(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-589/2002
अग्रवाल कोल्ड स्टोरेज एवं जनरल मिल्स, अनूपशहर, जिला बुलन्दशहर, द्वारा जनरल मैनेजर।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
चन्द्रवीर शर्मा (मृतक) पुत्र श्री रामेश्वर शर्मा, ग्राम चंदोक, जिला बुलन्दशहर।
(मृतक)
1/1. माया शर्मा पत्नी श्री चन्द्रवीर शर्मा।
1/2. अरूण कुमार शर्मा।
1/3. नीलम शर्मा
1/4. विश्वदीप शर्मा।
समस्त निवासीगण 333, औरंगाबाद चांदोक, तहसील शिकारपुर, बुलन्दशहर।
(प्रतिस्थापित विधिक वारिसान)
प्रत्यर्थीगण/परिवादी/प्रतिस्थापित विधिक वारिसान
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री राजेश चड्ढा, विद्वान अधिवक्ता के
सहायक अधिवक्ता श्री सतीश चंद्र
श्रीवास्तव।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री टी.एच. नकवी, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 18.01.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-73/1997, चन्द्रवीर शर्मा बनाम मै0 अग्रवाल कोल्ड स्टोरेज एवं जनरल मिल्स में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, बुलन्दशहर द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 08.02.2002 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए अपीलार्थी को आदेशित किया है कि अंकन 25 हजार रूपये आलू बीज की कीमत तथा खेत में बुआई न होने के कारण अंकन 30 हजार रूपये की क्षतिपूर्ति 10 प्रतिशत ब्याज के साथ परिवादी को अदा करें।
-2-
2. इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने तथ्य एवं साक्ष्य के विपरीत निर्णय एवं आदेश पारित किया है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग को शीतगृह में रखे गए आलू के संबंध में किसी भी वाद के निस्तारण का अधिकार प्राप्त नहीं है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग का यह निष्कर्ष अभिलेखों के विपरीत है कि अपीलार्थी द्वारा परिवाद पत्र में वर्णित तथ्यों का खण्डन नहीं किया गया है, इसलिए निर्णय एवं आदेश अपास्त होने योग्य है।
3. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री राजेश चड्ढा के सहायक अधिवक्ता श्री सतीश चन्द्र श्रीवास्तव तथा प्रत्यर्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री टी.एच. नकवी को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
4. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि उनके द्वारा स्पष्ट रूप से परिवाद पत्र में वर्णित तथ्यों का खण्डन किया गया है, जबकि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने अपने निर्णय में लिख दिया गया है कि परिवाद पत्र में वर्णित तथ्यों का खण्डन नहीं किया गया, इसलिए यह निर्णय तथ्य एवं साक्ष्य के अनुसार नहीं है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने अपने निर्णय में परिवादी द्वारा प्रस्तुत की गई रसीद का उल्लेख किया है, जिससे जाहिर होता है कि बुआई के लिए ही प्रयुक्त होने वाले आलू को जिसे बीज कहा जाता है अपीलार्थी के शीतगृह में रखा गया था। स्वंय विपक्षी की ओर से जो रसीद दाखिल की गई है, उसमें भी आलू का बीज लिखा हुआ होने का उल्लेख विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने अपने निर्णय में किया है। अत: इस निर्णय एवं आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई औचित्य प्रतीत नहीं होता है। अपील तदनुसार निरस्त होने योग्य है।
आदेश
5. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय स्वंय वहन करेंगे।
-3-
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3