(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 2950/2016
Chaudhary Harbeer singh cold Storage and ICE Factory Daurala, District-Meerut Through it's ex-proprietor Chaudhary Harbeer Singh.
…………Appellant
Versus
Yashpal singh by age adult son of Sri Ajab singh resident of Village-Baparasi, Pargana/Tehsil-Sardhana District-Meerut.
………..Respondents
समक्ष:-
1. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री ए0बी0 सिंह के सहयोगी
अधिवक्ता श्री शिवेन्द्र सिंह। प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री अनिल कुमार मिश्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
एवं
अपील सं0- 1109/2017
Yashpal singh age about 76 years adult son of Sri Ajab singh resident of Village-Baparsi, Pargana/Tehsil-Sardhana District-Meerut.
…………Appellant
Versus
Chaudhary Harbeer singh cold Storage Daurala, District-Meerut Through it's exproprietor Chaudhary Harbeer Singh
………..Respondent
समक्ष:-
1. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अनिल कुमार मिश्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री ए0बी0 सिंह के सहयोगी
अधिवक्ता श्री शिवेन्द्र सिंह।
दिनांक:- 16.09.2022
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद सं0- 217/2006 यशपाल सिंह बनाम चौधरी हरबीर सिंह, कोल्ड स्टोरेज एवं आईस फैक्टरी में जिला उपभोक्ता आयोग, मेरठ द्वारा पारित निर्णय व आदेश दि0 14.06.2016 के विरुद्ध अपील सं0- 2950/2016 चौधरी हरबीर सिंह कोल्ड स्टोरेज एण्ड आईस फैक्टरी बनाम यशपाल सिंह परिवाद के विपक्षी की ओर से तथा सम्बन्धित अपील सं0- 1109/2017 यशपाल सिंह बनाम चौधरी हरबीर सिंह कोल्ड स्टोरेज परिवाद के परिवादी की ओर से धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत दोनों अपीलें राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई हैं। 2. विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने प्रश्नगत निर्णय व आदेश के माध्यम से परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए परिवादी को प्रश्नगत आलू की कीमत 1,28,000/-रू0 मय 09 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज माह नवम्बर 2005 से भुगतान की तिथि तक तथा 20,000/-रू0 मानसिक कष्ट के सम्बन्ध में एवं 5,000/-रू0 परिवाद व्यय हेतु आज्ञप्त किया।
3. संक्षेप में परिवादी का कथन इस प्रकार आया कि प्रश्नगत कोल्ड स्टोरेज किसान उपभोक्ताओं के आलू व उसके बीज रखे जाते हैं। परिवादी ने दि0 25.04.2005 को आलू के उत्तम बीज नम्बर 3797 की 128 बोरी रखी थी। प्रत्येक बोरी का वजन 85 कि0ग्रा0 था, जिसकी बाबत परिवादी को रसीदें दी गई हैं। प्रत्येक बोरी का मूल्य 1500/-रू0 होता था। माह नवम्बर 2005 में उक्त आलू के बीज की आवश्यकता हुई और परिवादी ने बीज निकालना चाहा तो कोल्ड स्टोरेज के स्वामी बहाना बनाते रहे कि मजदूर उपलब्ध नहीं हैं और टाल-मटोल करते रहे तथा माह दिसम्बर 2005 के अंत में स्पष्ट रूप से इंकार कर दिया कि परिवादी के कोई आलू बीज नहीं हैं और परिवादी उक्त बीज ले चुका है, जब कि इस प्रकार की कोई रसीद परिवादी को नहीं मिली। आलू की बीज की कीमत 1,92,000/-रू0 थी। इस सम्बन्ध में नोटिस परिवादी की ओर से दिया गया, किन्तु आलू का मूल्य अथवा हर्जा नहीं दिया गया जिस कारण यह परिवाद योजित किया गया।
4. विपक्षी कोल्ड स्टोरेज की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया जिसमें परिवाद के कथनों को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए यह कथन किया गया कि वह मेसर्स चौधरी हरवीर सिंह कोल्ड स्टोरेज, मेरठ का स्वामी था जो उसने वर्ष 2007 में बेच दिया था। तत्कालीन प्रबंधक श्री राकेश कुमार की भी मृत्यु हो चुकी है। तत्काल कर्मचारियों से बात करने पर विपक्षी को जानकारी हुई कि परिवादी ने 128 कट्टे आलू के रखे थे जिसका किराया रू0 6,400/- बनता था। परिवादी द्वारा 128 कट्टे तत्कालीन प्रबंधक राकेश कुमार व कर्मचारियों की मौजूदगी में दि0 17.10.2005 को 40 कट्टे, दि0 18.10.2005 को 16 कट्टे व दि0 25.10.2005 को शेष 72 कट्टे उठवा लिए थे एवं दोनों पक्षों के मघ्य कोई विवाद या उपभोक्ता के मध्य सेवाप्रदाता का सम्बन्ध नहीं रहा था। परिवादी कोई अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।
5. विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने आंशिक रूप से परिवाद इस आधार पर आज्ञप्त किया कि विपक्षी कोल्ड स्टोरेज की ओर से प्रस्तुत किए गए स्टाक-रजिस्टर की छायाप्रतियों के अवलोकन से यह स्पष्ट हुआ कि मात्र 56 बोरे परिवादी को वापस किए जाने का उल्लेख इस स्टाक रजिस्टर में है जब कि विपक्षी का कथन है कि परिवादी सभी बोरे वापस ले गया था। परिवादी की ओर से सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के अंतर्गत कार्यालय आलू एवं शाकभाजी विकास अधिकारी, मेरठ से सूचना दिनांकित 03.05.2013 प्राप्त की गई, जिसमें उल्लेख है कि प्रत्येक लाइसेंसधारी विहित प्रपत्र में और रीति से लेखा बही एवं अभिलेख रखेगा तथा विहित प्रपत्र में रसीद देगा। प्रत्येक लाइसेंसधारी द्वारा शीतगृह में भण्डारण हेतु लाये गए कृषि उत्पाद की आमद व उसकी निकासी सम्बन्धी अभिलेखों का रख-रखाव किया जाना है जो विहित प्रपत्र पर रखे जायेंगे, अर्थात आलू निकासी के समय गेटपास भी जारी किया जाना आवश्यक है, किन्तु इस प्रकार के दस्तावेज विपक्षी द्वारा प्रस्तुत नहीं किए गए हैं। अत: आलू बीज के 128 बोरे की वापसी के तथ्य को न मानते हुए विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने 128 बोरे की कीमत परिवादी को दिलाया जाना उचित पाया। प्रत्येक बोरे की अनुमानित कीमत अंकन 1,000/-रू0 अंकित करते हुए उपरोक्त निर्णय पारित किया गया है, जिससे व्यथित होकर चौधरी हरबीर सिंह कोल्ड स्टोरेज की ओर से अपील सं0- 2950/2016 प्रस्तुत की गई जिसमें मुख्य रूप से आधार यह लिए गए हैं कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने उचित प्रकार से दस्तावेजी साक्ष्य का अवलोकन नहीं किया तथा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग यह देखने में असफल रहे कि परिवादी ने अपने द्वारा आलू उगाने हेतु कृषि भूमि का कोई विवरण नहीं दिया है। उक्त 128 कट्टे व्यावसायिक उपयोग के लिए रखे गए थे जिसको विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने दृष्टिगत नहीं किया है। परिवादी ने बोरे वापस न किए जाने के सम्बन्ध में कोई उचित साक्ष्य नहीं दिया है। अत: अपील स्वीकार किए जाने एवं प्रश्नगत निर्णय व आदेश अपास्त किए जाने योग्य है।
6. परिवादी द्वारा अपील सं0- 1109/2017 इन आधारों पर प्रस्तुत की गई कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने आलू का उचित मूल्य नहीं दिलवाया है। इसके अतिरिक्त मानसिक एवं शारीरिक कष्ट सम्बन्धी कोई क्षतिपूर्ति नहीं दिलायी है। इसके अतिरिक्त निर्णय में 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दिलवाया है वह अत्यधिक कम है। इन आधारों पर आलू के मूल्य अधिक दिलवायें, ब्याज अधिक दिलवाये जाने और मानसिक एवं शारीरिक हेतु क्षतिपूर्ति दिलवाये जाने हेतु प्रार्थना करते हुए यह अपील प्रस्तुत की गई है।
7. हमने परिवादी के विद्वान अधिवक्ता श्री अनिल कुमार मिश्रा एवं विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता श्री ए0बी0 सिंह के सहयोगी अधिवक्ता श्री शिवेन्द्र सिंह को सुना। प्रश्नगत निर्णय व आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का सम्यक परिशीलन किया।
8. विपक्षी द्वारा पहला तर्क अपील में यह दिया गया है कि परिवादी द्वारा कथित 128 कट्टे आलू विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज में व्यावसायिक उद्देश्य से रखे गए थे। इसलिए यह परिवाद पोषणीय नहीं है, किन्तु अपीलार्थी का यह तर्क चलने योग्य नहीं है। अभिकथन मात्र से यह नहीं माना जा सकता कि परिवादी द्वारा प्रश्नगत आलू व्यावसायिक उद्देश्य से रखे गए थे। विपक्षी की ओर से इस सम्बन्ध में कोई भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है जिसके आधार पर यह माना जा सके कि उक्त आलू जो स्वीकार्य रूप से परिवादी ने विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज में रखे हैं वे व्यावसायिक उद्देश्य से रखे गए थे। अत: यह तर्क चलने योग्य नहीं है।
9. विपक्षी की ओर से दूसरा तर्क यह दिया गया कि उक्त 128 कट्टे आलू परिवादी ने तत्कालीन प्रबंधक राकेश कुमार व कर्मचारियों की मौजूदगी में दि0 17.10.2005 एवं इसके उपरांत दि0 18.10.2005 एवं दि 25.10.2005 को उठवा लिए थे, किन्तु इस सम्बन्ध में कोई प्रमाण विपक्षी की ओर से प्रस्तुत नहीं किया गया है। अत: प्रमाण एवं साक्ष्य के अभाव में विपक्षी का यह तर्क चलने योग्य नहीं है, क्योंकि अभिलेख पर इस प्रकार का कोई दावा साबित नहीं होता है। ऐसा प्रतीत होता है कि मात्र तर्क के लिए यह अभिकथन अपील में किया गया है। अत: परिवादी को 128 कट्टे का तत्कालीन मूल्य दिलाया जाना इस मामले में उचित है जो विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने अपने निर्णय में दिलवाया है।
10. विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने अनुमानित मूल्य 1,000/-रू0 प्रति कट्टे मानते हुए परिवादी को क्षतिपूर्ति दिलायी है, किन्तु विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि वर्ष 2005 में आलू का मूल्य 1,000/-रू0 प्रति कट्टा था, यह किस प्रकार से सिद्ध होता है। दूसरी ओर परिवादी द्वारा प्रस्तुत की गई अपील सं0- 1109/2017 में उचित मूल्य न दिलाये जाने का भी आधार लिया गया है, किन्तु वास्तविक मूल्य वर्ष 2005 में क्या था यह स्पष्ट नहीं है?
11. सर्वप्रथम यह निष्कर्ष दिया जाना आवश्यक है कि प्रति कट्टे में कितना आलू माना जाए। ''इस चरण पर परिवादी द्वारा इस तथ्य को सिद्ध किया गया है कि उसने 128 आलू के कट्टे विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज में रखे थे। परिवादी का यह भी कथन है कि आलू प्रति कट्टा 50 किलोग्राम था। इस सम्बन्ध में वेबसाइट bis.gov.in जो कि ''भारतीय मानक ब्यूरो'' की वेबसाइट है, में यह प्रदान किया गया है कि सामान्य तौर पर अनाज एवं आलू के बोरे 50 किलो धारण करने की क्षमता रखते हैं। इसी प्रकार वेबसाइट Wikipedia.org में अंकित है कि "A grain sack holds approximately 50 kg of potatoes" इस प्रकार उक्त पुन: वेबसाइट में यह प्रदान किया गया है कि साधारणत: बोरे की धारण क्षमता 50 किलो ही है। अत: परिवादी का यह तर्क उचित है कि प्रत्येक बोरे 50 किलो के थे।'' जहां तक वर्ष 2005 में आलू के मूल्य का प्रश्न है राजकीय वेबसाइट Desagri.gov.in पर वर्ष 2005 का डाटा उपलब्ध नहीं है। अत: एक अन्य प्राइवेट वेबसाइट CEISDATA.Com में वर्ष 2005 में आलू के मूल्य का अवलोकन किया गया। इस वेबसाइट में यह वर्णन किया गया है कि वर्ष 2005 में आलू का मूल्य रिकार्ड स्तर पर नीचे चला गया था। इस वेबसाइट में पूरे भारत वर्ष के विभिन्न स्थानों पर वर्ष 2005 का मूल्य दर्शाया गया है जिसमें प्रश्नगत स्थान मेरठ से लगे हुए स्थान सहारनपुर में आलू का मूल्य रू0 4/- किलो से रू0 5/- प्रति किलो दर्शाया गया है। अत: इस वेबसाइट पर विश्वास करते हुए प्रति बोरा मूल्य 250/-रू0 माना जायेगा एवं 128 बोरों का मूल्य 32,000/-रू0 उचित प्रतीत होता है। इस राशि पर प्रश्नगत निर्णय में प्रदान की गई ब्याज की दर वर्तमान बैंक की दर को देखते हुए उचित प्रतीत होती है। अत: इन परिस्थितियों को देखते हुए परिवादी द्वारा प्रस्तुत अपील सं0- 1109/2017 यशपाल सिंह बनाम चौधरी हरबीर सिंह कोल्ड स्टोरेज निरस्त किए जाने योग्य एवं विपक्षी द्वारा प्रस्तुत अपील सं0- 2950/2016 चौधरी हरबीर सिंह कोल्ड स्टोरेज बनाम यशपाल सिंह आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
12. अपील सं0- 1109/2017 निरस्त की जाती है तथा सम्बन्धित अपील सं0- 2950/2016 आंशिक रूप से आज्ञप्त की जाती है। प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दि0 14.06.2016 संशोधित करते हुए विपक्षी कोल्ड स्टोरेज को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादी को आलू बीज के अंकन 32,000/-रू0 तथा इस राशि पर 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज माह नवम्बर 2005 से वास्तविक अदायगी तक अदा करें। विपक्षी वाद व्यय के रूप में 5,000/-रू0 भी परिवादी को अदा करें। उक्त आदेश का अनुपालन 01 माह की अवधि में सुनिश्चित किया जाए।
अपील सं0- 2950/2016 चौधरी हरबीर सिंह बनाम यशपाल सिंह में धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपीलार्थी द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित इस निर्णय व आदेश के अनुसार जिला उपभोक्ता आयोग को निस्तारण हेतु प्रेषित की जावे।
इस निर्णय व आदेश की मूल प्रति अपील सं0- 2950/2016 में रखी जाए एवं इसकी प्रमाणित प्रतिलिपि सम्बन्धित अपील सं0- 1109/2017 में रखी जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय व आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(विकास सक्सेना) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
शेर सिंह, आशु0,
कोर्ट नं0- 2