जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण अजमेर
1. श्री कुन्दन मल जैेेेेेेेेेेेेेेेेेेन पुत्र स्व. श्री सुगनचन्द जैन, आयु- 60 वर्ष
2. श्रीमति उच्छव देवी जैन पत्नी श्री कुन्दन मल जैेेेेेेेेेेेेेेेेेेन, आयु- 58 वर्ष
निवासियान- अजय काॅलोनी, सापन्दा रोड, केकडी, जिला-अजमेर ।
प्रार्थीगण
बनाम
चोला एम.एस. जनरल इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, सैकेण्ड फलोर, डयेर हाउस,2 एनएससी बोस रोड, चैन्नई -600001
अप्रार्थी
परिवाद संख्या 106/2014
समक्ष
1. गौतम प्रकाष षर्मा अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
उपस्थिति
1.श्री रमेष धाभाई, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री राजेष जैन, अधिवक्ता अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- आदेष:ः- दिनांकः- 07.07.2015
1. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि प्रार्थीगण के स्वर्गीय पुत्र श्री निर्मल जैन द्वारा अपने अतुल षक्ति टैम्पों संख्या आर.जे.01. जी.ए.8082 को अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहां जरिए बीमा पाॅलिसी संख्या व अवधि जिसका वर्णन परिवाद की चरण संख्या 1 में दिया हुआ है करवाया । उनके पुत्र ने वाहन बीमा के साथ साथ पी.ए. फोर आॅनर ड्राईवर की रिस्क कवर करवाते हुए रिस्क पैटे रू. 100/- का अतिरिक्त भुगतान अप्रार्थी बीमा कम्पनी को किया । जिसके तहत वाहन चलाते समय वाहन स्वामी की दुर्घटनाजनित मृत्यु होने पर उसके परिवार को रू. 2 लाख की राषि देय थी ।
परिवाद में आगे प्रार्थीगण का कथन है कि दिनांक 9.3.2013 को देवगांव से केकडी आते समय सामने से आ रहे डम्पर ने उक्त वाहन को टक्कर मार दी जिससे उनके पुत्र को गम्भीर चोटे आई जिसे ईलाज के लिए केकडी से अजमेर रेफर कर दिया तदोपरान्त केकडी से अजमेर ईलाज हेतु लाते समय उनके पुत्र का रास्ते में ही देहान्त हो गया । जिसका बीमा क्लेम समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष पेष किया । जिसे अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने इस आधार पर खारिज कर दिया कि चालक के पास वाहन का वैध एवं प्रभावी लाईसेन्स नहीं था जबकि उनके पुत्र स्व. निर्मल कुमार जैन के पास दिनांक 18.8.2009 से 1.2.2029 तक का एलएमवी श्रेणी का लाईसेन्स था और प्रष्नगत वाहन 7500 किे.ग्रा. से कम वजन का होने के कारण एलएमवी वाहन की श्रेणी में आता है । इस प्रकार अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थीगण का क्लेम खारिज कर सेवा में कमी कारित की है । प्रार्थीगण ने परिवाद प्रस्तुत करते हुए परिवाद में वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने परिवाद का जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रारम्भिक आपत्तियों में दर्षाया है कि मृतक निर्मल जैन के पास एलएमवी श्रेणी का लाईसेन्स था जबकि संबंधित वाहन मालवाहक वाहन था जिसे चलाने को मृतक के पास कोई लाईसेन्स नही ंथा इसी प्रकार वाहन चालन के समय वाहन के डाले पर एक अन्य व्यक्ति मुकेष षर्मा निषुल्क यात्री के रूप में बैठा हुआ था इस प्रकार बीमा पाॅलिसी की षर्तो का उल्लंघन किए जाने के कारण प्रार्थीगण का क्लेम उत्तरदाता अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने सहीं आधारों पर क्लेम खारिज कर कोई सेवा में कमी कारित नही ंकी है । अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने मदवार जवाब में इन्हीं तथ्यों का हवाला देते हुए परिवाद खारिज होने योग्य दर्षाया ।
3. हमने पक्षकारान की बहस सुनी एवं पत्रावली का अनुषीलन किया ।
4. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थी के क्लेम को इस आधार पर अस्वीकार किया है कि वक्त दुर्घटना दुर्घटनाग्रस्त वाहन को चलानेे हेतु चालक के पास उपयुक्त लाईसेन्स नही ंथा । अतः हमें इस परिवाद के निर्णय हेतु यही अभिनिर्धारित करना है कि क्या अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थी के क्लेम को सही रूप से खारिज किया है ?
5. इस संबंध में अधिवक्ता अप्रार्थी की जो लिखित बहस पेष हुई है एवं उनके द्वारा जो बहस की गई है के अनुसार प्रष्नगत वाहन एक ट्रान्सपोर्ट वाहन है तथा चालक का जो लाईसेन्स जारी हुआ में उक्त चालक ट्रान्सर्पोट वाहन के अलावा अन्य वाहन को चलाने हेतु ही अधिकृत था । इस प्रकार वक्त दुर्घटना चालक के पास उपयुक्त लाईसेन्स नही ंथा । उन्होने अपनी लिखित बहस में माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय ।प्त् 2008 ैब् च्ंहम छवण् 1418 छंजपवदंस प्देनतंदबम ब्वउचंदल स्जक टे ।ददंचचं प्ततंचचं छमेंतपंए 2009ैब्ब्प्ण् च्ंहम छवण् 282 व्तपमदजंस प्देनतंदबम ब्व स्जक टे ।दहंक ज्ञवस ंदक व्जीमते व अन्य निर्णयों का उल्लेख किया है । इसके विपरीत अधिवक्ता प्रार्थी की बहस रही है कि प्रार्थी एलएमवी चलाने हेतु अधिकृत था एवं एलएमवी की परिभाषा में ट्रान्सर्पोट वाहन भी सम्मिलित होते है । प्रष्नगतवाहन एक थ्री व्हीलर गुड्स वाहन था जिसका अनलेडन वजन 445 कि.ग्रा. है एवं ग्रोस वेट 990 कि.ग्रा. है । अतः चालक के पास उपयुक्त लाईसेन्स इस वाहन को चलाने हेतु था । उन्होने अपने तर्को के सामर्थन में दृष्टान्त 2008 त्।त्ण्84 ;ैब्द्ध छंजपवदंस प्देनतंदबम ब्वउचंदल स्जक टे ।ददंचचं प्ततंचचं छमेंतपंए 2015;1द्ध त्।त्ण्42 ;ैब्द्ध ज्ञनसूंदज ैपदही - व्तेण् टे व्तपमदजंस प्देनतंदबम ब्वउचंदल स्जकए 2007 त्।त् 61 ;त्ंरण्द्ध क्ंनसंज त्ंउ टे ैउज ज्ञनतप - व्तेण् पेष किए ।
6. हमने बहस पर गौर किया । मोटर यान अधिनियम की धारा 2(21) में हल्के मोटर यान को परिभाषित किया गया है जिसके अनुसार ऐसा ट्रान्सर्पोट वाहन या ओमनी बस जिसका अनलेडेड वनज 7500 कि.ग्रा. से अधिक नहीं को इस परिभाषा में सम्मिलित किया गया है प्रष्नगत वाहन का अनलेडेड वजन 445 कि.ग्रा. ही है। प्रार्थी की ओर से पेष दृष्टान्त छंजपवदंस प्देनतंदबम ब्वउचंदल स्जक टे ।ददंचचं प्ततंचचं छमेंतपंए ज्ञनसूंदज ैपदही - व्तेण् टे व्तपमदजंस प्देनतंदबम ब्वउचंदल स्जक-क्ंनसंज त्ंउ टे ैउज ज्ञनतप - व्तेण् में प्रतिपादित किया गया है कि ऐसा चालक जिसके पास एलएमवी चलाने का लाईसेन्स है वह हल्के गुड्स व्हीकल चलाने हेतु भी अधिकृत माना जाएगा । उपर विवेचित अनुसार मोटरयान अधिनियम की धारा 2(21) में हल्के मोटर वाहन की परिभाषा में ऐसे ट्रान्सर्पोट वाहन को भी सम्मिलित किया गया है जिनका अनलेडेड वजन 7500 कि.ग्रा से अधिक नहीं हो । प्रष्नगत वाहन का अनलेडेड वजन आर.सी. में वर्णित अनुसार 445 कि.ग्रा. है । अतः इस सारे विवेचन से हम पाते है कि वाहन चालक जिसके पक्ष में एलएमवी चालन हेतु लाईसेन्स जारी था वह दुर्घटनाग्रस्त वाहन जो एक थ्री व्हीलर ट्रान्सर्पोट वाहन था जिसका अनलेडेड वजन 445 कि.ग्रा है, को चलाने हेतु भी अधिकृत पाया जाता है । अतः हम पाते है कि वक्त दुर्घटना चालक के पास उपयुक्त लाईसेन्स था एवं अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी के क्लेम को चालक के पास उपयुक्त लाईसेन्स नहीं होने के आधार पर जो अस्वीकार किया है उसे हम उचित नहीं पाते है एवं प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य है ।
7. अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी के क्लेम को अस्वीकार करना सहीं नही ंमाना गया है अतः अब हमें यही देखना है कि प्रार्थी का क्लेम किस राषि तक स्वीकार होने योग्य है ।
8. पत्रावली के अवलोकन से प्रार्थी का कथन रहा है कि इस वाहन की बीमा अवधि दिंनांक 7.6.12 से 6.6.13 तक थी एवं बीमा पाॅलिसी के प्रमाण पत्र अनुसार व्यक्तिगत दुर्घटना कवर में वाहन स्वामी हेतु रू. 100/- का प्रीमियम अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा लिया गया है तथा रू. 2,00,000/- की राषि तक का कवरेज भी दिया गया है । परिवाद की चरण संख्या 4 में वर्णित अनुसार दिनांक 2.3.2013 को प्रार्थीगण का पुत्र निर्मल कुमार जैन इस प्रष्नगत वाहन टैम्पों को चलाता हुआ देवगांव से केकडी लौटा रहा था तथा रास्ते में सायं 4.00 बजे केकडी की तरफ से डम्पर जिसका नम्बर आर.जे.01 जीबी2555 था ने इस प्रष्नगत वाहन के टक्कर मारी जिससे वाहन चालक निर्मल कुमार जैन की मृत्यु हुई है । अतः हम पाते है कि पालिसी प्रमाण पत्र के अनुसार वाहन स्वामी चालक के संबंध में प्रीमियम अप्रार्थी बीमा केम्पनी द्वारा ली गई है एवं दुर्घटना की स्थिति में रू. 2,00.,000/-का कवरेज दिया गया है । अतः हमारे विनम्र मत में प्रार्थीगण अप्रार्थी बीमा कम्पनी से क्लेम राषि प्राप्त करने के अधिकारी पाए जाते है । इस प्रकार हम प्रार्थी के क्लेम का निस्तारण निम्नतरह से करते है । अतः आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
9. (1) प्रार्थीगण अप्रार्थी बीमा कम्पनी से उनके पुत्र निर्मल कुमार जैन जो कि प्रष्नगत वाहन का स्वामी था एवं बीमा पाॅलिसी प्रमाण पत्र के अनुसार इस वाहन को उसके द्वारा चलाए जाने पर मृत्यु कारित होने की दषा में क्लेम राषि रू. 2,00,000/- का प्राप्त करने का अधिकारी होने से प्रार्थीगण जो कि निर्मल कुमार के माता पिता है, प्राप्त करने के अधिकारी है । जो अप्रार्थी बीमा कम्पनी प्रार्थीगण को अदा करें ।
(2) प्रार्थीगण अप्रार्थी बीमा कम्पनी से मानसिक संताप व वाद व्यय के मद में राषि रू. 2000/- भी प्राप्त करने के अधिकारी होगें ।
(3) क्र. सं. 1 व 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी संख्या 1 व 2 प्रार्थीगण को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थीगण के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें ।
(4) दो माह में आदेषित राषि का भुगतान नहीं करने पर प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से उक्त राषियों पर निर्णय की दिनांक से ताअदायगी 09 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज भी प्राप्त कर सकेगा ।
(श्रीमती ज्योति डोसी) (गौतम प्रकाष षर्मा)
सदस्या अध्यक्ष
10. आदेष दिनांक 07.07.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
सदस्या अध्यक्ष