Rajesh Soti filed a consumer case on 07 Aug 2018 against Choudhry communication in the Muradabad-II Consumer Court. The case no is CC/13/2018 and the judgment uploaded on 31 Aug 2018.
Uttar Pradesh
Muradabad-II
CC/13/2018
Rajesh Soti - Complainant(s)
Versus
Choudhry communication - Opp.Party(s)
07 Aug 2018
ORDER
न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, मुरादाबाद
परिवाद संख्या-13/2018
राजेश सोती पुत्र श्री राम कुमार सोती निवासी बारादरी निकट कमल टाकिज बारादरी मुरादाबाद। …......परिवादी
बनाम
1-चौधरी कम्युनिकेशन स्थित चौधरी काम्पलैक्स बाजार गंज मुरादाबाद द्वारा प्रोपराइटर।
2-जे.के. इलेक्ट्रोनिक्स स्थित जे.के. काम्पलैक्स बाजार गंज नीम की प्याऊ मुरादाबाद द्वारा इसके प्रोपराइटर।
3-लीनोवो मोबाइल स्थित लीनोवो इंडिया प्रा.लि. फर्म्स लून लेवल-2 दुदनाकुन्दी ग्राम मराठाहाली आउटर रिंग रोड के आर पूरम हुवली बैंगलौर पिन-560037 .........विपक्षीगण
वाद दायरा तिथि: 16-02-2018 निर्णय तिथि: 07.08.2018
उपस्थिति
श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष
श्री सत्यवीर सिंह, सदस्य
(श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित)
निर्णय
इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह अनुतोष मांगा है कि विपक्षीगण से उसे परिवाद के पैरा-1 में उल्लिखित मोबाइल का मूल्य अंकन-6500/-रूपये 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित वापिस दिलाया जाये। परिवादी ने क्षतिपूर्ति की मद में 50 हजार रूपये और वाद व्यय की मद में अंकन-6500/-रूपये अतिरिक्त मांगे हैं।
संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि दिनांक 19-9-2016 को विपक्षी-1 से परिवादी ने परिवाद के पैरा-1 में उल्लिखित मोबाइल अंकन-6500/-रूपये में खरीदा था। यह मोबाइल विपक्षी-3 द्वारा निर्मित है। मोबाइल कुछ समय तो ठीक-ठाक चला किन्तु बाद में हैंग होने लगा। मोबाइल के रिंगर और स्पीकर फोन में भी परेशानी आने लगी। विपक्षी-2 मुरादाबाद में इस मोबाइल का सर्विस सेंटर है। दिनांक 08-7-2017 को परिवादी ने सर्विस सेंटर पर मोबाइल दिखाया और कुछ दिन बाद परिवादी को आने के लिए कहा। कुछ दिन बाद परिवादी गया तो पाया कि इसमें कमियां ज्यों की त्यों थीं। जब विपक्षी-2 से पुन: शिकायत की गई तो वे टाल-मटोल करते रहे और उन्होंने मोबाइल ठीक करके नहीं दिया। परिवादी ने मोबाइल बदलकर देने का का भी आग्रह किया और कानूनी नोटिस भी विपक्षीगण को भिजवाये किन्तु न तो मोबाइल उन्होंने बदला और न ही मोबाइल का मूल्य परिवादी को वापिस किया। परिवादी ने यह कहते हुए कि विपक्षीगण के कृत्य सेवा में कमी हैं, परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाये जाने की प्रार्थना की।
परिवाद कथनों के समर्थन में परिवादी ने अपना शपथपत्र दाखिल किया, इसके अतिरिक्त विपक्षीगण को भेजे गये नोटिस, नोटिस भेजने की डाकखाने की रसीदों, मोबाइल की सेल इन्वायस तथा सर्विस सेंटर द्वारा परिवादी को दी गई जॉबशीट दिनांकित 08-7-2017 की छायाप्रतियों को दाखिल किया गया। ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-3/7 लगायत 3/9 हैं।
विपक्षीगण तामीला के बावजूद फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हुए, उन्होंने प्रतिवाद पत्र भी दाखिल नहीं किया। अतएव फोरम के आदेश दिनांक 19-4-2018 के अनुपालन में परिवाद की सुनवाई विपक्षीगण के विरूद्ध एकपक्षीय की गई।
परिवादी ने एकपक्षीय साक्ष्य में अपना साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-5/1 लगायत 5/3 दाखिल किया। उसने लिखित बहस भी दाखिल की।
हमने परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
बहस हेतु विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुए।
परिवादी ने अपने साक्ष्य शपथपत्र के माध्यम से परिवाद कथनों को सशपथ दोहराया और शपथपूर्वक कहा कि मोबाइल खरीदने के कुछ समय बाद से ही मोबाइल में समस्यायें आने लगी थीं, वह हैंग होने लगा तथा उसके रिंगर और स्पीकर फोन में भी समस्यायें आने लगीं। मोबाइल को ठीक कराने के लिए वह कई बार सर्विस सेंटर पर लेकर गया किन्तु मोबाइल ठीक नहीं हुआ। परिवादी के कथनों का खण्डन करने हेतु विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुए। विपक्षी-2 द्वारा परिवादनी को दी गई जॉबशीट दिनांकित 08-7-2017 से परिवादी के उक्त कथनों की पुष्टि होती है।
परिवादी यह दर्शाने में सफल रहा है कि वारंटी अवधि में ही प्रश्नगत मोबाइल में समस्यायें उत्पन्न हो गई थीं, जिनका विपक्षी-2 व 3 द्वारा निराकरण नहीं किया गया। इन विपक्षीगण के कृत्य सेवा में कमी हैं। उचित यह दिखायी देता है कि परिवादी को प्रश्नगत मोबाइल का मूल्य अंकन-6500/-रूपये 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित विपक्षी-2 एवं विपक्षी-3 से वापिस दिला दिया जाये। मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए परिवादी को इन विपक्षीगण से क्षतिपूर्ति की मद में अंकन-5000/-रूपये तथा परिवाद व्यय की मद में अंकन-2500/-रूपये अतिरिक्त दिलाया जाना भी न्यायोचित दिखायी देता है। विपक्षी-1 मोबाइल के विक्रेता हैं, उनकी ओर से सेवा प्रदान करने में कमी किया जाना प्रकट नहीं हुआ। परिवाद उपरोक्तानुसार स्वीकार होने योग्य है।
परिवाद योजित किये जाने की तिथि से वास्तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित अंकन-6500/-रूपये की वसूली हेतु यह परिवाद परिवादी के पक्ष में विपक्षी-2 एवं विपक्षी-3 के विरूद्ध स्वीकृत किया जाता है। इन विपक्षीगण से परिवादी क्षतिपूर्ति की मद में अंकन-5000/-रूपये एवं परिवाद व्यय की मद में अंकन-2500/-रूपये अतिरिक्त पाने का भी अधिकारी होगा। इस आदेशानुसार समस्त धनराशि का भुगतान परिवादी को एक माह में किया जाये।
(सत्यवीर सिंह) (पवन कुमार जैन)
सदस्य अध्यक्ष
आज यह निर्णय एवं आदेश हमारे द्वारा हस्ताक्षरित तथा दिनांकित होकर खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।
(सत्यवीर सिंह) (पवन कुमार जैन)
सदस्य अध्यक्ष
दिनांक: 07-08-2018
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