Rajasthan

Kota

CC/274/2011

Motilal mali - Complainant(s)

Versus

Chairman, Jaipur Vidhut Vitran Nigam Ltd. - Opp.Party(s)

Arun Aniya

12 Mar 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, कोटा (राजस्थान)।
पीठासीन:श्रीएम अनवर आलम,अध्यक्ष,श्रीमति हेमलताभार्गव सदस्या।
प्रकरण संख्या-274/2011    
मोतीलाल पुत्र श्री गोरधन लाल, आयु 64 साल जाति माली निवासी ग्राम अर्जुनपुरा तहसील लाडपुरा, जिला कोटा, राजस्थान।              -परिवादी।
                     बनाम
01.    चेयरमेन, जयपुर विद्युत वितरण निगम लि0 जयपुर, विद्युत भवन, ज्योति मार्ग, जयपुर राजस्थान।
02.    सहायक अभियन्ता, जयपुर विद्युत वितरण निगम लि0, नयापुरा कोटा राजस्थान।                                   -विपक्षीगण।
   परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति-
1   परिवादी की ओर से कोई उपस्थिति नही।
   2   श्री ष्याम बिहारी भार्गव, अधिवक्ता, विपक्षीगण की ओर से ।
          निर्णय                दिनांक 12-03-2015  

(1)        प्रस्तुत परिवाद दिनांक 22/09/2011 को परिवादी ने इन अभिवचनों के साथ प्रस्तुत किया है कि  उसके स्वर्गीय पिता गोरधनलाल ने विपक्षीगण से विद्युत कनेक्षन ले रखा है, जिसका उपभोग कर रहा है। विपक्षीगण ने दिनांक 09.11.06 को उक्त विद्युत कनेक्षन के संबंध में एक असत्य एवं निराधार  वी सी आर बनाकर विद्युत कनेक्षन काट दिया, जिससे उसकी फसल नश्ट हो गई। परिवादी के स्व. पिता के विद्युत कनेक्षन को विपक्षीगण द्वारा पुनः दिनांक 17.12.06 को जोड दिया गया। परन्तु परिवादी की फसल उक्त विद्युत कनेक्षन जोडने से पूर्व ही नष्ट होने के कारण उसे 1,00000/- रूपये का नुकसान हो गया। परिवादी के स्व. पिता विपक्षीगण के विरूद्ध मुआवजे की मांग हेतु दिनांक 21.04.07 को स्थाई  लोक अदालत में प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत किया, जिस पर विपक्षीगण ने दिनांक 09.05.11 को समझोते से इंकार कर दिया, जिसके फलस्वरूप प्रस्तुत परिवाद सअवधि में पेष किया गया हैं। अतः प्रार्थना की गई है कि परिवादी को विपक्षीगण से फसल नश्ट हो जाने के हर्जाने के एक लाख रूपये, मानसिक संताप की प्रतिकर राषि, खर्चा मुकदमा एवं अन्य न्यायोचित सहायता सहित दिलवाई जावे। परिवादी द्वारा उक्त परिवाद के साथ प्रार्थना - पत्र अन्तर्गत धारा 5 मियाद अधिनियम मय षपथ-पत्र पेष किया गया है।
(2)        विपक्षीगण की ओर से जवाब पेष कर परिवाद के मूल रूप से तथ्यों को अस्वीकार करते हुये विषेश कथन में स्पष्ट किया है कि परिवादी उनका उपभोक्ता नहीं है। परिवाद, तथ्य को छिपाकर पेष किया गया है। प्रस्तुत मामला विद्युत चोरी से संबंधित था। प्रस्तुत परिवाद अवधि बाधित होने से सव्यय निरस्त किया जावे।  
(3)    परिवाद के समर्थन में परिवादी ने स्वयं का शपथ-पत्र, प्रस्तुत किया  हैं तथा विपक्षीगण की ओर से श्री एम0एल0 बेहवाल, सहायक अभियन्ता, का ष्षपथ -पत्र तथा प्रलेखीय साक्ष्य में प्रदर्ष ए1 दस्तावेज प्रस्तुत किया हैं।

(4)    उपस्थित पक्ष की बहस सुनी गई। प्रस्तुत मामले में मुख्य विचारणीय बिन्दु यह  है कि -

    (अ)    क्या परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता है?
    (ब)    क्या परिवाद मियाद बाहर है ?
    (स)    क्या विपक्षीगण ने सेवा दोष किया है?
    (द)    अनुतोष ?

(5)    उपस्थित पक्ष द्वारा प्रस्तुत तर्कों, षपथपत्रों, दस्तावेजात एवं पत्रावली का अवलोकन कर विचार किया गया। प्रस्तुत मामले में परिवादी के षपथ-पत्र एवं विपक्षीगण द्वारा मामले में सतर्कता जांच प्रतिवेदन प्रदर्ष-ए-1 के अवलोकन से साबित होता है कि विपक्षीगण द्वारा परिवादी के स्व. पिता गोरधनलाल को विद्युत कनेक्षन जारी किया गया और वी सी आर जारी की, जिसका उपभोग परिवादी ने किया था। अतः परिवादी र्निविवाद रूप से विपक्षीगण का उपभोक्ता है।   

(6)        प्रस्तुत  मामलें में परिवाद में उल्लेखित तथ्यो से वी सी आर दिनांक 09.11.06 को जारी किया था, जिसे परिवादी ने दिनांक 22.09.11 को चुनोती दी अर्थात् 2 वर्ष की अवधि के पष्चात् उक्त वी सी आर को चुनोती दी गई है। परिवादी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजात जिसमें वर्तमान मामलें को स्थाई लोक अदालत कोटा में उठाया गया था, जिसके कारण मामलें में विलम्ब हुआ, जो क्षमा किये जाने योग्य है। हमारे विनम्र मत में वर्तमान मामलें को परिवादी गोरधनलाल द्वारा  स्थाई लोक अदालत में उठाया जाना आवष्यक नहीं था, स्थाई लोक अदालत एवं उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत दोनो ही कार्यवाही एक साथ करने के लिये स्वतंत्र था। अतः मामलें को स्थाई लोक अदालत में पेष किये जाने के आधार पर वर्तमान प्रकरण को देरी से पेष करने का आधार बनाया जाना समुचित एवं पर्याप्त आधार नहीं है। फलस्वरूप परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के साथ पेष किया गया ध्ंाारा 5 मियाद अधिनियम का प्रार्थना पत्र अस्वीकार किये जाने योग्य है, साथ ही में प्रस्तुत परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के आधीन कालातीत अवधि में पेष किये जाने के कारण चलने योग्य नहीं है। इसके अतिरिक्त प्रस्तुत मामला विद्युत जांच प्रतिवेदन पर आधारित माना है तथा उक्त जांच प्रतिवेदन रिपोर्ट प्रदर्षए-1 के अनुसार परिवादी के पिता के विरूद्ध विद्युत चोरी की कार्यवाही अपेक्षित थी। प्रकरण यू पी पावर कारपोरेषन लिमिटेड और आदि बनाम अनीस अहमद अपील नम्बर 5466/2012 में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित निर्णय दिनांक 01.07.2013 में प्रतिपादित सिद्धान्त के अनुसार विद्युत चोरी से संबंधित मामलें उपभोक्ता मंच में चलने योग्य नहीं है। प्रस्तुत प्रकरण उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रतिपाद्धित सिद्धान्त के अनुसार विद्युत चोरी का होने के कारण इस मंच में  चलने योग्य नही है। उपरोक्त मत एवं विवेचन के बाद हमारे विनम्र मत में परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है। विपक्षीगण कोई सेवा दोष नहीं है। 
(7)        परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है। 

                        आदेष   
(8)      परिणामतः परिवादी मोतीलाल का परिवाद खारिज किया जाता है। खर्चा मुकदमा पक्षकारान अपना-अपना स्वयं वहन करेगे। 

(श्रीमति हेमलता भार्गव)                      (मोहम्मद अनवर आलम)  
     सदस्या                                      अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष            जिला उपभोक्ता विवादप्रतितोषश
मंच,कोटा।                             मंच, कोटा।
(9)     निर्णय  आज दिनंाक 12-03-2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया। 

(श्रीमति हेमलता भार्गव)                     (मोहम्मद अनवर आलम)  
     सदस्या                                    अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषश्         जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषश
मंच,कोटा।                            मंच, कोटा।

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