राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या :1364/2001
(जिला मंच, फतेहपुर द्धारा परिवाद सं0-53/2000 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24.5.2001 के विरूद्ध)
1 Union of India through Secretary Department of Communications New Delhi.
2 Superintendent of Post Offices Fatehpur District Fatehpur.
........... Appellants/Opp. Parties
Versus
- Sri Chhotey Lal S/o Sri Shiv Ram
- Smt. Phool Kali, W/o Sri Chhotey Lal,
Both R/o Asadhana, Pargana & Tehsil, Ghatampur, District Kanpur City.
……..…. Respondents/Complainants.
समक्ष :-
मा0 श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा, पीठासीन सदस्य
मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : डॉ0 उदय वीर सिंह
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : श्री आलोक सिन्हा
दिनांक :06.10.2016
मा0 श्री जे0एन0 सिन्हा, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद सं0-53/2000 छोटेलाल व अन्य बनाम अधीक्षक डाकघर प्रधान कार्यालय शहर, फतेहपुर व उप डाकपाल डाकघर जहानाबाद में जिला मंच, फतेहपुर द्वारा दिनांक 24.5.2001 को निर्णय पारित करते हुए निम्नलिखित आदेश पारित किया गया कि,
"परिवाद परिवादीगण के पक्ष में आाप्ति किया जाता है। विपक्षीगणों को आदेशित किया जाता है कि वह परिपक्वता तिथि से परिपक्वता राशि (मूलधन+बोनस) पर भुगतान की तिथि तक डाकघर में बचत खाता में उस समय प्रचलित ब्याज दर के अनुसार आगणन करके ब्याज का भुगतान करें तथा मु0 1500.00 रूपये शारीरिक, मानसिक क्लेष और वाद व्यय के रूप में परिवादीगण को भुगतानकरें। इस निर्णय/आदेश का अनुपालन इस निर्णय/आदेश के पारित होने की तिथि से 5 सप्ताह के अन्दर विपक्षीगण के द्वारा सुनिश्चित किया जाय। ऐसा न करने पर परिवादीगण के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 27 के अन्तर्गत कार्यवाही करने का विकल्प खुला रहेगा। पत्रावली दाखिल दफ्तर की जाय"
-2-
उपरोक्त वर्णित आदेश से क्षुब्ध होकर विपक्षी/अपीलार्थी पक्ष की ओर से वर्तमान अपील योजित की गई है।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता डॉ0 उदय वीर सिंह तथा प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री आलोक सिन्हा को विस्तार पूर्वक सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय व उपलब्ध अभिलेखों का गम्भीरता से परिशीलन किया गया।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा केवल इस संदर्भ में तर्क प्रस्तुत किया गया कि रू0 1500.00 जो क्षतिपूर्ति के भुगतान हेतु आदेश पारित किया गया है, उसे अपास्त कर दिया जाय। शासन द्वारा ब्याज की बावत निर्णय लिया गया, जिसके अनुसार दिनांक 24.8.2000 को परिवादी को रू0 1,06,489.60 पैसे की अदायगी की गई है। प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह कहा गया है कि सेवा में कमी को देखते हुए रू0 1500.00 क्षतिपूर्ति का जो आदेश है, वह हर दृष्टिकोण से उचित है, अत: उसे अपास्त किया जाना विधि अनुकूल नहीं है।
अविवादित रूप से दिनांक 24.8.2000 को विपक्षी/अपीलार्थी की ओर से परिवादी/प्रत्यर्थी को रू0 1,06,489.60 पैसे की अदायगी की गई है एवं प्रश्नगत आदेश में इस आशय का उल्लेख है कि परिपक्वता राशि का परिपक्वता तिथि से भुगतान की तिथि तक बचत खाते में उस समय प्रचलित ब्याज दर भी परिवादी पाने का अधिकारी है एवं अपीलार्थी द्वारा वर्तमान प्रकरण में आवश्यक कार्यवाही करते हुए शासन से निर्देश प्राप्त कर अभिवचित धनराशि का भुगतान भी किया गया है। ऐसी स्थिति में मुकदमें की सम्पूर्ण परिस्थितियों को देखते हुए रू0 1500.00 क्षतिपूर्ति की बावत पारित आदेश अपास्त करते हुए प्रस्तुत अपील अशत: स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील अंशत: स्वीकार करते हुए जिला मंच, फतेहपुर द्वारा परिवाद सं0-53/2000 छोटेलाल व अन्य बनाम अधीक्षक डाकघर प्रधान कार्यालय शहर, फतेहपुर व उप डाकपाल डाकघर जहानाबाद में पारित आदेश दिनांक 24.5.2001 में रू0 1500.00 क्षतिपूर्ति की बावत पारित आदेश अपास्त किया जाता है तथा निर्णय/आदेश के शेष भाग की पुष्टि की जाती है।
(जे0एन0 सिन्हा) (संजय कुमार)
पीठासीन सदस्य सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-2