मामले का अवलोकन किया गया ा यह मामला दिनांक 03.10.2012 की आदेश पञिका अनुसार माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा U.P. POWAR CPRPOTATION LTD. & ORS VERSUS ANIS AHMAD Speciel Leave Appeal (Civil) 35906/ 2011 (CC 20407/2011) में दिए गए निर्देश के अधीन माननीय उच्चतम न्यायालय के अग्रिम आदेश तक स्थगित रखा गया था ा उक्त मामले मे माननीय उच्चतम न्यायालय के द्वारा दिनांक 01.07.2013 को अंतिम आदेश पारित कर दिया गया है जिसकी कंडिका क्रमांक 47 इस प्रकार है ः-
47. In view of the observation made above, we hold that :
(i) In case of inconsistency between the Electricity Act, 2003 and the consumer Protection Act, 1986, the provisions of Consumer Protection Act will prevail, but ipso facto it will not vesr the Consumer Forum with the power to redress any dispute with regard to the matters which do not come within the meaning og " service" as defined under Section 2 (1) (o) or " complaint" as defined under Section 2 (1)(o) of the Consumer Protection Act, 1986.
(ii) A " complaint " against the assessment made by assessing officer under Section 126 or against the offences committed under Sections 135 to 140 of the Electricity Act, 2003 is not maintainable before a Consumer Forum.
(iii) The Electricity Act, 2003 and the Consumer Protection Act, 1986 runs parallel for giving redressal to any person, who falls within the meaning of " consumer " under Section 2 (1)(o) of the Consumer Protection Act, 1986 or the Central Government or the State Government or association of consumer but ot is limited to the dispute relating to " unfair trade practice " or a " restrictive trade practice adopted by the service provider ", or " if the consumer suffers from deficiency in service ", or " hazardous service ", or " the service provider has charged a price in excess of the price fixed by or under any law ".
यह मामला अविवाहित पर विद्वुत के अनाधिकृत उपयोग से संबंधित है और इस मामले मे माननीय उच्चतम न्यायालय का उक्त आदेश पूर्णतः लागू होता है ा माननीय उच्चतम न्यायालय के उक्त आदेश अनुसार विद्वुत के अनाधिकृत उपयोग से संबंधित मामले उपभोक्ता फोरम में प्रचलनशीन नहीं है ा अस्तु यह मामला सुनवाई के क्षेञाधिकार के अभाव में बगैर गुण दोष के खारिज किया जाता है ा मामले की प्रकृति को देखते हुए उभयपक्ष अपना अपना वाद व्यय वहन करेंगे ा आदेश की एक एक प्रति उभयपक्षकारों को निःशुल्क प्रदान की जावे ा प्रकरण समाप्त ा अभिलेख व्यवस्थित कर अभिलेखागार दाखिल किया जावे ा