार श्रीवास्तव, विद्धान अधिवक्ता विपक्षी सं0 1 की ओर से उपस्थित: कोई नहीं दिनांक : 25.09.2024 माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय - यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध डिफेक्टिव वाहन को नया वाहन मे बदलने अन्यथा 20,44,539/-रू0 वापस लौटाने, सेवा में कमी के कारण अंकन 5,15,960/-रू0 की क्षतिपूर्ति के लिए, मानसिक प्रताड़ना के मद में 3,00,000/-रू0 तथा परिवाद व्यय के रूप में 40,000/-रू0 प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत किया गया है।
- परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी द्वारा एक वाहन सं0 यू0पी0 53 एएम 4591 अंकन 19,46,895/-रू0 में विपक्षी से क्रय किया था, जिसका नजदीकी डीलर लखनऊ में वाहन की डिलीवरी प्राप्त करने के पश्चात नियमित रूप से सर्विस करायी गयी तथा वाहन के संबंध में कोई शिकायत नहीं की गयी तथा वाहन के संबंध में कोई शिकायत की गयी। जनवरी 2010 में विपक्षी के सर्विस इंजीनियर तथा वर्कशाप मैनेजर ने सूचित किया है कि ऐसी शिकायत वाहन मे आना संभव है क्योंकि निर्माण संबंधी दोष है, परंतु इन्हें दूर नहीं किया गया। पांच फरवरी 2010 को जब वाहन का लखनऊ ले जाया जा रहा था तब में पास वाहन जाम हो गये। उच्च आवाज के साथ जाम हो गये तथा वाहन पुन: चालू नहीं हो सका। सर्विस इंजीनियर मौके पर गये उनके द्वारा भी वाहन चालू नहीं हो सका, उनके द्वारा वाहन को खींचकर वर्कशाप लाया गया, जहां 2 माह तक वाहन की मरम्मत के लिए रहा। वहां भी उनके द्वारा बताया गया कि वाहन में ऐसी कमी की संभावना है क्योंकि इंजन में कोई त्रुटि है तब यह निर्माण संबंधी त्रुटि है। यह भी कहा गया कि निर्माता इस प्रकार के वाहनों को परिवर्तित करा ले। दिनांक 01.04.2010 को मरम्मत के बाद वाहन वापस लौटाया गया, परंतु इसमें समस्याएं लगातार बनी रही। इस वाहन के जाम होने का खतरा हमेशा बना रहता तथा दुर्घटना का भी खतरा रहता है, इसलिए वाहन के परिवर्तन का अनुरोध किया गया, परंतु वाहन परिवर्तित नहीं किया गया, इसलिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
- परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र तथा वाहन क्रय से संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत किये गये।
- विपक्षी सं0 2 द्वारा प्रस्तुत लिखित कथन में विपक्षी सं0 1 डीलर के माध्यम से वाहन विक्रय करना स्वीकार किया गया, परंतु यह कथन किया गया कि विपक्षी सं0 1 स्वतंत्र इकाई है और उनका उत्तरदायित्व नहीं है अत: उनके विरूद्व क्षतिपूर्ति का कोई मामला नहीं बनता। परिवादी द्वारा वाहन पूर्ण संतुष्टि के साथ वापस लिया गया। इसके बाद वाहन में निर्माण संबंधी कोई त्रुटि प्रकट नहीं की गयी, इसलिए वाहन को बदलने या वाहन की कीमत वापस लौटाने का आदेश नहीं दिया जा सकता। परिवाद खारिज होने योग्य है।
- विपक्षी सं0 1 की ओर से कोई लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया गया। केवल अपीलार्थी तथा विपक्षी सं0 2 के विद्धान अधिवक्ता की बहस सुनी। विपक्षी सं0 2 का केवल यह कथन है कि चूंकि डीलर से वाहन क्रय किया गया है, इसलिए वह उत्तरदायी नहीं है।
- परिवादी के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क है कि चूंकि वाहन सड़क प जाम हो गया और सर्विस इंजीनियर भी उसको स्टार्ट नहीं कर सके तथा वहां से वाहन को खींचकर वर्कशाप ले जाया गया। अत: वाहन में निर्माण संबंधी दोष पूर्ण रूप से स्थापित है। इस कथन का कोई खण्डन विपक्षीगण की ओर से नहीं किया गया। विशेषता विपक्षी सं0 1 की ओर से जिनके गैराज में वाहन को ले जाया गया तथा जिनके द्वारा सर्विस इंजीनियर उपलब्ध कराये गये। परिवाद पत्र में वर्णित तथ्य के समर्थन में जो शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया, उस शपथ पत्र का भी कोई खण्डन विपक्षी सं0 1 की ओर से नहीं किया गया, जिनको इन तथ्यों के संबंध में ज्ञान था। वाहन का सड़क पर जाम होना और सर्विस इंजीनियर के द्वारा भी वाहन का पुन: चालू न होना इस तथ्य को स्थापित करता है कि वाहन में निर्माण संबंधी त्रुटि है, इसलिए ऐसे वाहन को परिवर्तित करने या वैकल्पिक रूप से वाहन की कीमत अदा करने का आदेश देना विधि-सम्मत है। चूंकि वाहन की कीमत विपक्षी सं0 2 द्वारा प्राप्त की गयी है तथा वाहन को विपक्षी सं0 1 द्वारा विक्रय किया गया है, जिसके द्वारा विक्रय के समय वारण्टी दी गयी थी। अत: दोनों विपक्षीगण एकल एवं संयुक्त रूप से वाहन को वापस लौटाने या वैकल्पिक रूप से वाहन की कीमत वापस लौटाने के लिए उत्तरदायी है, परंतु मानसिक प्रताड़ना के मद में जो अनुतोष मांगा गया वह इस आधार पर स्वीकार होने योग्य है कि परिवादी द्वारा वाहन का एक निश्चित सीमा तक प्रयोग किया गया है, इसलिए आर्थिक और मानसिक क्षतिपूर्ति इस प्रयोग के कारण समायोजित हो जाती है, यद्यपि परिवाद व्यय के रूप में अंकन 25,000/-रू0 अदा करने का आदेश देना उचित है।
आदेश परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है कि विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह एकल एवं संयुक्त रूप से परिवादी के वाहन को वापस लौटाये या वैकल्पिक रूप से वाहन की कीमत अदा करें। साथ ही परिवाद व्यय के रूप में अंकन 25,000/-रू0 भी परिवादी को अदा करें। शेष मांगा गया अनुतोष अपास्त किया जाता है। आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे। (सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार) सदस्य सदस्य संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2 | |