(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2317/2004
ओरियण्टल इंश्योरेंस कंपनी लि0, 346, आनन्द भवन, खैर नगर रोड मेरठ, द्वारा डिविजनल मैनेजर
बनाम
चन्द्र मोहन पुत्र श्री गोविन्द राम, 131, चना गोदाम वाली गली, धर्मपुरी सदर मेरठ
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री आलोक कुमार सिंह।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक : 23.01.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-354/2003, चन्द्र मोहन बनाम दि ओरियण्टल इंश्योरेंस कंपनी लि0 में विद्वान जिला आयोग, मेरठ द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 27.10.2004 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री आलोक कुमार सिंह को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी ने अपने वाहन सं0-एच.आर. 01 एल. 3048 का बीमा दिनांक 27.8.2002 से दिनांक 26.8.2003 तक की अवधि के लिए कराया था। दिनांक 10.12.2002 को थाना बहरोड जिला अल्वर के अंतर्गत वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
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वाहन पूर्णतया क्षतिग्रस्त होने की सूचना बीमा कंपनी को दी गयी, परन्तु बीमा क्लेम नहीं दिया गया।
3. विपक्षी का कथन है कि सही तथ्यों को छिपाकर परिवाद प्रस्तुत किया गया है। वाहन किराये पर चल रहा था, इसलिए बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन किया गया है। अत: कोई बीमा क्लेम देय नहीं है।
4. विद्वान जिला आयोग द्वारा दोनों पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात यह निष्कर्ष दिया गया कि वाहन पूर्णतया क्षतिग्रस्त हो गया था। वैध बीमा मौजूद था। बीमा कंपनी द्वारा सर्वेयर भी नियुक्त किया गया था, इसलिए सम्पूर्ण बीमा राशि का बीमा क्लेम स्वीकृत किया गया।
5. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि बीमित वाहन का दुर्घटना के समय टैक्सी के रूप में प्रयोग हो रहा था। सर्वेयर द्वारा केवल 2,24,000/-रू0 की क्षति का आंकलन किया गया, जबकि विद्वान जिला आयोग ने सम्पूर्ण बीमित राशि की क्षतिपूर्ति का आदेश पारित कर दिया।
6. चूंकि बीमित वाहन का बीमा होना, दुर्घटना के पश्चात बीमा क्लेम प्रस्तुत करना, बीमा कंपनी द्वारा सर्वेयर नियुक्त करना तथा सर्वेयर द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत करना दोनों पक्षों को स्वीकार है। अत: इन बिन्दुओं पर अतिरिक्त विश्लेषण की आवश्यकता नहीं है।
7. इस अपील के विनिश्चय के लिए महत्पूर्ण विनिश्चायक बिन्दु यह उत्पन्न होता है कि क्या दुर्घटना के समय वाहन का प्रयोग टैक्सी के रूप में किया जा रहा था ?
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8. सर्वेयर द्वारा सर्वे के दौरान परिवादी के बयान दर्ज किये गये, उनके द्वारा कथन किया गया कि वाहन का प्रयोग टैक्सी के रूप में हो रहा था। परिवादी द्वारा सर्वेयर को जो सूचना उपलब्ध करायी गयी, उसमें ड्राइवर के अलावा 6 व्यक्तियों के नाम अंकित हैं। ये सभी व्यक्ति दरगाह अजमेर गये थे और वापस लौट रहे थे। यद्यपि परिवादी ने इस तिथि को गाड़ी मांग कर ले जाने का कथन किया है, परन्तु यह कथन इसलिए असत्य प्रतीत होता है कि दूसरे राज्य में एक विशेष प्रयोजन के लिए गाड़ी मांग कर ले जाने का कोई औचित्य नहीं है, विशेषतया उस स्थिति में जिसमें सभी सवार अजमेर शरीफ की दरगाह में एक विशेष प्रार्थना के लिए गए हों। सर्वेयर को भी लिखित में दिया गया है कि गाड़ी बुकिंग लेकर जाया करती थी। अत: यह तथ्य स्थापित है कि वाहन का टैक्सी के रूप में प्रयोग हो रहा था। अत: नॉन स्टैण्डर्ड बेसिस पर 25 प्रतिशत की कटौती करने के पश्चात ही बीमा क्लेम की राशि का आदेश दिया जा सकता था।
9. अब इस बिन्दु पर विचार करना है कि बीमा क्लेम की राशि क्या होनी चाहिए ?
10. सर्वेयर द्वारा अंकन 2,24,000/-रू0 की क्षति का आंकलन किया गया है, इस रिपोर्ट के विपरीत अन्य कोई साक्ष्य पत्रावली पर मौजूद नहीं है, जिसके आधार पर सम्पूर्ण बीमित राशि का भुगतान करने का आदेश पारित किया जाय। अत: सर्वेयर द्वारा दी गयी रिपोर्ट के आधार पर क्षतिपूर्ति की राशि अंकन 2,24,000/-रू0 निर्धारित करना उचित है और चूंकि वाहन का प्रयोग टैक्सी के रूप में किया जा रहा था, इसलिए अंकन 2,24,000/-रू0 में से 25
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प्रतिशत राशि अंकन 56,000/-रू0 की कटौती के पश्चात अवशेष राशि अंकन 1,68,000/-रू0 अदा करने का आदेश देना उचित है। तदनुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
11. प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 27.10.2004 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि परिवादी को बीमा राशि के रूप में केवल 1,68,000/-रू0 (एक लाख अड़सठ हजार रूपये) देय होंगे। शेष निर्णय/ओदश यथावत् रहेगा।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3