Uttar Pradesh

StateCommission

A/2013/2517

U P Avas Vikas Parishad - Complainant(s)

Versus

Central Bank Of India - Opp.Party(s)

N N Pandey

22 Sep 2016

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2013/2517
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. U P Avas Vikas Parishad
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Central Bank Of India
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 22 Sep 2016
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

         मौखिक

अपील सं0-२५१७/२०१३

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, प्रथम मुरादाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या—९८/२००९ में पारित निर्णय/आदेश दिनांक-०८/१०/२०१३ के विरूद्ध)

  1. यूपी आवास एवं विकास परिषद द्वारा आवास आयुक्‍त १०४ महात्‍मा गांधी मार्ग लखनऊ।
  2. एस्‍टेट मैनेजमेंट आफीसर यूपी आवास एवं विकास परिषद एफ-०२, ०३, एवं ०४ फर्स्‍ट फ्लोर सत्‍यम सिनेमा लाजपत नगर मुरादाबाद।                     

                                       .............अपीलार्थी.                                      

बनाम

सेंट्रल बैंक आफ इंडिया द्वारा ब्रांच मैनेजर स्‍टेशन रोड ब्रांच मुरादाबाद.  

                                     ..............प्रत्‍यर्थी.

समक्ष:-

  1. माननीय श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठा0सदस्‍य
  2. माननीय श्री महेश चन्‍द, सदस्‍य ।

अपीलकर्ता की ओर से उपस्थित : श्री एन0एन पाण्‍डेय विद्वान अधिवक्‍ता ।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं ।

दिनांक:११-११-२०१६

माननीय श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठा0सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

      प्रस्‍तुत अपील विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम, प्रथम मुरादाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या—९८/२००९ में पारित निर्णय/आदेश दिनांक-०८/१०/२०१३ के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी है।

     संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि अपीलकर्ता/परिवादी के कथनानुसार परिवादी का कार्य नकद/किश्‍तों पर निर्मित भवन/विकसित भूखंडों का पंजीकरण कर उनका आवंटन करना होता है तथा आवंटी नकद एवं किश्‍तें सीधे बैंक में जमा करता है। इस तरह जमा धनराशि को विपक्षी द्वारा प्रत्‍येक माह नियमित रूप से परिवादी के मुख्‍यालय लखनऊ अंतरित करना था। इन शर्तों के साथ ही विपक्षी के यहां परिवादी द्वारा खाता खोला गया था, किन्‍तु प्रत्‍यर्थी ने शर्तों का अनुपालन नहीं किया। निर्धारित तिथि पर जमा धनराशि अपीलकर्ता/परिवादी के मुख्‍यालय प्रेषित नहीं की गयी जिससे अपीलकर्ता/परिवादी को ब्‍याज की हानि हुई। इस संदर्भ में प्रत्‍यर्थी को पत्र प्रेषित किए गए किन्‍तु प्रत्‍यर्थी द्वारा ब्‍याज की अदायगी नहीं की गयी। अत: परिवाद जिला मंच के समक्ष योजित किया गया।

     विद्वान जिला मंच ने प्रश्‍नगत निर्णय द्वारा अपीलकर्ता/परिवादी का परिवाद निरस्‍त कर दिया।

 

 

-२-

     इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गयी है।

     हमने अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता श्री एन0एन0 पाण्‍डेय के तर्क सुने। प्रत्‍यर्थी की ओर से श्री आलोक सिन्‍हा का वकालतनामा दाखिल किया गया किन्‍तु तर्क हेतु प्रस्‍तुत नहीं हुए।

     अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह स्‍वीकार किया गया कि प्रत्‍यर्थी बैंक में खाता खोले जाने के संबंध में कथित इकरारनामे के संदर्भ में कोई साक्ष्‍य जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं की गयी। उन्‍होंने यह भी स्‍वीकार किया कि ऐसा कोई लिखित इकरारनामा पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित नहीं हुआ था। उनके द्वारा यह भी स्‍वीकार किया गया कि प्रश्‍नगत खाता एक चालू खाता था। प्रश्‍नगत निर्णय में विद्वान जिला मंच ने प्रश्‍नगत खाते को चालू खाता होने के कारण तथा प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा संचालित क्रियाकलाप व्‍यवसायिक प्रकृति का होने के कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादी को उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं माना है। विद्वान जिला मंच का यह निष्‍कर्ष हमारे विचार से त्रुटिपूर्ण नहीं है।

प्रश्‍गनत निर्णय के अवलोकन से यह वि‍धित होता है कि अपीलकर्ता/परिवादी का प्रश्‍नगत खाता विभिन्‍न न्‍यायालयों द्वारा समय-समय पर पारित आदेशों के अनुपालन में कुर्क किया गया। इस आधार पर भी ब्‍याज की अदायगी का दायित्‍व प्रत्‍यर्थी का नहीं माना जा सकता।

  हमारे विचार से विद्वान जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य का उचित परिशीलन करने के उपरांत प्रश्‍नगत निर्णय पारित किया है। निर्णय में तथ्‍यात्‍मक एवं विधिक त्रुटि प्रतीत नहीं हो रही है। अपील में बल नहीं है। तदनुसार अपील निरस्‍त किए जाने योग्‍य है। 

आदेश

     अपील निरस्‍त की जाती है।

उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

उभयपक्षों को इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार नि:शुल्‍क उपलब्‍ध कराई जाए।

 

(उदय शंकर अवस्‍थी)                         ( महेश चन्‍द )

   पीठा0सदस्‍य                                      सदस्‍य

सत्‍येन्‍द्र, आशु0 कोर्ट नं0-5

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
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