Uttar Pradesh

Lucknow-I

CC/337/2017

RAM HARSH - Complainant(s)

Versus

CHANDR SHEKHAR - Opp.Party(s)

A.L.YADAV

30 Jan 2023

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/337/2017
( Date of Filing : 04 Oct 2017 )
 
1. RAM HARSH
.
...........Complainant(s)
Versus
1. CHANDR SHEKHAR
.
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Neelkuntha Sahya PRESIDENT
 HON'BLE MS. Kumar Raghvendra Singh MEMBER
 HON'BLE MS. sonia Singh MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 30 Jan 2023
Final Order / Judgement

        जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।

            परिवाद संख्‍या:-   337/2017                                             उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्‍यक्ष।

          श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्‍य।

          श्री कुमार राघवेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।         

परिवाद प्रस्‍तुत करने की तारीख:-04.10.2017

परिवाद के निर्णय की तारीख:-30.01.2023

राम हर्ष आयु लगभग 65 वर्ष पुत्र स्‍व0 श्रीराम निवासी-ग्राम-बस्तिया, थाना-गोसाईगंज, जनपद-लखनऊ।                              ............परिवादी।  

                                                       बनाम                                                    

चन्‍द्रशेखर पाठक प्रोपराइटर ओम इण्‍टर प्राइजेज कार्यालय काजीपुर निकट स्‍टेट बैंक ऑफ इण्डिया, रामनगर रोड, फतेहपुर, जनपद-बाराबंकी।        ........विपक्षी।

 

परिवादी के अधिवक्‍ता का नाम-श्री ए0एल0यादव।

विपक्षी के अधिवक्‍ता का नाम-श्री अनुराग मिश्रा।

आदेश द्वारा-श्री नीलकंठ सहाय, अध्‍यक्ष।

                                                    निर्णय

1.   परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद अन्‍तर्गत धारा 12 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत विपक्षी से 9,06,800.00 रूपये फसल बर्बाद होने से हुई आर्थिक क्षति 3,00,000.00 रूपये एवं मानसिक क्षति व वाद व्‍यय 25000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्‍तुत किया है।

2.   संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षी से गेंहूँ काटने की मशीन सेल्‍फ प्रोपील्‍ड फोर व्‍हीलर रिपर विण्‍डंर वी0सी0एस0 कम्‍पनी 4,53,00.00 रूपये, जूट की सुतली 40 गत्‍तों हेतु 1,00,800.00 रूपये, लेजर लैण्‍ड लेवलर 3,53,00.00 रूपये खरीदने हेतु सम्‍पर्क किया था तथा दिनॉंक 12.02.2017 को परिवादी ने मशीन हेतु 4,53,000.00 रूपये नकद विपक्षी को दिया था, जिसका बिल कम्‍पनी द्वारा दिया गया था।

3.   परिवादी ने दिनॉंक 27.02.2017 को अपनी बैंक यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया के खाता संख्‍या 41550201000871 से 103000.00 रूपये व अपने भाई की पत्‍नी संजय देवी के खाता संख्‍या 415502010004564 ये 2,50,000.00 रूपये व दिनॉंक 23.03.2017 को परिवादी ने अपने खाता संख्‍या 415502010008781 से 100800.00 रूपये ओम इण्‍टर प्राइजेज के खाता संख्‍या 580701010050178 में ट्रांसफर करवाया था। इस प्रकार कुल 9,06,800.00 रूपये लेने के पश्‍चात कम्‍पनी ने मशीन व अन्‍य सामान व बिल जल्‍द ही देने को कहा था।

4.   दिनॉंक 01.04.2017 को समय करीब 4:00 बजे कम्‍पनी से दो कर्मचारी सिर्फ मशीन की डिलीवरी देने आये व अन्‍य कोई सामान नहीं लाये।  मशीन का चेचिस नम्‍बर वी0सी0एस0 290-973336 व इंजन नम्‍बर ए0एस0एच0ओ0 930803 है जो पुरानी मशीन है जिसके मीटर में 88.6 घंटा चलना लिखा है जबकि विपक्षी द्वारा परिवादी को नई मशीन देने का सौदा हुआ था।

5.   परिवादी ने पुरानी मशीन लेने से इनकार कर दिया तथा फोन द्वारा विपक्षी से संपर्क किया तो विपक्षी द्वारा बताया गया कि एक दो दिन में नई मशीन व अन्‍य सामान दे दिया जायेगा नहीं तो पूरा पैसा वापस कर दॅूंगा। परिवादी के घर पर मशीन की डिलीवरी देने आये दोनों कर्मचारी अपनी मोटर साइकिल व मशीन छोड़कर चले गये। परिवादी ने कई बार विपक्षी से संपर्क किया किन्‍तु विपक्षी न तो मशीन व अन्‍य सामान दे रहा न ही पैसा वापस कर रहा है।

6.   परिवादी ने विपक्षी के खिलाफ एक प्रार्थना पत्र दिनॉंक 29.04.2017 को उच्‍चाधिकारियों को डाक के जरिए भेजा किन्‍तु कोई कार्यवाही नहीं हुई। इसके पश्‍चात परिवादी ने दिनॉंक 29.05.2017 को वरिष्‍ठ पुलिस अधीक्षक, लखनऊ के यहॉं एक प्रार्थना पत्र स्‍वयं जाकर दिया, परन्‍तु वहॉं पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई।परिवादी ने विवश होकर अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से एक रजिस्‍टर्ड विधिक नोटिस दिनॉंक 15.06.2017 को विपक्षी को प्रेषित किया। नोटिस के जवाब में विपक्षी ने अपने अधिवक्‍ता श्री एस0डी0गुप्‍ता व श्री अनुराग मिश्रा के माध्‍यम से दो जवाब दिनॉंक 21.06.2017 को नोटिस के माध्‍यम से भेजे थे, जिसमें परिवादी ने लिखा है कि दिनॉंक 12.02.2017 को 453000.00 रूपये लेना स्‍वीकार किया गया है व अन्‍य शेष रूपयों का लेन-देन बढ़ा चढ़ा कर दिखाया गया है।

7.   जबकि 4,53,00.00 रूपये की रसीद दी गयी थी जो बैंकों के माध्‍यम से तीन बार में ट्रान्‍सफर किया गया है जिसका साक्ष्‍य परिवादी के पास मौजूद है एवं दूसरे जवाब में कहा गया है कि उपरोक्‍त 4,53,00.00 रूपये नहीं दिया गया है, व बैंक के माध्‍यम से जो पैसा दिया गया है वह स्‍वीकार है। मोटर साइकिल ले जाने की मनगढ़न्‍त घटना बताकर परिवादी को डराने की कोशिश कर रहा है।

8.   विपक्षी द्वारा अपना उत्‍तर पत्र प्रस्‍तुत करते हुए गेंहॅूं काटने की मशीन सेल्‍फ प्रोपील्‍ड फोर व्‍हीलर रियर वाइण्‍डर वीसीएस कम्‍पनी 4,53,000.00 रूपये स्‍वीकार किया तथा बैंक से ओम इण्‍टर प्राइजेज के खाते में 4,53,800.00 रूपये ट्रान्‍सफर कराया जाना स्‍वीकार किया। विपक्षी का कथन है कि परिवादी ने जो मशीन क्रय किया था उसका पूर्ण विक्रय मूल्‍य बैंक द्वारा किये जाने के बाद मार्च 2017 में परिवादी ने पूर्ण जॉंच पड़ताल करके नई मशीन क्रय किया था व उसे चलाने का प्रशिक्षण दूसरी मशीन से दिया गया था उसके बाद पूर्ण संतुष्‍ट होकर नई मशीन खरीद कर ले गया था। परिवादी के नोटिस का जवाब देना स्‍वीकार किया। बैंक के माध्‍यम से पैसा देना स्‍वीकार किया।

9.   परिवादी दुकान फतेहपुर बाराबंकी में आकर बताया कि मुझे इस मशीन पर कृषि विभाग से अनुदान लेना है और विपक्षी से प्राविजनल बिल लेकर गया था जिसमें कोई धनराशि का भुगतान किया जाना वर्णित नहीं है। यही बिल परिवादी को दिया गया था, इसके अतिरिक्‍त न तो अन्‍य कोई धनराशि परिवादी द्वारा दी गयी न ही अन्‍य कोई कृषि यंत्र का क्रय-विक्रय किया गया, मात्र रिपर वाइण्‍डर बी0सी0एस0 कम्‍पनी का परिवादी ने खरीदा था वह भी नयी मशीन लेकर गया था।

10.  दिनॉंक 15.06.2017 को परिवादी ने विपक्षी को विधिक नोटिस अपने अधिवक्‍ता ए0एल0 यादव के माध्‍यम से भेजा था जिसमें परिवाद पत्र के पैरा 6 लगायत 12 में वर्णित कथनों का वर्णन नहीं किया गया था इसलिये परिवाद पत्र में वर्णित तथ्‍य स्‍वयं विरोधाभाषी हैं। परिवादी द्वारा भेजी गयी नोटिस का जवाब विपक्षी ने अपने अधिवक्‍ता अनुराग मिश्रा के माध्‍यम से परिवादी को भेजा था तथा परिवादी से लेजर लैण्‍ड लेवलर व जूट की रस्‍सी खरीद फरोख्‍त संबंधित साक्ष्‍य 15 दिन में उपलब्‍ध कराने को कहा था, परन्‍तु परिवादी ने ऐसा कोई साक्ष्‍य नहीं दिया । परिवादी की दुकान फतेहपुर, बाराबंकी में आकर मशीन खरीदा है इसलिये वाद का क्षेत्राधिकार बाराबंकी में आता है।

11.  परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में मौखिक साक्ष्‍य के रूप में शपथ पत्र तथा ओम इण्‍टरप्राइजेज की रसीद, यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया द्वारा निर्गत प्रमाण पत्र, दो नोटिस , एवं नोटिस का जवाब दाखिल किया गया है। विपक्षी द्वारा कोई भी साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। विपक्षी का दिनॉंक 19.07.2022 को साक्ष्‍य का अवसर समाप्‍त किया गया था।

12.  मैने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना तथा पत्रावली का परिशीलन किया ।

13.  परिवादी का कथानक है कि उसने गेहॅूं काटने की मशीन सेल्‍फ प्रोपील्‍ड फोर व्‍हीलर रिपर विण्‍डर वी0सी0एस0 कम्‍पनी का 4,53,000.00 रूपये में, जूट की सुतली 40 गत्‍तों हेतु 1,00,800.00 रूपये, लेजर लैण्‍ड लेवलर 3,53,00.00 रूपये खरीदने हेतु सम्‍पर्क किया था तथा दिनॉंक 12.02.2017 को परिवादी ने मशीन हेतु 4,53,000.00 रूपये नकद विपक्षी को दिया था, जिसका बिल कम्‍पनी द्वारा दिया गया था। दिनॉंक 27.02.2017 को यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया के खाता संख्‍या 415502010008781 से 103000.00 रूपये व अपने भाई की पत्‍नी संजय देवी के खाता संख्‍या 415502010004564 से 2,50,000.00 रूपये, दिनॉंक 23.03.2017 को परिवादी ने अपने खाता संख्‍या 415502010008781 से 1,00,800.00 रूपये ओम इण्‍टरप्राइजेज के खाता संख्‍या 580701010050178 में ट्रान्‍सफर करवाया था इस प्रकार कुल रूपया 9,06,800.00 लेने के पश्‍चात कम्‍पनी ने मशीन व अन्‍य सामान व बिल देने को कहा था।

14.  दिनॉंक 01.04.2017 को समय करीब 4:00 बजे दिन में कम्‍पनी के दो कर्मचारी सिर्फ मशीन की डिलीवरी देने आये व अन्‍य कोई सामान नहीं लाये और मशीन को देखा गया तो 88.6 घण्‍टे चलना लिखा हुआ था। जबकि विपक्षी से नई मशीन देने का सौदा हुआ था। विपक्षी को फोन से सूचित किया गया तो बताया गया कि एक दो दिन में नयी मशीन दे दी जायेगी।

15.  विपक्षी द्वारा अपने उत्‍तर पत्र में मात्र 4,53,000.00 रूपये प्राप्‍त करने के संबंध में तस्‍करा किया गया है तथा शेष किसी भी प्रतिफल की धनराशि अन्‍य सामग्री के लिये एवं अन्‍य सामग्री बेचे जाने के संबंध में धनराशि प्राप्‍त किये जाने से इनकार किया है। परिवादी द्वारा अपने परिवाद के समर्थन में शपथ पत्र भी प्रस्‍तुत किया गया जिसमें अपने कथानक की पुष्टि की है। नोटिस का जवाब विपक्षी द्वारा दिया गया जिसमें यह कहा गया कि 4,53,000.00 रूपये प्राप्‍त किये गये। दूसरी नोटिस में यह कहा गया कि बैंक से पैसा प्राप्‍त किया गया है।

16.  दिनॉंक 12.02.2017 को 4,53,000.00 रूपये की रसीद ओम इण्‍टर प्राइजेज द्वारा दी गयी है। परिवादी ने यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया से प्रमाण जो कि नोटरी द्वारा सत्‍यापित है की ओम इण्‍टर प्राइजेज दिनॉंक 27.02.2017 को चेक संख्‍या 02002721 मुबलिग 1,03,000.00 रूपये व दिनॉंक 23.03.2017 को चेक संख्‍या 2002722 मुबलिग 1,00,800.00 रूपये तथा दिनॉंक 27.02.2017 को चेक संख्‍या 10003561 से ओम इण्‍टरप्राइजेज को 2,50,000.00 रूपये दिये गये हैं। अर्थात कुल धनराशि 9,06,800.00 रूपये होती है का भुगतान ओम इण्‍टरप्राइजेज को परिवादी द्वारा किया गया है।

17.  बैंक द्वारा प्रमाणित प्रमाण पत्र में 27 फरवरी, 23 मार्च और 27 फरवरी का होना दर्शाया गया है, जबकि मूल रसीद दिनॉंक 12.02.2017 को होना पाया गया है, जिसमें 4,53,000.00 का भुगतान कराया गया है, अर्थात 4,53,000.00 रूपये प्राप्‍त कर चुके हैं, जिससे परिवादी के कथन को बल मिलता है।

18.  परिवादी का कथानक है कि 88.6 घण्‍टे मशीन चली हुई थी और विपक्षी के कर्मचारी द्वारा यहॉं पर लाकर मशीन दी गयी थी और उनके द्वारा कहा गया था कि दूसरी मशीन दे दी जायेगी। रसीद के अवलोकन से विदित है कि इंजन नम्‍बर और चेचिस नम्‍बर पर कोई नम्‍बर अंकित नहीं किया गया जैसा कि विपक्षी का कथानक है कि कच्‍ची रसीद है,  तो इंजन नम्‍बर व चेचिस नम्‍बर अंकित करना चाहिए था। इंजन नम्‍बर व चेचिस नम्‍बर न अंकित करना निश्चित ही बात का द्योतक है कि कोई अन्‍य मशीन के संबंध में वार्ता हुई होगी। परिवादी द्वारा उक्‍त मशीन 88.6 घण्‍टे चलना बताया गया है, इस बात की पुष्टि शपथ पत्र के माध्‍यम से की गयी है।

19.  विपक्षी को साक्ष्‍य का अवसर दिया गया, परन्‍तु विपक्षी द्वारा साक्ष्‍य दाखिल नहीं किया गया, जिससे परिवादी के साक्ष्‍य पर अविश्‍वास नहीं किया जा सकता क्‍यों जिस तथ्‍य के खण्‍डन में कोई साक्ष्‍य नहीं दिया जाता है तो वह तथ्‍य स्‍वीकृत समझा जाता है। चॅूंकि परिवादी द्वारा यह कहा गया है कि उक्‍त मशीन का 88.6 घण्‍टे चलना दिखाया गया है की पुष्टि होती है, तथा इंजन नम्‍बर व चेचिस नम्‍बर ब्‍लैंक रखना निश्चित ही इस बात का द्योतक है कि कहीं न कहीं नयी मशीन देने की बात हुई होगी, इसलिए इसका तस्‍करा नहीं किया गया है, जिससे परिवादी के कथनों को बल मिलता है।

20.  विपक्षी द्वारा यह कहा गया कि सामान क्रय करने के लिये पैसा दिया गया है यह तथ्‍य विवाद का विषय नहीं है कि भिन्‍न-भिन्‍न तिथियों में मशीन क्रय किये जाने के संबंध में ओम इण्‍टरप्राइजेज को पैसा दिया गया है इसकी पुष्टि शपथ पत्र में साक्ष्‍य के माध्‍यम से की गयी है। इसके खण्‍डन में विपक्षी द्वारा कोई साक्ष्‍य नहीं दिया गया है। अत: परिवादी के कथनों पर अविश्‍वास प्रकट नहीं किया जा सकता। क्‍योंकि प्रमाण बैंक के अधिकारी द्वारा दिया गया है जो कि नोटरी से सत्‍यापित है। जैसा कि विपक्षी का कथानक है कि केवल मशीन क्रय करने का सौदा हुआ था और दिनॉंक 12.02.2017 के संबंध में रसीद दे दी गयी है, जिसमें 4,53,000.00 रूपये की धनराशि विपक्षी प्राप्‍त भी कर चुका हे, तथा अनावश्‍यक रूप से ओम इण्‍टरप्राइजेज को जिस माह में शेष धनराशि स्‍थानान्‍तरित किये जाने का क्‍या कारण था विपक्षी ने नहीं बताया जबकि परिवादी का स्‍पष्‍ट कथानक है जिसकी पुष्टि साक्ष्‍य से करदी है कि इन सामानों को क्रय करने के संबंध में दिया गया था को बल मिलता है।

21.  विपक्षी द्वारा खण्‍डन में कोई साक्ष्‍य नहीं दिया गया है। परिवादी के कथनों पर अविश्‍वास प्रकट किया जाना न्‍यायसंगत प्रतीत होता है। जहॉं तक सेवा में त्रुटि का प्रश्‍न है विपक्षी ने परिवादी को पुरानी मशीन देकर नई मशीन नहीं दी एवं जो सामग्री क्रय करने के लिये अन्‍य पैसे का भुगतान किया गया है उसके एकाउन्‍ट में जाने के बाद प्राप्‍त समझा जायेगा। निश्चित ही विपक्षी द्वारा परिवादी की सेवा में कमी की गयी है। अत: परिवादी उक्‍त धनराशि प्राप्‍त करने का अधिकारी है।

22.  विपक्षी द्वारा अपने उत्‍तर पत्र में यह कथन किया गया है कि इस न्‍यायालय को सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है और बाराबंकी का क्षेत्राधिकार है, जो कि ओम इण्‍टरप्राइजेज बाराबंकी में है। यह तथ्‍य विवाद का विषय नहीं है कि प्रस्‍तुत प्रकरण पुराने एक्‍ट के तहत दाखिल किया गया है। पुराने एक्‍ट की धारा-11 में क्षेत्राधिकार के संबंध में कहा गया है, जिसमें यह भी उल्‍लेख किया गया है कि जहॉं व्‍यक्ति होता है पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से उत्‍पन्‍न होता है वहॉं पर भी क्षेत्राधिकार उत्‍पन्‍न होता है। परिवादी ने अपना पता परिवाद पत्र में लखनऊ का होना दर्शाया है तथा यह कहा गया कि मशीन विपक्षी के दो कर्मचारी डिलीवरी देने परिवादी के घर आये थे। जब मशीन देखी गयी तब 88.6 घण्‍टे चली होना पाया गया तो आंशिक रूप से जब मशीन को लखनऊ में देखा गया कि चलायी गयी है, इसलिए आंशिक रूप से वाद हेतु लखनऊ में भी जहॉं परिवादी रहता है, उत्‍पन्‍न होता है। इस प्रकार विपक्षी के कथन में कोई बल नहीं है। इस आयोग को क्षेत्राधिकार है। उपरोक्‍त विवेचन के आधार पर परिवादी का परिवाद स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

                              आदेश

     परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है तथा विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि परिवादी द्वारा जमा धनराशि मुबलिग 9,06,800.00 (नौ लाख छह हजार आठ सौ रूपया मात्र) धनराशि जमा किये जाने की तिथि से मय 09 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के साथ निर्णय की तिथि से 45 दिन के अन्‍दर अदा करेंगें। परिवादी को हुए मानसिक, आर्थिक कष्‍ट के लिये मुबलिग 25000 (पच्‍चीस हजार रूपया मात्र) एवं वाद व्‍यय के लिये 10,000.00 (दस हजार रूपया मात्र) भी अदा करेंगें। यदि निर्धारित अवधि में आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है तो उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण धनराशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज भुगतेय होगा। परिवादी को निर्देशित किया जाता है कि विपक्षी से धनराशि प्राप्‍त करते समय उपरोक्‍त क्रय किया गया सामान विपक्षी को प्राप्‍त करायेगें।

     निर्णय की प्रति उभयपक्ष को नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाए।

 

(कुमार राघवेन्‍द्र सिंह)    (सोनिया सिंह)                        (नीलकंठ सहाय)

         सदस्‍य              सदस्‍य                         अध्‍यक्ष

                            जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                               लखनऊ। 

आज यह आदेश/निर्णय हस्‍ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।

                                   

(कुमार राघवेन्‍द्र सिंह)    (सोनिया सिंह)                        (नीलकंठ सहाय)

         सदस्‍य              सदस्‍य                         अध्‍यक्ष

                            जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                               लखनऊ। 

दिनॉंक:-30.01.2023

 

 
 
[HON'BLE MR. Neelkuntha Sahya]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MS. Kumar Raghvendra Singh]
MEMBER
 
 
[HON'BLE MS. sonia Singh]
MEMBER
 

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