राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-957/2012
(जिला मंच जौनपुर द्वारा परिवाद सं0-२३६/२००९ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २२/०२/२०१२ के विरूद्ध)
बजाज एलियांज जनरल इंश्योरेंस कं0लि0 जी.ई प्लाजा एयरपोर्ट रोड पुणे द्वारा ब्रांच आफिस बजाज एलियांज जनरल इंश्योरेंस कं0लि0 हलवासिया कामर्स हाउस ४ फ्लोर हबीबुल्लाह एस्टेट ११-एमजी मार्ग हजरतगंज लखनऊ यूपी द्वारा इंचार्ज।
.............. अपीलार्थी।
बनाम्
छोटे लाल सिंह पुत्र कालिका प्रसाद सिंह साकिन मौजा सराई बिरू तहसील केराकट जिला जौनपुर।
............... प्रत्यर्थी।
समक्ष:-
१. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, पीठासीन सदस्य।
२. मा0 श्री महेश चन्द, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :- श्री आनन्द भार्गव विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :- श्री उमेश कुमार शर्मा विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक : .01/09/2017
मा0 श्री महेश चन्द, सदस्य द्वारा उदघोषित
आदेश
प्रस्तुत अपील, जिला मंच जौनपुर द्वारा परिवाद सं0-२३६/२००९ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २२/०२/२०१२ के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में विवाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपनी मोटर साईकिल सं0-यूपी६२ एम-५१४१ (मेक हीरो हाण्डा) का बीमा अपीलकर्ता बजाज एलियांस जनरल इंश्योरेंस कं0लि0 से कराया था। उक्त मोटर साईकिल का बीमित मूल्य रू0 ५१७५३/-निर्धारित किया गया। प्रश्नगत मोटर साईकिल की बीमा अवधि दिनांक ०७/०८/२००६ से दिनांक ०६/०८/२००७ तक वैध थी। दिनांक १८/०४/२००७ को वह विकास भवन कार्यालय मंझनपुर जिला जौनपुर गया था। वह कार्यालय के बाहर अपना वाहन खड़ा करके किसी कार्य से कार्यालय के अन्दर गया। कार्यालय से वह बाहर आया तो पाया कि उसकी मोटर साईकिल गायब थी। उसने इधर-ऊधर देखा तो मोटर साईकिल नहीं मिली। मोटर साईकिल चोरी होने की सूचना प्रत्यर्थी/परिवादी ने थाना कोतवाली मंझनपुर को भी दिनांक १८/०४/२००७ को ही दे दी । प्रत्यर्थी/परिवादी के अनुसार उसने वाहन के गायब होने की सूचना अपीलकर्ता भी दी थी किन्तु अपीलकर्ता ने वाहन की बीमा धनराशि का भुगतान करने से इनकार कर दिया। इसी से क्षुब्ध होकर उसने एक परिवाद सं0-२३६/२००९ जिला मंच जौनपुर के समक्ष दायर किया। अपीलकर्ता/विपक्षी तथा अन्य प्रत्यर्थीगण को नोटिस जारी किया गया। प्रत्यर्थी बैंक से उक्त् नोटिस इस टिप्पणी के साथ वापस आया कि संबंधित कर्मचारी ने लेने से इनकार किया किन्तु अपीलकर्ता/विपक्षी बीमा कम्पनी के कार्यालय भेजा गया, नोटिस वापस नहीं आया। अत: जिला मंच ने अपीलकर्ता बीमा कम्पनी पर नोटिस की तामीला पर्याप्त मानते हुए एकपक्षीय कार्यवाही का आदेश पारित किया।
अपीलकर्ता की ओर से जिला मंच के समक्ष कोई प्रतिवाद प्रस्तुत नहीं कियागया । परिवाद एकपक्षीय रूप से सुना गया तथा निम्नलिखित आदेश पारित किया गया-
‘’ परिवादी छोटे लाल सिंह का परिवाद सं0-२३६/२००९ विपक्षी सं0-1 व 3 के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0-1 व 3 को आदेश दिया जाता है कि प्रश्नगत मोटर साईकिल सं0-यूपी ६२ एम ५१४१ के बीमा धन मु0 रू0 ५१७५३/- तथा मु0 रू0 ५००/- वाद व्यय एक माह के अन्दर परिवादी को अदा करे। ‘’
इसी आदेश से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है।
अपील में एकपक्षीय रूप से पारित आदेश दिनांक २२/०२/२०१२ को चुनौती देते हुए यह आधार लिया गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने संबंधित वाहन के चोरी होने के संबंध में कोई प्रथम सूचना दर्ज नहीं कराई गयी और न ही अपीलकर्ता को सूचनादी। प्रत्यर्थी ने चोरी वाहन के संबंध में कोई दावा अपीलकर्ता के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया । अपील के आधार में यह भी कहा गया है कि प्रश्नगत वाहन दिनांक १८/०४/२००७ को चोरी हुआ जबकि जिला मंच में परिवाद दिनांक २४/०८/२००९ को दायर किया गया। परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा १९८६ के प्राविधानों के अन्तर्गत परिवाद कालातीत था जिसका संज्ञान लेकर जिलामंच ने त्रुटि की है। परिवादी/प्रत्यर्थी ने वाहन के संबंध में किसी प्रकार का कोई दावा अपीलकर्ता के कार्यालय में नहीं किया। अत: उसे निरस्त करने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता। अत: पक्षकारों के मध्य कोई उपभोक्ता विवाद नहीं है। इन सब तथ्यों के बावजूद जिला मंच ने प्रश्नगत आदेश पारित करके त्रुटि की है। अपील में प्रश्नगत आदेश खण्डित किए जाने जाने की प्रार्थना की गयीहै।
आयोग द्वारा पक्षकारों को नोटिस जारी किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से अपील के संबंध में किसी प्रकार की कोई आपत्ति दाखिल नही की गयी है।
अपीलकर्ता की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री दिनेश कुमार के अधिकृत सहयोगी श्री आनन्द भार्गव उपस्थित हैं। प्रत्यर्थी की ओर से अधिवक्ता श्री उमेश कुमार शर्मा उपस्थित हैं। उनके तर्कों को सुना गया। पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का परिशीलन किया गया।
यह अपील विलंब से दायर की गयी है। प्रश्नगत आदेश दिनांक २२/०२/२०१२ को पारित किया गया और उक्त आदेश की जानकारी उन्हें दिनांक २३/०३/२०१२ को हुई जिसकी छायाप्रति उन्हें दिनांक २९/०३/२०१२ को प्राप्त हुई। अपील में हुए विलंब के लिए अपीलकर्ता ने विलंब के दोष को क्षमा किए जाने हेतु प्रार्थना पत्र दिया है। उसमें विलंब के कारणों को स्पष्ट करते हुए एक शपथ पत्र भी दाखिल किया गया है। शपथ पत्रमें विलंब के कारणों के स्पष्टीकरण से यह पीठ संतुष्ट है और विलंब के दोष को क्षमा किया जाता है।
पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों के परिशीलन से स्पष्ट होता है कि जिला मंच ने प्रश्नगत आदेश एकपक्षीय रूप से पारित किया है और यह आदेश प्रत्यर्थी/परिवादी के शपथ पत्र के आधार पर पारित किया गया है। प्रश्नगत निर्णय के अवलोकन से यह स्पष्ट नहीं होता है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने किसी प्रकार का कोई दावा अपने वाहनके चारी के संबंध में अपीलकर्ताके समक्ष प्रस्तुत किया था। चूंकि कोई दावा अपीलकर्ता के समक्षप्रस्तुत नहीं किया गया, इसलिए उसके निरस्त होने का कोई प्रश्न ही नहीं है। प्रत्यर्थी ने कोतवाली मंझनपुर जिला जौनपुर में अपने वाहन की चोरी के संबंध में सूचना मात्र दी थी किन्तु कोई प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई। यदि पुलिस ने प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं की तो उसे दर्ज कराने हेतु कोई प्रयास भी नहीं किया गया। अत: पुलिस के स्तर पर प्रश्नगत वाहन के चोरी के संबंध में कोई जांच भी नहीं हुई । प्रत्यर्थी द्वारा भी कोई साक्ष्य जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया जिससे यह प्रतीत होता हो कि उसने अपीलकर्ताबीमा कम्पनी को वाहन के चोरी होने के संबंध में कोई सूचना दी थी। एक पत्र जो प्रत्यर्थी ने आईसीआईसीआई बैंक को चोरी के संबंध में लिखा है उसकी छायाप्रति अवश्य पत्रावली पर उपलब्ध है किन्तु उससे यह स्पष्ट नहीं होता कि प्रत्यर्थी ने किसी प्रकार की सूचना बीमा कम्पनी को दी थी । परिवाद भी चोरी की घटनाके ०२ वर्ष बाद जिला मंच के समक्ष दायर किया गया है। उसने विलंब से परिवाद दायर करने के संबंध में भी कोई स्पष्ट कारण नहीं दिए गए। प्रत्यर्थी/परिवादी के स्तर पर अत्यंत लापरवाही के साथ प्रश्नगत प्रकरण में कार्यवाही की गयी है। कोतवाली मंझनपुर को चोरी की सूचना मात्र देने से ही पूर्ण कार्यवाही नहीं मानी जा सकती जब तक कि उसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट कोतवाली में दर्ज न की जाए। इन परिस्थितियों में इससे यह स्पष्ट होता है कि प्रत्यर्थी/परिवादी साफ नियत से सामने नहीं आया है और एक मोटर साईकिल चोरी होने के ०२ वर्ष बाद अचानक यह परिवाद दायर कर दिया है, जो कालातीत था। विद्वान जिला मंच ने प्रश्नगत आदेश मात्र शपथ पत्र को आधार मानकर पारित किया है जोकि मनमाना है और निरस्त किए जाने योग्य है। अपील तदनुसार स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। जिला मंच जौनपुर द्वारा परिवाद सं0-२३६/२००९ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २२/०२/२०१२ निरस्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
उभयपक्ष को इस आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार निर्गत की जाए।
(राज कमल गुप्ता) (महेश चन्द)
पीठासीन सदस्य सदस्य
सत्येन्द्र, कोर्ट-5