Chhattisgarh

StateCommission

FA/14/105

Smt. Babli & Ors. - Complainant(s)

Versus

Chhattisgarh Rajya Gramin Bank - Opp.Party(s)

Shri Mukesh Sharma

07 Feb 2015

ORDER

Chhattisgarh State Consumer Disputes Redressal Commission Raipur
Final Order
 
First Appeal No. FA/14/105
(Arisen out of Order Dated in Case No. CC/13/99 of District Bilaspur)
 
1. Smt. Babli & Ors.
Village Navapara Tehsil Dharamjaigarh
Raigarh
Chhattisgarh
...........Appellant(s)
Versus
1. Chhattisgarh Rajya Gramin Bank
Hati Distt. Raigarh
Raigarh
Chhattisgarh
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HONABLE MR. JUSTICE R.S.Sharma PRESIDENT
 HONABLE MS. Heena Thakkar MEMBER
 HONABLE MR. Dharmendra Kumar Poddar MEMBER
 
For the Appellant:Shri Mukesh Sharma, Advocate
For the Respondent: Shri Rajesh Tiwari, Advocate
ORDER

छत्तीसगढ़ राज्य

उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग, पंडरी, रायपुर

अपील क्रमांकः FA/14/105

संस्थित दिनांक : 14.02.2014

1.            श्रीमती बबली पति श्री महेशराम,

2.            भगत सिंह ऊर्फ भगतराम आ. श्री महेशराम,

3.            गोकुलराम आ. श्री महेशराम, उम्र-15 वर्ष,             

                द्वारा-वली माता श्रीमती बबली पति श्री महेशराम,

                सभी निवासी ग्राम-नवापारा, तहसील-धरमजयगढ़,

                जिला-रायगढ़ (छ.ग.)                                                           ............अपीलार्थीगण/अनावेदकगण.

विरूद्ध

छत्तीसगढ़ ग्रामीण बैंक,

शाखा प्रबंधक,

छत्तीसगढ़ ग्रामीण बैंक, हाटी,

जिला-रायगढ़ (छ.ग.)                                                                                   ...............उत्तरवादी/परिवादी.

               

समक्षः

माननीय न्यायमूर्ति श्री आर. एस.शर्मा, अध्यक्ष

माननीय सुश्री हिना ठक्कर, सदस्या

माननीय श्री डी. के. पोद्दार, सदस्य

 

पक्षकारों के अधिवक्ता

अपीलार्थीगण की ओर से श्री मुकेश शर्मा, अधिवक्ता।

उत्तरवादी की ओर से श्री राजेश तिवारी, अधिवक्ता।

 

आदेश

दिनांकः 07/02/2015

द्वारा-माननीय श्री डी. के. पोद्दार, सदस्य

 

अपीलार्थीगण/परिवादीगण ने यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986, के अंतर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, रायगढ़ (छ0ग0) (जिसे आगे संक्षिप्त में ‘‘जिला फोरम’’ संबोधित किया जाएगा) के परिवाद प्रकरण क्रमांक-992013 श्रीमती बबली एवं दो अन्य विरूद्ध छत्तीसगढ़ ग्रामीण बैंक में पारित आदेश दिनांक-17.01.2014 जिसके द्वारा अपीलार्थीगण/परिवादीगण का परिवाद निरस्त किया गया है, से दुखित होकर प्रस्तुत किया है। 

 

02.          जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थीगण/परिवादीगण का परिवाद संक्षेप में इस प्रकार रहा है कि अपीलार्थीगण/परिवादीगण ने उत्तरवादी/ अनावेदक बैंक में दिनांक-17.07.2012 को 10,00,000/-(दस लाख रूपये) फिक्स डिपाॅजिट किया था जिसके एवज में उत्तरवादी/अनावेदक के द्वारा रसीद क्रमांक-115645 प्रदान किया था और उक्त फिक्स डिपाजिट की परिपक्वता अवधि दिनांक-14.03.2013 थी। परिपक्वता पूर्ण होने पर उत्तरवादी/अनावेदक द्वारा अपीलार्थीगण/परिवादीगण को परिपक्वता राशि-10,46,425/-(दस लाख छिंयालीस हजार चार सौ पच्चीस रूपये) का भुगतान किया जाना था। परिपक्वता अवधि के उपरांत अपीलार्थीगण/ परिवादीगण द्वारा उत्तरवादी/अनावेदक बैंक में रसीद क्रमांक-115645 प्रस्तुत कर परिपक्वता राशि-10,46,425/-(दस लाख छिंयालीस हजार चार सौ पच्चीस रूपये) की मांग किया परन्तु उत्तरवादी/अनावेदक द्वारा परिपक्वता राशि अदा नहीं किया गया तब अपीलार्थीगण/परिवादीगण द्वारा लिखित आवेदन प्रस्तुत कर राशि की मांग करना चाहा परन्तु उत्तरवादी/ अनावेदक द्वारा आवेदन लेने से इंकार कर दिया गया तब अपीलार्थीगण/ परिवादीगण द्वारा दिनांक-08.08.2013 को पंजीकृत डाक के माध्यम से आवेदन प्रेषित कर राशि की मांग किया परन्तु उत्तरवादी/अनावेदक द्वारा राशि का भुगतान नहीं किया गया तब अपीलार्थीगण/परिवादीगण द्वारा अपने अधिवक्ता के माध्यम से विधिक नोटिस दिनांक-02.09.2013 उत्तरवादी/अनावेदक को प्रेषित कर परिपक्वता राशि की मांग किया परन्तु उत्तरवादी/अनावेदक द्वारा ना तो उक्त नोटिस का जवाब दिया गया और ना ही परिपक्वता राशि का भुगतान किया गया। इस प्रकार परिपक्वता अवधि पूर्ण होने के उपरांत उत्तरवादी/अनावेदक द्वारा परिपक्वता राशि का भुगतान किया जाना था परन्तु परिपक्वता दिनांक-14.03.2013 के लगभग 06 माह के अवसान के बावजूद उत्तरवादी/अनावेदक द्वारा जमा की गई राशि एवं ब्याज का भुगतान आज तक अपीलार्थीगण/परिवादीगण को नहीं किया है जिसके कारण यह परिवाद लाने की आवश्यकता पड़ी है। अतः अपीलार्थीगण/परिवादीगण को परिवाद-पत्र में वर्णित अनुसार अनुतोष दिलाई जावे। 

 

03.          अपीलार्थीगण/परिवादीगण ने अपने पक्ष समर्थन में जिला फोरम के समक्ष फिक्स्ड डिपाॅजिट रसीद (Annexure-1), बबली राठिया का परिचय-पत्र (Annexure-2), भगत सिंह की अंकसूची (Annexure-3) की प्रमाणित प्रति तथा अपीलार्थीगण/परिवादीगण द्वारा उत्तरवादी/अनावेदक बैंक को प्रेषित पत्र दिनांक-08.08.2013 एवं पोस्टल रसीद (Annexure-5 & 6) का असल, अधिवक्ता नोटिस दिनांक-02.09.2013 (Annexure-7), तथा पोस्टल रसीद दिनांक-02.09.2013 (Annexure-8) का असल प्रस्तुत किया है।

               

04.          जिला फोरम के समक्ष उत्तरवादी/अनावेदक की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत करते हुए यह अभिवचन किया गया है कि अपीलार्थीगण/ परिवादीगण ने दिनांक-17.07.2012 को उत्तरवादी/ अनावेदक बैंक में 10,00,000/-(दस लाख रूपये) फिक्स डिपाॅजिट में जमा नहीं किया था और ना ही परिपक्वता अवधि दिनांक-14.03.2013 को अपीलार्थीगण/ परिवादीगण को 10,46,425/-(दस लाख छिंयालीस हजार चार सौ पच्चीस रूपये) का भुगतान किया जाना था। अपीलार्थीगण/ परिवादीगण, उत्तरवादी/अनावेदक के उपभोक्ता नहीं हैं। अपीलार्थीगण/ परिवादीगण ने परिपक्वता तिथि पर 10,46,425/-(दस लाख छिंयालीस हजार चार सौ पच्चीस रूपये) की मांग नहीं किया था और ना ही उक्त राशि की मांग करते हुए लिखित आवेदन प्रस्तुत किया था और ना ही उत्तरवादी/अनावेदक द्वारा परिपक्वता तिथि पर राशि देने से इंकार किया है। दिनांक-08.08.2013 को पंजीकृत सूचना पत्र भी अपीलार्थीगण/ परिवादीगण द्वारा उत्तरवादी/ अनावेदक को प्रेषित नहीं किया था। अपीलार्थीगण/परिवादीगण उक्त राशि पाने के अधिकारी नहीं हैं और ना ही उन्हें भुगतान के संबंध में नोटिस प्रेषित करने का विधिक अधिकार प्राप्त है। अपीलार्थीगण/परिवादीगण तथा मनिका, तीजमणी, बीजमती (पुत्रियां रोहित दास) एवं साधमति बेवा रोहित दास की ग्राम नवापारा में शामिलाती खाते की भूमि का छ.ग. शासन द्वारा अधिग्रहण किया गया था जिसके संबंध में शासन द्वारा इन समस्त खातेदारों के संयुक्त नाम से भारतीय स्टेट बैंक शाखा धरमजयगढ़ का चेक क्रमांक- 573962 दिनांक-30.05.2012 राशि- 28,23,245/-(अट्ठाईस लाख तेईस हजार दो सौ पैंतालीस रूपये) जारी किया गया था जिसे समस्त खातेदारों की ओर से प्राप्त किया गया तथा उत्तरवादी/अनावेदक बैंक में प्रस्तुत किया गया और अपीलार्थीगण/ परिवादीगण द्वारा बैंक को यह बताया गया कि समस्त खातेदार एक ही परिवार के हैं तथा खातेदारों के मध्य किसी प्रकार का कोई विरोध नहीं है इसी कारण से चेक अपीलार्थीगण/ परिवादीगण को दिया गया है तथा अपीलार्थीगण/परिवादीगण द्वारा उक्त चेक की राशि के भुगतान वास्ते उत्तरवादी/अनावेदक बैंक में खाता क्रमांक-77004968272 दिनांक-03.07.2012 को खोलकर उक्त खाता में चेक जमा किया गया। अपीलार्थीगण/ परिवादीगण द्वारा उस समय अपने कथन के समर्थन में एक शपथ-पत्र प्रस्तुत कर व्यक्त किया गया कि चेक में बहन लोगों का नाम अंकित है इसलिए उक्त चेक की राशि बैंक से तब तक नहीं निकालेंगे जब तक हिस्सेदारों से सामाजिक तौर पर समझौता नहीं हो जाता तथा बैंक को अथाॅरिटी दी कि बहनों को आपत्ति होने पर बैंक सबको बराबर राशि अदा करेगी एवं अपीलार्थीगण/परिवादीगण इसके लिए संपूर्ण रूप से जवाबदार रहेंगे। अपीलार्थीगण/परिवादीगण ने उक्त जमा राशि में से दिनांक-17.07.2012 को 4,00,000/-(चार लाख रूपये) नगद आहरित किए तथा शेष राशि में से 10,00,000-10,00,000/-(दस-दस लाख रूपये) के दो फिक्स्ड डिपाॅजिट प्राप्त कर बचत राशि खाते में रखी। चेक में वर्णित सह खातेदारों साधमति, तीजमति, बीजमति एवं मनिका द्वारा दिनांक-18.09.2012 को आपत्ति की गई तथा उक्त चेक की राशि में समस्त खातेदारों को बराबर-बराबर हिस्सा होना व्यक्त किया गया जिसके संबंध में चेक जारीकर्ता शासन द्वारा उत्तरवादी/अनावेदक को सूचित किया गया जिस पर उत्तरवादी/अनावेदक ने अपीलार्थीगण/परिवादीगण को सह खातेदारों से आपत्ति का निपटारा करने हेतु कहा गया। अपीलार्थीगण/परिवादीगण ने उत्तरवादी/अनावेदक को बार-बार आश्वस्त किया कि सह खातेदारों से उनकी आपत्ति के संबंध में शीघ्र निपटारा कर लिया जावेगा परन्तु अपीलार्थीगण/परिवादीगण के द्वारा ना तो सह खातेदारों से आपत्ति का निपटारा किया एवं ना ही बैंक में उपस्थित होकर फिक्स्ड डिपॉजिट रसीद जमा कर उसके संबंध में कोई कार्यवाही की गई जिस पर विवश होकर अपीलार्थीगण/परिवादीगण द्वारा शपथ-पत्र दिनांक-11.07.2012 में व्यक्त तथ्य एवं बैंक को दी गई अथॉरिटी अनुसार बैंक को उक्त फिक्स्ड डिपॉजिट की राशि अपीलार्थीगण/परिवादीगण के खाता में दिनांक-21.12.2012 को मय ब्याज जमा करनी पड़ी तथा उसी तिथि को समस्त खातेदारों को बराबर-बराबर राशि-4,03,242/-(चार लाख तीन हजार दो सौ बंयालीस रूपये) सह खातेदारों के खाता में अंतरित करनी पड़ी। अपीलार्थीगण/ परिवादीगण ने समस्त खातेदारों की शामिलाती राशि को सह खातेदारों की आपत्ति न होना बताते हुए स्वयं के नाम से बैंक में खाता खोलकर जमा कर बैंक को धोखा दिया है तथा समस्त खातेदारों की राशि से दिनांक-17.07.2012 को 4,00,000/-(चार लाख रूपये) का आहरण कर 10,00,000- 10,00,000/-(दस-दस लाख रूपये) अपने नाम से फिक्स्ड डिपाजिट बनवाकर धोखाधड़ी की है। इस प्रकार स्पष्ट है कि अपीलार्थीगण/ परिवादीगण का कृत्य साफ नहीं है एवं छल व कपटपूर्वक है। दिनांक-21.12.2012 को समस्त खातेदारों के खाते में राशि अंतरित करने के उपरांत अपीलार्थीगण/परिवादीगण के बैंक खाता में 8,86,963/-(आठ लाख छियासी हजार नौ सौ तिरसठ रूपये) शेष थे जिसमें से दिनांक-11.04.2013 एवं 31.05.2012 को 1,00,000-1,00,000/-(एक-एक लाख रूपये) नगद एवं दिनांक-11.04.2013 एवं 01.07.2013 को क्रमशः 2,00,000/-(दो लाख रूपये) एवं 5,00,000/-(पांच लाख रूपये) ट्रांसफर कर आहरित किए गए हैं जिस पर दिनांक-01.07.2013 को अपीलार्थीगण/परिवादीगण के खाता में 1,967/-(एक हजार नौ सौ सड़सठ रूपये) शेष राशि बची है। उत्तरवादी/अनावेदक द्वारा अपीलार्थीगण/परिवादीगण की जानकारी व सहमति से फिक्स्ड डिपाॅजिट की राशि अपीलार्थीगण/परिवादीगण के खाता में जमा की गई, तदुपरांत समस्त सह खातेदारों के हिस्सा अनुसार राशि का भुगतान दिनांक-21.12.2012 को समस्त खातेदारों के बैंक खाता मे ट्रांसफर कर किया गया है। दिनांक-21.12.2012 के पश्चात् अपीलार्थीगण/ परिवादीगण ने उक्त समस्त तथ्यों की जानकारी पश्चात् अपने बैंक खाता से दिनांक-11.04.2013 से दिनांक-01.7.2013 की अवधि में संव्यवहार किया है तथा कभी भी बैंक द्वारा की गई कार्यवाही के संबंध में कोई आपत्ति नहीं की है। अपीलार्थीगण/परिवादीगण अपने कृत्य से विबंधित हैं तथा उक्त संव्यवहार उपरांत शिकायत करने का कारण एवं आधार अपीलार्थीगण/ परिवादीगण को उपलब्ध नहीं है। अपीलार्थीगण/ परिवादीगण द्वारा बदनीयति से समस्त वास्तविक तथ्यों को छिपाकर शिकायत प्रस्तुत किया गया है। अपीलार्थीगण/परिवादीगण किसी प्रकार का अनुतोष प्राप्त करने के अधिकारी नहीं हैं। अतः परिवाद-पत्र सव्यय निरस्त किया जावे।

 

05.          उत्तरवादी/अनावेदक ने अपने पक्ष समर्थन में जिला फोरम के समक्ष चेक क्रमांक-573962 दिनांक-30 मई 2012(Annexure-1),, बबली, भगतराम एवं गोकुल का संयुक्त शपथ-पत्र दिनांक-11.07.2012 (Annexure-2),, साधमति, तीजमति, बीजमति एवं मनिका द्वारा उत्तरवादी/अनावेदक बैंक में प्रस्तुत शिकायत दिनांक-18.09.2012 (Annexure-3), भारतीय स्टेट बैंक रायगढ़ द्वारा उत्तरवादी/अनावेदक को प्रेषित पत्र दिनांक-22.09.2012 (Annexure-4), उत्तरवादी/अनावेदक बैंक द्वारा बबली बाई को प्रेषित पत्र (Annexure-5), उत्तरवादी/अनावेदक बैंक द्वारा बबली बाई को प्रेषित पत्र दिनांक-06.12.2012 (Annexure-6 ), उत्तरवादी/अनावेदक बैंक द्वारा बबली बाई को प्रेषित पत्र दिनांक-21.12.2012 (Annexure-7), बबली बाई का एकाउण्ट स्टेटमेंट दिनांक-03.07.2012 से दिनांक-30.11.2012 (Annexure-8), मनिका बाई का एकाउण्ट स्टेटमेंट दिनांक-05.10.2012 से दिनांक-31.03.2013 (Annexure-9), तीजमति का एकाउण्ट स्टेटमेंट दिनांक-05.10.2012 से दिनांक-31.03.2013 (Annexure-10), साधमति का एकाउण्ट स्टेटमेंट दिनांक-08.10.2012 से दिनांक-31.03.2013 (Annexure-11), तथा बीजमति का एकाउण्ट स्टेटमेंट दिनांक-05.10.2012 से दिनांक-31.03.2013 (Annexure-12), की प्रमाणित प्रति प्रस्तुत किया है।

 

06.          जिला फोरम ने उभयपक्ष द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजी साक्ष्यों के परिशीलन पश्चात् अपीलार्थीगण/परिवादीगण का परिवाद यह निर्धारित करते हुए कि ’’अनावेदक ने आवेदिका क्र.1 को कई बार सह खातेदारों के साथ आपसी निपटारा करने बाबत् पत्र लिखा था, किन्तु आवेदिका क्र.1 न तो अन्य खातेदारों के विवाद का निपटारा किया और न ही अनावेदक बैंक के समक्ष उपस्थित हुई, इसलिए अनावेदक बैंक ने आवेदिकागण के शपथ-पत्र व अथॉरिटी के आधार पर आवेदिकागण के नाम फिक्स डिपॉजिट राशि को निरस्त करते हुए राशि खाते में जमा कर आवेदिकागण व अन्य संयुक्त खातेदारों के खाते में अन्तरित कर दिया। अनावेदक द्वारा फिक्स डिपॉजिट राशि को आवेदिकागण को भुगतान न कर किसी प्रकार की सेवा में कमी व व्यवसायिक दुराचरण नहीं किया है’’ और अपीलार्थीगण/ परिवादीगण का परिवाद निरस्त किया है जिसके विरूद्ध यह अपील है।

 

07.          अपीलार्थीगण/परिवादीगण की ओर से उपसंजात होने वाले विद्वान अधिवक्ता श्री मुकेश शर्मा का यह तर्क है कि जिला फोरम ने प्रकरण के तथ्यों एवं दस्तावेजों पर ध्यान न देकर विधि विरूद्ध आदेश पारित किया है जो कि अपास्त किए जाने योग्य है। अतएव अपीलार्थीगण/परिवादीगण द्वारा प्रस्तुत परिवाद की कंडिका-8 में चाही गई अनुतोष दिलाई जावे तथा तदानुसार अपील स्वीकार किये जाने का निवेदन किया है।

 

08.          उत्तरवादी/अनावेदक की ओर से उपसंजात होने वाले विद्वान अधिवक्ता श्री राजेश तिवारी ने जिला फोरम के आदेश को उचित रूप से पारित आदेश बताते हुए उक्त आदेश का समर्थन किया है।

 

09.          हमने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्ताओं का तर्क श्रवण किया तथा जिला फोरम के अभिलेख का भी परिशीलन किया।

 

10.          इस प्रकरण के न्यायोचित निराकरण हेतु हमें मुख्यतः इस बिन्दु पर विचार करना है कि क्या उत्तरवादी/अनावेदक बैंक द्वारा मियादी जमा के परिपक्वता तिथि पर अपीलार्थीगण/परिवादीगण के द्वारा जमा की गई रकम मय ब्याज भुगतान ना कर सेवा में कमी की गई है?

 

11.          यहां हम चेक क्रमांक-573962 दिनांक-30.05.2012 को उद्घृत करना चाहेंगे जो इस प्रकार हैः-

                                                                                                "DATE 30 MAY 2012

Pay To मु. बबली बेवा महेश राम, ना.बा. भगतराम, ना.बा. गोकुल पिता महेशराम, पा.मां बबली बेवा महेशराम, मनिका, तीजमती, ओजमती पिता रोहित दास, साधमती बेवा रोहितदास, जाति कंवर, साकिन-नवापारा OR BEARER RUPEES रूपये-अट्ठाईस लाख तेईस हजार दो सौ पैंतालीस रूपये मात्र  (28,23,245.00) अदा करें।

 

                खाता सं. 11296242962                                  अनुविभागीय अधिकारी (रा.)

                क्र. No CCB 82/ 573962                                  सह भू अर्जन अधिकारी

                                                                                                     धरमजयगढ़

   

                उपरोक्त से परिलक्षित होता है कि अनुविभागीय अधिकारी (रा) सह भू-अर्जन अधिकारी, धरमजयगढ़ द्वारा यह चेक राशि-28,23,245/- (अट्ठाईस लाख तेईस हजार दो सौ पैंतालीस रूपये) मु. बबली बेवा महेश राम, ना.बा. भगतराम, ना.बा. गोकुल पिता महेशराम, पा.मां बबली बेवा महेशराम, मनिका, तीजमती, ओजमती पिता रोहित दास, साधमती बेवा रोहितदास, के नाम जारी हुआ है। यह चेक विधिवत् उपरोक्त सभी के नामों से जुड़े खाते में जमा होना था। इस प्रकरण में उक्त चेक जिस खाते में जमा किया गया उसका कोई दस्तावेज पेश नहीं किया गया है। उक्त चेक क्रास चेक एकाउण्ट पेयी है परन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि बबली, भगतराम एवं गोकुल द्वारा निष्पादित शपथ-पत्र जो कि उत्तरवादी/अनावेदक बैंक का दस्तावेज क्रमांक-2 है, के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक शाखा हाटी द्वारा उपरोक्त शपथकर्ता के नाम खाता खोलकर चेक जमा कर दिया गया। बैंक का यह कृत्य सद्भाविक प्रतीत होता है। 

 

12.          यहां हम उत्तरवादी/अनावेदक बैंक के शाखा प्रबंधक डी. पी. चंद्रा के शपथ-पत्र की कंडिका-2 को उद्घृत करना चाहेंगे जो इस प्रकार हैः-

’’2.          आवेदकगण एवं मनिका, तीजमती, बीजमती व साधमति के शामिलाती नाम से छ. ग. शासन द्वारा उनकी शामिलाती भूमि अधिग्रहण किए जाने के एवज में भारतीय स्टेट बैंक धरमजयगढ़ के चेक क्रमांक-573962 दिनांक-30.05.2012 के जरिए 28,23,245/-रू. अदा किए गए थे जो आवेदकगण ने अनावेदक बैंक में यह बताकर कि समस्त खातेदार एक ही परिवार के हैं तथा खातेदारों के मध्य किसी प्रकार का विरोध नहीं है एवं इसी कारण से शासन द्वारा समस्त खातेदारों की राशि का चेक आवेदकगण को दिया गया है, आवेदकगण ने अपने नाम से खाता खोलकर उक्त चेक जमा कर कुछ राशि नगद प्राप्त कर शेष राशि में से दो फिक्स्ड डिपाॅजिट प्राप्त किए। आवेदकगण द्वारा शपथ-पत्र के जरिए यह व्यक्त किया गया कि उक्त चेक की राशि समस्त हिस्सेदारों के सामाजिक तौर पर समझौता होने पर निकालेंगे तथा बैंक को अथारिटी दी कि बहनों को आपत्ति होने पर बैंक सबको बराबर राशि अदा करेगी। आवेदकगण के सह खातेदारों द्वारा आपत्ति किए जाने तथा आवेदकगण द्वारा आपत्ति का निपटारा नहीं करने एवं बैंक द्वारा सूचित करने उपरांत भी बैंक में उपस्थित नहीं होकर फिक्स्ड डिपाजिट रसीद प्रस्तुत नहीं करने से विवश होकर बैंक को उसके पक्ष में दी गई अथाॅरिटी अनुसार कार्यवाही करते हुए फिक्स्ड डिपाजिट की राशि मय ब्याज खाता में जमा कर समस्त खातेदारों में बराबर बांटनी पड़ी। आवेदकगण उक्त राशि में से समय-समय पर राशि निकालते हैं तथा बैंक द्वारा की गई समस्त कार्यवाही की जानकारी आवेदकगण को उसी समय से है परन्तु आवेदकगण ने उसके संबंध में किसी प्रकार आपत्ति पूर्व में नहीं की। आवेदकगण अपने कार्य से विवंधित हैं तथा आवेदकगण को शिकायत प्रस्तुत करने का विधिक अधिकार नहीं है।’’

                उपरोक्त से स्पष्ट परिलक्षित होता है कि चेक क्रमांक-573962 राशि-28,23,245/-(अट्ठाईस लाख तेईस हजार दो सौ पैंतालीस रूपये) चेक में उल्लेखित सभी पेयी के बराबर हिस्से का था जिसे अपीलार्थीगण/परिवादीगण द्वारा यह कहकर कि समस्त खातेदार एक ही परिवार के हैं तथा खातेदारों के मध्य कोई विरोध नहीं है, अपने नाम से खुलवा लिया था। उत्तरवादी/अनावेदक बैंक ने उक्त त्रुटि को सुधार कर नियमित व विधिवत् कार्य किया है जो कि स्वीकार्य है।

 

13.          यहां हम उत्तरवादी/अनावेदक बैंक द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज एनेक्श्चर-7 जो कि उत्तरवादी/अनावेदक बैंक द्वारा अपीलार्थीगण/ परिवादीगण को प्रेषित पत्र है, को उद्घृत करना चाहेंगे जो इस प्रकार हैः-

                                                                                                                      ’’शाखा हाटी

                                                                                                                                21.12.12

श्रीमती बबली बाई बेवा महेशराम,

ग्राम नवापारा, छाल, पो. छाल,

महोदया,

                चेक क्रमांक-573962 Rs  28,23,245/- Date 30/5/2012 हमारी शाखा का पत्र क्रमांक-।ब्11/ 135/12-13 का अवलोकन करें। उक्त निर्मित चेक क्रमांक- 573962 क्ंजम 30/5/2012 Rs 28,23,245/-के निपटारे के संबंध में आपसे 13/10/2012, 31/10/2012 एवं 25/11/2012 को मुल्यांकन कर उत्पन्न विवाद के संबंध में जानकारी दिया गया था। आपके द्वारा विवाद सुलझाने में सहयोग करने का आश्वासन भी दिया गया था।

                खेद का विषय है कि आपके द्वारा अपने विवाद को निपटारा करने में कोई सहयोग नहीं दिया गया। अतः बैंक को विवश होकर आपको जारी STDR 770050273 एवं 77005077171 बंद कर राशि आपके बचत खाता 77004968272 में अंतरण करने के उपरांत आपके बचत खातों से संबंधित हितग्राहियों के खातों में 4,03,242/- के हिसाब से श्रीमती तीजमती, मनिका, श्रीमती बीजमती (ओजमती) एवं श्रीमती साधमति के खातों में राशि जमा किया गया।

                आपको सूचित किया जाता है आपको जारी दो सावधि जमा 77005077273 एवं 77005077171 बंद किया जाकर संबंधित हितग्राहियों के खातों में (जिनका नाम चेक में उल्लेखित था) जमा किया गया। अतएव STDR  77005077273 एवं 77005077117 (दस-दस लाख) को निरस्त समझें।

                For Chhattisgarh Gramin Bank

                                    Sd

                      Branch Manager

                                     Branch Hati 

प्रतिलिपी-

                क्षेत्रीय प्रबंधक, छ.ग. ग्रामीण बैंक,

                क्षेत्रीय कार्यालय रायगढ़ को सूचनार्थ

                आपसे हुई चर्चानुसार कार्यवाही का सूचना प्रेषित किया गया है।

                Sd”  

उपरोक्त से संपूर्ण घटनाक्रम तथा तथ्यों की जानकारी दी गई है तथा बैंक द्वारा किये गये कृत्य की भी जानकारी है। अपीलार्थीगण/ परिवादीगण ने ऐसा कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया है कि उत्तरवादी/अनावेदक बैंक के उक्त कृत्य को हम अनुचित नहीं मान सकते। 

 

14.          संपूर्ण प्रकरण के अध्ययन से प्रतीत होता है कि उत्तरवादी/ अनावेदक बैंक द्वारा अपीलार्थीगण/परिवादीगण के पक्ष में त्रुटिपूर्ण दो मियादी जमा 10,00,000/-(दस लाख रूपये) प्रत्येक जारी किया गया था परन्तु शपथ-पत्र की कंडिका-4 के अनुसार अन्य पक्षों के आपत्ति पर उत्तरवादी/अनावेदक बैंक ने कथित मियादी जमा को निरस्त कर चेक राशि के आधार पर समस्त खातेदारों को जो बराबर-बराबर राशि बांटी है वह नियमित एवं विधिपूर्ण है इसलिए यह तर्क स्वीकार्य है।

 

15.          अपीलार्थीगण/परिवादीगण द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज क्रमांक-1 जो कि सावधि प्रमाण-पत्र है, के परिशीलन से स्पष्ट होता है कि यह मात्र तीन लोगों के नाम से जारी किया गया है जो कि ।इ.पदपजपव गलत है। चूंकि यह सावधि प्रमाण-पत्र उपरोक्त चेक क्रमांक-573962 जो कि सात नामों के पक्ष में है से उद्भूत हुआ है इसलिए यह एफ.डी.आर. भी सात नाम से जारी किया जाना था। चूंकि उपरोक्त एफ.डी.आर. गलत जानकारी पर जारी किया गया था, कथित शपथ-पत्र के परिप्रेक्ष्य में जारी किया गया था तथा उत्तरवादी/अनावेदक बैंक के सूचना के बाद उसे निरस्त कर बाकी खातेदारों के बीच बराबर-बराबर बांटी गई है इसलिए उक्त का भुगतान अपीलार्थीगण/परिवादीगण को ना कर उत्तरवादी/अनावेदक बैंक ने सेवा में कोई कमी नहीं की है।

 

16.          उपरोक्त विवेचना के आधार पर हम यह निष्कर्षित करते हैं कि अपीलार्थीगण/परिवादीगण को कथित एफ.डी.आर. का भुगतान ना कर सेवा में कोई कमी नहीं किया है। जिला फोरम द्वारा पारित आलोच्य आदेश विधि सम्मत है। जिला फोरम द्वारा किसी प्रकार की अनियमितता एवं अवैधानिकता नहीं की गई है और उस पर हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है।

 

17.          अतः अपीलार्थीगण/परिवादीगण की अपील सारहीन होने से निरस्त किया जाता है। प्रकरण की परिस्थितियों को देखते हुए पक्षकार अपना-अपना व्यय वहन करेंगे। 

 

  

(न्यायमूर्ति आर.एस.शर्मा)            (सुश्री हिना ठक्कर)          (डी. के. पोद्दार)

      अध्यक्ष                                 सदस्या                           सदस्य

       /02/2015                         /02/2015                     /02/2015

               

 
 
[HONABLE MR. JUSTICE R.S.Sharma]
PRESIDENT
 
[HONABLE MS. Heena Thakkar]
MEMBER
 
[HONABLE MR. Dharmendra Kumar Poddar]
MEMBER

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