Chhattisgarh

Bilaspur

CC/12/118

SHRI KRISHNA KUMAR RAJAK - Complainant(s)

Versus

CETENJA INDIA LIMITED - Opp.Party(s)

SELF

27 Apr 2015

ORDER

District Consumer Dispute Redressal Forum
Bilaspur (C.G.)
Judgement
 
Complaint Case No. CC/12/118
 
1. SHRI KRISHNA KUMAR RAJAK
VILL-TENDUPARA TH. PENDRA
BILASPUR
CHHATTISGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. CETENJA INDIA LIMITED
BANER ROAD BANER PUNE MAHARASTRA
MH
MAHARASHTRA
2. PROPITER KRISHI SAHAYATA KENDRA
INSIDE PO.PENDRA
BILASPUR
CHHATTISGARH
3. PARIYOJANA OFFICER
PENDRA
BILASPUR
CHHATTISGARH
4. ANUVIBHAGIY OFFICER KRISHI VIBHAG
PENDRA ROAD
BILASPUR
CHHATTISGARH
5. C.G.GOVT.JILADHISH MAHODAY
BILASPUR
BILASPUR
CHHATTISGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. ASHOK KUMAR PATHAK PRESIDENT
 HON'BLE MR. PRAMOD KUMAR VARMA MEMBER
 
For the Complainant:
SELF
 
For the Opp. Party:
NA 1 AND 2 SMT. SAVITA PANJABI
NA 3 TO 5 SHRI R. N. NAMDEV
 
ORDER

 

// जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोषण फोरम, बिलासपुर छ.ग.//

                                                                           प्रकरण क्रमांक C C/118/2012

                                                                          प्रस्‍तुति दिनांक  18/07/2012

 

कृष्‍ण कुमार रजक वल्‍द अयोध्‍या प्रसाद रजक

निवासी-तेंदूपारा पेण्‍ड्रा, थाना-पेण्‍ड्रा,

जिला बिलासपुर छ.ग.                                   ......आवेदक/परिवादी

                       विरूद्ध

  1. सेजेण्‍टा इण्डिया लिमिटेड शीड्स डिवीजन सर्वे नम्‍बर 110/11/3

           अमर पाराडियम, बानेर रोड बानेर पुणे महाराष्‍ट्र 411045

     2. प्रोपाइटर कृषि सहायता केंद्र पो.आफिस के बगल में पेण्‍ड्रा

            जिला बिलासपुर छ.ग.        

   3. परियोजना अधिकारी कृषि विभाग पेण्‍ड्रा,

        जिला बिलासपुर छ.ग.  

   4.अनुविभागीय अधिकारीक कृषि विभाग,

     पेण्‍ड्रा रोड जिला बिलासपुर छ.ग.  

    5. छ.ग. शासन द्वारा जिलाधीश महोदय,

        जिला बिलासपुर छ.ग.                                       .........अनावेदकगण/विरोधीपक्षकारगण

                                                              आदेश

                                    (आज दिनांक 27/04/2015 को पारित)

      1. आवेदक कृष्‍ण कुमार रजक ने उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदकगण के विरूद्ध सेवा में कमी के आधार पर पेश किया है और अनावेदकगण से 1,35,400/-रू. प्रतिकर  दिलाए जाने का निवेदन किया है ।

     2. परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक पेण्‍ड्रा निवासी काश्‍तकार है। उसने अनावेदक क्रमांक 1 व 2 के प्रचार प्रसार से प्रभावित होकर दिनांक 07.02.2012 को अनावेदक क्रमांक 2 के पास से 5400/-रू. में 24 कि.ग्रा. हाईब्रिड धान का बीज एन.के. 5017 क्रय किया और तीन एकड भूमि  में उसकी बोवाई किया । अनावेदक क्रमांक 1 व 2 के प्रचार प्रसार के अनुसार उक्‍त धान का पैदावार प्रति एकड 30-35 क्विन्‍टल होना था । साथ ही उक्‍त फसल को 120 दिन में तैयार हो जाना था, किंतु पॉच माह से अधिक समय व्‍य‍तीत हो जाने के बाद भी उक्‍त फसल तैयार नहीं हुआ, बल्कि खडी फसल के आंकलन पर उसका उतपादन 8-10 क्विटल प्रति एकड से ज्‍यादा नहीं था । अत: आवेदक यह अभिकथित करते हुए कि अनावेदक क्रमांक 1 व 2 द्वारा धोखा देकर निम्‍नस्‍तरीय गुणवत्‍ताहीन बीज का विक्रय किया गया फलस्‍वरूप उसे आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक क्षति पहुंची, उसने यह परिवाद अनावेदक क्रमांक 1 व 2 के  विरूद्ध पेश करना बताया है, साथ ही अनावेदक क्रमांक 3 से 5 को भी अनावेदक के रूप में इस आधार पर संयोजित किया है कि उनके द्वारा ही अनावेदक क्रमांक 1 व 2 को हाईब्रिड धान के गुणवत्‍ता का परीक्षण किए बगैर उसके विक्रय तथा प्रचार प्रसार के लिए लाईसेंस जारी किया गया था ।

     3. अनावेदक क्रमांक 1 व 2 द्वारा संयुक्‍त जवाब पेश कर यह तो स्‍वीकार किया गया कि  आवेदक उनके पास से प्रश्‍नाधीन धान का बीज क्रय किया था, किंतु उन्‍होंने इस बात से इंकार किया कि उनके द्वारा धान के उत्‍पादन के संबंध में आवेदक से कोई कथन किया गया था। इस सबंध में उनका कथन है कि धान का उत्‍पादन मौसम के अनुसार अलग-अलग होता है, साथ ही कहा गया है कि कृषि की प्रक्रिया पूर्ण रूप से नहीं अपनाए जाने का असर फसल उत्‍पादन पर पडता है । उनका कथन है कि शिकायत जॉच पर उनके द्वारा पाया गया कि कृषि कार्य हेतु समस्‍त प्रक्रिया चित रूप से आवेदक द्वारा नहीं अपनाया गया था, यह भी कहा गया है कि उनके द्वारा विक्रत बीज के संबंध में अन्‍य किसी  कृषक द्वारा कोई शिकायत नहीं की गई, यह भी कहा गया कि बीज के उचित स्‍तर का नहीं होने के संबंध में भी आवेदक द्वारा किसी प्रयोगशाला का रिपोर्ट पेश नहीं किया गया है, फलस्‍वरूप उनके विरूद्ध सेवा में कमी प्रमाणित नहीं होता । आगे उन्‍होंने आवेदक द्वारा केवल तंग करने के नियत से दुर्भावनापूर्वक यह परिवाद पेश करना बताया गया है तथा उसे निरस्‍त किए जाने की का निवेदन किया गया है ।

     4. अनावेदक क्रमांक 3 से 5 संयुक्‍त रूप से जवाब पेश कर परिवाद का विरोध इस आधार पर किये हैं कि उनका अनावेदक क्रमांक 1 व 2 से कोई संबंध नहीं और न ही वे उनके अधीन हैं, फलस्‍वरूप उनका अनावेदक क्रमांक 1 व 2 के किसी भी कार्य के लिए जवाबदारी नहीं बनती । आगे उन्‍होंने अपने को आवेदिका द्वारा अनावश्‍यक रूप से पक्षकार के रूप में संयोजित किए जाने के आधार पर परिवाद निरस्‍त किए जाने का निवेदन किया है।

     5. उभयपक्ष अधिवक्‍ता का तर्क सुन लिया गया है । प्रकरण का अवलोकन किया गया।

     6. देखना यह है क्‍या आवेदक, अनावेदकगण से वांछित अनुतोष प्राप्‍त करने का अधिकारी है।

                                                                        सकारण निष्कर्ष

     7.  इस संबंध में विवाद नहीं किया जा सकता कि फसल का उत्‍पादन कई कारकों के साथ मौसम एवं जलवायु पर भी निर्भर करता है, साथ ही फसल उत्‍पादन के तौर तरीके भी फसल की उत्‍पादकता को प्रभावित करते हैं ।

     8. प्रश्‍नगत मामले में आवेदक का कथन है कि उसने अनावेदक क्रमांक 1 व 2 के द्वारा बताए गये तरीके एवं वितरित पाम्‍पलेट के अनुसार प्रश्‍नाधीन बीज की बुआई किया था, किंतु आवेदक अपने इस कथन के समर्थन में संबंधित पाम्‍पलेट की कोई कॉपी संलग्‍न नहीं किया है, जिससेयह स्‍पष्‍ट नहीं हो पाता कि अनावेदक क्रमांक 1 व 2 द्वारा धान की बोआई करने के लिए कहा गया था अथवा रोपाई करने के लिए, क्‍योंकि यह दोनों विधि भी धान के उत्‍पादन को  प्रभावित करता है ।

     9. आवेदक के परिवाद पत्र में किए गये कथन से यह दर्शित होता है कि उसका फसल के उत्‍पादन के संबंध में आंकलन संभावना पर आधारित है, इस संबंध में उसके द्वारा गांव के सरपंच द्वारा दिए गए प्रमाण पत्र एवं तैयार पंचनामा रिपोर्ट भी मामले में पेश नहीं किया गया है।

     10. प्रश्‍नगत मामले में आवेदक का ऐसा कथन नहीं है कि उसके अलावा अन्‍य किसी कृषक का भी उक्‍त प्रश्‍नाधीन बीज के कारण फसल का उत्‍पादन प्रभावित हुआ था और न ही ऐसा कोई शपथ पत्र ही उसके द्वारा दाखिल किया गया है ।

     11. केवल इतना ही नहीं आवेदक द्वारा प्रश्‍नाधीन बीज की गुणवत्‍ता के संबंध में किसी प्रयोगशाला का कोई रिपोर्ट भी दाखिल करने का प्रयास नहीं किया गया है, जबकि यह उसी की जवाबदारी थी । ऐसी दशा में मात्र आवेदक के कथन के आधार पर बगैर किसी साक्ष्‍य अथवा प्रमाण के अनावेदकगण के विरूद्ध सेवा में कमी का कोई निष्‍कर्ष निकाल पाना संभव नहीं ।

     12. अत: आवेदक का परिवाद प्रमाणित न होने के आधार पर निरस्‍त किया जाता है । उभय पक्ष अपना अपना वादव्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे ।

 

 

               (अशोक कुमार पाठक)                                             (प्रमोद वर्मा)       

                       अध्‍यक्ष                                                            सदस्‍य   

 

 

 
 
[HON'BLE MR. ASHOK KUMAR PATHAK]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. PRAMOD KUMAR VARMA]
MEMBER

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