( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या :336/2019
रईस अहमद पुत्र श्री नवी अहमद, निवासी वार्ड नं0-7, मुडिया जागीर, तहसील बहेरी, जिला बरेली।
अपीलार्थी/परिवादी
1-चीफ मैनेजिंग डाइरेक्टर, अब्दुल हसन, पुत्र अब्दुल रहीम, आगमेंट रियल इस्टेट इण्डिया लि0, नियर अब्दुल पी0सी0ओ0, रामपुर रोड, बिधौलिया पोस्ट-सी0बी0 गंज, तहसील व जिला बरेली।
2-मैनेजिंग डाइरेक्टर मोहन लाल, पुत्र राम लाल, आगमेंट रियल इस्टेट इण्डिया लि0, रामपुर रोड, बिधौलिया पोस्ट सी0बी0 गंज, तहसील व जिला बरेली।
समक्ष :-
1-मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2-मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- श्रीमती भावना गुप्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- श्री आलोक रंजन।
दिनांक : 12-01-2023
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
परिवाद संख्या-130/2016 रईस अहमद बनाम मुख्य प्रबन्ध निदेशक (अब्दुल हसन पुत्र अब्दुल रहीम, आगमेंट रियल इस्टेट इण्डिया लि0 व अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, द्धितीय, बरेली द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 07-02-2019 के विरूद्ध यह अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत की गयी है।
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‘’आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्वारा विद्धान जिला आयोग ने परिवाद खण्डित कर दिया है।
जिला आयोग के आक्षेपित निर्णय व आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के परिवादी की ओर से यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि विपक्षीगण ने परिवादी को दिनांक 09-03-2013 को एक भूखण्ड संख्या-वी. 025000895 जिसका क्षेत्रफल 200 वर्ग गज रू0 40,000/- नकद लेकर बुक किया था और यह आश्वासन दिया था कि तीन वर्ष छ: माह बाद दिनांक 09-09-2016 को उक्त भूखण्ड का विक्रय पत्र निष्पादित कर देंगे अथवा दो गुने रूपये देंगे। परिवादी नियत समय के बाद प्रतिपक्षीगण के मुख्य कार्यालय में गया तो ज्ञात हुआ कि प्रतिपक्षीगण अपना व्यवसाय अपने घर से चला रहे हैं और कई बार घर जाने और भूखण्ड का विक्रय पत्र निष्पादित कराने को कहने पर विपक्षीगण टाल मटोल करते रहे। दिनांक 01-08-2016 को भूखण्ड और रूपये देने से विपक्षीगण द्वारा इंकार कर दिया गया। जो कि विपक्षीगण के स्तर से सेवा में कमी है। अत: विवश होकर परिवादी ने परिवाद जिला आयोग के समक्ष योजित किया है।
प्रतिपक्षीगण द्वारा प्रतिवाद पत्र का0सं0-11 प्रस्तुत करते हुए परिवाद पत्र के अभिकथनों का प्राय: खण्डन किया गया तथा कथन किया गया कि परिवादी उपभोक्ता नहीं है और उसने फर्जी कागजात के आधार पर परिवाद योजित किया है। परिवाद झूठे मनगढ़न्त तथ्यों पर आधारित होने के कारण खण्डित किये जाने योग्य है।
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विद्धान जिला आयोग द्वारा उभयपक्ष को सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का परिशीलन करने के उपरान्त विपक्षीगण के स्तर पर सेवा में कमी न पाते हुए परिवादी का परिवाद खण्डित कर दिया है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की विद्धान अधिवक्ता श्रीमती भावना गुप्ता उपस्थित आईं। प्रत्यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री आलोक रंजन उपस्थित आए।
अपीलार्थी की विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्य एवं विधि के विरूद्ध है तथा जिला आयोग ने सभी तथ्यों पर ध्यान दिये बिना विधि विरूद्ध ढंग से निर्णय पारित है। अत: अपील स्वीकार करते हुए जिला आयोग के निर्णय एवं आदेश को अपास्त किया जावे।
प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्य एवं विधि के अनुसार है अत: अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
हमने उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का भली-भॉंति परिशीलन एवं परीक्षण किया।
पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों के परीक्षणोंपरान्त हम इस मत के हैं कि परिवादी से रू0 40,000/- नकद लेकर उसे 200 वर्ग गज का भूखण्ड विपक्षीगण द्वारा आवंटित किया गया, किन्तु परिवादी के पक्ष में भूखण्ड का विक्रय पत्र निष्पादित नहीं किया गया और विपक्षीगण टालमटोल करते
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हुए और उसकी जमा धनराशि भी वापस नहीं की गयी जब कि विपक्षीगण द्वारा जमा धनराशि की दो गुना धनराशि देने का आश्वासन परिवादी को दिया गया था। जो कि विपक्षीगण के स्तर से सेवा में कमी है।
अत: समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए हमारे विचार से विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्य एवं विधि के विरूद्ध है अत: अपास्त किये जाने योग्य है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए परिवादी को विपक्षीगण से रू0 50,000/-की धनराशि इस निर्णय से 30 दिन की अवधि में दिलाये जाने का आदेश पारित किया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है तथा जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश अपास्त करते हुए विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को रू0 50,000/-रू0 की धनराशि इस निर्णय से 30 दिन के अंदर अदा करें।
यदि विपक्षीगण द्वारा उपरोक्त धनराशि 30 दिन की अवधि में परिवादी को अदा नहीं की जाती है तो उपरोक्त धनराशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 08 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज भी देय होगा।
अपील में उभयपक्ष पक्ष अपना अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
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आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (विकास सक्सेना)
अध्यक्ष सदस्य
प्रदीप मिश्रा , आशु0 कोर्ट नं0-1