Chhattisgarh

Janjgir-Champa

CC/15/23

KU TILESHWARI GOSWAMI AND OTHER - Complainant(s)

Versus

CG ELECTRICITY CO LTD - Opp.Party(s)

SHRI B. MAJUMDAR

19 Nov 2015

ORDER

District Consumer Dispute Redressal Forum
Janjgir-Champa
Judgement
 
Complaint Case No. CC/15/23
 
1. KU TILESHWARI GOSWAMI AND OTHER
VILLAGE KAKARI TAROUD JANJGIR
JANJGIR-CHAMPA
CHHATTISGARH
2. DUGESHWAR GOSWAMI
KIKARI TAROUD JANJGIR
JANJGIR CHAMPA
CHHATTISGARH
3. KU CHULGULI
KIKARI TAROUD JANJGIR
JANJGIR CHAMPA
CHHATTISGARH
4. SHIVA GOSWAMI
KIKARI TAROUD JANJGIR
JANJGIR
CHHATTISGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. CG ELECTRICITY CO LTD
KANISHTHA YANTRI AKALTARA JANJGIR
JANJGIR CHAMPA
CHHATTISGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. BHISHMA PRASAD PANDEY PRESIDENT
 HON'BLE MR. MANISHANKAR GAURAHA MEMBER
 HON'BLE MRS. SHASHI RATHORE MEMBER
 
For the Complainant:
SHRI B. MAJUMDAR
 
For the Opp. Party:
SHRI SANJIV NAMDEV
 
ORDER

                                 जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, जांजगीर-चाॅपा (छ0ग0)

 

                                                                            प्रकरण क्रमांक:- CC/23/2015
                                                                               प्रस्तुति दिनांक:- 20/03/2015


1. कुमारी तिलेष्वरी गोस्वामी पिता स्व. सुरेषगिरी गोस्वामी
उम्र 17 वर्श, नाबालिग द्वारा बली दादा नरबदगीर गोस्वामी
पिता झगलगीर गोस्वामी उम्र 75 वर्श,

2. दुगेषगिर गोस्वामी 
पिता स्व. सुरेषगिरी गोस्वामी
उम्र 12 वर्श, नाबालिग द्वारा बली दादा नरबदगीर गोस्वामी
पिता झगलगीर गोस्वामी उम्र 75 वर्श,

3. कु. चुलगुली गोस्वामी पिता स्व. सुरेषगिरी गोस्वामी
उम्र 5 वर्श, नाबालिग द्वारा बली दादा नरबदगीर गोस्वामी
पिता झगलगीर गोस्वामी उम्र 75 वर्श,

4. षिवा गोस्वामी पिता स्व. सुरेषगिरी गोस्वामी
उम्र 3 वर्श, नाबालिग द्वारा बली दादा नरबदगीर गोस्वामी
पिता झगलगीर गोस्वामी उम्र 75 वर्श,
सभी निवासी ग्राम किरारी-तरौद 
जिला जांजगीर-चाम्पा छ.ग.        ..................आवेदकगण/परिवादीगण
    
                       ( विरूद्ध )    
                 
छ.ग. राज्य विद्युत वितरण कंपनी मर्यादित
द्वारा-कनिश्ठ यंत्री अकलतरा,   
जिला जांजगीर-चाम्पा छ.ग.            .........अनावेदक/विरोधी पक्षकार
 
                                                                  ///आदेश///
                                           ( आज दिनांक  19/11/2015 को पारित)

    1. परिवादीगण/आवेदकगण ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदक  के विरूद्ध अनावेदक छ.ग. विद्युत वितरण कंपनी मर्यादित के लापरवाही एवं सेवा में कमी के कारण परिवादीगण के पिता एवं माता के विद्युत आघात से असमय मृत्यु होने के कारण 5,00,000/-रू.-5,00,000/-रू. मय ब्याज क्षतिपूर्ति, वादव्यय एवं अन्य अनुतोश दिलाए जाने हेतु दिनांक 20.03.2015 को प्रस्तुत किया है।
2. परिवाद के निराकरण के लिए आवष्यक तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादीगण के पिता स्व. सुरेषगिर गोस्वामी एवं माता श्रीमती षुषीलगिर मजदूरी करके अपने परिवार का जीवन निर्वाह करते थे। दिनांक 28.03.2014 को दोपहर 12 बजे जब वे मजदूरी करके गांव के डबरी तालाब में नहा रहे थे तब नहाते समय उनके उपर हाईवोल्टेज विद्युत तार टूट कर गिर जाने के कारण विद्युत आघात से उनकी मृत्यु हो गई । विद्युत अधिनियम एवं नियमानुसार विद्युत वितरण कंपनी का यह दायित्व होता है कि वे अपने सभी विद्युत लाईन एवं संयंत्र को इस अवस्था में सुरक्षित करे कि कोई भी अप्रत्याषित घटना न हो, किंतु घटना दिनांक को डबरी तालाब के उपर से विद्युत कंपनी द्वारा व्यवस्था किए गए विद्युत लाईन खतरनाक अवस्था में लटक रहा था, जिसे विद्युत वितरण कंपनी द्वारा सुरक्षित नहीं किया गया था, जिसके कारण उक्त घटना हुई । जिसकी क्षतिपूर्ति के लिए परिवादीगण ने विद्युुत कंपनी में दावा किया, किंतु विद्युत कंपनी परिवादीगण के निवेदन पर कोई ध्यान नहीं दिया । इस प्रकार परिवादीगण को उनके पिता व माता की विद्युत करंट से दुर्घटनात्मक मृत्यु उपरांत  अनावेदक द्वारा  मृत्यु दावा प्रदान न कर सेवा में कमी की गई है। अतः परिवादीगण ने अनावेदक छ.ग. विद्युत वितरण कंपनी मर्यादित से उनके पिता एवं माता के विद्युत आघात से असमय मृत्यु होने के कारण 5,00,000/-रू.-5,00,000/-रू. मय ब्याज क्षतिपूर्ति, वादव्यय एवं अन्य अनुतोश दिलाए जाने का निवेदन किया है ।
3. अनावेदक  ने प्रारंभिक आपत्ति प्रस्तुत कर कथन किया है कि परिवादी का मौजूदा प्रावधान विधिक प्रावधानों के विरूद्ध होने से प्रथम दृष्टया निरस्त किये जाने योग्य है, क्योंकि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में वर्णित प्रावधानों के अनुसार न तो उपभोक्ता की परिभाषा में आता है और न ही सेवा में कमी किये जाने का मामला बनता है और न ही परिवादीगण द्वारा कथित दुर्घटना में मृत्यु होने वाले व्यक्ति अनावेदक विद्युत कंपनी के उपभोक्ता रहे हैं और नहीं अनावेदक का कोई प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष संबंध है । ऐसी स्थिति में परिवादीगण का परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में वर्णित प्रावधानों के अनुसार संचलनीय होकर विचारण योग्य नहीं है । प्रस्तुत परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अनुसार विचारण न होकर अपकृत्य विधि के अंतर्गत क्षतिपूर्ति का प्रकरण है । ऐसी स्थिति में परिवादी का मौजूदा प्रकरण विधि विरूद्ध होने से आगे विचारण जारी किए जाने का कोई विधिक औचित्य नहीं है । उपरोक्तानुसार प्रारंभिक अपत्ति के प्रकाष में परिवादीगण का मौजूदा परिवादपत्र न्यायहित में प्रथम दृष्टया निरस्त किया जाकर आगे विचारण जारी रखे जाने योग्य नहीं है । यदि इसके उपरांत भी विचारण आगे जारी रखा जाता है तो इससे अनावेदक के हितों पर गंभीर प्रतिकूल असर होगा और इससे न्याय प्रक्रिया विफल होगी । अतः परिवादी का परिवाद पत्र सव्यय निरस्त किए जाने एवं उचित फोरम में मामला प्रस्तुत करने का आदेष दिए जाने योग्य है।  
4. परिवाद पर उभय पक्ष के अधिवक्ता को विस्तार से सुना गया। अभिलेखगत सामग्री का परिषीलन किया गया है ।
5. परिवाद के आधारों पर न्यायदृश्टांतों का अवलंब लेते हुए परिवादीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता ने तर्क किया है कि उल्लेखित दुर्घटना में मृत हुए सुरेष गिर गोस्वामी तथा उसकी पत्नि श्रीमति सुषील गिर गोस्वामी अनावेदक के उपभोक्ता थे, जिनकी मृत्यु पष्चात विधिक प्रतिनिधि/उत्तराधिकारी परिवाद में उपभोक्ता हैं। घटना थाना अकलतरा जिला जांजगरी क्षेत्र अंतर्गत होकर जिला फोरम में सुनवाई योग्य है। अनावेदक द्वारा सेवा में कमी की गई है। फलस्वरूप परिवाद अनुसार सहायता पाने के आवेदकगण अधिकारी हैं। जबकि अनावेदक/विरूद्ध पक्षकार के  विद्वान अधिवक्ता ने प्रारंभिक आपत्ति में उल्लेख तथ्य/आधारों पर बल देते हुए तर्क किया है कि परिवादीगण उपभोक्ता नहीं हैं। परिवादीगण के उपभोक्त होना माने जाने पर भी विघुत मीटर से घरेलु लाईन का दोश का मामला नहीं है से सेवा में कमी का कोई मामला नहीं है, फलस्वरूप अनावेदक का परिवादीगण के विरूद्ध कोई दायित्व नहीं बनता है। परिवाद निरस्त करने योग्य है। 
6. विचारणीय प्रष्न यह है कि:-
  1. क्या अनावेदक के विरूद्ध परिवाद में परिवादीगण उपभोक्ता हैं?
  2. क्या परिवाद इस फोरम द्वारा श्रवण किये जाने योग्य है ?
  3. क्या अनावेदक/विरोधी पक्षकार द्वारा परिवादीगण को कोई           क्षतिपूर्ति प्रदान न कर सेवा में कमी की गई है ?
निष्कर्ष के आधार
विचारणीय प्रष्न क्रमांक 1 एवं 2 का सकारण निष्कर्ष:-
7. परिवादीगण ने प्रस्तुत परिवाद में दिनांक 28.03.2014 दोपहर 12 बजे उसके पिता स्व. सुरेषगिर गोस्वामी एवं माता स्व. श्रीमती षुषीलगिर गोस्वामी गांव के डबरी तालाब में नहाते समय डबरी तालाब के उपर से अनावेदक विद्युत कंपनी द्वारा व्यवस्था किए हाईवोल्टेज विद्युत तार के ढिला एवं लटकने के कारण टूट कर उनके उपर  गिरा और विद्युत आघात से उनकी मृत्यु हो गई । विद्युत कंपनी द्वारा किसी अप्रत्याषित घटना से सुरक्षा नहीं किया गया था । विद्युत कंपनी के लापरवाही के कारण परिवादी के माता पिता की विद्युत प्रवाह से मृत्यु हुई आधार पर क्षतिपूर्ति के लिए अनावेदक विद्युत कंपनी में दावा किया, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया, से सेवा में कमी बताया गया है । इस प्रकार परिवादीगण ने अनावेदक विद्युत कंपनी के विरूद्ध प्रस्तुत परिवाद में स्वयं को उपभोक्ता होना बताया है । पक्ष कथन एवं तर्क के समर्थन में C.G.M., P & O, NPDCL & ORS.  VERSUS KOPPU DUDDARAJAM & ANR. IV (2008) CPJ 139 (NC)] W.B.STATE ELECTRICITY DISTRIBUTION  CO. LTD. & ORS VERSUS CHABI MALIK  III (2014) CPJ 169 (WB), A.P. TRANSCO  & ORS. VERSUS BHIMESWARA SWAMY & ORS. I (2015) CPJ 195 (NC)] DHBVNL VERSUS VIDYA DEVI III (2010) CPJ 198 (NC) के  न्याय दृश्टांत का अवलंब लिया है तथा प्रतिपादित न्याय दृश्टांत अनुसार परिवादीगण ने प्रस्तुत प्रकरण में अनावेदक विद्युत कंपनी का उपभोक्ता होना बताया है । 
8. उक्त न्याय दृश्टांत में प्रतिपादित अनुसार ग्रामीण स्थानीय संस्था सहित ग्राम पंचायत में कर अदायगी करते हैं तथा विद्युत कंपनी के विद्युत का उपयोग करते हैं, से उपभोक्ता हैं, अभिनिर्णित किया गया है । इसी प्रकार विद्युत कंपनी पर यह कर्तव्य कि विद्युत ट्रांसमिषन में व्यक्ति, पषु और अन्य वस्तु को सुरक्षित रखे तथा उन्हें किसी प्रकार के नुकसान से बचाने का सुरक्षा उपाय करे, के दायित्व का निर्वहन नहीं करने/चूक   किए जाने पर सेवा में कमी किया, से विद्युत कंपनी क्षति की क्षतिपूर्ति करने के दायित्वाधीन होना अभिनिर्णित किया गया है । 
9. परिवादीगण द्वारा परिवाद पत्र में उल्लेखित तथ्य कि परिवादीगण के पिता स्व. सुरेषगिर गोस्वामी एवं माता स्व. श्रीमती षुषीलगिर गोस्वामी का ग्राम किरारी-तरौद के निवासी हैं तथा दिनांक 28.03.2014 को गांव के तालाब में नहाते समय हाई वोल्टेज विद्युत तार टूटकर गिरा और विद्युत आघात से उनकी मृत्यु हो गई, को अनावेदक विद्युत कंपनी ने परिवाद के प्रारंभिक आपत्ति में इंकार नहीं किया है । 
10. परिवादीगण की ओर से सूची अनुसार प्रस्तुत दस्तावेज में थाना अकलतरा जिला जाॅजगीर के मर्ग क्रमांक 14/14 दिनांक 28.03.2014 एवं मर्ग क्रमांक 15/14 दिनांक 28.03.2014  के दस्तावेजी प्रमाण से परिवादी गण के पिता स्व. सुरेषगिर गोस्वामी एवं माता स्व. षुषीलगिर गोस्वामी की विद्युत करेंट से मृत्यु होना षव परीक्षण की रिपोर्ट सहित दस्तावेजी प्रमाण से पुश्टि की गई है। इस प्रकार परिवादीगण ने परिवाद अंतर्गत सामग्री से यह प्रमाणित किये हैं कि अनावेदक विद्युत कंपनी की हाई वोल्टेज 11 के.व्ही. का तार टूटकर गिरने से, विद्युत करंट लगने से डबरी तालाब में नहा रहे पिता सुरेषगिर गोस्वामी एवं माता  श्रीमती षुषीलगिर गोस्वामी की मृत्यु हो गई । 
11. अनावेदक विद्युत कंपनी ने परिवादीगण द्वारा प्रस्तुत परिवाद में वर्णित तथ्य उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम से विचारण नहीं होकर अपकृत्य विधि के अंतर्गत क्षतिपूर्ति का प्रकरण है, ऐसी स्थिति में प्रकरण विधि विरूद्ध होने से विचार किए जाने का कोई औचित्य नहीं होना जवाब में बताया है, जबकि परिवादीगण की ओर से प्रस्तुत न्याय दृश्टांत में परिवाद में उल्लेखित तथ्यों जैसे प्रकरणों में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोशण फोरम को सुरवाई का क्षेत्राधिकार होना अभिनिर्णित किया है । 
12. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 3 अनुसार उक्त अधिनियम का किसी अन्य विधि के अल्पीकरण में नहीं होना अर्थात उक्त अधिनियम के उपलब्ध तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के उपबंधों के अतिरिक्त होंगे न कि उसके अल्पीकरण में से उपभोक्ता को वैकल्पिक मंच उपचार हेतु उपलब्ध है । 
13. मृतक सुरेष गिर व श्रीमती षुषीलगिर द्वारा विद्युत अधिनियम के विधि या उपबंध का उल्लंघन किये जाने का कोई तथ्य नहीं है । आम डबरी में स्नान कर रहे व्यक्ति की अनावेदक विद्युत कंपनी के विद्युत तार टूटकर गिरने से विद्युत आघात से मृत्यु हुई, फलस्वरूप परिवादी को सिविल कोर्ट जाकर मृत्यु या उपेक्षा स्थापित करने की आवष्यकता नहीं है। जैसा कि सरोजा विरूद्ध गवर्नमेंट आॅफ तमीलनाडू एवं अन्य 2015 ।ब्श्र 2272 मंे अभिनिर्णित किया गया है । 
14. इस प्रकार अभिलेखगत सामग्री तथा उपरोक्त न्याय दृश्टांतों में प्रतिपादित अनुसार प्रस्तुत परिवाद में परिवादीगण पिता सुरेषगिर गोस्वामी एवं माता श्रीमती षुषीलगिर गोस्वामी की पु़़त्र-पुत्री होने से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 2 (1)(डी) अनुसार उपभोक्ता हैं तथा धारा 2 (1)(बी)(ट) अनुसार परिवादी हैं हम पाते हैं, तद्नुसार अनावेदकगण के विरूद्ध प्रस्तुत परिवाद में परिवादीगण द्वारा प्रस्तुत परिवाद उपभोक्ता होने के आधार पर प्रस्तुत परिवाद पोशणीय होना पाते हैं, फलस्वरूप विचारणीय प्रष्न क्रमांक 1 एवं 2 का निश्कर्श ’’हाॅ’’ में देते हैं। 
विचारणीय प्रष्न क्रमांक 3 का सकारण निष्कर्ष:-
15. परिवादीगण द्वारा अनावेदक के विरूद्ध प्रस्तुत परिवाद पोशणीय होना, परिवादी उपभोक्ता होना पाया गया है । अनावेदक विद्युत कंपनी की हाई वोल्टेज तार के टूटकर डबरी तालात में गिरने से विद्युत प्रवाह होने से परिवादीगण के पिता सुरेषगिर गोस्वामी एवं माता श्रीमती षुषीलगिर गोस्वामी की मृत्यु होना आवेदकगण द्वारा सूचीअनुसार प्रस्तुत दस्तावेजों से प्रमाणित है । आवेदकगण की ओर से अनावेदक विद्युत कंपनी को पंजीकृत नोटिस दिनांक 21.11.2014 को भेजा गया था, उसके पष्चात भी अनावेदक कंपनी द्वारा परिवादीगण के दावे पर कोई विचार नहीं किया, फलस्वरूप उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 2 (1)(जी) एवं (ओ) अनुसार सेवा में कमी की है । फलस्वरूप प्रस्तुत परिवाद अंतर्गत परिवादीगण उनके पिता सुरेषगिर गोस्वामी एवं माता श्रीमती षुषीलगिर गोस्वामी की विद्युत आघात से असमय मृत्यु होने से क्षतिपूर्ति की प्रार्थना न्याय दृश्टांतों में प्रतिपादित अनुसार दिलाए जाने योग्य होना हम पाते हैं। 
उक्त अनुसार विचारणी प्रष्न क्रमांक 3 का निश्कर्श ’’हाॅ’’ में हम देते हैं । 
16. परिवादीगण ने उनके पिता सुरेषगिर गोस्वामी एवं माता श्रीमती षुषीलगिर गोस्वामी का विद्युत आघात से असमय मृत्यु होने आधार पर अनावेदक विद्युत कंपनी को 5,00,000/-रू.-5,00,000/-रू. क्षतिपूर्ति के लिए निर्देष देने तथा उस पर ब्याज दिलाए जाने की प्रार्थना की है । 
17. परिवादीगण ने क्षतिपूर्ति आंकलन का विवरण परिवाद में उल्लेख नहीं किया है । परिवादीगण को कितनी क्षतिपूर्ति दिलाए जाने योग्य है, इस तथ्य पर विचार करने से परिवाद में परिवादी गण ने उनके पिता सुरेषगिर गोस्वामी एवं माता श्रीमती षुषीलगिर गोस्वामी  मजदूरी का काम करके आय अर्जित कर परिवार का निर्वाह करते हैं तथा घटना दिनांक को अग्निषिखा मिनरल संस्थान में काम करके डबरी तालाब में नहाते समय हाई वोल्टेज तार के टूटकर गिरने के कारण से विद्युत आघात से उनकी मृत्यु होना बताया गया है, जिसे श्री नरबदगीर गोस्वामी ने षपथ पत्रीय साक्ष्य कथन से समर्थित कराया है, जिसके खण्डन में अनावेदक विद्युत कंपनी ने कोई तथ्य जवाब में प्रकट नहीं किया है, जिससे परिवादीगण के पिता सुरेषगिर गोस्वामी एवं माता श्रीमती षुषीलगिर गोस्वामी मजदूरी का काम कर आय अर्जित करते थे स्वीकृत है, से क्षतिपूर्ति की गणना मृतक के आयु द्वारा उनके आय के आधार पर विचार करने योग्य है, जैसा कि दुर्घटनात्मक मृत्यु के मामले में प्रतिकर का निर्धारण करने के लिए विचार किया जाता है। जैसा कि सरला वर्मा विरूद्ध दिल्ली ट्रांसपोर्ट कार्पोरेषन 2009 ।ब्श्र 1298 (सुप्रीम कोर्ट), संतोश देवी विरूद्ध नेषनल इंष्योरंस कंपनी लिमिटेड 2012 ।ब्श्र 1428 (सुप्रीम कोर्ट) में अभिनिर्णित किया गया है । 
18. परिवादीगण ने सूची अनुसार प्रस्तुत दस्तावेजों से सुरेषगिरी गोस्वामी की आयु 35 वर्श तथा पत्नी श्रीमती षुषीलगिर गोस्वामी की आयु 28 वर्श उल्लेखित किया है, जिसके अनावेदक कंपनी ने कोई खण्डन में जवाब प्रस्तुत नहीं किया है, न ही कोई प्रमाण प्रस्तुत किया है । इस प्रकार मृतक सुरेषगिरी गोस्वामी की आयु 35 वर्श तथा पत्नी श्रीमती षुषीलगिर गोस्वामी की आयु 28 वर्श थी विचार करने योग्य है । 
19. मृतकगण की मजदूरी कार्य से दैनिक आय 100/-रू. के आधार पर गणना करने पर सरला वर्मा विरूद्ध दिल्ली ट्रांसपोर्ट कार्पोरेषन 2009 ।ब्श्र 1298 (सुप्रीम कोर्ट), संतोश देवी विरूद्ध नेषनल इंष्योरंस कंपनी लिमिटेड 2012 ।ब्श्र 1428 (सुप्रीम कोर्ट) उपरोक्त में प्रतिकर की गणना के लिए अपनाए गए तरीकों पर विचार करते हुए परिवादीगण द्वारा प्रस्तुत परिवाद में चाही गई प्रतिकर राषि 5,00,000/-रू. (प्रत्येक मृतक के लिए) दिलाया जाना युक्तियुक्त एवं उचित होना हम पाते हैं । 
20. परिवादीगण ने क्षतिपूर्ति पर ब्याज दिलाए जाने की प्रार्थना किए हैं । परिवाद प्रस्तुति दिनांक से अंतिम अदायगी दिनांक तक क्षतिपूर्ति राषि पर 9 प्रतिषत वार्शिक साधारण ब्याज दिलाया जाना हम युक्तियुक्त एवं न्यायसंगत पाते हैं । सुरती गुप्ता विरूद्ध न्यू इंडिया इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड एवं अन्य 2015 ।ब्श्र 1755 अनुसरित किया है । 
21. उपरोक्त अनुसार अनावेदक/विरोधी पक्षकार के विरूद्ध परिवादीगण/आवेदकगण द्वारा प्रस्तुत परिवाद स्वीकार करने योग्य होना हम पाते हैं, परिणास्वरूप परिवाद स्वीकार करते हैं तथा निन्नलिखित निर्देष देते हैं:- 
अ. अनावेदक/विरोधी पक्षकार विद्युत कंपनी, परिवादीगण को क्षतिपूर्ति 10,00,000/-रू. (दस लाख रूपये) (प्रत्येक मृतक का 5,00,000/-रू.) 30 दिन के अंदर प्रदान करे। 
ब. अनावेदक/विरोधी पक्षकार विद्युत कंपनी, परिवादीगण को क्षतिपूर्ति 10,00,000/-रू. (दस लाख रूपये) पर दावा प्रस्तुति दिनांक 20.03.2015 से अंतिम अदायगी दिनांक तक 9 प्रतिषत ब्याज भी प्रदान करे । 
स. अनावेदक/विरोधी पक्षकार विद्युत कंपनी, परिवादीगण को वादव्यय हेतु 2,000/-रू. (दो हजार रूपये) प्रदान करे। 


( श्रीमती शशि राठौर)                         (मणिशंकर गौरहा)                     (बी.पी. पाण्डेय)     
      सदस्य                                                     सदस्य                                                 अध्यक्ष   

 

 

 

 


                         

 

 

 
 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. BHISHMA PRASAD PANDEY]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. MANISHANKAR GAURAHA]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. SHASHI RATHORE]
MEMBER

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