Uttar Pradesh

StateCommission

A/669/2022

Gulwar - Complainant(s)

Versus

Chairman Madhyanchal Vidyut Vitran Nigam Limited - Opp.Party(s)

Akhilesh Trivedi

26 Jul 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/669/2022
( Date of Filing : 21 Jul 2022 )
(Arisen out of Order Dated 27/06/2022 in Case No. C/2021/83 of District Budaun)
 
1. Gulwar
S/o Gulanvaan Khan R/o Vill. Behta Dumber Doctor Mohammadganj Dist. Badayun
...........Appellant(s)
Versus
1. Chairman Madhyanchal Vidyut Vitran Nigam Limited
4-a Gokhle Marg Lucknow
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 26 Jul 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(सुरक्षित)                                                                                  

अपील संख्‍या:-669/2022

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, बदायॅू द्धारा परिवाद सं0-83/2021 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 27.6.2022 के विरूद्ध)

गुलवार पुत्र गुलनवान खॉ, निवासी ग्राम बेहटा डम्‍बर, डा0 मोहम्‍मदगंज, तहसील व जिला बदायॅू।

                                              ........... अपीलार्थी/परिवादी

बनाम          

1- चेयरमैन, मध्‍यॉचल विद्युत वितरण निगम लि0, 4/ए गोखले मार्ग, लखनऊ।

2- अधिशासी अभियंता, विद्युत वितरण खण्‍ड चतुर्थ, उझानी, जिला-बदायॅू।

…….. प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य                  

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता      : श्री अखिलेश त्रिवेदी

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता        : कोई नहीं।

दिनांक :- 01-8-2022

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, जिला उपभोक्‍ता आयोग, बदायॅू द्वारा परिवाद सं0-83/2021 गुलवार बनाम चेयरमैन, मध्‍यॉचल विद्युत वितरण निगम लि0 व अन्‍य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 27.6.2022 के विरूद्ध स्‍वयं अपीलार्थी/परिवादी द्वारा योजित की गई है, क्‍योंकि जिला उपभोक्‍ता आयोग ने विद्युत शुल्‍क वसूली के लिए दिये गये नोटिस दिनांकित 19.8.2021 अंकन 6,69,243.00 रू0 के बिल को निरस्‍त करने के लिए प्रस्‍तुत किये गये परिवाद को खारिज कर दिया है।

 

-2-

अपील इन आधारों पर प्रस्‍तुत की गई है कि जिला उपभोक्‍ता आयोग ने केवल कल्‍पना एवं सम्‍भावना पर आधारित निर्णय पारित किया है, जो अपास्‍त होने योग्‍य है।

अपीलार्थी द्वारा नियमित रूप से विद्युत कनेक्‍शन पर आने वाला बिल जमा किया गया है। दिनांक 23.6.2021 को रात के 12.00 बजे प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-2 द्वारा अवैध रूप से विद्युत चोरी का आरोप लगाते हुए 2,00,000.00 रू0 जमा कराने का आदेश अपीलार्थी/परिवादी के पुत्र को दिया गया। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-2 के कर्मचारियों द्वारा विद्युत अधिनियम की धारा-135 के प्राविधानों का अनुपालन नहीं किया गया एवं मौके पर कोई कनिष्‍ठ अभियंता व लाइन मैन मौजूद नहीं था और इसी निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर दिनांक 09.7.2021 को अंकन 8,49,243.00 रू0 और दिनांक 19.8.2021 को अंकन 6,69,243.00 रू0 और इसके बाद रूपया कम करते हुए अंकन 3,41,222.00 रू0 का बिल प्रेषित कर दिया गया। जिला उपभोक्‍ता आयोग ने इस बिन्‍दु पर कोई विचार नहीं किया कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण ने निरीक्षण करते समय नियमों का पालन नहीं किया है।

केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश और पत्रावली का परिशीलन किया।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क कि नजीर उ0प्र0 पावर कारपोरेशन लि0 आदि बनाम अनीस अहमद में दी गई व्‍यवस्‍था के अनुसार विद्युत अधिनियम, 2003 तथा उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के प्राविधानों में विरोध होने पर उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के प्राविधान प्रभावी होंगे। इस नजीर का ध्‍यानपूर्वक अवलोकन किया गया। इस नजीर में स्‍पष्‍ट व्‍यवस्‍था दी गई है कि विद्युत शुक्‍ल निर्धारण के विरूद्ध जो विद्युत

-3-

अधिनियम की धारा-126 या इसी अधिनियम की धारा-135 लगायत 140 के अन्‍तर्गत कारित अपराधों के लिए किया जाता है। जिला उपभोक्‍ता आयोग के समक्ष परिवाद संधारणीय नहीं है। उपरोक्‍त नजीर में दिये गये निष्‍कर्ष प्रस्‍तुत केस में पूर्णत: लागू होते हैं।  निरीक्षण के समय नियमों की अवहेलना के बिन्‍दु पर यह आयोग अपीलीय न्‍यायालय के रूप में कार्य नहीं करता है, इसके लिए विद्युत अधिनियम के अन्‍तर्गत उपचार प्राप्‍त किया जा सकता है। उपरोक्‍त वर्णित नजीर में दी गई व्‍यवस्‍था के अनुसार विद्युत शुल्‍क के निर्धारण के विरूद्ध उपभोक्‍ता परिवाद संधारणीय नहीं है। अत: जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्‍तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। अपील खारिज किये जाने योग्‍य है।

आदेश

अपील सव्‍यय खारिज की जाती है।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की बेवसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                   (सुशील कुमार)              

                  अध्‍यक्ष                                             सदस्‍य                                                                           

हरीश आशु.,

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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