समक्ष न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम महोबा
परिवाद सं0-28/2014 उपस्थित- श्री बाबूलाल यादव, अध्यक्ष,
डा0 सिद्धेश्वर अवस्थी, सदस्य,
श्रीमती नीला मिश्रा, सदस्य
मदनपाल पुत्र श्री जगत सिंह निवासी-ग्राम-छिकहरा परगना व तहसील व जिला-महोबा
....परिवादिया
बनाम
1.जनरल मैनेजर इंश्योरेंस कंपनी लि0 चोला मण्डलम चेन्नई ।
2.क्षेत्रीय प्रबंधक,आशीष गुप्ता इंश्योरेंस कंपनी लि0 चोला मण्डलम शहादत रोड लखनऊ पिन नंबर 226001
3.प्रोपराइटर आयशर ट्रैक्टर एजेंसी बजरंग चौक,गांधीनगर,महोबा तहसील व परगना व जिला-महोबा ........विपक्षीगण
निर्णय
श्री बाबूलाल यादव,अध्यक्ष द्वारा उदधोषित
परिवादी मदनपाल ने यह परिवाद खिलाफ विपक्षीगण जनरल इंश्योरेंस कंपनी चोला मण्डलम,चेन्नई व 2 अन्य के विरूद्ध बाबत दिलाये जाने बीमित धनराशि व अन्य अनुतोष प्रस्तुत किया है ।
संक्षेप में परिवादी का कथन इस प्रकार है कि परिवादी ग्राम-छिकहरा तहसील व जिला-महोबा का स्थाई निवासी है और पेशे से क़षक है । परिवादी ने प्रो0आयशर ट्रैक्टर एजेंसी,गांधी नगर,महोबा से एक आयशर ट्रैक्टर जनवरी,2008 में नकद 4,10,000/- रू0 अदा कर के क़षि कार्य हेतु खरीदा था,जिसका पंजीयन सं0 यू0पी095 डी 3591 है । परिवादी ने अपने इस वाहन का बीमा विपक्षी सं0 1 व 2 से कराया था,जो कि दिनांक-18.10.2013 की अर्द्धरात्रि से 17.10. 2014 तक वैध था । परिवादी प्रतिदिन की भांति अपने ट्रैक्टर से दिनांक-19.10.2013 को समय करीब 6:30 बजे शाम अपने घर के सामने खड़ा कर के सो गया,तभी रात्रि को अज्ञात चोरों ने परिवादी का उक्त आयशर ट्रैक्टर चुरा लिया,सुबह जब परिवादी जगा और देखा कि उसका ट्रैक्टर गायब है तो उसने अपने स्तर से ट्रैक्टर की तलाश ली कोई जानकारी न मिलने पर उसने कोतवाली-महोबा में अंतर्गत धारा-379 भा0दं0सं0 के रिपोर्ट दर्ज करायी एवं बीमा कंपनी को भी तुरंत ट्रैक्टर चोरी की सूचना दी तथा बाद में बीमा क्लेम के बावत समस्त कागजात दिनांक-20.12.2013 को विपक्षी बीमा कंपनी को भेज दिया गया लेकिन विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा आज तक उसका क्लेम आज तक अदा नहीं किया गया । ऐसी परिस्थिति में यह परिवाद विपक्षी बीमा कंपनी से बीमित धनराशि 3,20,000/-रू0 व अन्य अनुतोष दिलाये जाने के संबंध में प्रस्तुत किया है ।
विपक्षीगण की और से जबाबदावा प्रस्तुत किया गया है,जिसमें उन्होंने परिवाद के अभिकथन को जानकारी के आभाव में इंकार किया है तथा अतिरिक्त कथन में यह कहा है कि परिवादी के ट्रैक्टर चोरी की घटना 19.10.2013 की है । जबकि उसने चोरी की प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक-23.10.2013 को थाना-कोतवाली-महोबा में दर्ज कराई । जबकि प्राक़तिक न्याय के सिद्धांत में वह पालिसी की शर्त के अनुसार परिवादी ने वाहन चोरी की सूचना बीमा कार्यालय को तुरंत देना चाहिये लेकिन उसने बीमा कार्यालय को वाहन की चोरी की सूचना घटना के 53 दिन बाद दिनांक-23.12.2013 को भेजी । ऐसी परिस्थिति में परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है । समय से सूचना न देना बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन है । इस संबंध में मा0राष्ट्रीय आयोग ने अपील सं0 301 सन 2005 दि न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी बनाम त्रिलोक जैन के निर्णय में परिवाद को खारिज किया जाना उचित ठहराया । इस प्रकार बीमा कंपनी द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गई और परिवादी का बीमा क्लेम खारिज किया गया और तदनुसार यह परिवाद खारिज किये जाने योग्य है ।
परिवादी ने अपने परिवाद के समर्थन में स्वयं का शपथ पत्र कागज सं04ग व 18ग,श्री रामबाबू का शपथ पत्र कागज सं019ग,श्री रामसहाय का शपथ पत्र कागज सं020ग एवं श्री राजेन्द्र कुमार का शपथ पत्र कागज सं021ग दाखिल किये गये हैं और अभिलेखीय साक्ष्य में रसीद रजिस्ट्री कागज सं06ग व 7ग,विपक्षी को भेजे गये नोटिस की छायाप्रति कागज सं08ग, प्रथम सूचना रिपोर्ट की छायाप्रति कागज सं09ग,बीमा पालिसी की छायाप्रति कागज सं010ग/1, पंजीयन प्रमाण पत्र की छायाप्रति कागज सं010ग/2,ड्राइविग लाईसेंस की छायाप्रति कागज सं012ग, फाइनल रिपोर्ट की प्रमाणित प्रति 27ग/1 व 27ग/2 दाखिल किये गये हैं ।
विपक्षी बीमा कंपनी की और से शपथ पत्र द्वारा लीगल मैनेजर चोला मण्डलम जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि0 प्रस्तुत किया गया है ।
उभय पक्ष को यह तथ्य स्वीकार है कि परिवादी का ट्रैक्टर दिनांक-19.10.2013 को चोरी गया और उक्त वाहन का बीमा विपक्षी बीमा कंपनी से दिनांक-18.10.2013 से 17.10.2014 तक के लिये 3,20,000/-रू0 धनराशि हेतु विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा किया गया था । परिवादी ने ट्रैक्टर की प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक:23.10.2013 को थाना कोतवाली-महोबा में दर्ज कराई गई थी । परिवादी ने सशपथ यह कहा है कि उसने वाहन चोरी के तुरंत बाद सूचना बीमा कंपनी को फोन पर दी थी तथा इसके पश्चात दिनांक-20.12.2013 को विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा जब समस्त कागजात मांगे गये थे तब उसने इसकी सूचना लिखित रूप में भी दी थी । इस केस में मात्र विवाद इसी बिन्दु पर है कि मा0 राष्ट्रीय आयोग के निर्णय के अनुसार परिवादी के वाहन चोरी की सूचना घटना की 48 घंटे के अंदर उनको देना चाहिये । चूंकि परिवादी ने इसकी सूचना 53 दिन बाद दी । ऐसी परिस्थिति में बीमा कंपनी चोरी की घटना का समुचित अंवेषण न करा सकी । जबकि परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने इस संबंध में मा0 उच्चतम न्यायालय के निर्णय नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लि0 बनाम नितिन खण्डेलवाल 2013(।।।) सी0पी0आ0 644 (सुप्रीम कोर्ट) में विश्वास व्यक्त किया,जिसमें मा0 उच्चतम न्यायालय ने यह कहा है कि जहां वाहन का बीमा होना उभय पक्ष को स्वीकार है और वाहन चोरी गया हो,वहां पर चोरी जाने के आधार पर बीमा शर्तों का उल्लंघन नहीं माना जायेगा और ऐसे केसेस में गैर मानक आधार पर नान स्टैण्डर्ड बैसिस पर बीमित धनराशि वाहन स्वामी को दिलाई जानी चाहिये और यह धनराशि मा0 उच्चतम न्यायालय ने बीमा धनराशि का 75 प्रतिशत होना बताया है । ऐसी परिस्थिति में इस केस में भी विपक्षी बीमा कंपनी परिवादी के बीमा क्लेम को इस आधार पर नहीं खारिज किया जा सकता कि वाहन चोरी जाने की सूचना उसे देरी से दी गई है । इस केस में चूंकि परिवादी के वाहन का बीमा 3,20,000/-रू0 का था,जिसकी 75 प्रतिशत धनराशि 2,40,000/-रू0 होती है । इसके अलावा परिवादी मानसिक कष्ट के एवज 20,000/-रू0 तथा परिवाद व्यय के एवज में 2,500/-रू0 पाने का हकदार होगा ।
आदेश
परिवादी का परिवाद खिलाफ विपक्षीगण आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है । विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को बीमित धनराशि के रूप में 2,40,000/-रू0 का भुगतान इस निर्णय के अंदर एक माह करें । इसके अलावा परिवादी विपक्षीगण से 20,000/-रू0 मानसिक कष्ट के एवज में एवं 2,500/-रू0 वाद व्यय के एवज में भी प्राप्त करने की हकदार होगा । विपक्षीगण उपरोक्त धनराशि इस निर्णय के अंदर एक माह परिवादी को प्रदान करें अन्यथा परिवादी विपक्षीगण से उक्त धनराशि पर 9 प्रतिशत सालाना की दर से ब्याज भी पाने की अधिकारी होगा ।
(डा0सिद्धेश्वर अवस्थी) (श्रीमती नीला मिश्रा) (बाबूलाल यादव)
सदस्य, सदस्या, अध्यक्ष,
जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा।
30.04.2015 30.04.2015 30.04.2015