राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
अपील संख्या-449/2009
पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि0 व एक अन्य
बनाम
चेतन चंदवानी पुत्र श्री कुंज बिहारी लाल
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री इसार हुसैन,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री अरूण टण्डन के सहयोगी
श्री आलोक सिन्हा,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 23.04.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, प्रथम, मुरादाबाद द्वारा परिवाद संख्या-155/2007 चेतन चंदवानी बनाम पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि0 व एक अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 25.02.2009 के विरूद्ध योजित की गयी है। प्रस्तुत अपील विगत लगभग 15 वर्ष से लम्बित है।
मेरे द्वारा अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री इसार हुसैन एवं प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री अरूण टण्डन के सहयोगी श्री आलोक सिन्हा को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षी संख्या-1 के यहॉं एक किलोवाट का विद्युत कनेक्शन लेने हेतु मई 2007 में आवेदन किया। विपक्षी संख्या-2 ने 2098/-रू0 विद्युत भार के संबंध में दिनांक 09.06.2007 को परिवादी से प्राप्त करके रसीद जारी की, परन्तु कोई विद्युत मीटर या विद्युत कनेक्शन नहीं
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लगाया। दिनांक 25.08.2007 को विपक्षीगण ने एक गलत बिल जिसमें उपभोग की अवधि दिनांक 09.06.2007 से दिनांक 30.07.2007 दर्शित है तथा देय यूनिट 208 दर्शित की गयी व वर्तमान रीडिंग एन0आर0 दर्शित करते हुए प्रेषित की। उक्त बिल के संबंध में परिवादी विपक्षी संख्या-1 के कार्यालय में गया तो उन्होंने दिनांक 29.08.2007 को आने के लिए कहा। दिनांक 29.08.2007 को विद्युत विभाग के कर्मचारियों द्वारा विद्युत पोल से सीधे कनेक्शन दे दिया गया, परन्तु नोटिस देने के बाद भी विद्युत मीटर नहीं लगाया। विपक्षीगण द्वारा दौरान वाद दिनांक 01.12.2007 को विद्युत मीटर लगाया गया तथा उसके बाद एन0आर0 के बिल भेजे जाते रहे, जिसका भुगतान परिवादी द्वारा नहीं किया गया। विपक्षीगण के उपरोक्त कृत्य से परिवादी को आर्थिक व मानसिक क्षति हुई। अत: क्षुब्ध होकर परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख विपक्षीगण द्वारा मुख्य रूप से यह कथन किया गया कि परिवादी ने व्यवसायिक कार्यों के लिए एल0एम0बी0 2 श्रेणी में नया कनेक्शन लेने के लिए जून 2007 में प्रार्थना पत्र देकर 2098/-रू0 विभाग में जमा किये थे। उस समय विभाग में मीटर उपलब्ध नहीं था, इसलिए परिवादी के यहॉं मीटर लगाया नहीं जा सका। विभाग में मीटर उपलब्ध होने पर परिवादी के यहॉं दिनांक 01.12.2007 को मीटर लगाकर तथा विद्युत कनेक्शन जोड़कर विद्युत आपूर्ति कर दी गयी। विपक्षी संख्या-1 ने परिवादी से यह कभी नहीं कहा कि बिना मीटर के लाइन चालू कर देंगे। विभाग के किसी कर्मचारी या अधिकारी ने बिना मीटर के परिवादी का कनेक्शन चालू नहीं किया। परिवादी द्वारा अवैध रूप से विद्युत का प्रयोग किया गया है। परिवाद मिथ्या कथनों पर आधारित है, अत: निरस्त होने योग्य है।
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विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्त परिवाद निर्णीत करते हुए निम्न आदेश पारित किया गया है:-
''परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण द्वारा परिवादी को जारी बिल क्रमश: दिनांक 13-8-07, 11-10-07, 7-2-08, 10-3-08 व 12-4-08 निरस्त किये जाते हैं। विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है कि वे मीटर रीडिंग के अनुसार विद्युत बिल प्रदान करें तथा परिवादी को दिनांक 1-12-07 के पश्चात् दिनांक 29-8-07 से दिनांक 1-12-07 तक के बिल न्यूनतम यूनिट के आधार पर प्रदान करें, जिनका भुगतान परिवादी बिल प्राप्त होने के उपरान्त एक माह के अन्तर्गत करें। विपक्षीगण परिवादी को 1000/-रू0 वाद व्यय भी भुगतान करें।''
उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुनने तथा समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा समस्त तथ्यों का सम्यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त विधि अनुसार निर्णय एवं आदेश पारित किया गया, परन्तु मेरे विचार से जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा जो वाद व्यय हेतु 1000/-रू0 (एक हजार रूपये) की देयता निर्धारित की गयी है, उसे न्यायहित में समाप्त किया जाना उचित है।
तदनुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्ता आयोग, प्रथम, मुरादाबाद द्वारा परिवाद संख्या-155/2007 चेतन चंदवानी बनाम पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि0 व एक अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 25.02.2009 को संशोधित करते हुए वाद व्यय हेतु 1000/-रू0 (एक हजार रूपये) की देयता को समाप्त किया जाता है।
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जिला उपभोक्ता आयोग का शेष आदेश यथावत् रहेगा।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थीगण द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1