ASHISH KUMAR filed a consumer case on 31 Aug 2017 against CITY CLUB PRIVATE in the Kanpur Nagar Consumer Court. The case no is CC/285/2015 and the judgment uploaded on 17 Mar 2018.
श्रीमती सुधा यादव........................................सदस्या
उपभोक्ता वाद संख्या-285/2015
आषीश कुमार अवस्थी पुत्र स्व0 रमेष चन्द्र अवस्थी निवासी 16 ओ0 ब्लाक एम.जी. कालोनी किदवई नगर, कानपुर नगर।
................परिवादी
बनाम
सिटी क्लब प्रा0लि0, 84/79 जी0टी0 रोड, कानपुर नगर पिन-208003 द्वारा प्रबन्धक।
...........विपक्षी
परिवाद दाखिला तिथिः 04.06.2015
निर्णय तिथिः 15.03.2018
डा0 आर0एन0 सिंह, अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी को विपक्षी से अग्रिम बुकिंग धनराषि रू0 15000.00 दिलायी जाये, षारीरिक, मानसिक व आर्थिक कश्ट हेतु रू0 40,000.00, सेवा में कमी की क्षतिपूर्ति हेतु रू0 20000.00 तथा रू0 11000.00 परिवाद व्यय दिलाया जाये।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी द्वारा दिनांक 23.06.14 को रू0 15000.00 अग्रिम बुकिंग धनराषि अदा कर, सिटी क्लब प्राईवेट लिमिटेड के मैरिज हाल तथा लान की बुकिंग छोटे भाई के विवाह समारोह दिनांकित 17.01.15 हेतु बुक कराया गया था। अपरिहार्य कारणों से कार्यक्रम विपक्षी क्लब से नहीं हो पा रहा था, जिस कारण परिवादी द्वारा दिनांक 17.01.15 को कार्यक्रम की बुकिंग निरस्त कराने हेतु दिनांक 25.10.14 को एक प्रार्थनापत्र दिया गया था। परिवादी द्वारा दिनांक 17.03.15 को एक प्रार्थनापत्र बुकिंग धनराषि रू0 15000.00 की वापसी हेतु विपक्षी के कार्यालय में प्रेशित किया गया, परन्तु
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विपक्षी द्वारा टाल दिया गया था। परिवादी द्वारा कई बार बुकिंग धनराषि की वापसी हेतु विपक्षी कार्यालय से संपर्क किया गया, परन्तु विपक्षी द्वारा न तो कोई समुचित उत्तर दिया गया और न ही बुकिंग धनराषि अदा की गयी। फलस्वरूप परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3.विपक्षी ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादी स्वयं उपभोक्ता नहीं है और न ही उपभोक्ता की परिभाशा के अंतर्गत आता है। क्योंकि मैरिज हाल व लान की बुकिंग परिवादी ने अपने भाई के लिए कराई थी, स्वयं के लिए नहीं। परिवादी के कथनानुसार परिवादी ने दिनांक 17.01.15 हेतु विपक्षी के मैरिज हाल व लान की बुकिंग अपने भाई की षादी के लिए कराई थी, इस प्रकार विपक्षी की सेवायें परिवादी के भाई की षादी के लिए दिनांक 17.01.15 को षुरू होनी थी। लेकिन सेवा षुरू होने से पहले बीच में ही परिवादी ने स्वयं अपना अनुबन्ध तोड़ दिया तो सेवा में कमी का प्रष्न ही नहीं उठता है। परिवादी को बुकिंग धनराषि वापस किये जाने योग्य नहीं है। जैसाकि बुकिंग की रसीद की षर्तों में पहले से ही बुकिंग कराने वाले को सूचित किया जा चुका है। बुकिंग निरस्त करा देने से परिवादी षेश धनराषि अदा करने के उत्तरदायित्व से बच गया। विपक्षी के पास की गयी बुकिंग का सारा लेखा-जोखा रहता है और बुकिंग होते ही सर्विस टैक्स 14.5 प्रतिषत लग जाता है। अग्रिम बुकिंग स्वयं निरस्त कराने के कारण परिवादी, विपक्षी से अग्रिम धनराषि वापस पाने का अधिकारी नहीं है। परिवादी को आर्थिक व मानसिक कश्ट का प्रष्न ही नहीं उठता है, क्योंकि परिवादी ने अपनी बुकिंग को स्वयं निरस्त कराया गया है। परिवादी को कोई वाद कारण उत्पन्न नहीं हुआ। अतः परिवाद विषेश हर्जे के साथ निरस्त किया जाये।
4.परिवादी की ओर से जवाबुल जवाब प्रस्तुत करके, विपक्षी की ओर से प्रस्तुत जवाब दावा में उल्लिखित तथ्यों का खण्डन किया गया है
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और स्वयं के द्वारा प्रस्तुत परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों की पुनः पुश्टि की गयी है।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5.परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 03.06.15 व 04.11.16 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची के साथ संलग्नक कागज सं0-5/2 लगायत् 5/5 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6.विपक्षी ने अपने कथन के समर्थन में कृश्ण कुमार षुक्ला का षपथपत्र दिनांकित 16.05.16 व 06.02.17 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
निष्कर्श
7.बहस के समय विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया। अतः फोरम द्वारा परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं उभयपक्षों द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
8.उभयपक्षों की ओर से उपरोक्त प्रस्तर-5 व 6 में वर्णित षपथपत्रीय व अन्य अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किये गये हैं। उभयपक्षों की ओर से प्रस्तुत किये गये उपरोक्त साक्ष्यों में से मामले को निर्णीत करने में सम्बन्धित साक्ष्यों का ही आगे उल्लेख किया जायेगा।
8.परिवादी के विद्वान अधिवक्ता को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि विपक्षी का प्रमुख तर्क यह है कि परिवादी द्वारा विपक्षी का मैरिज हाल व लान अपने भाई के लिए बुक कराया था, स्वयं के लिए नहीं, इसलिए परिवादी उपभोक्ता की कोटि में नहीं आता है। इस सम्बन्ध में परिवादी का कथन है कि परिवादी के द्वारा भुगतान किया गया है। परिवादी के द्वारा बुकिंग करायी गयी है, इसलिए परिवादी, उपभोक्ता की कोटि में आता है।
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उभयपक्षों को उपरोक्तानुसार सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी द्वारा स्वयं मैरिज हाल व लान बुक कराया गया है। परिवादी द्वारा स्वयं अभिकथित धनराषि जमा की गयी है। परिवादी ने अपने कथन को सिद्ध करने के लिए सूची के साथ कागज सं0-5/2 जमा रसीद दाखिल की गयी है, जो कि परिवादी के नाम से है। अतः फोरम परिवादी के कथन से सहमत है। परिवादी उपभोक्ता की कोटि में आता है।
विपक्षी का एक तर्क यह है कि परिवादी ने भाई की षादी के लिए दिनांक 17.01.15 के लिए विपक्षी का मैरिज हाल व लान बुक कराया गया था, लेकिन सेवा षुरू होने से पहले ही बीच में परिवादी ने अपना अनुबन्ध तोड़ दिया, इसलिए परिवादी की बुकिंग धनराषि वापस किये जाने योग्य नहीं है, जैसाकि बुकिंग की रसीद की षर्तों में पहले से ही अंकित किया जा चुका है। विपक्षी के पास की गयी बुकिंग का सारा लेखा-जोखा होता है और बुकिंग होते ही सर्विस टैक्स 14.5 प्रतिषत लग जाता है। इस सम्बन्ध में परिवादी का कथन है कि विपक्षी का उपरोक्त कथन गलत है। विपक्षी द्वारा अपने उपरोक्त कथन को साबित करने के लिए कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। विपक्षी की ओर से मात्र षपथपत्र प्रस्तुत किया गया है, जिसके विपरीत परिवादी की ओर से षपथपत्र व प्रति षपथपत्र प्रस्तुत किया गया है, जिनसे विपक्षी के कथन का खण्डन होता है।
उपरोक्तानुसार दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम का यह मत है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद आंषिक रूप से उसके द्वारा एडवांस के रूप में जमा की गयी धनराषि रू0 15000.00 मय 6 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से दौरान मुकद्मा तायूम वसूली दिलाये जाने हेतु तथा रू0 2000.00 परिवाद व्यय के लिए स्वीकार किये जाने योग्य है। जहां तक परिवादी की ओर से याचित अन्य उपषम का सम्बन्ध है-उक्त याचित उपषम के लिए परिवादी द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न किये जाने के कारण परिवादी द्वारा याचित अन्य उपषम के लिए परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
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ःःःआदेषःःः
9. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षी, परिवादी को, उसके द्वारा जमा की गयी धनराषि रू0 15,000.00 (पन्द्रह हजार रूपये मात्र) मय 6 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से दौरान मुकद्मा तायूम वसूली अदा करे तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय भी अदा करे।
( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
फोरम कानपुर नगर फोरम कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
सदस्या अध्यक्ष
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