Rajasthan

Kota

CC/129/2011

Birdhilal Rathore - Complainant(s)

Versus

Chief Manager, The Kota Co-Operative Marketing Society ltd. - Opp.Party(s)

Sudhindra Yadav

29 Sep 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा (राजस्थान)।
परिवाद संख्या:- 129 /11
01.    बिरधी लाल पुत्र गजानंद राठोर जात तेली (राठोर) निवासी ग्राम     भदाना तहसील लाडपुरा जिला कोटा।
02.    प्रेम शंकर पुत्र गजानंद राठोर जाति तेली (राठोर) निवासी ग्राम     भदाना तहसील लाडपुरा जिला कोटा।           -परिवादीगण

                    बनाम
01.    दी कोटा को-आपरेटिव मार्केटिंग सोसायटी लि. जरिये मुख्य     प्रबंधक नई धानमंडी कोटा (राजस्थान)
02.    राजस्थान स्टेट सीड्स कापोरेशन लिमिटेड जरिये रीजनल          मैनेजर कोटा कारखाना बाग, पुलिस लाईन कोटा (राजस्थान)                                            -विपक्षीगण

समक्ष:-
भगवान दास     ः    अध्यक्ष
महावीर तंवर    ः    सदस्य    
हेमलता भार्गव    ः    सदस्य
    परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
01.    श्री सुधीन्द्र यादव, अधिवक्ता, परिवादीगण की ओर से। 
02.    श्री सी.बी.सोरल, अधिवक्ता, विपक्षीसं. 1 की ओर से। 
03.    श्री हरिगोपाल भार्गव, अधिवक्ता, विपक्षी सं. 2 की ओर से।
 

            निर्णय             दिनांक 29.09.2015
         
         परिवादीगण ने विपक्षीगण के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के अन्तर्गत लिखित परिवाद प्रस्तुत कर संक्षेप में उनका यह सेवा-दोष बताया है कि विपक्षी सं. 2 द्वारा प्रमाणित गेंहू बीज किस्म लोकवान विपक्षी सं. 1 से नकद रूपये अदा करके खरीदा गया था, जिसे उन्नत किस्म का बताया गया था। उस बीज को अपने खेत में उपयोग किया था, लेकिन फसल असामान्य पैदा हुई, 40 प्रतिशत पौधें जरूरत से ज्यादा  लम्बे निकल आये बाकी जरूरत से अधिक छोटे रह गये, जिसका यह कारण पता लगा कि बीज में 40 प्रतिशत मिलावट थी अर्थात् अन्य किस्म के बीज मिले हुये थे। इस कारण पैदावार कम हुई, जिसकी शिकायत विपक्षी सं0 2 से करने पर तकनीकी विशेषज्ञों की कमेटी का गठन किया गया, लेकिन उन्होने सही रिपोर्ट तैयार नहीं की। मिलावटी बीज देने से फसल का उत्पदान कम हुआ, जिससे आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक संताप हुआ।   
    विपक्षी सं. 1  के जवाब का सार है कि विपक्षी सं. 2 से राजफेड के जरिये सील्ड हालत में प्रमाणित बीज खरीदा गया  व सील्ड अवस्था में बेचा गया था। बीज का उत्पाद उसके द्वारा नहीं किया जाता है। बीज उत्तम गुणवत्ता का है। उसकी कहीं से भी कोई शिकायत नहीं आई। परिवादीगण के नोटिस का उचित जवाब भेजा गया। विपक्षी सं. 2 ने तकनीकी विशेषज्ञों के द्वारा परिवादीगण की शिकायत की जांच भी करवाई जो पूरी तरह झूंठी पाई गई। फसल का उत्पादन कई तकनीकी बातों पर निर्भर करता है। बीज किसी प्रकार भी दोषपूर्ण नहीं है। उनका कोई सेवा-दोष नहीं है। 
    विपक्षी सं. 2 के जवाब का सार है कि उसका बीज अच्छी गुणवत्ता वाला है। बीज प्रमाणिकरण का कार्य राजस्थान राज्य बीज एवं जैविक उत्पाद प्रमाणीकरण संस्था, कोटा द्वारा किया गया एवं प्रमाणीकरण टैग व सील भी लगाई जाती है। बीज का परीक्षण प्रयोगशाला की रिपोर्ट से होता है। परिवादीगण की शिकायत पर तकनीकी विशेषज्ञों की कमेटी का गठन किया गया, जिसने परिवादीगण के खेतों का निरीक्षण करके अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। परिवादीगण के नोटिस का उचित एवं सही जवाब दिया गया। फसल का उत्पादन कई तथ्यों पर निर्भर करता है जिसमें खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग, ताप-मान, आद्रता आदि है। कमेटी जांच में कुल 1.4 प्रतिशत मिश्रण की मात्रा पाई  तथा शुद्धता का प्रतिशत 98 पाया गया जो उत्तम गुणवत्ता का है। बीज के उत्पाद में कोई कमी या दोष नहीं है।  
   
    परिवादी ने साक्ष्य में परिवादी बिरधी लाल के शपथ-पत्र के अलावा विपक्षी सं. 2 को प्रेषित शिकायत, कानूनी नोटिस, अखबार की कंटिग, बीज खरीद बिल, टेग आदि दस्तावेजात की प्रति प्रस्तुत की। 
    विपक्षीगण की ओर से साक्ष्य में राजेन्द्र सिंह चैहान के शपथ-पत्र के अलावा सीड सेम्पल की टेष्टिंग रिपोर्ट, तकनीकी विशेषज्ञों की जांच रिपोर्ट की प्रति प्रस्तुत की गई है।    
        हमने दोनों पक्षों की बहस सुनी, उनकी ओर से पेश लिखित बहस एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।  
    परिवादीगण ने बीज खरीद के जो बिल पेश किये है उनमें बीज की किस्म, लोट नम्बर या बैच नम्बर आदि का कोई विवरण नहीं है  जिससे यह सिद्ध नहीं होता कि उस बीज का उत्पाद किसके द्वारा किया गया और किस लोट का है? यद्यपि उनकी ओर से टेग व लेबल प्रस्तुत किये गये है लेकिन वे टेग व लेबल उनके द्वारा खरीदे गये बीज के ही संबंध में है यह सिद्ध नहीं किया गया है। जो बीज विपक्षी सं. 1 से खरीदा गया उसके सेम्पल की तकनीकी विशेषज्ञों से जांच करा कर कोई रिपोर्ट भी प्रस्तुत नहीं की गई है जो कि सबसे महत्वपूर्ण एवं सर्वोत्तम साक्ष्य थी, जिससे बीज की गण्ुावत्ता का निर्धारण आसानी से हो सकता था। परिवादीगण ने माना है कि विपक्षी सं. 2 द्वारा गठित तकनीकी विशेषज्ञों की कमेटी ने गेहूं की फसल की जांच की थी, जिसकी रिपोर्ट विपक्षी सं. 2 की ओर से प्रस्तुत हुई है जिसमें विशेषज्ञों का यह आंकलन है कि जांच परिवादीगण के ही सामने की गई तो पाया गया कि उसमें 1.4 प्रतिशत से अधिक मिश्रण नहीं है अर्थात् प्रमाणित बीज की निर्धारित अनुवांशिक शुद्धता 98 प्रतिशत की सीमा के अनुरूप है। परिवादीगण ने इस रिपोर्ट को झूंठा बताया है लेकिन झूंठा होने का कोई कारण या आधार नहीं बताया है। तकनीकी विशेषज्ञों की उनके विरूद्ध कोई दुर्भावना रही हो यह भी आरोप नहीं लगाया गया है। इसलिये हम पाते है कि तकनीकी विशेषज्ञों की रिपोर्ट कानूनी रूप से स्वीकार्य है तथा इस रिपोर्ट के अनुसार बीज की गुणवत्ता में कोई दोष नहीं हैंे। उपरोक्त विवेचन के फलस्वरूप हम पाते है कि परिवादीगण यह सिद्ध करने में विफल रहे है कि विपक्षीगण ने उन्हे धटिया क्वालिटी का अथवा मिलावटी बीज बेचा हो। यह सिद्ध करने में भी विफल रहे है कि उस बीज का उत्पादन विपक्षी सं0 2 ने किया तथा वह मानक के अनुरूप नहीं होकर घटिया स्तर का हो।
    अतः परिवाद खारिज होने योग्य है।                                        आदेश 
    परिवादीगण का परिवाद विपक्षीगण के खिलाफ खारिज किया जाता है। खर्चा परिवाद पक्षकारान अपना-अपना स्वयं वहन करेगे।        


   (महावीर तंवर)          (हेमलता भार्गव)                 (भगवान दास)  
      सदस्य                 सदस्य                        अध्यक्ष
 

     निर्णय आज दिनंाक 29.09.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया। 
                                     
  सदस्य                      सदस्य                         अध्यक्ष           

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