ORDER | द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष - इस परिवाद के माध्यम से परिवादिनी ने यह उपशम मॉंगा है कि उसके वाहन की बीमा राशि 2,00,000/- (दो लाख रूपया) 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित दिलायी जाऐ। मानसिक कष्ट एवं आर्थिक हानि की मद में 10,000/- (दस हजार रूपया) तथा परिवाद व्यय अतिरिक्त दिलाऐ जाने की भी उसने प्रार्थना की।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि दिनांक 05/11/2012 को विपक्षी सं0-3 से उसने महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा कम्पनी से एक पिकअप वाहन 3,42,000/- ( तीन लाख बयालीस हजार रूपया) में खरीदी थी। विपक्षी सं0-3 के माध्यम से ही उसने इस वाहन का बीमा विपक्षी सं0-2 से दिनांक 05/11/2012 से 04/11/2013 तक की अवधि हेतु कराया था। बीमा राशि 3,08,500/- (तीन लाख आठ हजार पॉंच सौ रूपया) थी। दिनांक 19/04/2013 को उक्त वाहन सं0- यू0पी0 38 टी0-0297 का ड्राईवर सब्जी बेचकर सुशील कुमार पुत्र ताराचन्द आदि के साथ सम्भल आ रहा था। रास्ते में जब वे फूलसिवा गांव के पास आये तो वाहन का ड्राईवर वाहन को साइड में खड़ा करके पेशाव करने लगा इसी मध्य सामने से तेज रफ्तार से आते हुऐ ट्रक सं0 ओ0आर-04जी/3095 ने परिवादिनी के उक्त वाहन में टक्कर मार दी जिससे वहान में बैठे किसानों को गम्भीर चोटें आयीं ट्रक का चालक ट्रक छोड़कर भाग गया। घटना की रिपोर्ट धारा-279, 338 व 427 आई0पी0सी0 के अधीन थाना हजरतनगरगढ़ी में अपराध सं0- 49/2013 पर दर्ज हुई। परिवादिनी ने दुर्घटना की सूचना एवं समस्त प्रपत्र विपक्षी सं0-2 व 3 को उपलब्ध कराऐ। विपक्षी सं0-2 के निर्देश पर परिवादिनी को गाड़ी का रिपेयर एस्टीमेंट उपलब्ध कराया। विपक्षीगण ने गाड़ी का सर्वे कराया और विपक्षीगण के निर्देश पर परिवादिनी ने अपने उक्त वाहन की मरम्मत करायी जिसमें लगभग 2,00,000/- (दो लाख रूपया) खर्च हुआ। परिवादिनी ने विपक्षीगण से बीमा राशि की मांग की जिसे विपक्षी सं0-1 ने पत्र दिनांकित 26/09/2013 से परिवादिनी का क्लेम अस्वीकृत कर दिया। आधार यह लिया गया कि अभिकथित दुर्घटना के समय वाहन में क्षमता से अधिक 6 सवारियां बैठी हुई थीं। परिवादिनी का कथन है कि क्लेम अस्वीकृति का पत्र मिलने के बाद वह विपक्षी सं0-2 व 3 से मिली और उन्हें अवगत कराया कि वाहन में बैठे व्यक्ति किसान थे जो अपनी सब्जी बेचकर आ रहे थे, वे सवारियां नहीं थीं और इस तरह बीमा पालिसी की किसी शर्त का उल्लंघन नहीं किया गया है किन्तु विपक्षी सं0-2 व 3 ने परिवादिनी की कोई बात सुनने से इन्कार कर दिया। परिवादिनी ने यह कथन करते हुऐ कि विपक्षी उसकी बात सुनने और क्लेम स्वीकृत करने को तैयार नहीं है, परिवाद में अनुरोधित अनुतोष स्वीकार किऐ जाने की प्रार्थना की।
- विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0- 18/1 लगायत 18/4 दाखिल हुआ जिसमें दिनांक 05/11/2012 से 04/11/2013 तक की अवधि हेतु 3,08,500/- की धनराशि हेतु परिवादिनी का वाहन सं0- यू0पी0 38 टी-0297 का बीमा उत्तरदाता विपक्षीगण की ओर से किया जाना और सही कारणों से बीमा दावा अस्वीकृत किया जाना तो स्वीकार किया गया है किन्तु परिवाद के शेष कथनों से इन्कार किया गया है।
- विपक्षीगण सं0-1 व 2 की ओर से प्रतिवाद पत्र में कथन किया गया है कि प्रश्नगत वाहन महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा फाईनेशियल सर्विसेज लिमिटेड से ऋण लेकर खरीदा गया था जिसके पक्ष में परिवादिनी का उक्त वाहन हाईपोथीकेडिट था किन्तु महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा फाईनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड को परिवदिनी ने परिवाद में पक्षकार नहीं बनाया इस प्रकार आवश्यक पक्ष को पक्षकार ने बनाऐ जाने का परिवाद में दोष है। सर्वेयर द्वारा परिवादिनी के दुर्घटनाग्रस्त वाहन का सर्वे कराया ग्या जिन्होंने 1,29,720/- ( एक लास उन्तीस हजार सात सौ बीय रूपये) की क्षति आंकलित की। उत्तरदाता विपक्षीगण के अनुसार यह पाया गया कि प्रश्नगत वाहन केवल माल ढ़ोने के लिए अधिकृत था किन्तु उसमें अभिकथित दुर्घटना के समय सवारियां ढ़ोई जा रही थीं। वाहन की सिटिंग कैपेसिटी 2 व्यक्तियों की थी जबकि दुर्घटना के समय इसमें ड्राईवर सहित 6 लोग यात्रा कर रहे थे। परिवादिनी ने बीमा पालिसी की शर्त सं0-3 का उल्लंघन किया जिसके आधार पर पत्र दिनांकित 26/9/2013 द्वारा परिवादिनी का दावा स्वीकृत कर दिया गया और ऐसा करके उत्तरदाता विपक्षीगण ने सेवा में कमी नहीं की, उन्होंने परिवाद को सव्यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
- विपक्षी सं0-3 ने अपना प्रतिवाद पत्र कागज सं0- 11/1 लगायत 11/3 दाखिल किया जिसमें यह तथ्य तो स्वीकार किया गया कि परिवादिनी ने दिनांक 05/11/2012 को प्रश्नगत पिकअप वाहन विपक्षी सं0-3 से खरीदा था और यह वाहन अभिकथित दुर्घटना के समय विपक्षी सं0-1 व 2 से बीमित था किन्तु परिवाद के शेष कथनों से इन्कार किया गया। विपक्षी सं0-3 की ओर से अग्रेत्तर कहा गया कि परिवादिनी का बीमा दावा विपक्षीगण सं0-1 व 2 द्वारा निरस्त कर दिऐ जाने में उत्तरदाता विपक्षी सं0-3 का कोई सम्बन्ध नहीं है और उत्तरदाता विपक्षीगण को अनावश्यक रूप से पक्षकार बनाया गया है। विपक्षी सं0-3 ने परिवाद को सव्यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवादिनी ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0- 19/1 लगायत 19/5 दाखिल किया। विपक्षी की ओर से बीमा कम्पनी के मैनेजर लीगल श्री मनीष गौड़ ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0- 20/1 लगायत 20/5 दाखिल किया। श्री मनीष गौड़ के साक्ष्य शपथ पत्र के साथ विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से अभिकथित रूप से दुर्घटनाग्रस्त हुऐ परिवादिनी के पिकअप वाहन की सर्वे रिपोर्ट, आर0सी0, एफ0आई0आर0, बीमा कवरनोट तथा क्लेम अस्वीक़ृत किऐ जाने सम्बन्धी पत्र दिनांकित 26/09/2013 की नोटरी द्वारा प्रमाणित प्रतियों को दाखिल किया गया, यह प्रपत्र कागज सं0-20/6 लगायत 20/11 हैं। प्रत्युत्तर में परिवादिनी ने अपना रिज्वाइंडर शपथ पत्र कागज सं0-22/1 लगायत 22/1 दाखिल किया जिसमें उसने अन्य के अतिरिक्त यह कथन किया कि परिवादिनी ने बीमा पालिसी की किसी शर्त का उल्लंघन नहीं किया और बीमा कम्पनी के सर्वेयर ने दुर्घटनाग्रस्त वाहन का विधिवत् सर्वे नहीं किया है।
- इस मामले में परिवाद के साथ परिवादिनी ने 10 अभिलेख दाखिल किऐ थे जो पत्रावली के कागज सं0- 3/5 लगायत 3/15 हैं। परिवादिनी ने एक अतिरिक्त शपथ पत्र कागज सं0- 25/1 दिनांक 21/95/2015 को दाखिल किया जिसके माध्यम से उसने क्लेम अस्वीकृत किऐ जाने विषयक विपक्षी सं0-1 व 2 के पत्र, प्रश्नगत पिकअप वाहन की सेल इनवाइस, बीमा कवरनोट एफ0आई0आर0, वाहन की रिपेयर हेतु डेंयर द्वारा दिऐ गऐ एस्टीमेट रिपेयरिंग में लिखे सामन के बिल तथा खर्चों की अन्य रसीदों की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया, यह प्रपत्र कागज सं0-25/2 लगायत 25/14 हैं।
- हमने परिवादिनी तथा विपक्षी सं0-1 व 2 के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया। विपक्षी सं0-3 की ओर से बहस हेतु कोई उपस्थित नहीं हुऐ।
- पक्षकारों के मध्य इस बिन्दु पर कोई विवाद नहीं है कि अभिकथित दुर्घटना में अन्तर्ग्रस्त पिकअप वाहन (छोटा हाथी) सं0- यू0पी038 टी/0297 की पंजीकृत स्वामी परिवदिनी है। यह पिकअप विपक्षी सं0-1 व 2 से दिनांक 05/11/2012 से 04/11/2013 की अवधि हेतु बीमित थी। दिनांक 19/04/2013 को अभिकथित रूप से यह पिकअप वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गयी जब परिवादिनी ने बीमा दावा विपक्षी सं0-1 व 2 के समक्ष प्रस्तुत किया तो उसके दावे को विपक्षी सं0-1 व 2 ने पत्र दिनांकित 28/09/2013 द्वारा अस्वीकृत कर दिया। आधार यह लिया गया कि अभिकथित दुर्घटना के समय पिकअप वाहन में 6 व्यक्ति यात्रा कर रहे थे जबकि पिकअप वाहन की सिटिंग कैपेसिटी केवल 2 थी ऐसा करके बीमा शर्तों का उल्लंघन किया गया है
- परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता का कथन है कि अभिकिथत दुर्घटना के कारण पिकअप वाहन में जो व्यक्ति यात्रा कर रहे थे वे भाड़े की सवारियों के रूप में नहीं ले जाऐ जा रहे थे बल्कि वे सब्जी बेचकर वापिस आ रहे थे और इस दशा में उन व्यक्तियों को भाड़े की सवारियां बताकर क्लेम अस्वीकृत किया जाना विधि विरूद्ध है। विपक्षीगण सं0-1 व 2 के विद्वान अधिवक्ता ने उक्त तर्कों का प्रतिवाद किया और कहा कि पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य से यह सिद्ध नहीं है कि ड्राईवर के अतिरिक्त जो 5 व्यक्ति दुर्घटना के समय पिकअप वाहन में यात्रा कर रहे थे वे भाड़े की सवारियां न होकर सब्जी विक्रता थे। विपक्षीगण सं0-1 व 2 के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि क्लेम अस्वीकृत कर विपक्षीगण सं0-1 व 2 की ओर से कोई त्रुटि नहीं की गयी है।
- परिवादिनी के पिकअप वाहन सं0- यू0पी0 38 टी /0297 की आर0सी0 की नकल पत्रावली का कागज सं0-20/8 है। इसके अवलोकन से प्रकट है कि परिवादिनी के पिकअप वाहन सं0- यू0पी0 38 टी /0297 की सिटिंग कैपेसिटी 2 व्यक्तियों की है। प्रथम सूचना रिपोर्ट की नकल कागज सं0-20/9 में उन सभी व्यक्तियों के नामों का उल्लेख है जो अभिकथित दुर्घटना के समय इस पिकअप वाहन में बैठे थे इनकी ड्राईवर सहित कुल संख्या-6 है। बीमा सार्टिफिकेट कागज सं0-20/10 के अनुसार यह पिकअप वाहन यात्री वाहन नहीं है बल्कि यह लोड वाहन है। आर0सी0, एफ0आई0आर0 तथा बीमा पालिसी की फोटो प्रतियों के अवलोकन से प्रकट है कि पिकअप वाहन में अभिकथित दुर्घटना के समय ड्राईवर सहित 6 व्यक्ति बैठे थे जबकि इसकी सिटिंग कैपेसिटी केवल 2 है और यह यात्री वाहन न होकर लोड वाहन था।
- विपक्षीगण के विद्वान अधिवकता ने 2010 ए0सी0जे0 पृष्ठ-2865, नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लि0 बनाम सुनीता घोष आदि के मामले में मा0 कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय का हवाला देते हुऐ कथन किया कि यदि तर्क के लिऐ यह मान भी लिया जाये कि दुर्घटना के समय पिकअप वाहन में बैठे हुऐ व्यक्ति सब्जी बेचकर वापिस आ रहे थे तब भी उनकी प्रास्थिति नि:शुल्क यात्री से अधिक नहीं मानी जा सकती। सुनीता घोष की इस निर्णयज विधि के दृष्टिगत परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क स्वीकार किऐ जाने योग्य नहीं है कि पिकअप वाहन में अभिकथित दुर्घटना के समय ड्राईवर के अतिरिक्त जो व्यक्ति बैठे थे उन्हें यात्री नहीं माना जाना चाहिऐ।
- विपक्षी सं0-1 व 2 के विद्वान अधिवक्ता ने IV (2012) सीपीजे पृष्ठ-493 (एन0सी0), नरेश कुमार बनाम रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमटेड आदि की रूलिंग का अबलम्व लेते हुऐ तर्क दिया कि यदि गुडस व्हीकल में यात्रियों को ले जाया जा रहा हो तो बीमा कम्पनी बीमा दावे को अस्वीकृत कर सकती है।
- 2006 सी0टी0जे0 पृष्ट-221, यूनाईटेड इण्डिया इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड बनाम ज्ञान सिंह के मामले में मा0 राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली द्वारा यह व्यवस्था दी गयी है कि यदि गुडस वाहन में अभिकथित दुर्घटना के समय सवारियां ले जायी जा रही हों तब भी बीमा कम्पनी पूरा बीमा दावा अस्वीकृत नहीं कर सकती बल्कि दावे का निस्तारण नॉन स्टैन्डर्ड बेसिस पर किया जाना चाहिऐ। इस बिन्दु पर मा0 राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली की नवीनतम विधि व्यवस्था 2013(2) सी0पी0आर0 पृष्ठ-462 (एन0सी0), न्यू इण्डिया एश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड बनाम श्रीमती मालती भीखाभाई भोया में यह अवधारित किया गया है कि यदि अभिकथित दुर्घटना के समय गुडस वाहन में सवारियां ले जायी जा रही हों तो बीमा दावे का निस्तारण नॉन स्टैन्डर्ड बेसिस पर किया जाना चाहिऐ और बीमा कम्पनी द्वारा बीमा दावे को पूर्णत: अस्वीकृत किया जाना गलत है।
- नरेश कुमार की उपरोक्त रूलिंग एवं श्रीमती मालती भीखाभाई भोया की रूलिंग दोनों ही दो सदस्यीय पीठ की हैं। श्रीमती मालती भीखाभाई भोया की रूलिंग में नरेश कुमार की रूलिंग पर भी विचार किया गया था अत: श्रीमती मालती भीखाभाई भोया की रूलिंग नरेश कुमार की रूलिंग पर अधिभावी है। अन्यथा भी नरेश कुमार के मामले में ट्रक में 20 लोग यात्रा कर रहे थे जबकि परिवादिनी के पिकअप वाहन में अभिकथित दुर्घटना के समय ड्राईवर सहित कुल 6 लोग थे इस दृष्टि से वर्तमान मामले के तथ्यों पर श्रीमती मालती भीखाभाई भोया की रूलिंग लागू होती है और नरेश कुमार वाली रूलिंग के तथ्य वर्तमान मामले से भिन्न हैं।
- मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों तथा उपरोक्त विवेचना के आधार पर हम इस इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि विपक्षी सं0-1 व 2 ने परिवादिनी का बीमा दावा सम्पूर्ण रूप से अस्वीकृत करके त्रुटि की है। बीमा कम्पनी को चाहिऐ था कि नॉन स्टैन्डर्ड बेसिस पर बीमा दावे को सैटिल करते किन्तु ऐसा नहीं किया गया और ऐसा न करके विपक्षी सं0-1 व 2 ने त्रुटि कारित की है।
- परिवादिनी ने यधपि पिकअप के रिपेयरिंग में लगभग 2,08,000/- (दो लाख आठ हजार रूपया) खर्च होना कहा है, किन्तु इस खर्चे को उसने विधि अनुसार प्रमाणित नहीं किया है। वह यह भी इंगित नहीं कर पायी कि विपक्षी सं0-1 व 2 के सर्वेयर ने सर्वे रिपोर्ट कागज सं0-20/6 लगायत 20/7 में क्षति का आंकलन करने में अभिकथित रूप से क्या त्रुटि की है। परिवादिनी के रिज्वाइंडर शपथ पत्र कागज सं0-25/1 के साथ दाखिल कागज सं0- 25/2 लगायत 25/8 खर्चे के एस्टीमेट मात्र है, कागज सं0-25/9 लगायत 25/14 मात्र फोटो प्रतियां है इन्हें परिवादिनी ने सिद्ध नहीं कराया है। ऐसी दशा में यह स्वीकार नहीं किया जा सकता कि परिवादिनी का पिकअप वाहन ठीक कराने में लगभग 2,08,000/- (दो लाख आठ हजार रूपया) खर्चा हुआ। विपक्षी सं0-1 व 2 के सर्वेयर ने नुकसान का आंकलन 1,29,720/- (एक लाख उन्नतीस हजार सात सौ बीस रूपया) किया है इस आंकलन के विरूद्ध परिवादिनी कोई साक्ष्य सामग्री प्रस्तुत नहीं कर पायी है अत: यह लोस अस्सिमेन्ट स्वीकार किऐ जाने योग्य है। सुविधा की दृष्टि से इस धनराशि को हम 1,30,000/- (एक लाख तीस हजार रूपया) मान सकते हैं। हमारे अभिमत में परिवादिनी को बीमा कम्पनी के सर्वेयर द्वारा आंकलित नुकसान का 75 प्रतिशत नॉन स्टैन्डर्ड बेसिस पर दिलाया जाना न्यायोचित एवं उपयुक्त होगा। देय धनराशि इस प्रकार 97,500/- (सत्तानवें हजार पाँच सौ रूपया) आती है इस धनराशि पर परिवादिनी को परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज दिलाया जाना भी हम उपयुक्त समझते हैं। उपरोक्तानुसार परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 97,500/- ( सत्तानवें हजार पाँच सौ रूपया) की वसूली हेतु यह परिवाद परिवादिनी के पक्ष में, विपक्षी सं0-1 व 2 के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। उक्त के अतिरिक्त परिवद व्यय की मद में परिवादिनी विपक्षी सं0-1 व 2 से 2500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) उपरोक्त के अतिरिक्त पाने की अधिकारिणीं है। इस आदेश के अनुसार धनराशि का भुगतान 2 माह के भीतर किया जाऐ। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सदस्य सदस्य अध्यक्ष जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद 17.06.2015 17.06.2015 17.06.20 हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 17.06.2015 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
17.06.2015 17.06.2015 17.06.2015 | |