Uttar Pradesh

Lucknow-I

CC/1072/2012

Ravi Bhushan Kaien - Complainant(s)

Versus

Century computers - Opp.Party(s)

12 May 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/1072/2012
 
1. Ravi Bhushan Kaien
alambagh Lucknow
...........Complainant(s)
Versus
1. Century computers
lalbagh Lucknow
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Vijai Varma PRESIDENT
 HON'BLE MR. Rajarshi Shukla MEMBER
 HON'BLE MRS. Anju Awasthy MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-प्रथम, लखनऊ।
वाद संख्या 1072/2012

श्री रवि भूषण काई, आयु लगभग 55 वर्ष,
पुत्र स्व श्री के0 के0 काई,
निवासी-559ख/2,
श्रीनगर, आलमबाग, लखनऊ।
                                       ......... परिवादी
बनाम

1. मैसर्स सेंचुरी कम्प्यूटर्स,
  बसंत सिनेमा बिल्डिंग,
  लालबाग, लखनऊ।

2. हेवलेट पैकर्ड इंडिया सेल्स प्रा0 लि0,
  24, सलार पुरिया एरेना, अडुगोडी होसर रोड,
  बैंगलौर-560030
  द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर।

3. रेडिंगटन (इंडिया) लि0,
  18, मदन मोहन मालवीय मार्ग,
  लखनऊ।
                                             ..........विपक्षीगण
उपस्थितिः-
श्री विजय वर्मा, अध्यक्ष।
श्रीमती अंजु अवस्थी, सदस्या।
श्री राजर्षि शुक्ला, सदस्य।
निर्णय
    परिवादी द्वारा यह परिवाद विपक्षीगण से त्रुटिपूर्ण मानीटर के स्थान पर नया मानीटर प्राप्त करने अथवा क्रय किये गये नये मानीटर का मूल्य रू.10,000.00, मानसिक क्षति हेतु रू.50,000.00 मय 18 प्रतिशत ब्याज तथा वाद व्यय दिलाने हेतु प्र्र्र्र्र्र्र्र्रस्तुत किया गया है।
    
-2-
    संक्षेप में परिवादी का कथन है कि उसने दिनांक 11.01.2009 को विपक्षी सं0 1 से एक काम्पैक प्रिसारियों डेस्कटाॅप रू.36,499.00 में क्रय किया था जिस पर तीन साल की वारंटी दी गयी थी। अगस्त 2010 में उक्त कम्प्यूटर के मानीटर पर एक धब्बा दिखाई देने लगा और कुछ दिनों पश्चात्् लम्बवत रेखा दिखाई देने लगी और लम्बवत रेखा के एक साइड करीब 25 प्रतिशत स्क्रीन ने काम करना बंद कर दिया। परिवादी ने इसकी शिकायत अगस्त 2010 के अंतिम सप्ताह में विपक्षी सं0 2 को फोन से कस्टमर केयर को की जिसके पश्चात्् दिनांक 02.09.2012 को विपक्षी सं0 2 द्वारा भेजे गये कर्मचारी ने उक्त मानीटर को देखा और कहा कि यह ठीक नहीं हो सकता और विपक्षी सं0 3 के नाम की एक सर्विस काल रिपोर्ट की एक प्रति परिवादी को दी जिसमें उक्त कर्मचारी ने कहा कि यह वारंटी से बाहर है जबकि विपक्षीगण ने जान-बूझकर उक्त मानीटर को भौतिक रूप से क्षतिग्रस्त बताया ताकि परिवादी को मानीटर का क्लेम अथवा बदलकर दूसरा न देना पड़े। कस्टमर रिमार्क के स्थान पर परिवादी ने उक्त सर्विस काल रिपोर्ट की मूल प्रति पर यह अंकित किया कि टी0एफ0टी0 स्क्रीन बाहर से क्षतिग्रस्त नहीं पायी गयी। परिवादी विपक्षी सं0 3 के वर्कशाप पर उक्त टी0एफ0टी0 स्क्रीन को ले गया जिसकी मरम्मत करने से उन्होंने मना कर दिया। परिवादी ने विपक्षीगण को शिकायत ईमेल द्वारा भेजी, किंतु विपक्षीगण द्वारा शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। परिवादी ने विपक्षी सं0 2 से भी संपर्क किया, परंतु सारे प्रयास व्यर्थ गए। परिवादी ने दिनांक    24.03.2011 को अपने अधिवक्ता द्वारा एक विधिक नोटिस विपक्षी सं0 2 को भेजी जिसके उत्तर में विपक्षी सं0 2 ने अपने अधिवक्ता के पत्र दिनांक 06.04.2011 के माध्यम से कुछ जानकारी जैसे उत्पाद की क्रय संख्या, माडल नं0 व वारंटी का विवरण मांगा जिसके उत्तर में परिवादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से विपक्षी सं0 2 के अधिवक्ता को दिनांक 29.08.2011 को उनके द्वारा समस्त जानकारी व अभिलेख पंजीकृत डाक द्वारा भेज दी। विपक्षी सं0 2 द्वारा उक्त टी0एफ0टी0 स्क्रीन को न बदला गया और न ही उसकी मरम्मत की गयी, जबकि उस पर 3 वर्ष की वारंटी थी और विपक्षी सं0 2 ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से परिवादी को नोटिस का जवाब दिनांक 26.09.2011 को भेजा जिसके द्वारा टी0एफ0टी0 स्क्रीन को बदलने व मरम्मत करने से मना

-3-
कर दिया। उक्त टी0एफ0टी0 स्क्रीन में आई खराबी स्क्रीन के आंतरिक हिस्से में निर्माण संबंधी त्रुटि का कारण है, उसमें भौतिक रूप से कोई क्षति नहीं है। विपक्षीगण द्वारा परिवादी के मानीटर की न तो मरम्मत की गई और न ही उसे बदला गया जो सेवा में कमी का द्योतक है जिससे परिवादी को आर्थिक तथा मानसिक पीड़ा उठानी पड़ी। अतः परिवादी द्वारा यह परिवाद विपक्षीगण से त्रुटिपूर्ण मानीटर के स्थान पर नया मानीटर प्राप्त करने अथवा क्रय किये गये नये मानीटर का मूल्य रू.10,000.00, मानसिक क्षति हेतु रू.50,000.00 मय 18 प्रतिशत ब्याज तथा वाद व्यय दिलाने हेतु प्र्र्र्र्र्र्र्र्रस्तुत किया गया है।
    विपक्षी सं0 1 की ओर से अपना जवाबदावा दाखिल किया गया जिसमें मुख्यतः यह कथन किया गया है कि विपक्षी सं0 1 ने परिवादी की शिकायत विपक्षी सं0 2 को दर्ज कराई और विपक्षी सं0 2 ने जांचोपरांत टी0एफ0टी0 को डैमेज बताया और टी0एफ0टी0 को बदलने से मना कर दिया और विपक्षी सं0 2 ने बताया कि टी0एफ0टी0 गिरकर टूटी है इसलिए बदलना संभव नहीं है। परिवादी को मालूम है कि टी0एफ0टी0 की मरम्मत नहीं होती है। विपक्षी सं0 1 द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गई है। उत्तरदाता विपक्षी कंपनी के प्रोडेक्ट बेचता है और रिपेयरिंग की जिम्मेदारी विपक्षी सं0 2 एवं विपक्षी सं0 3 की है। परिवादी विपक्षी सं0 1 के विरूद्ध किसी प्रकार का अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है और परिवादी द्वारा उत्तरदाता को अनावश्यक रूप से पक्षकार बताया गया है। उत्तरदाता विपक्षी अधिकृत विक्रेता है और उसके विरूद्ध वाद प्रस्तुत करने का वाद कारण उत्पन्न नहीं होता है। परिवाद सव्यय निरस्त होने योग्य है।
    विपक्षी सं0 2 की ओर से अपना लिखित कथन दाखिल किया गया जिसमें मुख्यतः यह कथन किया गया है कि प्रश्नगत डेस्क्टाॅप के टी0एफ0टी0 स्क्रीन में एक धब्बा दिखायी दिया था और उसके बाद समानांतर रेखा दिखाई दी और स्क्रीन ने काम करना बंद कर दिया जिसकी परिवादी द्वारा शिकायत करने पर निरीक्षण में यह पाया गया कि टी0एफ0टी0 स्क्रीन अंदर से क्रेक पायी गयी जिससे यह प्रतीत हुआ कि स्क्रीन क्षतिग्रस्त हुई है और उपरोक्त कारण से परिवादी की शिकायत अस्वीकार कर दी गयी क्योंकि वारंटी की शर्तों के अनुसार यदि कोई क्षति किसी उपकरण में आती है तो वह उसके अंतर्गत

-4-
आच्छादित नहीं मानी जाती है। परिवादी को तदनुसार सूचित कर दिया गया था और यह बताया गया था कि चूंकि मानीटर गलत तरीके से इस्तेमाल करने के कारण क्षतिग्रस्त हुआ है, अतः वह वारंटी की शर्तों के अनुसार उसकी निःशुल्क मरम्मत नहीं की जा सकती है। परिवादी द्वारा उक्त यूनिट को दिनांक 11.01.2009 को खरीदा गया था, जबकि उसके संबंध में शिकायत अगस्त 2010 में की गयी जिससे स्पष्ट है कि उसके द्वारा करीब 21 माह तक उसके द्वारा उक्त उपकरण का उपयोग किया गया और ऐसा निर्माण संबंधी दोष होने पर संभव नहीं हो सकता था। इसके अतिरिक्त इस प्रकरण में मानीटर में जो क्षति आयी उसके संबंध में विशेषज्ञ की आख्या की भी आवश्यकता है। परिवादी द्वारा जो मानीटर को बदलकर नया मानीटर दिये जाने की प्रार्थना की गयी है वह मानने योग्य नहीं है। विपक्षी कंपनी बहुत की ख्याति प्राप्त कंपनी है और उसके द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है, अतः परिवादी का परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
    विपक्षी सं0 3 की ओर से अपना लिखित कथन दाखिल किया गया जिसमें मुख्यतः यह कथन किया गया है कि यह परिवाद कालबाधित है। उत्तरदाता विपक्षी का डेस्क्टाॅप की गुणवत्ता इत्यादि से कोई भी संबंध नहीं है और डेस्क्टाॅप की वारंटी निर्माता द्वारा वारंटी की शर्तों के अंतर्गत ही दी जाती है। उत्तरदाता विपक्षी को परिवादी एवं विपक्षी सं0 1 के मध्य होने वाले किसी भी लेन-देन की कोई भी जानकारी नहीं है। जब परिवादी द्वारा टी0एफ0टी0 स्क्रीन के कार्य न करने के संबंध में शिकायत की गयी थी तो उत्तरदाता विपक्षी ने अपने इंजीनियर को डेस्कटाॅप को देखने हेतु भेजा था जिसने यह पाया कि उक्त टी0एफ0टी स्क्रीन क्षतिग्रस्त हो गयी है, अर्थात्् अंदर से टी0एफ0टी स्क्रीन क्रेक हो गयी है और उक्त तथ्य से परिवादी को उत्तरदाता विपक्षी के इंजीनियर द्वारा अवगत कराया गया था। वस्तुतः उपरोक्त क्षतिग्रस्त टी0एफ0टी0 स्क्रीन कभी भी उत्तरदाता विपक्षी के सर्विस सेंटर पर नहीं लायी गयी और उक्त टी0एफ0टी0 स्क्रीन परिवादी की स्वयं की लापरवाही के कारण टूटी है और परिवादी द्वारा डेस्कटाॅप के संबंध में यह कहा जाना कि इसमें निर्माण संबंधी दोष है मात्र अपनी लापरवाही को छिपाना है। उत्तरदाता विपक्षी द्वारा यह बता दिया गया था कि उक्त टी0एफ0टी0 स्क्रीन की शुल्क देने पर मरम्मत की जा

-5-
सकती है। उपरोक्त कारणों से उत्तरदाता विपक्षी द्वारा कोई भी सेवा में कमी नहीं की गयी है, अतः यह परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
    परिवादी द्वारा अपना शपथ पत्र मय संलग्नक 8 एवं 7 संलग्नक अपने परिवाद पत्र के साथ दाखिल किये गये। विपक्षी सं0 2 की ओर से स्पूर्ति मौली का शपथ पत्र दाखिल किया गया।
    उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
    अब यह देखा जाना है कि क्या परिवादी द्वारा जो काम्पैक्ट डेस्क्टाॅप विपक्षी सं0 1 से खरीदा गया था उसके मानीटर में जो खराबी आ गयी वह निर्माण संबंधी दोष के कारण थी अथवा परिवादी की लापरवाही के कारण और यदि उसमें निर्माण संबंधी दोष के कारण उक्त खराबी आयी तो क्या विपक्षीगण उसके लिए जिम्मेदार है तथा उनके द्वारा निर्माण संबंधी दोष युक्त डेस्कटाॅप परिवादी को विक्रय करके अनुचित व्यापार प्रक्रिया अपनायी गयी है एवं सेवा में कमी की गयी है या नहीं।
    इस संबंध में यह तथ्य निर्विवादित है कि परिवादी के डेस्कटाॅप में वारंटी की अवधि के दौरान खराबी उत्पन्न हुई। विपक्षीगण के अनुसार जो खराबी डेस्कटाॅप में आयी वह टूट-फूट के कारण थी जिसके कारण प्रकरण वारंटी की शर्तों से आच्छादित न होने के कारण बिना शुल्क लिए उसकी मरम्मत संभव नहीं थी, किंतु सर्विस सेंटर विपक्षी सं0 3 की निरीक्षण आख्या जिसकी फोटोप्रति संलग्नक सं0 2 के रूप में परिवादी ने अपने शपथ पत्र के साथ दाखिल की है उसमें यह तथ्य अंकित है कि कोई बाहरी क्षति (टूट-फूट) नहीं पायी गयी, जबकि इसी आख्या में पूर्व में यह तथ्य अंकित है कि टी0एफ0टी0 स्क्रीन अंदर से टूटी हुई थी। यहां पर प्रश्न यह उठता है कि क्या बिना बाहरी क्षति हुए अंदर से जो स्क्रीन टूटी हुई है उसके लिए परिवादी जिम्मेदार हो सकता है या नहीं। स्पष्टतया ऐसा कोई भी साक्ष्य विपक्षीगण की ओर से नहीं प्रस्तुत किया गया जिससे यह कहा जा सके कि परिवादी की लापरवाही से टी0एफ0टी0 स्क्रीन अंदर से टूट गयी थी। इसके विपरीत यह स्वयंमेव सिद्ध हो जाता है कि अगर बिना बाहरी टूट-फूट हुए अंदर से स्क्रीन टूटकर खराब हो जाती है तो यह मानने का उचित आधार है कि डेस्कटाॅप की टी0एफ0टी0 स्क्रीन निर्माण दोष के कारण

-6-
ही खराब हुई है। ऐसी स्थिति में किसी विशेषज्ञ की राय की आवश्यकता भी नहीं रह जाती क्योंकि यह तथ्य तो स्वयं विपक्षीगण ने ही स्वीकार किया है कि टी0एफ0टी0 स्क्रीन अंदर से टूटकर खराब हो चुकी है। जब बिना किसी बाहरी क्षति के टी0एफ0टी0 स्क्रीन अंदर से खराब हो गयी है जैसा कि ऊपर विवेचित हो चुका है तो ऐसा मात्र निर्माण संबंधी दोष होने के कारण ही होना दृष्टिगत होता है। चूंकि वारंटी अवधि के दौरान ही डेस्कटाॅप मंे उपरोक्त खराबी उत्पन्न हुई है, अतः विपक्षीगण इसके लिए उत्तरदायी है और उसको ठीक न करके उनके द्वारा अनुचित व्यापार प्रक्रिया अपनायी गयी एवं सेवा में कमी की गयी है। परिणामस्वरूप, परिवादी विपक्षीगण से पुराने मानीटर के बदले नया मानीटर प्राप्त करने अथवा मानीटर का मूल्य मय ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है। साथ ही इस संबंध में परिवादी को जो मानसिक एवं शारीरिक कष्ट हुआ है उसके लिए वह क्षतिपूर्ति एवं वाद व्यय भी प्राप्त करने का अधिकारी है।
आदेश
    परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को पृृथक व संयुक्त रूप से आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को पुराने मानीटर के बदले उसी प्रकार का नया मानीटर प्रदान करें। यदि वे ऐसा करने में असमर्थ हो तो मानीटर का मूल्य रू.10,000.00.00 (रूपये दस हजार मात्र) का भुगतान 9 प्रतिशत ब्याज सहित परिवाद दाखिल करने की तिथि से अंतिम भुगतान की तिथि तक परिवादी को अदा करें।
    साथ ही विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को मानसिक कष्ट के लिए क्षतिपूर्ति के रूप में रू.3,000.00 (रूपये तीन हजार मात्र) एवं वाद व्यय के रूप में रू.3,000.00 (रूपये तीन हजार मात्र) अदा करें।
    विपक्षीगण उपरोक्त आदेश का अनुपालन एक माह में करें।

     (राजर्षि शुक्ला)         (अंजु अवस्थी)           (विजय वर्मा)
        सदस्य                सदस्या                अध्यक्ष

दिनांकः   12  मई, 2015

 

 
 
[HON'BLE MR. Vijai Varma]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Rajarshi Shukla]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Anju Awasthy]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.