Uttar Pradesh

Faizabad

CC/05/2011

Rajesh Singh - Complainant(s)

Versus

Central Bank - Opp.Party(s)

26 Feb 2016

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/05/2011
 
1. Rajesh Singh
Sohawal Faizabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Central Bank
Sohawal Faizabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER


जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद । 
    


    
़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़                    ़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़उपस्थितिः-(1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष

                            (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
                            (3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य


               परिवाद सं0-05/11

राजेश सिंह पुत्र श्री करिया सिंह निवासी ग्राम व पोस्ट मोइयाकपूरपुर परगना मगलसी, तहसील सोहावल जिला फैजाबाद          .................. परिवादी

                    बनाम

    ब्रान्च मैनेजर सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया शाखा सोहावल पोस्ट सोहावल जनपद फैजाबाद                                  ................. विपक्षी

निर्णय दि0 26.02.2016
                  

      निर्णय

उद्घोषित द्वारा-श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष

        परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी के विरूद्ध चेक की धनराशि का भुगतान न करने व क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु योजित किया है।

        संक्षेप में परिवादी का परिवाद इस प्रकार है कि परिवादी देहात का रहने वाला है जिसके घर में आग लगने से घर जल गया था तथा तहसील सोहावल द्वारा उसे राहत के रूप में मु0 2,500=00 का चेक प्रदान किया गया था। परिवादी को तहसील 

 

 

                        (  2  )

सोहावल द्वारा दिया गया चेक संख्या-845665 मु0 2,500=00 का दि0 24.3.2010 को दिया था। परिवादी ने उक्त चेक सं0-845665 को अपने चालू खाता संख्या-10828 में दि0 30.3.2010 को उक्त विपक्षी बैंक में दाखिल किया जिसकी पावती की रसीद भी परिवादी के पास अभी भी मौजूद है। 

        विपक्षी ने अपने जवाब में कहा कि परिवादी द्वारा कोई चेक बैंक में जमा किया जाना विभागीय अभिलेख के अनुसार नहीं पाया जाता है। परिवादी का खाता आपत्तिकर्ता बैंक में होना सत्य व सही है मगर परिवादी द्वारा कोई चेक आपत्तिकर्ता बैंक में भुगतान होने के लिए जमा किया गया इस बाबत बैंक अभिलेख में कोई इन्द्राज नहीं है। विपक्षी द्वारा कोई चेक जैसा परिवादी ने अभिकथित किया है भुगतान हेतु नहीं आया न ही विपक्षी ने कोई धनराशि जैसा कहा गया है का कोई भुगतान प्राप्त किया। 

        मैं परिवादी के लिखित बहस तथा विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी। पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन किया। परिवादी ने मु0 2,500=00 का चेक संख्या-10828 विपक्षी बैंक में दि0 24.03.2010 को चेक संख्या-845665 को जमा किया। परिवादी के खाते में विपक्षी ने चेक की धनराशि मु0 2,500=00 को कलेक्ट करके जमा नहीं किया है। परिवादी के खाते में इसका इन्द्राज भी नहीं है। विपक्षी ने अपने जवाब में कहा है कि विभागीय अभिलेख के अनुसार चेक बैंक में जमा किया जाना नहीं पाया जाता है। परिवादी ने विपक्षी बैंक के चेक जमा करने की पर्ची कागज सं0-5/6 को प्रेषित किया है। इस प्रकार विपक्षी का यह कथन कि चेक को विपक्षी बैंक के यहाॅं जमा नहीं किया गलत साबित होता है। विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का कथन है कि परिवादी दूसरा चेक लाकर दे देवे तो परिवादी के खाते में जमा कर दिया जायेगा। मेरे विचार से विपक्षी की सेवा में कमी है। परिवादी के मु0 2,500=00 के चेक को विपक्षी ने कलेक्ट करके परिवादी के खाते में जमा नहीं किया। इस प्रकार विपक्षी के विरूद्ध परिवादी का परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है।

    आदेश            
        परिवादी  का  परिवाद विपक्षी के विरूद्ध स्वीकार किया जाता। विपक्षी 

 


                    (   3  )

परिवादी को चेक की धनराशि मु0 2,500=00 निर्णय एवं आदेश के एक माह के अन्दर अदा करें। यदि विपक्षी परिवादी को उक्त दिये गये समय के अन्दर मु0 2,500=00 की अदायगी नहीं करता है, तो परिवादी विपक्षी से 12 प्रतिशत सालाना साधारण ब्याज परिवाद योजित करने की तिथि से तारोज वसूली प्राप्त करने का अधिकारी होगा। इसके अतिरिक्त परिवादी विपक्षी से मु0 2,000=00 वाद व्यय एवं मु0 5,000=00 मानसिक क्षतिपूर्ति भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा। 

   (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)              (चन्द्र पाल)              
            सदस्य                  सदस्या                     अध्यक्ष     
            
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 26.02.2016 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं   उद्घोषित किया  गया।

    
        (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)              (चन्द्र पाल)           
      सदस्य                   सदस्या                     अध्यक्ष    

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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