राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
पुनरीक्षण संख्या-83/2022
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता आयोग, अयोध्या द्वारा परिवाद संख्या 166/2011 में पारित आदेश दिनांक 15.11.2022 के विरूद्ध)
1. बालकराम मेडिकल सेन्टर, कैन्ट रोड, नियावा सिटी, फैजाबाद द्वारा मैनेजर
2. डा0 उमेश चौधरी सी/ओ बालकराम मेडिकल सेन्टर, कैन्ट रोड, नियावा सिटी, फैजाबाद
........................पुनरीक्षणकर्तागण/विपक्षीगण
बनाम
1. चन्द्रभाल मिश्र पुत्र स्व0 श्री रघुराज मिश्र
2. मिनाक्षी पुत्री चन्द्रभाल मिश्र
दोनों निवासी- ग्राम बहिराडीहा, पोस्ट मझौवां बुजुर्ग, परगना बभनीपायर, मनकापुर, गोण्डा
...................विपक्षीगण/परिवादीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
पुनरीक्षणकर्तागण की ओर से उपस्थित : श्री विनीत सहाय बिसारिया,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 06.12.2022
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत पुनरीक्षण याचिका जिला उपभोक्ता आयोग, अयोध्या द्वारा परिवाद संख्या 166/2011 चन्द्रभाल मिश्र व अन्य बनाम बालक राम मेडिकल सेन्टर व अन्य में पारित आदेश दिनांक 15.11.2022 के विरूद्ध संस्थित की गयी है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, अयोध्या द्वारा परिवाद संख्या 166/2011 चन्द्रभाल मिश्र व अन्य बनाम बालक राम मेडिकल सेन्टर व अन्य में पारित आदेश दिनांक 15.11.2022 में निम्न तथ्य अंकित किये गये:-
''विपक्षी सं0-2 डा0 उमेश कुमार चौधरी द्वारा दि0 07.06.22 को दिया गया
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प्रार्थना-पत्र तथा परिवादी चन्द्रभाल मिश्र द्वारा प्रार्थना-पत्र के विरूद्ध दी गयी आपत्ति दि0 29.06.22 पर उभय पक्षों को सुना।
विपक्षी सं0-2 डा0 उमेश कुमार चौधरी ने अपने प्रार्थना-पत्र में यह उल्लेख किया है कि दि0 26.05.22 को परिवादी द्वारा झूठा शपथ-पत्र इस आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया गया जिसका खण्डन इस प्रार्थना-पत्र के साथ संलग्न शपथ-पत्र के द्वारा किया गया। शपथ-पत्र में मुख्य विवाद कागज सं0-3/11 में उल्लिखित शब्द ''पोस्ट ऑपरेटिव अपेन्डक्टोमी डन'' के विषय में है। कागज सं0-3/11 आपत्तिकर्ता के लेख व हस्ताक्षर में नहीं है इसलिए यह परिवादी के खर्चे पर प्रार्थी/आपत्तिकर्ता विपक्षी सं0-2 के हस्ताक्षर व लेख का मिलान कागज सं0-3/11 से कराने हेतु उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-38 उप धारा-9 (ई) के अन्तर्गत आदेश पारित करने की कृपा करें।
परिवादी की आपत्ति है कि विपक्षी सं0-2 द्वारा दिया गया शपथ-पत्र झूठा एवं कपोल कल्पित है। इस आयोग के समक्ष समरी प्रक्रिया के तहत मामले का विचारण होता है। मामले में देरी करने की नीयत से यह आवेदन विपक्षी सं0-2 द्वारा दिया गया है। विपक्षी सं0-2 द्वारा कागज सं0-3/11 दिया गया है। यदि विपक्षी उक्त तथ्य को साबित करना चाहता है तो वह अन्यत्र न्यायालय में वाद संस्थित करके उपशम की याचना कर सकता है इसलिए विपक्षी सं0-2 द्वारा दिया गया प्रार्थना-पत्र दिनॉंकित 07.06.2022 निरस्त करने की कृपा की जाय।
विपक्षी सं0-2 डा0 उमेश कुमार चौधरी का कथन है कि कागज सं0-3/11 उसके हस्तलेख व हस्ताक्षर में नहीं है। उभय पक्षों ने इस आयोग के निर्देश पर अपना-अपना शपथ-पत्र प्रस्तुत किया है। यह परिवाद वर्ष 2011 का है। निर्णत करते वक्त पत्रावली पर उपलब्ध उभय पक्षों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों के अवलोकन एवं अनुशीलन से स्थिति स्पष्ट हो सकती है इसलिए इस स्थिति में कागज सं0-3/11 परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-2 द्वारा तैयार करने की बात कही गयी है जिसका सशपथ खण्डन विपक्षी सं0-2 द्वारा किया गया है इसलिए इस स्थिति में हस्तलेख मिलान के लिए किसी हस्तलेख विशेषज्ञ को भेजना उचित प्रतीत नहीं होता है। वाद पुराना है। अतएव प्रार्थना-पत्र दिनॉंकित 07.06.2022 निरस्त किया जाता है।
पत्रावली दि0 06.12.2022 को बहस हेतु पेश हो।''
उक्त आदेश से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत पुनरीक्षण याचिका पुनरीक्षणकर्तागण द्वारा इस न्यायालय में संस्थित की गयी है।
मेरे द्वारा पुनरीक्षणकर्तागण के विद्वान अधिवक्ता श्री विनीत सहाय बिसारिया को सुना गया तथा जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
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सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों पर विचार करते हुए तथा जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित आदेश विधिसम्मत है, जिसमें किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता प्रतीत नहीं होती है, अतएव प्रस्तुत पुनरीक्षण याचिका निरस्त की जाती है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1