M/S Radhika Enterprises, Prop. Radha Gaud filed a consumer case on 25 Aug 2015 against Chamble Fertilizer & Chemicals ltd. Manager in the Kota Consumer Court. The case no is CC/379/2008 and the judgment uploaded on 26 Aug 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, मंच, झालावाड केम्प कोटा ( राजस्थान )
पीठासीनः-
01. नंदलाल शर्मा ः अध्यक्ष
02. महावीर तंवर ः सदस्य
परिवाद संख्या:-379/08
मै0 राधिका इन्टरप्राइजेज प्रो0 राधा गौड पत्नि महेन्द्र कुमार गौड जाति ब्राहमण, 320, शोंपिंग सेन्टर कोटा राजस्थान। परिवादिया
बनाम
01. चम्बल फर्टीलाइजर एण्ड केमिकल्स लि. जरिये प्रबंधक गढेपान जिला कोटा ,
02. सी. एण्ड एफ0 चम्बल फर्टीलाइजर एण्ड केमिकल्स लि., एच0ई0-36 विष्णु मार्ग हनुमान नगर विस्तार खातीपुरा जयपुर राजस्थान।
03. मै0 टेम्पटेशन फुड लिमिटेड 259 अग्रवाल मार्डन बाजार सी-33 द्वितीय फ्लोर लाॅरेन्स रोड इन्डस्ट्रीयल एरिया दिल्ली-110038 अप्रार्थीगण
प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति:-
01. श्री एस0एस0 यादव, अधिवक्ता,परिवादिया की ओर से ं।
02. श्री राजेन्द्र जैन, श्री कुलदीप, अधिकवक्तागण, अप्रार्थी सं. 1 की ओर से।
03. अप्रार्थी सं. 2 व 3 के खिलाफ एक पक्षीय कार्यवाही।
निर्णय दिनांक 25.08.2015
परिवादिया का यह परिवाद जिला मंच कोटा से स्थानान्तरण होकर वास्ते निस्तारण जिला मंच, झालावाड, केम्प कोटा को प्राप्त हुआ, जिसमें अंकित किया परिवादिया ने अप्रार्थीगण लि0 कंपनी से फुड प्रोसेसिंग व्यवसाय हेतु कोटा में एक यूनिट की डिलर शीप ले रखी है, जिसके लिये दिनांक 11.10.06 को 20,000/- रूपये बतौर जमानत जमा किये। परिवादिया अप्रार्थीगण से अनाज मक्का दाने, मटर के दाने आदि मांग के अनुसार खरीद किये जिसका भुगतान समय पर किया गया। परिवादिय फर्म की तरफ अप्रार्थीगण का कोई राशि बकाया नहीं है। अप्रार्थीगण ने एक मक्का का कट्टा 1750/- रूपये का शोर्ट भेजा जिसका भुगतान अप्रार्थीगण को दे दिया परन्तु शोर्ट भेज गये माल के पैसे का भुगतान न तो कर रहे है और न एडजस्ट कर रहे है। अप्रार्थीगण के वाहन चालक ने माल खाली करते समय 500/- रूपये एडवान्स कंपनी के हिसाब में एडजस्ट करने को कहा परन्तु अप्रार्थीगण ने उक्त राशि भी आज दिन तक अदा नहीं की और ना ही हिसाब में कम की। अप्रार्थी कंपनी ने दिनांक 04.05.07 के बाद से फुड प्रोसेसिंग यूनिट से अनाज भेजना बंद कर दिया और अन्य डीलर की नियुक्ति कर दी, इस कारण परिवादिया को 50,000/- रूपये का घाटा लगा, जिससे परिवादिया फर्म को नुकसान लगा। अप्रार्थीगण का उक्त कार्य परिवादिया की सेवा में कमी है। इसलिये अप्रार्थीगण से परिवादिया को 20,000/- रूपये जमानत के, 1750/- रूपये मक्का शार्टेज के एवं 500/- रूपये वाहन चालक को दी गई एडवान्स राशि मय ब्याज, मानसिक संताप, परिवाद खर्च दिलवाया जावे।
अप्रार्थी सं. 1 ने परिवादिया के परिवाद का विरोध करते हुये जवाब पेश किया उसमें अंकित किया कि उसे परिवादिया ने गलत पक्षकार बनाया है। परिवादिया का परिवाद मंच में चलने योग्य नहीं है।उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2(1)(डी) के तहत किसी व्यक्ति द्वारा व्यवसायिक संव्यवहार हेतु किया गया कार्य उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है और प्रस्तुत प्रकरण में परिवादिया फर्म ने व्यवसाय हेतु मक्का, चना, मटर के दानें आदि के लिये सिक्यूरीटी राशि जमा करवाई है परिवादिया ने अपने परिवाद की मद सं. 2 में यह स्वीकार किया है कि उसने अप्रार्थीगण लि0 कंपनीसे फुड प्रोसेसिंग व्यवसाय हेतु कोटा में एक यूनिट की डिलर शीप ले रखी है, तथा अप्रार्थी सं. 1 से मक्का दाने व भट्टू उसके विक्रय के संव्यवहार के काम आएगा तथा वह बेचने के उपयोग में ली जावेगी, इस प्रकार परिवादिया केवल माल को बेचने खरीदने का कार्य करेगी। परिवादिया अप्रार्थीगण की उपभोक्ता नहीं है। अप्रार्थी सं. 1 का परिवादिया की ओर 12,641/- रूपये बकाया है। उक्त राशि परिवादिया को 20,000/- रूपये की राशि देने के बाद शेष है। परिवादिया को 1750/- रूपये की राशि अप्रार्थीसं0 1 की ओर बकाया होना निराधार है। वाहन चालक को रूपये देना बिल्कुल मना है। अप्रार्थी सं. 1 ने परिवादिया की सेवा में कोई कमी नहीं की है। परिवादिया का परिवाद सव्यय खारिज किया जावे।
अप्रार्थी सं. 2 के खिलाफ दिनांक 05.03.09 को व अप्रार्थी सं. 3 के खिलाफ दिनांक 27.05.10 को एक पक्षीय कार्यवाही अमल में लाई गई।
उपरोक्त अभिकथनों के आधार पर बिन्दुवार हमारा निर्णय निम्न प्रकार हैः-
01. आया परिवादिया अप्रार्थीगण की उपभोक्ता है ?
उभय पक्षों को सुना गया। पत्रावली का अध्य्यन अवलोकन किया गया तो स्पष्ट हुआ कि परिवादिया फर्म ने स्वयं परिवाद के पैरा नं. 1 में अंकित कर रखा है कि परिवादिया ने अप्रार्थीगण लिमिटेड कंपनी से फूड प्रोसेसिंग व्यवसाय हेतु कोटा में एक यूनिट की डीलरशिप ले रखी है, इसकी स्वीकृति अप्रार्थी सं. 1 अपने जवाब के पैरा नं. 2 में अंकित किया है कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2(1)(डी) के तहत किसी व्यक्ति द्वारा व्यवसायिक संव्यवहार हेतु किया गया कार्य उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है और प्रस्तुत प्रकरण में परिवादिया फर्म ने व्यवसाय हेतु मक्का, चना, मटर के दानें आदि के लिये सिक्यूरीटी राशि जमा करवाई है यद्यपि परिवादिया के विद्वान अभिभाषक ने निवेदन किया है कि हमने मक्का सीधे ही कंपनी से खरीदी है न कि उनके प्रतिनिधियों से इसलिये हम उपभोक्ता है। लेकिन हमारे विचार से चाहे परिवादिया फर्म ने मक्का, चना, मटर के दाने सीधे ही कंपनी से खरीदे हो इससे कोई फर्क नही पडता, फर्क इस बात से पडता है कि परिवादिया ने जो दाने खरीदे है वह व्यवसाय कार्य के लिये खरीदे थे, इसलिये हमारे विचार से परिवादिया फर्म, अप्रार्थीगण की उपभोक्ता नहीं पाई जाती है।
02. आया अप्रार्थीगण ने सेवा दोष किया है ?
परिवादिया बिन्दु संख्या 1 अपने पक्ष में साबित करने सफल नही रही है, इसलिये इस बिन्दु पर विवेचन, विश्लेषण करने की आवश्यकता नहीं है।
03. अनुतोष ?
परिवादिया का परिवाद, अप्रार्थीगण के खिलाफ खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादिया राधा गौड का परिवाद अप्रार्थीगण के खिलाफ खारिज किया जाता है। खर्च परिवाद पक्षकारान अपना-अपना स्वयं वहन करेगे।
(महावीर तंवर) (नंदलाल शर्मा)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा मंच, झालावाड, केम्प कोटा।
निर्णय आज दिनांक 25.08.2015 को खुले मंच में लिखाया जाकर सुनाया गया।
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा मंच, झालावाड, केम्प कोटा।
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