Rajasthan

Kota

CC/132/2008

Padam chand jain - Complainant(s)

Versus

Chambal Motors Pvt. ltd. - Opp.Party(s)

Deepak Mittal

08 Sep 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, मंच, झालावाड केम्प कोटा ( राजस्थान )

पीठासीनः- 

01.    नंदलाल शर्मा    ः    अध्यक्ष  
02.    महावीर तंवर    ः    सदस्य

परिवाद संख्या:-132/08

पदम चंद जैन पुत्र चिन्टूलाल जैन जाति जैन आयु 55 वर्ष निवासी वार्ड नं. 8, कस्बा थाना तहसील शाहबाद जिला बारां, राजस्थान।                            परिवादी

                    बनाम

01.    चम्बल मेाटर्स प्र0लि0 जर्ये मैनेजर टाटा आॅथोराइज्ड डीलर                  (पैसेन्जर कार डिवीजन), 19 बल्लभ नगर, कोटा, राजस्थान। 
02.    टाटा मोटवर्स मार्केटिंग एण्ड कस्टमर सपोर्ट जर्ये मार्केटिंग मैनेजर, पैसेन्जर कार     बिजनेस यूनिट, 8 फ्लोर, काउन्टर नं. 1 वल्र्ड ट्रेड सेन्टर, कफ परेड मुम्बई     (महाराष्ट्र) 400005
03.    प्रोडक्शन मैनेजर, टाटा मोटर्स पैसेन्जर कार बिजनेस, के-डी-03 कार     प्लान्ट,सैक्टर-15, 15-ए पी सी एन टी डी ए चिखली पुणे महाराष्ट्र-410501                                           अप्रार्थीगण
    प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति:-

01.    श्री दीपक मित्तल, अधिवक्ता,परिवादी की ओर से ं।
02.    श्री संदीप जैन, अधिकवक्ता, अप्रार्थी सं.1 की ओर से। 
03.    अप्रार्थी सं. 2 व 3 के विरूद्ध एक पक्षीय कार्यवाही ।

            निर्णय             दिनांक 08.09.2015

    परिवादी का यह परिवाद जिला मंच कोटा से स्थानान्तरण होकर वास्ते निस्तारण जिला मंच, झालावाड, केम्प कोटा को प्राप्त हुआ, जिसमें अंकित किया उसने अप्रार्थी सं. 1 से वाहन सं. आर.जे.-28/यू-ए 0090 को इनवाईस सं. सी एच 00200224 दिनांक 09.09.05 को तादादी 4,60,336/- रूपये में खरीद की थी। उक्त   कार में शुरू से फ्रन्ट व्हील में एलाईमेन्ट की समस्या थी, जिसके कारण टायर एक तरफ से घिसते, सस्पंेशन सही नहीं रहता एवं इंजन में लगातार आवाज आ रही है, जिसके संबंध में उसने अप्रार्थी सं. 1 से शिकायत की तो उसने कहा कि कंपनी के मेकेनिक/इंजीनियर को दिखायेगे और उसे ठीक भी करने का प्रयास किया किन्तु उक्त खराबिया ठीक नही हुई। अप्रार्थी सं. 1 के कर्मचारियों ने कहा कि उक्त खराबिया निर्माणाकालीन दोष के कारण है जो ठीक नहीं होगी। परिवादी ने उक्त वाहन को दिनांक 27.06.06 को विपक्षी सं. 2 व 3 के यहाॅ भी ठीक करवाई परन्तु वह ठीक नहीं हुई। परिवादी ने वाहन के ट्यूब टायर भी बदले जिसके 5,700/- रूपये खर्च हुये, परिवादी ने अप्रार्थी सं. 1 के यहाॅ विभिन्न तारीखों में कुल 16,723/- रूपये एवं दिनांक 27.06.06 को 2081 /- रूपये मरम्मत के खर्च किये, परन्तु वाहन का दोष ठीक नहीं हुआ। परिवादी ने अप्रार्थीगण को कानूनी नोटिस भी दिलवाया जो उन्हे प्राप्त हो गया तथा अप्रार्थी सं. 2व 3 ने जवाब में अंकित किया कि उक्त वाहन से संबंधित डिटेल्स एकत्रित कर रहे है। अप्रार्थी सं. 1 ने जवाब चिर-परिचित अंदाज में दिया है। अप्रार्थीगण ने परिवादी की खराबशुदा वाहन को ठीक न कर उसकी सेवा में कमी की है।  अप्रार्थीगण से परिवादी को दोषपूर्ण कार  के बदले में दोष-रहित नई कार, कार की कीमत, क्षति, मानसिक संताप, परिवाद खर्च दिलवाया जावे। 

     अप्रार्थीगण ने परिवादी के परिवाद का विरोध करते हुये जवाब पेश किया उसमें अंकित किया कि परिवादी के वाहन में कोई निर्माणाकालीन दोष नहीं है। परिवादी अपने उक्त वाहन को सर्विस के लिये अप्राथी सं. 1  के संस्थान पर लाया है जिसमे कभी भी निरन्तर शिकायत आ रही है, ऐसी शिकायत नहीं की । परिवादी, अप्रार्थी सं. 2 के संस्थान पर भी उक्त वाहन लाया था तब परिवादी के वाहन के संस्पेशन में कोई खराबी नहीं थी तथा इंजन में कोई खराबी नहीं आ रही थी। परिवादी ने अपने वाहन को सर्विस पर डाला तब उसकी संतष्टि के अनुसार ही प्राप्त किया है। परिवादी ने उक्त वाहन की सर्विस करवाई उस समय उसमें यदि निर्माणाकालीन दोष होता तो वह अप्रार्थी सं. 1 निर्माता कंपनी को वह दोष बताता, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। परिवादी ने उक्त वाहन की सर्विस करवाई तब अप्रार्थी सं. 1 के मेकेनिक/ इंजीनियरों ने उक्त वाहन में बताई गई शिकायत को दूर किया है और परिवादी की संतुष्टि होने के बाद उसने जोब कार्ड पर दस्तखत किये है। परिवादी उक्त वाहन का उपयोग कर रहा है वह लगभग 50,000 किलो मीटर तक चल चुका है। परिवादी से जो राशि ली है वह पाटर््स की राशि है जो वारंटी के अधीन नही है। परिवादी अप्रार्थीगण से किसी भी प्रकार की राहत पाने का अधिकारी नहीं है। परिवादी ने मिथ्या कथनों पर आधारित परिवाद पेश किया है जो चलने योग्य नहीं है। परिवादी ने अपने वाहन की मेकेनिक रिपोर्ट मंच में पेश नही की है जिससे यह पता लग सके कि परिवादी के वाहन में कौनसी खराबी है जो निर्माणकालीन दोष की श्रेणी में आती है, जिसे अप्रार्थीगण ने ठीक नहीं किया। परिवादी ने जो वाहन खरीदा वह देख कर खरीदा है उसमें किसी भी प्रकार का कोई निर्माणाकालीन दोष नहीं था। अप्रार्थीगण ने परिवादी की सेवा में कोई दोष नहीं किया है। परिवादी का परिवाद सव्यय खारिज किया जावे। 
 
    अप्रार्थी सं. 2 व 3 के विरूद्ध दिनांक 18.03.15 को एक पक्षीय कार्यवाही अमल में लाई गई।    त्र

    उपरोक्त अभिकथनों के आधार पर बिन्दुवार हमारा निर्णय निम्न प्रकार हैः-
01.    आया परिवादी अप्रार्थीगण का उपभोक्ता है ?
    परिवादी के परिवाद, शपथ-पत्र, कार  खरीद के इनवाईस  से परिवादी, अप्रार्थीगण का उपभोक्ता है। 
02.    आया अप्रार्थीगण ने सेवा दोष किया है ?
    उभय पक्षों को सुना गया। पत्रावली में उपलब्ध दस्तावेजी रेकार्ड का अवलोकन किया गया तो स्पष्ट हुआ कि  अप्रार्थीगण ने अपने जवाब में कथन किया है कि परिवादी जब भी उनके संस्थान में अपने खराबशुदा वाहन को लेकर आया तो उन्होने उसकी खराबी दूर करके उसकी संतुष्टि के अनुसार ठीक किया है और उपभोक्ता ने जोबकार्ड पर संतुष्टि के हस्ताक्षर किये है, उक्त कथन के संबंध में परिवादी द्वारा प्रस्तुत किये गये जोबकार्ड का अवलोकन किया तो पाया कि अप्रार्थीगण के संस्थान के जोब कार्ड सं. 24539 दिनांक 26.11.05 के उपभोक्ता के हस्ताक्षर के स्थान पर खाली स्थान है उक्त हस्ताक्षर के स्थान पर उपभोक्ता के हस्ताक्षर नहीं और ना ही उसके किसी प्रतिनिधि के हस्ताक्षर है। इसी प्रकार जोब कार्ड सं. 25043 दिनांक 20.01.06, जोब कार्ड दिनांक 03.04.06 पर भी उपभोक्ता या उसके किसी प्रतिनिधि के हस्ताक्षर नहीं है। परिवादी ने अपने परिवाद की मद सं.6 में वणित है कि उसने अप्रार्थी सं. 1 के सर्विस सेन्टर दिनांक 07.10.05, 25.11.05, 23.01.06, 25.02.06, 03.04.06, 29.04.06 पर परिवादी की खराबशुदा वाहन की सर्विस करवाई है तभी उनके कर्मचारियों ने उक्त दोष बताये और उक्त दोष निर्माणाकालीन होने के कारण उनको ठीक नहीं किया जा सका। परिवादी के द्वारा प्रस्तुत जोबकार्ड से व परिवादी के स्वयं के शपथ-पत्र से परिवादी के कथनों की पुष्टि होती है तथा अप्रार्थीगण के कथनों का खंडन किया है। इसलिये वर्तमान प्रकरण में परिवादी के वाहन में आई खराबियों के लिये मेकेनिक /इंजीनियर्स विशेषज्ञ की रिपोर्ट या शपथ-पत्र की आवश्यकता नहीं है। परिवादी के द्वारा बार-बार अप्रार्थी सं. 1 के संस्थान, अप्रार्थी सं. 2व 3 के संस्थान पर जाकर ठीक कराना और वह खराबिया पुनः आ जाना और ठीक न होना ही निर्माणाकालीन दोष की श्रेणी में आता है और यही अप्रार्थीगण का सेवादोष है। 
03.    अनुतोष ?
    परिवादी का परिवाद, अप्रार्थीगण के खिलाफ आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है। 
                     आदेश 
     परिवादी पदम कुमार जैन का परिवाद, अप्रार्थीगण के खिलाफ आंशिक रूप से संयुक्ततः अथवा पृथकतः स्वीकार किया जाकर आदेश दिया जाता है कि :-
01.    परिवादी को निर्देश दिये जाते है कि परिवादी उसकी खराबशुदा वाहन को अप्रार्थी     सं. 1 के यहाॅ निर्णय के दिनांक से 15 दिन के अंदर संभलाये तथा अप्रार्थी सं. 1     कार प्राप्ति के बाद एक माह में कार ठीक कर वापस परिवादी को संभलावे, उसके     बाद भी यदि परिवादी की कार ठीक नहीं होती है और परिवादी संतुष्ट नहीं होता     है तो वह पुनः इस मंच में परिवाद पेश कर सकता है। 
02.    अप्रार्थीगण परिवादी को 5,000/- रूपये मानसिक संताप, 2,000/- रूपये     परिवाद खर्च भी अदा करे। 
03.    अप्रार्थीगण आदेश की पालना निर्णय की दिनांक से एक माह के अंदर करे अन्यथा     ताअदायगी सम्पूर्ण भुगतान 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज कि दर से ब्याज भी अदा     करे।   

     (महावीर तंवर)                (नंदलाल शर्मा)
        सदस्य                       अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष      जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा           मंच, झालावाड, केम्प कोटा।
    निर्णय आज दिनांक 08.09.2015 को खुले मंच में लिखाया जाकर सुनाया गया।

   सदस्य                              अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष      जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा            मंच, झालावाड, केम्प कोटा।

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