राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-२२९४/२०१५
(जिला फोरम/आयोग, अमरोहा द्वारा परिवाद सं0-८१/२०१४ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २८-०९-२०१५ के विरूद्ध)
१. पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, फाजलपुर, गजरौला, जिला-अमरोहा द्वारा एक्जक्यूटिव इंजीनियर।
२. पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, फाजलपुर, गजरौला, जिला-अमरोहा द्वारा Bofuiy यू0पी0 खण्ड अधिकारी। ...........अपीलार्थीगण/विपक्षी सं0-१ व २.
बनाम
१. छत्रपाल सिंह पुत्र श्री हरज्ञान सिंह निवासी ग्राम शेखूपुरा झकड़ी, पोस्ट व तहसील हसरनपुर, जिला अमरोहा। ............ प्रत्यर्थी/परिवादी।
२. श्रीमती रामवती पत्नी स्व0 जयपाल सिंह निवासी ग्राम शेखूपुरा झकड़ी, पोस्ट व तहसील हसरनपुर, जिला अमरोहा। ............ प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-३.
समक्ष:-
१- मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
२- मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री दीपक मेहरोत्रा विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-१ की ओर से उपस्थित : श्री सुशील कुमार शर्मा विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-२ की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक :- २५-०८-२०२२.
मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम १९८६ के अन्तर्गत जिला फोरम/आयोग, अमरोहा द्वारा परिवाद सं0-८१/२०१४ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २८-०९-२०१५ के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में अपीलार्थी का कथन है कि प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश विधि विरूद्ध, अन्यायी और मनमाना है, जो उपभोक्ता विवाद के अन्तर्गत नहीं आता है। यह विवाद गॉंव की प्रतिद्वन्दता के कारण है और मात्र यह देखना है कि क्या कनेक्शन श्रीमती रामवती के नाम से तन्हा किया जाए अथवा परिवादी और रामवती के नाम से संयुक्त रूप से। नाम का परिवर्तन उपभोक्ता विवाद के अन्तर्गत नहीं आता है और विद्वान जिला फोरम इसको सुनने के लिए अधिकृत नहीं था क्योंकि मामला स्वामित्व और किराएदारी से सम्बन्धित है। विद्वान जिला फोरम ने कई तथ्यों को अनदेखा किया। परिवादी ने अपना शपथ पत्र दिया था जिसमें उन्होंने श्रीमती रामवती को एक मात्र
-२-
उपभोक्ता माना किन्तु विद्वान जिला फोरम ने इस पर ध्यान नहीं दिया। विपक्षी सं0-३ रामवती के साथ परिवादी के अन्य वाद चल रहे थे और उसी का बदला लेने के लिए परिवादी ने यह परिवाद प्रस्तुत किया। अपीलार्थीगण किसी विशिष्ट व्यक्ति का नाम पंजीकृत करने के इच्छुक नहीं हैं। वर्ष २०१२ में एक शपथ पत्र दोनों पक्षों द्वारा दिया गया था जिसमें श्रीमती रामवती का नाम अभिलेखों में अंकित करने के लिए कथन किया गया। विद्वान जिला फोरम ने इस पर कोई निष्कर्ष नहीं दिया। पत्र दिनांकित १३-१२-२०१२ कूटरचित है और इसकी कोई प्रति नहीं दी गई। विपक्षी सं0-१ व २ ने किसी प्रकार की कोई क्षति परिवादी को कारित नहीं की है। परिवादी ने कहा कि मई, २०१४ में जब वह बिल जमा करने गया तब उसे बताया गया कि कनेक्शन श्रीमती रामवती के नाम से है। स्पष्ट है कि वह उसके नाम से दिनांक ३०-०८-२०१२ से है। अत: माननीय राज्य आयोग से निवेदन है कि विद्वान जिला फोरम का प्रश्नगत निर्णय अपास्त करते हुए अपील स्वीकार की जाए।
हमने अपीलार्थीगण एवं प्रत्यर्थी सं0-१ के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी तथा पत्रावली का सम्यक रूप से परिशीलन किया। प्रत्यर्थी सं0-२ की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
हमने विद्वान जिला फोरम के प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश का अवलोकन किया। परिवादी ने विपक्षी सं0-१ व २ से विद्युत नलकूप संयोजन सं0-९०२५/०१८७४९ के अभिलेखों में विपक्षी सं0-३ का नाम एकल व संयुक्त रूप से निरस्त करके परिवादी का नाम पूर्व की भांति अंकित करने, परिवादी को विद्युत नलकूप संयोजन का उपयोग सिंचाई आदि के कार्यों हेतु करने देने और कोई रोक न लगाने, आर्थिक क्षति का प्रतिकर ५०,०००/- रू० और मानसिक क्षति का प्रतिकर २५,०००/- रू० तथा ५५००/- रू० परिवाद व्यय दिलाए जाने हेतु परिवाद प्रस्तुत किया।
पक्षकारों को सुनने के उपरान्त विद्वान जिला फोरम ने निम्नलिखित आदेश पारित किया :-
‘’ परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से ४०००/- रूपये (रूपये चार हजार मात्र) परिवाद व्यय सहित स्वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0-१ व २ को आदेशित किया
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जाता है कि वे विद्युत कनेक्शन सं0-९०२५/०१८७४९ के अभिलेखों में अपने पत्रांक १०९५६ दिनांक १३-१२-१२ के अनुसार परिवादी का नाम दर्ज करें। विपक्षी सं0-१ व २ परिवादी को उसे पहुँची आर्थिक एवं मानसिक क्षति के प्रतिकर के रूप में २०००/- रूपये (रूपये दो हजार मात्र) का भुगतान करें। आदेश का अनुपालन एक माह के अन्दर किया जाये। परिवाद विपक्षी सं0-३ के विरूद्ध निरस्त किया जाता है। ‘’
यहॉं पर जो अनुतोष मांगा गया है वह आज्ञापक निषेधाज्ञा प्रकृति का है और इसको सुनने का अधिकार उपभोक्ता फोरम को नहीं है। किसी का नाम एकल स्वामी के रूप में अंकित करने का आदेश देने की शक्ति दीवानी न्यायालय को है और दूसरे को निषेधाज्ञा से निषेध करने की शक्ति भी दीवानी न्यायालय को है। विद्वान जिला फोरम ने अपने क्षेत्राधकार से परे जाकर कार्य किया है। अत: प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश इसी स्तर पर अपास्त किए जाने योग्य है। अपील तद्नुसार स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील स्वीकार की जाती है। जिला फोरम/आयोग, अमरोहा द्वारा परिवाद सं0-८१/२०१४ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २८-०९-२०१५ अपास्त किया जाता है।
अपील व्यय उभय पक्ष पर।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(विकास सक्सेना) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
प्रमोद कुमार
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट नं.-२.