Uttar Pradesh

StateCommission

A/2008/490

U P P C L - Complainant(s)

Versus

Charan Singh - Opp.Party(s)

M N Mishra

30 Oct 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2008/490
( Date of Filing : 05 Mar 2008 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. U P P C L
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Charan Singh
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. Rajendra Singh JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 30 Oct 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-490/2008

दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0 द्वारा अधिशासी अभियंता

बनाम

श्री चरन सिंह पुत्र श्री हुकम सिंह

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता         : श्री इसार हुसैन

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता           : कोई नहीं

दिनांक :- 30.10.2023

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/ विद्युत विभाग की ओर से इस आयोग के सम्‍मुख धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, दि्वतीय आगरा द्वारा परिवाद सं0-158/2003 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 28.01.2008 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दिनांक 16.8.1985 को कनेक्‍शन सं0-सी0ओ0 3467 स्‍वीकृत हुआ था। रू0 295/- प्रतिमाह विद्युत बिल अप्रैल 2001 तक भुगतान किया गया। अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 द्वारा चैकिंग रिपोर्ट दिनांक 31.8.2002 के आधार पर दिनांक 28.6.93 को नोटिस भेजा। उक्त नोटिस में उपभोक्ता को आटा, चक्की प्रयोग करते हुए दिखाया गया है। उक्त नोटिस में 15106 यूनिट व वसूली रू0 57,251.74 पैसे दर्शाया गया है, जो दिनांक 04.7.2003 को भेजा गया जिसकी शिकायत जिलाधिकारी व अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 को भी की गई। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने दिनांक 16.12.2003 को 10,000/- रूपया भुगतान किया गया। दिनांक 18.12.2003 को मात्र 12,499/- रूपया की वसूली का नोटिस भेजा गया। उक्त रूपया दिनांक 23.12.2003 तक जमा करना था। प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कनेक्शन मात्र कृषि हेतु था कोई आटा

-2-

चक्की का प्रयोग नहीं किया गया। अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 व 2 के द्वारा अलग-अलग दिनांक पर अलग-अलग धनराशि के नोटिस भेजे गये, जो पूर्णत: गलत है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 व 2 को रू0 12,561/- का भुगतान कर दिया है, जबकि दिनांक 18.12.2003 को रू0 12,499/- का नोटिस भेजा गया है। इस तरह से अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 व 2 का ज्यादा भुगतान किया गया अत्एव क्षुब्‍ध होकर परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुम प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत कर परिवाद पत्र के कथनों से इंकार किया गया तथा यह कथन किया गया कि दिनांक 31.8.2002 को जे.ई व एस.डी.ओ. द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी व अन्य व्यक्तियों की चैकिंग की गई थी। उक्त कनेक्शन पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी व अन्य व्यक्तियों के द्वारा आटा चक्की प्रयोग करते हुए पाया गया था। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के द्वारा 05 एच.पी. व 7.5 एच.पी. का भार ट्यूबेल सहित आटा चक्की का प्रयोग करते पाया गया। रू0 57251.74 पैसे का सही अससेमेंट बिल बनाकर भेजा गया था। रू0 12,499/- टयूबवेल का अलग से पुराना एरियर है। यह कहना कि कनेक्शन मात्र ट्यूबवेल के लिए प्रयोग किया जाता था गलत है। जिला उपभोक्‍ता आयोग को परिवाद सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं है। कोई वाद कारण प्रस्तुत नहीं किया गया। परिवाद पत्र चोरी की परिभाषा के अन्तर्गत आता है। अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 व 2 के द्वारा कोई सेवा में कमी नहीं की गई। अतः परिवाद निरस्त होने योग्य है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

''परिवाद स्वीकार किया जाता है। एतद् द्वारा दिनांक 28.6.2003 को भेजा गया डिमान्ड नोटिस 57,251.74 पैसे निरस्त किया जाता है।

-3-

विपक्षी संख्या-1 2 को आदेशित किया जाता है कि 12,499/- रूपया परिवादी से प्राप्त कर सकता है, साथ ही विपक्षीगण 1 2 परिवादी की जमा धनराशि जिनकी रसीदें पत्रावली पर प्रस्तुत की गई हैं बिलों में समायोजित करें। साथ ही 1500/- रूपया परिवाद व्यय आदेश की दिनांक से 30 दिन के भीतर अदा करें। अवहेलना करने पर इस 1500/- रूपया पर धनराशि पर 09 प्रतिशत ब्याज आदेश की दिनांक से वास्तविक भुगतान की दिनांक तक देया होगा।'' 

जिला उपभोक्‍ता आयोग के प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/विद्युत विभाग की ओर से प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

प्रस्‍तुत अपील विगत 15 वर्षों से लम्बित है एवं पूर्व में अनेकों तिथियों पर अधिवक्‍तागण की अनुपस्थिति के कारण स्‍थगित की जाती रही है अत्एव आज हमारे द्वारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता अनुपस्थित है।

हमारे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के कथनों को सुना गया तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधि सम्‍मत है, परन्‍तु जहॉ तक विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपने प्रश्‍नगत आदेश में अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध परिवाद व्‍यय के मद में रू0 1,500.00 (एक हजार पॉच सौ रू0) की देयता निर्धारित की गई है, वह वाद के सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं परिस्थितियों तथा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के कथन को दृष्टिगत रखते हुए अनुचित प्रतीत हो रही है, तद्नुसार उसे समाप्‍त किया जाना उचित पाया जाता है अत्एव प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

-4-

आदेश

प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश का शेष भाग यथावत कायम रहेगा।

अपीलार्थी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्‍त आदेश का अनुपालन 45 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें। अंतरिम आदेश यदि कोई पारित हो, तो उसे समाप्‍त किया जाता है।

प्रस्‍तुत अपील को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

         (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                  (राजेन्‍द्र सिंह)            

                   अध्‍यक्ष                                           सदस्‍य

 

     निर्णय/आदेश आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित व दिनांकित कर उदघोषित किया गया।   

 

         (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                  (राजेन्‍द्र सिंह)            

                   अध्‍यक्ष                                           सदस्‍य

 

हरीश सिंह

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-2

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
JUDICIAL MEMBER
 

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