जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
कुमारी प्रतिभा दाधीच पुत्री श्री सुरेष कुमार षर्मा, उम्र-बालिग, निवासी-जय हनुमान काॅलोनी, एमडीएस के पास, अजमेर ।
- प्रार्थिया
बनाम
1. निदेषक,यूनिवर्सिटी इन्स्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलोजी (इलेक्ट्रोनिकस एण्ड इन्फोमेंषन टेक्नोलोजी ) पंजाब विष्वविद्यालय,साउथ कैम्पस सेक्टर-25, चण्डीगढ़-160014
2. नाजिम, दरगाह ख्वाजा साहिब दरगाह कमेटी, लंगरखाना गली, पोस्ट बाॅक्स नं. 33, अजमेर-3025001
3. श्री ष्षकील सिद्वकी, सेन्टर सुपरवाईजर, इन्चार्ज कम्प्यूटर सेन्टर, ख्वाजा माॅडल स्कूल परिसर, सिविल लाईन्स, अजमेर -305001
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 199/2015
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री मूलचन्द षर्मा, अधिवक्ता, प्रार्थिया
2.श्री जे.पी.ओझा, अधिवक्ता अप्रार्थी सं.2 व 3
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 16.02.2017
1. संक्षिप्त तथ्यानुसार प्रार्थिया ने अप्रार्थीगण द्वारा संचालित कम्प्यूटर एप्लीकेषन बिजनेस अकाउन्टिग की परीक्षा वर्ष 2012 में ’’बी’’ ग्रेड से उत्तीर्ण कर लिए जाने के उपरान्त अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा जारी प्रमाण पत्र में उसका नाम प्रतिभा दाधीच के स्थान पर प्रतिभा दाबीच कर दिए जाने पर अप्रार्थीगण से कई बार व्यक्तिष: सम्पर्क करने व बावजूद नोटिस दिनंाक
17.10.2014 के उसके नाम में संषोधन नहीं कर सेवा में कमी कारित की है । प्रार्थिया ने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में प्रार्थिया ने स्वयं का षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी संख्या 1 बावजूद नोटिस तामील न तो मंच में उपस्थित हुआ और ना ही परिवाद का कोई जवाब ही पेष किया । अतः अप्रार्थी संख्या 1 के विरूद्व दिनांक 21.7.2015 को एक पक्षीय कार्यवाही अमल में लाई गई ।
3. अप्रार्थी संख्या 2 व 3 ने परिवाद का जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रार्थिया द्वारा प्रष्नगत कोर्स उत्तीर्ण किया जाना स्वीकार करते हुए आगे दर्षाया है कि उनका दायित्व केवल षिक्षार्थियों को षिक्षित करने तक ही सीमित था । प्रार्थिया द्वारा प्रष्नगत कोर्स हेतु प्रस्तुत रजिस्ट्रेषन प्रमाण पत्र आवष्यक कार्यवाही हेतु अप्रार्थी संख्या 1को प्रेषित कर दिया गया था । अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा जारी प्रमाण पत्र में यदि स्पेलिंग की त्रुटि रही है तो इसके लिए उत्तरदाता जिम्मेदार नहीं है । उत्तरदाता ने अप्रार्थी संख्या एक द्वारा जारी प्रमाण पत्र में स्पेलिंग की दुरूस्ती हेतु दिनंाक 30.5.2014 व 21.10.204 को स्मरण पत्र मय वांछित ष्षुल्क के मूल प्रमाण पत्र अप्रार्थी संख्या 1 को प्रेषित कर दिया गया था । उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी कारित नहीं की गई । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में श्री ष्षकील परवेज सिद्वीकी,सुपरवाईजर का ष्षपथपत्र पेष हुआ है ।
4. प्रार्थिया प़क्ष का प्रमुख रूप से तर्क रहा है कि उनके द्वारा अप्रार्थीगण की ओर से ली गई प्रष्नगत परीक्षा के बाद जो प्रमाण पत्र जारी किया गया उसमें उसका नाम प्रतिभा दाधीच के स्थान पर प्रतिभा दाबीच अंकित किया गया जबकि उसका सही नाम से संस्थान में फार्म भरा गया है । उक्त षुद्वि हेतु अप्रार्थी को कई बार लिखा गया । व्यक्तिषः सम्पर्क किया गया किन्तु अप्रार्थी संख्या 3 जो इस कोर्स के इन्चार्ज है , प्रार्थिया को मात्र गोलमाल जवाब दिया हे । तर्क प्रस्तुत किया गया है कि सही प्रमाण पत्र जारी किए जाने की जिम्मेदारी अप्रार्थीगण की रही है ऐसा नहीं करते हुए उन्होने सेवा में कमी का परिचय दिया है । परिवाद स्वीकार किया जाना चाहिए ।
5. अप्रार्थी संख्या 2 व 3 की ओर से इस बात को स्वीकार किया गया कि उनके द्वारा संचालित केन्द्र में उक्त विषय कम्प्यूटर एप्लीकेषन बिजनेस अकाउन्टिग इत्यादि को षिक्षाथियों को षिक्षित करने तक ही दायित्व है । परीक्षार्थी के परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद प्रमाण पत्र दिए जाने का कार्य अप्रार्थी द्वारा नहीं किया जाता है उसके द्वारा जो रजिस्ट्रेषन फार्म प्रस्तुत किया गया था वह उनके द्वारा अप्रार्थी संख्या 1 को अग्रिम कार्यवाही हेतु प्रेषित किया गया था । अप्रार्थी संख्या एक द्वारा लिखी गई स्पेलिंग के लिए वह कतई उत्तरदायी नहीं है । उनके द्वारा अप्रार्थी संख्या 1 को समय समय पर स्मरण पत्र भेजे जाकर उक्त नाम की स्पेलिंग उनके द्वारा जारी प्रमाण पत्र में ठीक करने के लिए निवेदन किया गया था । उनका प्रमुख रूप से यही तर्क रहा है कि उपरोक्त तर्को के प्रकाष में उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है । परिवाद खारिज किया जाना चाहिए । अप्रार्थी ने न्यायिक दृष्टान्तों पर प्प्;2011द्धब्च्श्र 23;छब्द्ध ळंदकीप टवबंजपवदंस ब्वससमहम टे श्रवउंदेरव श्रंपदए 2009 ।पत ैब्ॅ 5649 ठपींस ैबीववस म्गंउवपदंजपवद ठवंतक टे ैनतमेी च्तंेींक ए 2011 ।प्त् ैब्ॅ 2663 त्ंदबीप न्दपअमतेपजल टे ैदमेी ज्ञनउंत अवलम्ब लिया है ।
6. हमने परस्पर तर्क सुन लिए हैं एवं रिकार्ड को देख लिया है एवं प्रस्तुत नजीरों का भी अवलोकन कर लिया है ।
7. प्रार्थिया का अप्रार्थीण द्वारा संचालित प्रष्नगत कोर्स में सम्मिलित होकर परीक्षा उत्तीर्ण करना विवाद का विषय नहीं है । परीक्षा उत्तीर्ण किए जाने के बाद अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा प्रमाण जारी किया जाना भी विवाद का विषय नहीं है । विवाद मात्र प्रमाण पत्र में प्रार्थिया का नाम प्रतिभा दाधिच के स्थान पर प्रतिभा दाबीच किया जाना व इसको ष्षुद्व किया जाकर दाबीच के स्थान पर दाधीच किया जाना रहा है । उपलब्ध रिकार्ड से यह भी प्रकट होता है कि अप्रार्थी संख्या 2 व 3 की ओर से उक्त कोर्स/ परीक्षा प्रार्थिया को करवाई गई है तथा उन्हीं के द्वारा इस हेतु समाचार पत्र में विज्ञापन दिया गया है जिसके परिणामस्वरूप प्रार्थिया ने उक्त कोर्स हेतु अध्ययन कर परीक्षा पास की । अप्रार्थी संख्या 2 व 3 ने प्रार्थिया के नाम को करेक्षन हेतु प्रस्तुत किए प्रार्थना पत्र के क्रम में अप्रार्थी संख्या 1 को पत्र दिनांक 30.5.2014,
21.10.2014लिखे है । स्पष्ट है कि उन्होंने इस संबंध में कार्यवाही हेतु अप्रार्थी संख्या 1 को सूचित किया है । इस प्रकार जहां अप्रार्थी संख्या 2 व 3 ने अप्रार्थी संख्या 1 के उक्त पाठ्यक्रम को संचालित करने हेतु आवेदन पत्र आंमत्रित करते हुए ऐसे अभ्यर्थियों को प्रवेष देकर परीक्षा आयेाजित की हेै। ऐसी स्थिति में परिणाम जारी हो जाने के फलस्वरूप जारी प्रमाण पत्र में सही तथ्यों यथा पाठ्यक्रम का नाम, स्थान इत्यादि सही हो इसकी जिम्मेदारी सर्वप्रथम उनकी ही रहती है । जो विनिष्चय प्रस्तुत हुए है वे तथ्यों की भिन्नता में अप्रार्थी को सहायक नहीं है ।
9. कुल मिलाकर हमारी राय में जिस प्रकार के तथ्य सामने आए है , को देखते हुए अप्रार्थीगण प्रार्थिया द्वारा उक्त पाठ्यक्रम उत्तीर्ण किए जाने के बाद सही नाम व पते मय स्पेलिंग के प्रमाण पत्र जारी किए जाने के लिए जिम्मेदार है तथा इसमें किसी प्रकार की चूक अथवा स्पेलिंग में गलती पाई जाती है तो इसके लिए वे पूर्णरूप से जिम्मेदार है । तदनुसार उनका आचरण सेवा में ंकमी का परिचायक है । मंच की राय में परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य हे एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
10. (1) अप्रार्थीगण को निर्देष दिया जाता है कि वे प्रार्थिया द्वारा बताई गई स्थिति के अनुसार नए सिरे से स्पेलिंग सही करते हुए उसे उक्त प्रमाण पत्र इस आदेष से दो माह की अवधि के अन्दर अन्दर उपलब्ध करवाएगें । अप्रार्थी संख्या 2 व 3 की यह जिम्मेदारी रहेगी कि वे इस संदर्भ में आवष्यक पत्र व्यवहार कर अप्रार्थी संख्या 1 से उपरोक्त अनुसार सही विवरण का प्रमाण पत्र प्राप्त कर प्रार्थियों को उक्त अवधि में सौपेंगें ।
(2) प्रार्थिया अप्रार्थीगण से संयुक्त रूप से अथवा पृथक पृथक रूप से मानसिक संताप पेटे रू. 10,000/- एवं परिवाद व्यय के पेटे रू. 5000/-भी प्राप्त करने की अधिकारिणी होगी ।
(3) क्रम संख्या 2 में वर्णित राषि अप्रार्थीगण से संयुक्त रूप से अथवा पृथक पृथक रूप से प्रार्थिया को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।
आदेष दिनांक 16.02.2017 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष