राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-४३२/२०१२
(जिला फोरम/आयोग, महामाया नगर द्वारा परिवाद सं0-०३/२००९ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १७-०१-२०१२ के विरूद्ध)
मै0 श्यामा आइस एण्ड कोल्ड स्टोरेज प्रा0लि0, सहपऊ, तहसील सादाबाद, जिला महामाया नगर द्वारा स्वामी नवीन शुक्ला एवं इसके प्रबन्धक। ...........अपीलार्थी/विपक्षी।
बनाम
चन्द्रपाल सिंह पुत्र श्री रेशम पाल सिंह निवासी पटाखास, ब्लाक मुरसान, तहसील हाथरस, जिला महामाया नगर। ...........प्रत्यर्थी/परिवादी।
अपील सं0-११५३/२०१२
(जिला फोरम/आयोग, महामाया नगर द्वारा परिवाद सं0-०३/२००९ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १७-०१-२०१२ के विरूद्ध)
चन्द्रपाल सिंह पुत्र श्री रेशम पाल सिंह निवासी पटाखास, ब्लाक मुरसान, तहसील हाथरस, जिला महामाया नगर। ...........अपीलार्थी/परिवादी।
बनाम
१. श्यामा आइस एण्ड कोल्ड स्टोरेज प्रा0लि0, सहपऊ, तहसील सादाबाद, जिला महामाया नगर द्वारा मालिक नवीन शुक्ला।
२. मैनेजर श्यामा आइस एण्ड कोल्ड स्टोरेज प्रा0लि0, सहपऊ, तहसील सादाबाद, जिला महामाया नगर। ...........प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण।
समक्ष:-
१- मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
२- मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी कोल्ड स्टोरेज की ओर से उपस्थित : श्री आर0के0 गुप्ता विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री ओ0पी0 दुवेल विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक :- १६-०९-२०२१.
मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
अपील सं0-४३२/२०१२ उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम १९८६ के अन्तर्गत जिला फोरम/आयोग, महामाया नगर द्वारा परिवाद सं0-०३/२००९ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश
-२-
दिनांक १७-०१-२०१२ को अपास्त किए जाने तथा अपील सं0-११५३/२०१२ विद्वान जिला फोरम द्वारा इस निर्णय के अन्तर्गत दिए गए अनुतोष में वृद्धि के लिए योजित की गई है। ये दोनों अपीलें एक ही निर्णय के विरूद्ध योजित की गई हैं, अत: इन दोनों अपीलों को साथ-साथ निर्णीत किया जा रहा है। अपील सं0-४३२/२०१२ अग्रणी होगी।
अपील सं0-४३२/२०१२ के अपीलार्थी का संक्षेप में कथन है कि उसके द्वारा परिवाद के विरूद्ध परिवाद पत्र की प्रति उपलब्ध न कराए जाने के कारण प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत नहीं किया जा सका। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता जिला फोरम के समक्ष उपस्थित हुए थे और उनसे परिवाद पत्र की प्रति संलग्नकों सहित दिए जाने की मांग की गई किन्तु वह नहीं दी गई और इसी बीच निर्णय हो गया।
परिवादी ने दिनांक १९-०३-२००८ को २७५ पैकेट आलू बीज और दिनांक २०-०३-२००८ को ३०३ पैकेट आलू बीज अर्थात् कुल ५७८ पैकेट, ५०/- रू० प्रति पैकेट की दर से कुल २८,९००/- रू० हेतु कोल्ड स्टोरेज में रखा और इस मद में दिनांक १८-०३-२००८ को ५,०००/- रू० अदा किए। परिवादी ने दिनांक ११-०८-२००८ को १० पैकेट आलू निकाले और इसके बाद वह शेष आलू के पैकेट लेने अभी तक नहीं आया क्योंकि उसे आलू के किराए के रूप में २३,९००/- रू० व अन्य आनुषांगिक व्यय भी देना था। उपरोक्त धनराशि न होने के कारण सम्भवत: वह अपना आलू नहीं ले गया। इसके पश्चात् परिवादी ने दिनांक १७-११-२००८ को १,९८,८००/- रू० अदा करने की नोटिस भेजी और कहा कि उसके आलू की क्षति हुई है। अपीलार्थी ने दिनांक ३०-११-२००८ को इसका उत्तर दिया जिसमें कहा कि आलू अब भी कोल्ड स्टोरेज में है, जिसे वह २८,९००/- रू० दे कर वापस ले सकता है। परिवादी ने इस उत्तर को छिपाया। परिवादी ने यह तथ्य भी छिपाया कि डाला बाकी का खर्च भी परिवादी को ही देना था जो आलू उतारने वह लादने का होता है। विद्वान जिला फोरम ने इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया और गलत तरीके से १,९८,८००/- रू० दिए जाने का आदेश दिया।
परिवादी ने एक झूठा और मनगढ़न्त परिवाद दायर किया कि उसका आलू अक्टूबर २००८ में सड़ गया। विद्वान जिला फोरम यह देखने में असफल रही कि परिवादी दिनांक ११-०८-२००८ को १० पैकेट आलू ले गया था जिसका अर्थ यह हुआ कि तब तक आलू सड़े नहीं थे। अपीलार्थी
-३-
ने परिवादी के नोटिस के जबाव में स्पष्ट रूप से लिखा कि उसका आलू सुरक्षित है किन्तु परिवादी उसे लेने नहीं आया और एक झूठी कहानी गढ़ के परिवाद प्रस्तुत किया। अपीलार्थी २८,९००/- रू० परिवादी से मय ब्याज के पाने का अधिकारी है। विधि और तथ्यों को नकारते हुए विद्वान जिला फोरम ने प्रश्नगत निर्णय पारित किया। प्रश्नगत निर्णय मात्र अनुमानों और परिकल्पनाओं पर आधारित है। अत: निवेदन है कि अपील स्वीकार करते हुए प्रश्नगत निर्णय दिनांक १७-०१-२०१२ अपास्त किया जाए।
हमने अपीलार्थी कोल्ड स्टोरेज की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री आर0के0 गुप्ता तथा प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री ओ0पी0 दुवेल को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिकथनों, अभिलेखों का सम्यक रूप से परिशीलन किया।
सर्वप्रथम हमने प्रश्नगत निर्णय का अवलोकन किया। विद्वान जिला फोरम के प्रश्नगत निर्णय में लिखा हुआ है कि विपक्षीगण पर नोटिस की तामीली हुई तथा प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत करने हेतु विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर समय भी चाहा गया परन्तु अन्त तक कोई भी प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया। अत: प्रतिवाद पत्र दाखिल करने का अवसर समाप्त किया गया।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत समन तामील होने के पश्चात् ३० दिन के अन्दर प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत करना होता है और यदि न्यायालय १५ दिन का अतिरिक्त समय प्रदान करता है तब ४५ दिन के अन्दर प्रत्येक स्थिति में प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर देना चाहिए अन्यथा उसके पश्चात् प्रतिवाद पत्र लिए जाने का कोई नियम नहीं है और माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्त के परिप्रेक्ष्य में यह ४५ दिन का समय अन्तिम सीमा रेखा है। चूँकि जिला फोरम में प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया और विद्वान जिला फोरम ने ३५०/- रू० की दर से आलू विक्रय होने के आधार पर ५६८ पैकेट आलू का मूल्य रखते हुए उसमें से भाड़े का २८,९००/- रू० घटाते हुए कुल १,७४,९००/- रू० के नुकसान के सम्बन्ध में निर्णय पारित किया। इस पर किसी प्रकार का कोई ब्याज नहीं लगाया गया है। यह स्पष्ट है कि विद्वान जिला फोरम में अपीलार्थी/विपक्षी ने जानते हुए भी प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत नहीं किया जिसके आधार पर प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत करने का अवसर समाप्त कर दिया गया।
-४-
जब परिवादी अपना शेष बचा आलू लेने नहीं आया तब कोल्ड स्टोरेज ऐसे आलू को या तो नीलाम कर देता है या फिर सड़ने पर फिकवा देता है। अपीलार्थी ने कहा है कि आलू सड़े नहीं थे। तब कोल्ड स्टोरेज की बन्दी तिथि जो प्रत्येक वर्ष ३१ अक्टूबर होती है को, या उससे पहले अपीलार्थी ने इन आलूओं को बेच दिया होगा क्योंकि अपीलार्थी कथनानुसार ये आलू सड़े नहीं थे। अपीलार्थी ने इन आलूओं को बेचने का कोई मूल्य नहीं बताया है और ऐसी स्थिति में समस्त तथ्यों को देखते हुए विशेषतौर पर यह तथ्य देखते हुए कि अपीलार्थी/विपक्षी ने विद्वान जिला फोरम के समक्ष कोई प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत नहीं किया, वर्तमान अपील के आधार पर्याप्त नहीं हैं और यह अपील निरस्त होने योग्य है तथा विद्वान जिला फोरम द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय दिनांक १७-०१-२०१२ पुष्टित होने योग्य है।
अपील सं0-११५३/२०१२ में अपीलार्थी/परिवादी का संक्षेप में कथन है कि विद्वान जिला फोरम ने अपीलार्थी/परिवादी द्वारा मांगे गए संताप के मद में १०,०००/- रू० प्रदान नहीं किए। वाद व्यय के रूप में ५५००/- रू० मांगे थे, जिसके स्थान पर मात्र २,०००/- रू० देने का आदेश पारित किया है। विद्वान जिला फोरम ने आलूओं की कीमत पर १२ प्रतिशत का ब्याज नहीं दिलाया जो उनकी भारी भूल है। अत: वर्तमान अपील स्वीकार करते हुए प्रश्नगत परिवाद में मांगा गया समस्त अनुतोष दिलाया जाए।
प्रश्नगत निर्णय में विद्वान जिला फोरम ने यह आदेश दिया है कि – ‘’ परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह दो माह के अन्दर आलू की कीमत रू० १,७४,९००/- (रूपया एक लाख चौहत्तर हजार नौ सौ मात्र) जिला उपभोक्ता फोरम में जमा करें, जो परिवादी को देय होगी। इसके अतिरिक्त विपक्षीगण से परिवादी रू० २,०००/- (दो हजार मात्र) वाद व्यय का भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा। ‘’
विद्वान जिला फोरम ने विपक्षी की बकाया धनराशि २८,९००/- रू० पर भी कोई ब्याज नहीं दिलाया है। विद्वान जिला फोरम ने निर्णय पारित करते समय समस्त त्थ्यों पर विचारोपरान्त ही निर्णय पारित किया है। अत: हम इस विचार के हैं कि जिला फोरम का प्रश्नगत निर्णय उचित है और इस मामले में वर्तमान अपील स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है
-५-
अर्थात् निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
वर्तमान दोनों अपीलें निरस्त की जाती हैं। जिला फोरम/आयोग, महामाया नगर द्वारा परिवाद सं0-०३/२००९ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १७-०१-२०१२ की पुष्टि की जाती है।
अपील व्यय उभय पक्ष पर।
इस निर्णय की मूल प्रति अग्रणी अपील सं0-४३२/२०१२ में रखी जाए तथा एक प्रमाणित प्रति अपील सं0-११५३/२०१२ में रखी जाए।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट नं.-२.