Uttar Pradesh

StateCommission

A/1997/1122

U I I Co. - Complainant(s)

Versus

Chhabi Nath Singh - Opp.Party(s)

Anil Kumar, V P Sharma

30 Oct 1997

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1997/1122
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. U I I Co.
Lko
...........Appellant(s)
Versus
1. Chhabi Nath Singh
Lakhimpur Khire
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. Ram Charan Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'ABLE MR. Sanjay Kumar MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, 0 प्र0 लखनऊ

                   अपील संख्‍या  1122 सन  1997        सुरक्षित

 (जिला उपभोक्‍ता फोरम, द्वितीय लखनऊ के  परिवाद केस संख्‍या-315/1994 में  पारित निर्णय/आदेश दिनांक-13-06-1997 के विरूद्ध)

यूनाइटेड इंडिया इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लि0 द्वारा सीनियर डिवीजनल मैनेजर, डिवीजनल आफिस नं0-3 श्रीराम मार्केट 33, कैन्‍टोमेन्‍ट रोड़, लखनऊ। 

                                               ....अपीलार्थी/विपक्षी                                                                                                                                                  

                             बनाम

छविनाथ सिंह पुत्र विश्राम सिंह निवासी ग्राम- चौकरिया थाना- मैगलगंज, लखीमपुर खीरी

                                           .....प्रत्‍यर्थी/परिवादी                                  

समक्ष:-

   1-मा0 श्री आर0सी0 चौधरी, पीठासीन सदस्‍य।

   2-मा0 संजय कुमार, सदस्‍य।                           

अधिवक्‍ता  अपीलार्थी       : श्री वी0पी0 शर्मा,विद्वान अधिवक्‍ता।

अधिवक्‍ता प्रत्‍यर्थी          : श्री अनिल कुमार मिश्रा, विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 15-12-2014

मा0 श्री  आर0सी0 चौधरी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित।

निर्णय

मौजूदा अपील जिला उपभोक्‍ता फोरम, द्वितीय लखनऊ के  परिवाद केस संख्‍या-315/1994 में  पारित निर्णय/आदेश दिनांक-13-06-1997 के विरूद्ध प्रस्‍तुत किया गया है। उपरोक्‍त निर्णय में यह आदेश किया गया है कि विपक्षी (बीमा कम्‍पनी) को यह निर्देश दिया जाता है कि परिवादी को एक माह के अन्‍दर 7,502-00 रूपये तथा उस पर 18 प्रतिशत ब्‍याज तथा 5,000-00 रूपये व्‍यय के रूप में अदा करें।

संक्षेप में केस के तथ्‍य इस प्रकार से है कि परिवादी ने परिवाद पत्र में कहा है कि उसने एक कपड़े की दुकान में चोरी का बीमा कराया था। दिनांक- 28 फरवरी व पहली मार्च 1987 की रात्रि में दुकान के पीछे की दीवाल  में

(2)

सेंध लगाकर चोरी हो गई, जिसमें लगभग 45,000-00 रूपये का कपड़ा चला गया। दिनांक-27-09-1989 को पत्र द्वारा विपक्षी बीमा कम्‍पनी ने बीमा के सम्‍बन्‍ध में कुछ भी धनराशि देना अस्‍वीकार कर दिया था। परिवाद सं0-425/1991 में फोरम द्वारा विपक्षी के उक्‍त पत्र में दिये गये कारणों को न्‍यायोचित न मानते हुए विपक्षी को यह निर्देश दिया था कि परिवादी के क्‍लेम के बारे में पुन: जॉच करायें और जॉच के परिणाम के अनुसार धनराशि परिवादी को दें। उक्‍त आदेश के पश्‍चात विपक्षी ने पुन: जॉच कराई और उसके फलस्‍वरूप परिवादी को 7502-00 रूपये देने का प्रस्‍ताव किया, जो परिवादी ने लेने से इंकार कर दिया, परन्‍तु उक्‍त धनराशि विपक्षी ने परिवादी के बैंक खाते में जमा कर दिया। परिवादी ने कहा है कि जितना रूपया उसे दिया जा रहा है, वह सात वर्ष पश्‍चात दिया जा रहा है, जबकि सर्वे रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 1989 में ही दिया जाना चाहिए था।

उक्‍त निर्णय के विरूद्ध अपील बीमा कम्‍पनी के तरफ से दायर किया गया है। बीमा कम्‍पनी के तरफ से कहा गया है कि जिला उपभोक्‍ता फोरम ने इस बात को ध्‍यान नहीं दिया कि 7502-00 रूपये अपीलकर्ता के द्वारा परिवादी के पार्टनर को चेक के द्वारा दिया गया है और परिवादी के पार्टनर ने पूर्ण व अन्तिम संतुष्टि के तौर पर उसे प्राप्‍त कर लिया था, जिसके लिए क्‍लेम बावचर दिनांक-08-08-1995 संलग्‍नक-1 है। बहस के दौरान अपीलकर्ता के अधिवक्‍ता द्वारा कहा गया कि उक्‍त धनराशि परिवादी के बैंक के खाते में दिया गया था और वह रकम देने का उत्‍तरदायी नहीं है।

केस के तथ्‍यों परिस्थितियों को देखते हुए हम यह पाते है कि चूंकि 7502-00 रूपये परिवादी को चेक के माध्‍यम से दिया जा चुका था और इस प्रकार से उक्‍त रकम पर पुन: ब्‍याज लगाना व अलग से 5,000-00 रूपये हर्जाना व्‍यय के लिए लगाना न्‍यायोचित नहीं है, जो बीमित धनराशि का आंकलन किया गया था, उसे बैंक में बीमा कम्‍पनी ने जमा कर दिया है।

 

 

(3)

उपरोक्‍त कथनों के आधार पर हम यह पाते है अपीलकर्ता की अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है और जिला उपभोक्‍ता फोरम द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांकित-13-06-1997 निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

आदेश

अपीलकर्ता की अपील स्‍वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्‍ता फोरम, द्वितीय लखनऊ के  परिवाद केस संख्‍या-315/1994 में  पारित निर्णय/आदेश दिनांक-13-06-1997 निरस्‍त किया जाता है।

उभय पक्ष अपना-अपना अपील व्‍यय स्‍वयं वहन करेगें।

 

 

      (राम चरन चौधरी)                        ( संजय कुमार )

       पीठासीन सदस्‍य                             सदस्‍य

आर0सी0वर्मा, आशु. ग्रेड-2

कोर्ट नं0-3

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'ABLE MR. Ram Charan Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'ABLE MR. Sanjay Kumar]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.