Rajasthan

Ajmer

CC/17/2013

KALPANA - Complainant(s)

Versus

CITY FINANCIAL - Opp.Party(s)

ADV ANIL SHARMA

29 May 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/17/2013
 
1. KALPANA
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. CITY FINANCIAL
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Gautam prakesh sharma PRESIDENT
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण         अजमेर
श्रीमति कल्पना क्रिस्टोफर पत्नि स्व. श्री अतुल क्रिस्टोफर, जाति- क्रिष्चयन, निवासी- 321/1, चर्च हाॅल रोड, क्रिष्चयनगंज, अजमेर । 
                                                         प्रार्थीया
                            बनाम
1.  सिटी फाईनेन्सियल कन्ज्यूमर प्रोटेक्षन इंण्डिया लिमिटेड, कचहरी रोड, अजमेर ।(जरिए  आदेष दिनांक 17.4.2015 के तलबी बन्द की गई )
2.  प्रबन्धक, टाटा ए आई जी लाइफ इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, बिल्डिंग नम्बर-4, इन्फीनिटी आई टी पार्क, फिल्म सिटी रोड, दिन दोसी मलाई,मुम्बई 
                                                       अप्रार्थीगण 
                    परिवाद संख्या 17/2013
                            समक्ष
                   1.  गौतम प्रकाष षर्मा    अध्यक्ष
           2. श्रीमती ज्योति डोसी   सदस्या
                           उपस्थिति
                  1.श्री अनिल षर्मा, अधिवक्ता, प्रार्थीया
                  2.श्री अनिल गौड,  अधिवक्ता अप्रार्थी सं.2                              
मंच द्वारा           :ः- आदेष:ः-      दिनांकः- 29.05.2015

1.             परिवाद की चरण संख्या 1 में वर्णित अनुसार प्रार्थीया के पति ने अपने जीवनकाल में अप्रार्थी संख्या 1  से रू. 33,000/- की राषि का एक पर्सनल लोन लिया हुआ था जिसका खाता संख्या 9524712 होना दर्षाया एवं इस संबंध में अप्रार्थी संख्या 2 बीमा कम्पनी  द्वारा एक बीमा पाॅलिसी प्रार्थीया के पति के नाम जिसकी संख्या डीजीसीएल 000009 जारी करना भी दर्षाया । परिवाद में आगे वर्णित किया है कि प्रार्थीया के पति का निधन हो जाने पर प्रार्थीया की ओर से जारी बीमा पाॅलिसी के अन्तर्गत देय राषि  हेतु एक परिवाद इस मंच में प्रस्तुत किया जो परिवाद संख्या 15/2010  के रूप में संस्थित हुआ  एव ंनिर्णय उपरान्त प्रार्थीया की ओर से धारा 27 का एक आवेदन भी प्रस्तुत हुआ एवं उक्त आवेदन की प्रस्तुति के बाद अप्रार्थी के अधिवक्ता द्वारा दिनांक 18.8.2011 को बीमा  पाॅलिसी प्रमाण पत्र  पेेष किया । उक्त पाॅलिसी प्रमाण पत्र  की प्रथम बार जानकारी प्रार्थीया को दिनंाक 18.8.2011 को ही हुई एवं उक्त पाॅलिसी की षर्तो अनुसार  बीमित राषि रू. 33,000/- की जगह रू. 64,000/- होनी चाहिए थी जबकि बीमा प्रमाण पत्र रू. 33,000/- की राषि हेतु ही जारी  हुआ । अतः प्रार्थीया की ओर से यह परिवाद दिनंाक 7.12.2012 को प्रस्तुत करते हुए अप्रार्थीगण से षेष राषि की मांग की गई है । 
2.    प्रकरण में अप्रार्थी संख्या 1 का नया पता पेष नहीं किया गया अतः दिनंाक 17.4.2015  की आदेषिका के अनुसार उसकी तलबी बन्द की गई । 
3.    अप्रार्थी संख्या 2 की ओर से जवाब  पेष हुआ एवं जवाब में  प्रारम्भिक आपत्तिया ली गई  इसके अतिरिक्त इस बीमा पाॅलिसी के संबंध में प्रार्थीया की ओर से पूर्व में वाद लाया गया एवं बीमा राषि प्रार्थीया को पूर्व में दे दी गई थी । अतः इस वाद हेतु प्रार्थीया का कोई वादकरण उत्पन्न नहीं होना दर्षाया  इसके अतिरिक्त बीमा पाॅलिसी दिनांक 13.09.2006 को जारी हुई थी तथा परिपक्वता तिथी दिनंाक 12.09.2010 थी एवं यह वाद दिनांक 7.12.2012 को लाया गया है जो मियाद बाहर होना भी दर्षाया है एवं प्रार्थीया का यह परिवाद खारिज होने योग्य  बतलाया  ।  
4.    हमने पक्षकारान की बहस सुनी एवं पत्रावली का अनुषीलन किया  
5.    पूर्व के वाद संख्या 15/2010 की पत्रावली इस परिवाद के संलग्न है । पूर्व का वाद दिनांक 6.2.2010 को संस्थित हुआ था एवं दिनांक 14.12.2010 को निर्णित हुआ है । पूर्व का वाद भी इसी वाद के खाता संख्या 9524712 के संबंध में  और इसी पाॅलिसी संख्या  डीजीसीएल 000009  के संबंध में लाया गया था । 
6.    प्रकरण में प्रार्थीया का कथन है कि पूर्व का वाद पेष किया तब तक उसे बीमा प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं कराया गया था एवं यह  बीमा प्रमाण पत्र पूर्व के वाद के निर्णय उपरान्त प्रार्थीया द्वारा  धारा 27 का एक आवेदन पेष किया , उक्त कार्यवाही में  दिनंाक 18.8.2011 को  प्रस्तुत किया गया था साथ ही पाॅलिसी षर्ते भी प्रस्तुत हुई । उनके अध्ययन से प्रार्थीया से जो प्रीमियम रू. 454/- का लिया गया इस प्रीमियम हेतु बीमित धन रू. 33,000/- न होकर रू. 64061/-  होना चाहिए था इस तथ्य की जानकारी प्रार्थीया को सर्वप्रथम दिनंाक 18.8.2011 को हुई है । अतः  सबसे पहले  हमें यह देखना है कि क्या इस तथ्य की जानकारी प्रार्थीया को सर्वप्रथम दिनांक 18.8.2011 को ही हुई ?
7.    प्रार्थीया ने अपने परिवाद के समर्थन में स्वयं काषपथपत्र पेष किया । अन्य कोई साक्ष्य इस आषय की पेष नहीं की कि वस्तुतः उसे बीमा प्रमाण पत्र व बीमा पाॅलिसी षर्तो की जानकारी प्रथम बार दिनांक 18.8.2011 को ही हुई थी । इसके अतिरिक्त प्रार्थीया ने जो पूर्व का वाद परिवाद संख्या 15/2010 पेष किया , में बीमित धन का कोई उल्लेख नहीं किया एवं उक्त परिवाद का निर्णय दिनंाक 14.12.2010 को हो जाने के  लगभग 2 वर्ष बाद यह परिवाद पेष किया है । इसके अतिरिक्त जारी पाॅलिसी संख्या  डीजीसीएल 000009  के संबंध में पूर्व में जो वाद उपर वर्णित अनुसार लाया गया था  एवं उक्त वाद में इसी पाॅलिसी के अन्तर्गत देय लाभ हेतु निवेदन किया गया था तथा मंच के निर्णय दिनंाक 14.12.2010 से प्रार्थीया को इस पाॅलिसी के पैटे देय राषि के आदेष किए गए थे जो राषि प्रार्थीया को दी गई उसे समायोजित करते हुए षेष राषि का भुगतान  कर दिया गया था । 
8.    प्रार्थीया का यह कथन कि पूर्व का वाद प्रस्तुत किया गया तब उसे  बीमा पाॅलिसी प्रमाण पत्र व पाॅलिसी ष्षर्तो की जानकारी नही ंथी, मानने योग्य नहीं है क्योंकि पूर्व का वाद इसी पाॅलिसी प्रमाण पत्र के अन्तर्गत देय लाभ  के लिए लाया गया था । इसके अतिरिक्त  जैसा कि उपर विवेचित हुआ है उसे  बीमा प्रमाण पत्र व पाॅलिसी ष्षर्तो की जानकारी दिनांक 18.8.2011 को ही हुई, के संबंध में कोई साक्ष्य पत्रावली पर नहीं लाई गई है । धारा 27 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम  के अन्तर्गत प्रस्तुत कार्यवाही की पत्रावली या दस्तावेजात को प्रार्थीया ने इस परिवाद की कार्यवाही में नहीं  मंगवाया गया है जिससे यह सिद्व हो सकता था कि उक्त कार्यवाही में ही सर्वप्रथम अप्रार्थी ने बीमा पाॅलिसी प्रमाण पत्र व पाॅलिसी की षर्ते पेष की गई थी। 
9.    उपरोक्त सारे विवेचन से हमारा निष्कर्ष है कि प्रथमतः प्रार्थीया द्वारा  इसी बीमा पाॅलिसी के आधार पर पूर्व का वाद लाया जा चुका था । अतः वह दोबारा वाद उसी बीमा पाॅलिसी के संबंध में नहीं ला सकती । इसके अतिरिक्त प्रार्थीया को सर्वप्रथम  दिनंाक 18.8.2011 को इस पाॅलिसी व बीमा ष्षर्ता की जानकारी हई, यह तथ्य भी प्रार्थीया की ओर से सिद्व नहीं हुआ है । अतः इन तथ्यों को देखते हुए हम प्रार्थीया का यह परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं पाते है   एवं आदेष है कि 
                            -ःः आदेष:ः-
10.            प्रार्थीया का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार  किया जाकर  खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।

  (श्रीमती ज्योति डोसी)                      (गौतम प्रकाष षर्मा) 
             सदस्या                                  अध्यक्ष
11.        आदेष दिनांक 29.05.2015 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

              सदस्या                                अध्यक्ष

  

 
 
[ Gautam prakesh sharma]
PRESIDENT
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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