Chhattisgarh

Bilaspur

CC/14/63

SMT VINITA SAV - Complainant(s)

Versus

CHHTTISGARH HOUSING BOARD - Opp.Party(s)

SHRI P.K. SAHU

25 Jun 2015

ORDER

District Consumer Dispute Redressal Forum
Bilaspur (C.G.)
Judgement
 
Complaint Case No. CC/14/63
 
1. SMT VINITA SAV
TI 45/4 I.T.I. KONI TH.- BILASPUR
BILASPUR
CHHATTISGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. CHHTTISGARH HOUSING BOARD
CHHTTISGARH HOUSING BOARD NEHARU NAGAR BILASPUR
BILASPUR
CHHATTISGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. ASHOK KUMAR PATHAK PRESIDENT
 HON'BLE MR. PRAMOD KUMAR VARMA MEMBER
 
For the Complainant:
SHRI P.K. SAHU
 
For the Opp. Party:
SHRI M L YADAV
 
ORDER

//जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोषण फोरम, बिलासपुर छ.ग.//

 

                           प्रकरण क्रमांक  CC/ 63/2014

                           प्रस्‍तुति दिनांक  22/04/2014

 

श्रीमती विनिता साव,

पति स्‍व.एल.पी.साव,

पता-टी 45/4 आई.टी.आई. कोनी,

तहसील व जिला बिलासपुर छ0ग0                       ......आवेदिका/परिवादी

 

                    विरूद्ध

      कार्यपालन अभियंता (सं.प्र.) छ.ग. गृह निर्माण मण्‍डल,

     नेहरू नगर,  

    तहसील व जिला बिलासपुर (छ.ग.)                .........अनावेदक/विरोधीपक्षकार

 

 

                                    आदेश

            (आज दिनांक 25/06/2015 को पारित)

 

१. आवेदिका  श्रीमती विनिता साव  ने उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदक छ.ग. गृह निर्माण मण्‍डल के विरूद्ध   सेवा में कमी के लिए पेश किया है और अनावेदक से पूर्व निर्धारित राशि पर मूखण्‍ड प्रदाय कराने एवं क्षतिपूर्ति दिलाए जाने का निवेदन किया है।

2. परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार है कि अनावेदक छ.ग. गृह निर्माण मण्‍डल द्वारा दिनांक 09.04.2010 को आयोजित भूखण्‍ड आबंटन समिति की बैठक में आवेदिका को भूखण्‍ड/भवन क्रमांक  I – 17 आबंटित किया गया था और उसका अनुमानित कीमत 8,50,000/-रू. बताया गया था, जिसके परिपालन में आवेदिका द्वारा तीन किश्‍तों में दिनांक 15.06.2011 तक 6,70,000/-रू. का भुगतान किया गया, तृतीय किश्‍त के समय अनावेदक द्वारा आवेदिका को भवन की अंतिम किश्‍त  भुगतान करने एवं भवन आधिपत्‍य की सूचना पृथक से दिए जाने को कहा गया था, किंतु जब अनावेदक द्वारा प्रेषित डाक दिनांक 08.01.2014 आवेदिका को प्राप्‍त हुआ तो उसमें अनावेदक द्वारा भुखण्‍ड/मकान की कीमत को बढाकर 12,21,000/-रू. की मांग की गई तथा जिसमें उसके द्वारा पूर्व में जमा किए गए राशि का कोई उल्‍लेख नहीं किया गया था, फलस्‍वरूप आवेदिका को काफी मानसिक परेशानी हुई । उसने अपने अधिवक्‍ता के जरिए दिनांक 16.01.2014 को रजिस्‍टर्ड नोटिस भेजा, जिसका जवाब अनावेदक की ओर से दिनांक 31.01.2014 को प्राप्‍त हुआ । अत: यह अभिकथित करते हुए कि अनावेदक द्वारा निर्धारित राशि से अधिक राशि की मांग की गई और भवन बनाकर आधिपत्‍य भी प्रदान नहीं किया गया, उसके द्वारा यह परिवाद पेश कर अनावेदक से वांछित अनुतोष दिलाए जाने का निवेदन किया गया है ।

3. अनावेदक की ओर से जवाब पेश कर यह तो स्‍वीकार किया गया कि उनके द्वारा स्‍ववित्‍तीय योजना के अंतर्गत आवेदिका को खमतराई बिलासपुर में प्रश्‍नाधीन भूखण्‍ड/भवन आबंटित किया गया था तथा जिसकी अनुमानित लागत 8,50,000/-रू. विज्ञापित किया गया था, जिसके परिपेक्ष्‍य में आवेदिका द्वारा वि‍भिन्‍न किश्‍तों में 6,70,000/-रू. भुगतान किए जाने की बात भी स्‍वीकार किया गया, किंतु परिवाद का विरोध इस आधार पर किया गया कि आवेदिका द्वारा कोई भी किश्‍त निर्धारित अवधि में जमा नहीं किया गया । साथ ही कहा गया है कि उनके रायपुर स्थित मुख्‍यालय द्वारा भवन का अंतिम मूल्‍य निर्धारित होने पर आवेदिका को सूचित करते हुए शेष बकाया राशि की मांग की गई, किंतु आवेदिका द्वारा राशि जमा नहीं की गई, जिसके कारण भवन का आधिपत्‍य उसे प्रदान नहीं किया गया । यह भी कहा गया है कि आवेदिका को आबंटित मकान बन कर तैयार है । आवेदिका द्वारा शेष रकम अदा किए जाने पर तथा रजिस्‍ट्री व्‍यय वहन करने पर उसे आबंटित भूखण्‍ड/मकान का आधिपत्‍य प्रदान कर दिया जावेगा । आगे अनावेदक, आवेदिका को अनावश्‍यक रूप से यह परिवाद पेश करना बताया है तथा सारहीन होने के आधार पर परिवाद निरस्‍त किए जाने का निवेदन किया  है।

      4. उभय पक्ष अधिवक्‍ता का तर्क सुन लिया गया है । प्रकरण का अवलोकन किया गया ।

5. देखना यह है कि क्‍या आवेदिका, अनावेदक से वांछित अनुतोष प्राप्‍त करने की अधिकारिणी है \

                      सकारण निष्‍कर्ष

6.  इस संबंध में कोई विवाद नहीं कि अनावेदक द्वारा स्‍ववित्‍तीय योजना के अंतर्गत आवेदिका को खमतराई बिलासपुर में आवेदिका को भूखण्‍ड/मकान क्रमांक  I – 17 आबंटित किया गया था।  यह भी विवादित नहीं है कि उक्‍त आबंटन के परिपेक्ष्‍य में आवेदिका द्वारा अनावेदक को तीन किश्‍तों में 6,70,000/-रू. की राशि प्रदान की गई  ।

7. आवेदिका के अनुसार,  प्रश्‍नाधीन भूखण्‍ड/मकान के आबंटन के समय अनावेदक द्वारा उसके अनुमानित लागत 8,50,000/-रू. बताया गया था, किंतु बाद में उसकी कीमत को बढाकर 12,21,000/-रू. की मांग की गई, जिसे अनुचित ठहराते हुए आवेदिका द्वारा यह परिवाद पेश करना बताया गया है, किंतु उसके द्वारा इस संबंध में ऐसा कोई साक्ष्‍य पेश नहीं किया गया है जिससे दर्शित हो कि प्रश्‍नाधीन भूखण्‍ड/भवन के आबंटन के समय अनुमानित लागत में उसके आधिपत्‍य प्रदान किए जाने तक कोई वृद्धि नहीं होनी थी ।

8. इस संबंध में विवाद नहीं किया जा सकता कि अनुमानित लागत और वास्‍तविक लागत में अंतर होता है । अनुमानित लागत संभावना के आधार पर निर्धारित किया जाता है, जबकि वास्‍तविक लागत निर्माण पूर्ण होने के उपरांत निर्धारित किया जाता है  तथा जिसमें वृद्धि की कोई गुंजाईश नहीं होती, जबकि अनुमानित लागत में समय एवं काल के आधार पर वृद्धि होना संभावित रहता है ।

9. उपरोक्‍त कारणों से हम इस  निष्‍कर्ष पर पहुंचते हैं कि आवेदिका द्वारा प्रश्‍नगत परिवाद उस अनुमानित लागत को ही वास्‍तविक लागत मानकर पेश किया गया है, जो कि छ.ग. गृह निर्माण मण्‍डल द्वारा आबंटन के समय संभावना के आधार पर विज्ञापित किया गया था, जबकि वह प्रश्‍नाधीन भूखंड/भवन का वास्‍तविक मूल्‍य नहीं था, ऐसी स्थिति में भवन निर्माण पूर्ण होने के उपरांत अनावेदक द्वारा वास्‍तविक लागत के भुगतान की सूचना दिए जाने पर उसे आवेदिका के प्रति मामले में सेवा में कमी निरूपित नहीं किया जा सकता अत: आवेदिका का परिवाद स्‍वीकार करने का कोई कारण नहीं पाया जाता, फलत: परिवाद निरस्‍त किया जाता है ।

10. उभय पक्ष अपना-अपना वाद-व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे ।

 

 

                   (अशोक कुमार पाठक)                                 (प्रमोद वर्मा)

                                अध्‍यक्ष                                           सदस्‍य

 

 

 

 

                                                                                                              

 
 
[HON'BLE MR. ASHOK KUMAR PATHAK]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. PRAMOD KUMAR VARMA]
MEMBER

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