समक्ष न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम महोबा
परिवाद सं0-119/2013 उपस्थित- श्री बाबूलाल यादव, अध्यक्ष,
डा0 सिद्धेश्वर अवस्थी, सदस्य,
श्रीमती नीला मिश्रा, सदस्य
दशरथ साहू पुत्र श्री रामकिशोर निवासी-बेन्दो परगना व तहसील-कुलपहाड जनपद-महोबा.परिवादी
बनाम
1.शाखा प्रबंधक,चोला मण्डलम इनवेस्टमेंट एण्ड फाइनेंस कंपनी लि0 क्षेत्रीय कार्यालय संकट मोचन हनुमान मंदिर के पास बांदा जिला-बांदा ।
2.विकास कुमार पुत्र राजेन्द्र प्रसाद,सेल्स एक्जीक्यूटिव, चोला मण्डलम इनवेस्टमेंट एण्ड फाइनेंस कंपनी लि0 क्षेत्रीय कार्यालय संकट मोचन हनुमान मंदिर के पास बांदा जिला-बांदा मूल निवासी 92 सहसपुरा पोस्ट-सहसपुरा तहसील-चुनार जिला-मिर्जापुर उ0प्र0 ।
3.महाप्रबंधक,चोला मण्डलम इनवेस्टमेंट एण्ड फाइनेंस कंपनी लि0 डेयर हाउस फर्स्ट फलोर 2 एन0एस0सी0 बोस रोड चेन्नई 60000
4.शाखा प्रबंधक,गजानन मोटर्स फोर्स कंपनी लि0 चरखारी बाई पास रोड बैंक आफ इण्डिया के बगल में महोबा जनपद-महोबा उ0प्र0 विपक्षीगण
निर्णय
श्री बाबूलाल यादव,अध्यक्ष द्वारा उदधोषित
परिवादी दशरथ साहू ने यह परिवाद खिलाफ विपक्षीगण शाखा प्रबंधक,चोला मण्डलम इनवेस्टमेंट एण्ड फाइनेंस कंपनी लि0 क्षेत्रीय कार्यालय संकट मोचन हनुमान मंदिर के पास बांदा एवं तीन अन्य बावत दिलाये जाने 18,600/-रू0 व अन्य अनुतोष प्रस्तुत किया है।
संक्षेप में परिवादी का कथन इस प्रकार है कि परिवादी एक बेरोजगार युवक था और उसने अपने स्वरोजगार हेतु विपक्षी सं04 के कार्यालय जाकर एक चार पहिया वाहन क्रूजर खरीदने हेतु संपर्क किया । विपक्षी सं04 ने इस संबंध में परिवादी को वाहन बेचने संबंधी जानकारी उपलब्ध कराई । विपक्षी सं04 ने वाहन खरीदने हेतु ऋण के संबंध में विपक्षी सं02 विकास कुमार,सेल्स एक्जीक्यूटिव के बारे में जानकारी देते हुये यह बताया कि वह महोबा में आज मौजूद है । परिवादी उनसे मिलकर ऋण फाईनेंस कराकर संपूर्ण रूपये का भुगतान विपक्षी सं04 को कर सकता है और विपक्षी सं04 ने फोर्स कंपनी के क्रूजर गाडी के कुटेशन परिवादी को उपलब्ध करा दिये । तत्पश्चातद्य परिवादी विकास कुमार विपक्षी सं02 से मिला और ऋण उपलब्ध कराये जाने के संबंध में वार्ता की तो विपक्षी सं02 ने यह कहा कि आप मार्जिन मनी के रूप में रूपया जमा करके मेरे क्षेत्रीय कार्यालय,बांदा आकर विपक्षी सं01 से मिलकर कम ब्याज पर आसान किस्तों में ऋण लेकर वाहन खरीद सकते हैं । तब परिवादी ने विपक्षी सं04 को वाहन खरीदने के बावत मार्जिन मनी के रूपये जमा कर रसीद प्राप्त कर ली और बांदा जाकर विपक्षी सं02 से मिलकर तीन लाख रूपया का ऋण प्रदान करने का आग्रह किया और इसी के अनुपालन में दिनांक:26.12.2002 को परिवादी व विपक्षीगण सं01,2 व 3 की शाखा बांदा से एग्रीमेंट निष्पादित किया गया,जिसमें परिवादी ने ऋण स्वीक़त किये जाने एवं परिवादी द्वारा 33 मासिक किस्तों पर दिनांक:01.02.2013 से 01.10.2015 तक समस्त ऋण अदा करने का प्राविधान किया गया था । ऋण स्वीक़त होने के उपरांत परिवादी ने विपक्षी सं04 से क्रूजर वाहन प्राप्त कर लिया तथा समस्त धनराशि अदा कर दी तथा नियमानुसार अपने ऋण की किस्तों के माध्यम ऋण अदा करने लगा । दिनांक:28.01.2013 को परिवादी विपक्षी सं0 1,2 व 3 की शाखा बांदा में अपने ऋण की अदायगी हेतु गया,जहां पर विपक्षी सं01 व 2 मौजूद थे । परिवादी ने रूपया जमा करने का आग्रह किया तो विपक्षी सं01 व 2 ने कहा कि अभी कंप्यूटर की कनैक्टिविटी नहीं है इसलिये आपको रसीद नहीं मिल सकती है । आप रूपये दे दीजिये और जब कनैक्टिविटी आ जायेगी तो रसीद बनाकर दे दी जायेगी । परिवादी ने विपक्षीगण के विश्वास में आकर मु0 23,000/-रू0 दे दिये तथा सादा कागज पर विपक्षी सं02 ने रूपया प्राप्त करने की रसीद परिवादी को दे दी और कंप्यूटर की रसीद बाद में देने की बात कही। दो दिन बात जब उसने अपनी रसीद के बारे में पूंछा तो उसने कहा कि पूरा पैसा जमा कर दिया गया है और जब परिवादी मिलेगा तब रसीद प्राप्त करा दी जायेगी । तत्पश्चात समय अनुसार रूपया होने पर और परिवादी अपने ऋण की अदायगी करने हेतु विपक्षीगण के कार्यालय बांदा जाकर स्वयं अपने रूपया जमा करता रहा तथा दिनांक:28.01.2013 को 23,000/-रू0 जमा करने की रसीद की मांग करता रहा तो विपक्षी सं01 यही कहता रहा कि विपक्षी सं02 से मिलकर रसीद प्राप्त कर लीजियेगा,वह अभी क्षेत्र में बाहर गये हैं । माह-जून,2013 में परिवादी को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी होने के कारण वह अपने वाहन का संचालन नहीं कर सका और दिनांक:01.06.2013 को किस्त ओवर डयू हो गई । परिवादी ने दिनांक:17.06.2013 को विपक्षी के बांदा कार्यालय आकर विपक्षी सं01 व 2 से मिलकर रूपया जमा करने हेतु कहा और मु030,000/-रू0 विपक्षी सं02 को ऋण खाते में जमा करने हेतु दिये । तब विपक्षी सं02 द्वारा कहा गया कि अभी-अभी कनैक्टिवटी बाधित हो जाने के कारण अभी रसीद नहीं दी जा सकती है आप पैसा दे दीजिये और बाद में अपनी दोनों रसीदे ले लीजियेगा । अत: परिवादी 30,000/-रू0 विपक्षी सं02 को दे दिये और लगभग एक सप्ताह के बाद विपक्षी सं02 विपक्षी सं04 के कार्यालय में मिला तो उसने अपनी और जमा रसीदों की मांग की तो उनके द्वारा कहा गया कि आपका पैसा जमा हो गया है । रसीदें वह भूल गया है जब फिर मिलेगें तो रसीदें उपलब्ध करा दी जायेगीं । तब परिवादी ने दिनांक:08.08.2013 को विपक्षी सं01 के यहां जाकर रसीदों को प्राप्त करने का आग्रह किया और स्टेटमेंट प्राप्त कराने का आग्रह किया और परिवादी को ऋण खाते का स्टेटमेंट उपलब्ध करा दिया गया । स्टेटमेंट द्वारा विदित हुआ कि विपक्षी सं01 व 2 द्वारा परिवादी द्वारा जमा संपूर्ण राशि को ऋण खाते में जमा नहीं किया । बल्कि मु0 18,600/-रू0 कम परिवादी के खाते में जमा किया गया है । यह विपक्षीगण द्वारा किया गया व्यापारिक कदाचरण है । दिनांक:12.08.2013 को परिवादी द्वारा पुन: विपक्षी सं01 व 2 को शेष धनराशि 18,600/-रू0 की मांग की तब विपक्षी सं01 के कहने पर विपक्षी सं02 द्वारा एच0डी0एफ0सी0 बैंक शाखा बांदा की चेक परिवादी को दी गई,जिसे परिवादी ने महोबा स्थित एच0डी0एफ0सी0 शाखा में जमा कर दिया,जिसका भुगतान नहीं हो सका क्योंकि विपक्षी के खाते में धनराशि मौजूद नहीं थी । जब परिवादी ने दिनांक:17.09.2013 को विपक्षी सं01 व 2 से मिलकर वाउंस चेक देकर रूपया की मांग की तब विपक्षी सं01 ने कहा कि वह रूपया देने का ठेकेदार नहीं है और विपक्षी सं02 ने कहा कि उसने चोला मण्डलम में नौकरी छोड दी है । ऐसी परिस्थिति में परिवादी ने यह परिवाद मा0फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है ।
विपक्षीगण की और से बावजूद पर्याप्त तामीला के किसी ने कोई जबाबदावा प्रस्तुत नहीं किया और न ही परिवाद की सुनवाई में भाग लिया । अत: विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद की सुनवाई एकपक्षीय रूप से की गई ।
परिवादी ने अपने परिवाद के समर्थन में स्वयं का शपथ पत्र कागज सं04ग दाखिल किया है तथा अभिलेखीय साक्ष्य में 06 अभिलेख कागज सं07ग लगायत 13ग सूची सं0 6ग के साथ दाखिल किये गये हैं,जिसमें परिवादी के पक्ष में जारी चेक व रूपया प्राप्त करने की रसीद भी दाखिल की है ।
फोरम द्वारा परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की एकपक्षीय बहस को सुना गया तथा पत्रावली का अवलेाकन किया गया ।
परिवादी द्वारा प्रस्तुत शपथ पत्र 4ग व अभिलेख कागज सं07ग लगायत 13ग व अभिलेख सं0 16ग के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि परिवादी विपक्षी सं02 से 18,600/-रू0 प्राप्त करने का अधिकारी है क्योंकि दौरान मुकदमा विपक्षी सं02 विकास कुमार सिंह ने 16ग प्रार्थना पत्र देकर परिवादी के केस को स्वीकार किया है,जिसमें उसने यह कहा है कि ‘’ उपरोक्त मुकदमें में वह विपक्षी सं02 है प्रार्थी को परिवादी दशरथ साहू के 18,600/-रू0 वापस करना है लेकिन प्रार्थी को तनख्वाह नहीं मिल पाने के कारण अभी देने में असमर्थ हॅू । यह रूपया मैं दिनांक:05.02.2014 तक वापस कर दॅूगा । मैं कोई मुकदमा नहीं चलवाना चाहता हॅू रूपया देने पर परिवादी का मुकदमा समाप्त कर दिया जाये ।‘’
आदेश
परिवादी का परिवाद खिलाफ विपक्षी सं02 विकास कुमार स्वीकार किया जाता है । विपक्षी सं02 को आदेशित किया जाता है कि वह इस निर्णय के अंदर एक माह परिवादी को 18,600/-रू0 अदा करे तथा परिवादी इस धनराशि पर परिवाद प्रस्तुत किये जाने की दिनांक: 04.12.2013 से निर्णय की तिथि 19.02.2015 तक 7 प्रतिशत सालाना की दर से ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी होगा । इसके अलावा परिवादी विपक्षी सं02 से मानसिक क्षति के रूप में 2,000/-रू0 एव वाद व्यय के रूप में 2,500/-रू0 प्राप्त करने का हकदार होगा । विपक्षी सं02 उपरोक्त निर्णय का अनुपालन इस निर्णय से अंदर एक माह करे अन्यथा परिवादी विपक्षी सं02 से उपरोक्त धनराशि पर 9 प्रतिशत सालाना की दर से ब्याज भी पाने का अधिकारी होगा ।
डा0सिद्धेश्वर अवस्थी श्रीमती नीला मिश्रा बाबूलाल यादव
सदस्य, सदस्या, अध्यक्ष,
जिला फोरम,महोबा । जिला फोरम,महोबा । जिला फोरम,महोबा ।
19.02.2015 19.02.2015 19.02.2015