जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, जांजगीर-चाॅपा (छ0ग0)
प्रकरण क्रमांक:- CC/22/2015
प्रस्तुति दिनांक:- 20/03/2015
चन्द्रकुमार दिनकर पिता कार्तिक राम
निवासी ग्राम खपरी टांड, पोस्ट पकरिया
थाना मुलमुला,
जिला जांजगीर-चाम्पा छ.ग. ..................आवेदक/परिवादी
( विरूद्ध )
छ.ग. राज्य विद्युत वितरण कंपनी मर्यादित
द्वारा-कनिश्ठ यंत्री अकलतरा,
जिला जांजगीर-चाम्पा छ.ग. .........अनावेदक/विरोधी पक्षकार
///आदेश///
( आज दिनांक 03/11/2015 को पारित)
1. परिवादी/आवेदक ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदक के विरूद्ध अनावेदक छ.ग. विद्युत वितरण कंपनी मर्यादित के लापरवाही एवं सेवा में कमी के कारण परिवादी के पुत्र स्व. सुमित कुमार के विद्युत आघात से असमय मृत्यु होने के कारण 5,00,000/-रू. मय ब्याज क्षतिपूर्ति, वादव्यय एवं अन्य अनुतोश दिलाए जाने हेतु दिनांक 20.03.2015 को प्रस्तुत किया है ।
2. परिवाद के निराकरण के लिए आवष्यक तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी उपरोक्त पते पर निवासरत है तथा अनावेदक अनावेदक छ.ग. विद्युत वितरण कंपनी मर्यादित है । परिवादी के घर में एक स्थयी एकल फेस घरेलू विद्युत कनेक्षन क्रमांक 2756 स्थापित है, जिससे वे विद्युत चार्ज का नियमित भुगतान करते हैं । परिवादी के विद्युत कनेक्षन के मेन पोल में दोश होने से दिनांक 28.07.2014 को उसके घर के टी.व्ही. के डिस्क वायर में हाई वोल्टेज करंट प्रवाहित हुआ जिसके संपर्क मंे आने से उसके पुत्र स्व. सुमित कुमार की विद्युत आघात से मृत्यु हो गई । विद्युत अधिनियम एवं नियमानुसार विद्युत वितरण कंपनी का यह दायित्व होता है कि वे अपने सभी विद्युत लाईन एवं संयंत्र को इस अवस्था में सुरक्षित करे कि कोई भी अप्रत्याषित घटना न हो, किंतु घटना दिनांक को परिवादी के घर में विद्युत कंपनी द्वारा व्यवस्था किए गए विद्युत लाईन में दोश होने से उक्त घटना हुई, जिसकी क्षतिपूर्ति के लिए परिवादी ने विद्युुत कंपनी में दावा किया, किंतु विद्युत कंपनी परिवादी के दावा पर कोई ध्यान नहीं दिया । इस प्रकार परिवादी को उसके पुत्र की विद्युत करंट से दुर्घटनात्म मृत्यु उपरांत मृत्यु दावा प्रदान न कर अनावेदक द्वारा सेवा में कमी की गई है। अतः परिवादी ने अनावेदक छ.ग. विद्युत वितरण कंपनी मर्यादित के लापरवाही एवं सेवा में कमी के कारण उसके पुत्र स्व. सुमित कुमार के विद्युत आघात से असमय मृत्यु होने के कारण 5,00,000/-रू. मय ब्याज क्षतिपूर्ति, वादव्यय एवं अन्य अनुतोश दिलाए जाने का निवेदन किया है ।
3. अनावेदक ने अविवादित तथ्य को छोड़ शेष तथ्यों को इंकार करते हुए कथन किया है कि छ.ग.राज्य विद्युत प्रदाय संहिता 2011 में वर्णित प्रावधानों के अनुसार विद्युत कंपनी पोल से आपूर्ति बिंदु तक जिम्मेदार होता है । कथित दुर्घटना घर के अंदर होने से विद्युत कंपनी इस हेतु कोई जिम्मेदार नहीं है और न ही उसका कोई उत्तरदायित्व है । परिवादी ने अपने परिवाद में अनावेदक विद्युत कंपनी का उपभोक्ता होने बाबत् कोई भी अधि. में वर्णित प्रावधानों के अनुसार कोई भी विधिक कथन नहीं किया है । परिवादी का परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में वर्णित प्रावधानों के प्रकाष में कोई सेवा में कमी किये जाने का प्रकरण नहीं है और न ही उपभोक्ता की परिधि में आता है । परिवादी का परिवाद आपूर्ति बिंदु के पष्चात् विद्युत दुर्घटना को लेकर के है, जो कि विचारण के अयोग्य है तथा अपकृत्य विधि के अंतर्गत शासित होकर संचलनीय है । परिवादी ने जानबूझकर विद्युत मंडल के अधिकारी को परेषान करने के उद्देष्य से तथा क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के लोभवष यह प्रकरण संस्थित किया है, जिसके लिए परिवादी से प्रतिकारात्मक व्यय 5,000/-रू. अनावेदक को दिलाए जाने योग्य है । परिवादी का परिवाद विधिक प्रावधानों के प्रतिकूल व विचारण के अयोग्य होने से प्रथम दृष्टया निरस्त किये जाने योग्य है, अतः अनावेदक ने परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने का निवेदन किया है ।
4. परिवाद पर उभय पक्ष के अधिवक्ता को विस्तार से सुना गया। अभिलेखगत सामग्री का परिषीलन किया गया है ।
5. विचारणीय प्रष्न यह है कि:-
क्या अनावेदक विद्युत कंपनी ने सेवा में कमी की है ?
निष्कर्ष के आधार
विचारणीय प्रष्न का सकारण निष्कर्ष:-
6. परिवाद में षिकायत पत्र के समर्थन में परिवादी ने अपना षपथ पत्र तथा सूची अनुसार दस्तावेज प्रस्तुत किया है, जिसमें उसके पिता कार्तिक राम दिनकर के साथ संयुक्त परिवार में निवास करता है तथा घर में एक स्थायी एकल फेस घरेलू विद्युत कनेक्षन क्र. 2756 होना बताया है, जिसके समर्थन में विद्युत बिल क्रमांक 722002557490 दिनांक 14.12.2014 प्रस्तुत किया है, उक्त बिल से मीटर कार्तिक राम के नाम पर होना स्पश्ट है।
7. परिवाद अनुसार परिवादी के पिता कार्तिक राम है तथा परिवादी के पुत्र सुमित कुमार जब टी.व्ही. के डिस्क वायर निकालने गया तो हाई वोल्टेज के संपर्क में आने से विद्युत आघात से उसकी असमय मृत्यु हो गई, के आधार पर यह परिवाद पस्तुत किया है । उपरोक्त से परिवादी अनावेदक विद्युत कंपनी का हिताधिकारी होकर उपभोक्ता होना पाया जाता है ।
8. परिवादी ने परिवाद अंतर्गत घरेलू विद्युत कनेक्षन के मेन पोल में दोश होने से दिनांक 28.07.2014 को अपने घर के टी.व्ही. के डिस्क वायर में हाई वोल्टेज विद्युत प्रवाहित हुआ और उसके पुत्र सुमित कुमार जब टी.व्ही. के डिस्क वायर निकालने गया तो हाई वोल्टेज के संपर्क में आने से विद्युत आघात से उसकी असमय मृत्यु हो गई । विद्युत कंपनी द्वारा व्यवस्था किए गए विद्युत लाईन में दोश होने के कारण उक्त घटना हुई, जिसकी क्षतिपूर्ति के लिए परिवादी ने विद्युत कंपनी में दावा किया, किंतु विद्युत कंपनी ने कोई ध्यान नहीं दिया गया और इस प्रकार अनावेदक विद्युत कंपनी निर्धारित समयावधि में अपने दायित्व के निश्पादन में असफल रहकर अपने दायित्व का निर्वहन नहीं किया है, आधार पर अनावेदक विद्युत कंपनी 5,00,000/-रू. क्षतिपूर्ति ब्याज सहित देने के लिए निर्देष देने की प्रार्थना किया है ।
9. परिवादी ने तर्क के समर्थन में महाराश्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड विरूद्ध अषोक नाना चैधरी प्प् ;2011द्ध ब्च्श्र 51 ;छब्द्ध पर विष्वास किया है । उक्त न्याय दृश्टांत के मामले में परिवादी के घर के बाहर इलक्ट्रिक पोल में दोश था । घटना के पूर्व पोल में स्पार्किंग हुआ था और विद्युत सप्लाई अवरूद्ध (असम्बद्ध) हो गई थी, कुछ समय बाद विद्युत सप्लाई प्रारंभ हुई, दूसरी बार फिर पोल में स्पार्किंग हुई थी, फलस्वरूप इलेक्ट्रिक मीटर जल गई तथा विद्युत धारा अर्थ वायर में प्रवेष कर गई सुलोचना चैधरी की मृत्यु तब हुई जब वह नहाते समय विद्युत धारा वाटर हीटर में प्रविश्ट कर गई । इस तरह विद्युत कंपनी के दोश के कारण सुलोचना चैधरी की मृत्यु होना पाते हुए उपभोक्ता फोरम के समक्ष परिवाद को स्वीकार कर क्षतिपूर्ति दी गई ।
10. अनावेदक विद्युत कंपनी की ओर से तर्क किया गया है कि छ.ग. राज्य विद्युत प्रदाय संहिता, 2011 के अध्याय 5 में विद्युत आपूर्ति के संबंधी नियम बताए गए हैं, जिसमें आपूर्ति तक के बिंदु उपभोक्ता परिसर में स्थापित मीटर तक होगा, मीटर के पष्चात परिसर के अंदर के उपकरणों के रखरखाव की जिम्मेदारी उपभोक्ता की होगी । छ.ग. राज्य विद्युत प्रदाय संहिता, 2011 के अध्याय 5 के बिन्दु 5.6 की ओर इस फोरम का ध्यान आकृश्ट किया, जो निम्नलिखित है:-
अनुज्ञप्तिधारी, उपभोक्ता को सतत् विद्युत उर्जा की आपूर्ति के लिए सभी उचित सावधानियाॅं बरतेगा, लेकिन कण्डिका 13.1 में उल्लेखित विषेश आकस्मिक परिस्थितियों के कारण हुये विद्युत प्रदाय में व्यवधानों से उपभोक्ता या उसके संयंत्र व मषीनरी को पहुंचे नुकसान या हानि हेतु जिम्मेदार नहीं होगा ।
11. परिवादी ने सूचीअनुसार दस्तावेज में अकाल एवं असमय मृत्यु की सूचना पंजी दिनांक 28.07.2014, मर्ग क्रमांक 21/14 की असमय मृत्यु की सूचना पंजी 28.07.2014, अपराध विवरण का फार्म, षव परीक्षण के लिए आवेदन, षव परीक्षण रिपोर्ट तथा नक्षा पंचनामा के सत्यापित प्रति की फोटोप्रति प्रस्तुत किया है। उक्त दस्तावेज तथा परिवाद के तथ्यों से स्पश्ट है कि सुमित कुमार परिवादी के घर में टी.व्ही. के डिस्क वायर निकालने गया, तब विद्युत आघात से उसकी मृत्यु हुई, जिससे स्पश्ट है कि विद्युत मीटर से घर में लगे वायरिंग में टी.व्ही. लगा हुआ था, जिसके डिस्क का वायर निकालने गया तब विद्युत आघात हुआ । उपरोक्त से निम्नलिखित तथ्य स्पश्ट हो रहा है:-
परिवाद पत्र में उल्लेखित घटना दिनांक को विद्युत पोल से परिवादी के घर में लगे विद्युत मीटर के बीच की कोई घटना नहीं है, बल्कि विद्युत मीटर से घर के अंदर लगे वायरिंग तथा विद्युत उपकरण में विद्युत प्रवाह से उत्पन्न घटना है ।
12. परिवादी के घरेलू विद्युत कनेक्षन के मेन पोल में दोश होने के कारण सुमित कुमार को विद्युत आघात हुई, को प्रमाणित करने का भार परिवादी पर है । परिवादी द्वारा प्रस्तुत सूची अनुसार दस्तावेज से उक्त तथ्य स्पश्ट नहीं हुआ है । प्रकरण में कोई विद्युत निरीक्षक की रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं है । परिवाद के तथ्यों से विद्युत पोल में दोश होने के परिणामस्वरूप परिवादी के घर में लगे विद्युत मीटर में खराबी होना तथा घर में लगे अन्य विद्युत उपकरण में खराबी होने का कोई तथ्य नहीं है । इस प्रकार डिस्क वायर में हाई वोल्टेज करेंट प्रवाहित होने को स्थापित करने के लिए परिवाद में लिखे गए तथ्यों के अलावा और कोई प्रमाण पेष नहीं है ।
13. परिवादी द्वारा अवलंब न्याय दृश्टांत के प्रकरण के तथ्य तथा परिवाद अंतर्गत के तथ्य में विभेद है । परिवाद अंतर्गत की सामग्री से विद्युत पोल में दोश होना स्थापित नहीं हुआ है । डिस्क वायर में हाई वोल्ट करेंट प्रवाहित हुआ यह भी स्थापित नहीं हुआ है । घर के अंदर लगे टी.व्ही. के डिस्क वायर में विद्युत प्रवाह अनावेदक कंपनी द्वारा की गई थी का कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है । उपरोक्त स्थिति में जबकि सुमित कुमार घर के अंदर लगे टी.व्ही. के डिस्क वायर निकालते समय विद्युत आघात से मृत्यु हुई, विद्युत कंपनी के लापरवाही तथा सेवा में कमी होना स्थापित नहीं होता है ।
14. उपरोक्त संपूर्ण तथ्यों से अनावेदक के विरूद्ध प्रस्तुत परिवाद में अनावेदक द्वारा परिवादी से सेवा में कमी की गई है, स्थापित, प्रमाणित होना हम नहीं पाते हैं, परिणामस्वरूप परिवाद स्वीकार करने योग्य नहीं होना पाते हुए निरस्त करते हैं ।
(मणिशंकर गौरहा) (बी.पी. पाण्डेय)
सदस्य अध्यक्ष