राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
परिवाद संख्या-198/2019
अरविन्द कुमार त्रिपाठी, पुत्र भाष्करानन्द त्रिपाठी, निवासी ग्राम नीवी कला, पोस्ट-सिकन्दगरपुर, तहसील-चकिया, जिला-चंदौली। वर्तमान पता निवासी मकान नंबर- 151, पटेल नगर, मुगलसराय, परगना- मवई, तहसील एवं जिला- चंदौली।
.........................परिवादी
बनाम
1. चक्रवर्ती क्लीनिक, द्वारा डा0 राधिका चक्रवर्ती, मकान नं0-बी- 21/49-ए, कमच्छा सिटी वाराणसी।
2. डा0 राधिका चक्रवर्ती, चक्रवर्ती क्लीनिक, मकान नं0-बी- 21/49-ए, कमच्छा सिटी वाराणसी।
3. न्यू इण्डिया एश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, शांति मार्केट, लहुरावीर, वाराणसी, द्वारा ब्रांच मैनेजर।
.........................विपक्षीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री संजय कुमार वर्मा,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी सं01 व 2 की ओर से उपस्थित : श्री राजेश चड्ढा,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी सं03 की ओर से उपस्थित : श्री अशोक कुमार राय एवं
श्री जफर अजीज,
विद्वान अधिवक्तागण।
दिनांक: 16.10.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत परिवाद इस न्यायालय के सम्मुख परिवादी अरविन्द कुमार त्रिपाठी द्वारा विपक्षी संख्या-1 चक्रवर्ती क्लीनिक, विपक्षी संख्या-2 डा0 राधिका चक्रवर्ती तथा विपक्षी संख्या-3 न्यू इण्डिया एश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड के विरूद्ध विलम्ब क्षमा प्रार्थना पत्र के
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साथ योजित किया गया।
परिवादी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री संजय कुमार वर्मा, विपक्षी संख्या-1 व 2 की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री राजेश चड्ढा तथा विपक्षी संख्या-3 की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्तागण श्री अशोक कुमार राय एवं श्री जफर अजीज को सुना तथा परिवाद पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक परिशीलन व परीक्षण किया।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का संक्षेप में कथन इस प्रकार है कि वाद का कारण दिनांक 15.06.2013 को उत्पन्न हुआ जब शाह मैटरनिटी एवं आई हॉस्पिटल प्राइवेट लिमिटेड के डा0 एस0के0 शाह ने सूचित किया कि विपक्षी संख्या-1 एवं 2 ने परिवादी के उपचार में सेवा में घोर कमी की है। तदोपरान्त परिवादी ने उसके उपचार में विपक्षी संख्या-1 व 2 द्वारा की गई सेवा में घोर कमी के लिए क्षतिपूर्ति हेतु उनसे कई बार सम्पर्क किया, परन्तु उनके द्वारा आश्वासन दिए जाने के बावजूद क्षतिपूर्ति नहीं दी गयी।
परिवादी ने दिनांक 21.07.2015 को विपक्षीगण को विधिक नोटिस दिया, जिसका विपक्षीगण द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया। इस प्रकार दिनांक 15.06.2013 से दिनांक 21.07.2015 तक वाद का कारण निरन्तर बना रहा तथा दिनांक 12.10.2015 तक उपचार निरन्तर था, जो विपक्षीगण की प्रिस्क्रिप्शन स्लिप से स्पष्ट है।
परिवादी द्वारा परिवाद संख्या-128/2016 इस न्यायालय के सम्मुख योजित किया गया, जिसे निर्णय एवं आदेश दिनांक 20.06.2019 के द्वारा निर्णीत किया गया, जिसके अन्तर्गत परिवादी को विलम्ब क्षमा प्रार्थना पत्र के साथ नया परिवाद प्रस्तुत करने हेतु कहा गया और दिनांक 27.07.2019 की तिथि नियत की गई। अत: विलम्ब क्षमा प्रार्थना पत्र मय शपथ पत्र के साथ प्रस्तुत परिवाद योजित किया गया।
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परिवादी दिनांक 03.03.2013 को अपनी आँखों के इलाज के लिए विपक्षी की क्लीनिक पर गया। विपक्षी संख्या-2 ने परिवादी की आँखों की जांच की थी और इलाज शुरू किया।
परिवादी पुन: दिनांक 08.03.3013 को विपक्षी की क्लीनिक पर गया तथा विपक्षी संख्या-2 को अपनी आँखें दिखाईं, क्योंकि आँखों में लालिमा तथा संक्रमण बना हुआ था, यद्यपि दर्द में राहत थी। विपक्षी संख्या-2 ने पुनः परिवादी को दवा लेने को कहा। परिवादी ने विपक्षी संख्या-2 द्वारा बतायी गई दवा का प्रयोग किया, परन्तु दुर्भाग्यवश आँखों में लाली के सम्बन्ध में कोई राहत नहीं मिली। तब परिवादी ने उपरोक्त शिकायत के साथ दिनांक 29.03.2013 को विपक्षीगण से पुनः परामर्श किया। तब विपक्षीगण ने आँखों के कॉर्निया के फैलने की दवाई शुरू कर दी, जिसके कारण आँखों का रेटिना सफेद हो गया और परिवादी देखने में असमर्थ हो गया, मानो उसकी आँखों की रोशनी चली गई हो।
तदोपरान्त परिवादी दिनांक 01.04.2013 को विपक्षीगण की क्लीनिक पर गया। विपक्षी संख्या-2 ने आँखों की जांच की तथा एक इंजेक्शन लगाया और आँखों में ड्रॉप दी। उपरोक्त इंजेक्शन और आँखों में ड्रॉप के कारण परिवादी की आँखों और सिर में असहनीय दर्द हुआ। तब परिवादी को आँखों के एक्स-रे एवं अल्ट्रासाउंड हेतु भेजा गया। परिवादी की आँखों का एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट आने के बाद विपक्षी संख्या-2 ने फिर से एक इंजेक्शन लगाया और उसके बाद आँखों से कुछ तरल पदार्थ निकालकर वाराणसी के रथयात्रा चौराहा स्थित माइक्रो बायोलॉजिस्ट डॉ. असीम कुमार सिंह के पास भेजा। तदोपरान्त विपक्षी संख्या-2 ने परिवादी को कुछ दवाएं दीं, लेकिन कोई राहत मिलने के बजाय, धीरे-धीरे उसकी आँखों की रोशनी कम होती गई तथा परिवादी को महसूस हो रहा था कि उसकी बाईं आँख सिकुड़ने लगी है। परिवादी ने तुरन्त डा0 संजय ठाकुर से सलाह ली, जिन्होंने उसकी आँखों की
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जाँच करने के बाद बताया कि गलत उपचार के कारण परिवादी ने अपनी बाईं आँख की रोशनी खो दी है, जो वापस नहीं लाई जा सकती है, लेकिन संक्रमण को दूर करने और आँखों के सिकुड़ने का उपचार शुरू किया जा सकता है। इसके बाद आँखों के सिकुड़ने का उपचार जारी रहा।
दिनांक 31.05.2013 को सरसुंदरलाल चिकित्सालय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में डॉक्टर अभिषेक चंद्रा ने बताया कि परिवादी अपनी बायीं आंख से नहीं देख पाएगा। तदोपरान्त परिवादी ने दिनांक 04.06.2013 को डा0 ओ0पी0एस0 मौर्या, सरसुंदरलाल चिकित्सालय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से परामर्श किया, जिन्होंने भी वही बात बताई जो डा0 अभिषेक चन्द्रा ने बताई थी।
तदोपरान्त परिवादी ने आई शाह मैटरनिटी एंड आई हॉस्पिटल के डा0 एम0के0 शाह की सलाह पर दिनांक 13.06.2013 को शंकर नेत्रालय, चेन्नई से परामर्श लिया। शंकर नेत्रालय में एक्स-रे रिपोर्ट देखने के बाद परिवादी को बहुत स्पष्ट रूप से बताया गया कि आँख की रोशनी वापस नहीं लाई जा सकती क्योंकि विपक्षी संख्या-2 के गलत उपचार के कारण बायीं आँख की रोशनी चली गई है। अब केवल आँख के सिकुड़ने से बचने के लिए उपचार शुरू किया जा सकता है। उसके बाद डा0 अभिषेक चंद्रा का उपचार जारी रहा।
परिवादी का कथन है कि विपक्षी संख्या-2 को जांच और उपचार शुरू करने के बजाय उच्च कुशल डॉक्टर के पास रेफर किया जाना चाहिए था। विपक्षी संख्या-2 द्वारा परिवादी से पैसे ऐंठने के लिए अवैध और अन्यायपूर्ण कृत्य किया गया, जो विपक्षी पक्ष की सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार की श्रेणी में आता है। तदनुसार परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद योजित करते हुए निम्न अनुतोष प्रदान किए जाने की प्रार्थना की गयी है:-
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“A. To direct the opposite parties to pay Rs 14,00,000/- towards gross deficiency in service committed by them along with 18% interest from the date of legal notice to the date of actual payment, to complainant.
B. To direct the opposite parties to make the payment of Rs 20,00,000/- towards compensation for physical harassment and mental agony.
C. To direct the opposite parties to pay Rs 10,000/- towards permanent disability and loss of body part, to complainant.
D. To direct the opposite parties to pay Rs 55,000/- for cost of the case.
E. To pass any other relief or order which this Hon'ble Court deems fit and just in the interest of justice.”
परिवादी द्वारा विपक्षी चिकित्सक के विरूद्ध इस आधार पर परिवाद प्रस्तुत किया गया है कि विपक्षी चिकित्सक द्वारा उसकी आँख का सही इलाज नहीं किया गया, जिसके कारण उसकी बायीं आँख की रोशनी चली गयी। इस संबंध में परिवादी द्वारा कोई ऐसा साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया कि विपक्षी चिकित्सक द्वारा इलाज में क्या लापरवाही बरती गयी एवं किन दवाओं के प्रयोग से उसकी आँख की रोशनी चली गयी। इसके अतिरिक्त परिवादी द्वारा यह भी उल्लेख नहीं किया गया कि विपक्षी चिकित्सक से इलाज के बाद परिवादी द्वारा विभिन्न चिकित्सकों से जो अपनी आँख का इलाज कराया, उससे उसकी आँख में कितना सुधार हुआ। परिवादी द्वारा ऐसा कोई प्रमाण/साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है, जिससे विपक्षी चिकित्सक की चिकित्सा में कोई लापरवाही सिद्ध हो सके। अत: मेरे द्वारा विपक्षी चिकित्सक की चिकित्सा में कोई लापरवाही सिद्ध नहीं पायी जाती है।
जहॉं तक विलम्ब का प्रश्न है परिवादी द्वारा विलम्ब क्षमा प्रार्थना पत्र मय शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है, जिसमें मुख्य रूप से यह कथन किया गया कि परिवादी दिनांक 12.10.2015 तक चिकित्सा कराता रहा तथा प्रथम परिवाद दिनांक 16.05.2016 को
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प्रस्तुत किया गया, परन्तु चूँकि परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी को दिनांक 15.06.2013 को डा0 एस0के0 शाह द्वारा विपक्षी संख्या-1 व 2 द्वारा कथित रूप से की गयी चिकित्सीय सेवा में कमी की जानकारी हुई, अत: वाद का कारण दिनांक 15.06.2013 से उत्पन्न होना पाया जाता है। इस आधार पर परिवाद दिनांक 15.06.2013 से दो वर्ष के अन्दर अर्थात् 15.06.2015 तक प्रस्तुत करना चाहिए था, परन्तु परिवादी द्वारा विलम्ब से प्रथम परिवाद दिनांक 16.05.2016 को तत्पश्चात् द्वितीय परिवाद दिनांक 18.07.2019 को प्रस्तुत किया गया। अत: परिवाद विलम्ब के स्तर पर भी निरस्त होने योग्य है।
उपरोक्त विवेचना के आधार पर प्रस्तुत परिवाद निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत परिवाद निरस्त किया जाता है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1