जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, रायगढ़ (छ0ग0)
समक्षः सनमान सिंह, अध्यक्ष प्रकरण क्रमांक-145/2014
सुभाष पाण्डेय, सदस्य संस्थित दिनांक-25.09.2014
1. सुरेश अग्रवाल आ0 स्व0 भगवान दास अग्रवान
उम्र-52 वर्ष, पेशा-व्यापार
2. नरेश अग्रवाल आ0 स्व0 भगवान दास अग्रवाल
उम्र-49 वर्ष, पेशा-ट्रांसपोटिंग,
3. रमेश अग्रवाल आ0 स्व0 भगवान दास अग्रवाल
उम्र-45 वर्ष, पेशा-व्यापार
सभी निवासी-सत्तीगड़ी चैक, शर्मा कालोनी, रायगढ़
जिला रायगढ़ (छ0ग0) ........आवेदकगण/परिवादीगण
// विरूद्ध //
सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया,
शाखा रायगढ़ हण्डी चैक, रायगढ़ (छ0ग0) ……….. अनावेदक/विरूद्ध पार्टी
आवेदकगण/परिवादीगण द्वारा श्री मो0असलम, अधिवक्ता।
अनावेदक/विरूद्ध पार्टी द्वारा श्री वाई.के ष्ड़ंगी, अधिवक्ता।
(आदेश)
(आज दिनांक 18/03/2015 को पारित)
सनमान सिंह, अध्यक्ष
1/ आवेदक/परिवादी भगवान दास अग्रवाल आ0 स्व0 विशम्भर दयाल अग्रवाल ने अनावेदक/विरूद्ध पार्टी के विरूद्ध दिनांक 25.09.2014 को परिवाद प्रस्तुत किया था। परिवाद के विचारण के दरम्यिान भगवान दास अग्रवाल की मृत्यु हो जाने से उसके विधिक प्रतिनिधियों/आवेदकगण की ओर से अनावेदक/विरूद्ध पार्टी के विरूद्ध बैंक गारंटी की राशि 50,000/-रूपये की दुगुना राशि 1,00,000/-रूपये 9 प्रतिशत ब्याज सहित, 25,000/-रूपये मानसिक क्षतिपूर्ति, 10,000/-रूपये वाद व्यय सहित कुल 1,35,000/-रूपये दिलाये जाने बाबत् धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत प्रस्तुत परिवाद का निवर्तन किया जा रहा है।
2/ आवेदकगण/परिवादीगण का परिवाद संक्षिप्त में इस प्रकार है कि भगवान दास अग्रवाल के स्वामित्व का वाहन क्र.एम.पी.26-बी-1721 दिनांक 20.01.2002 को सुबह 8-20 बजे संबलपुरी के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गयी थी।
जिसके संबंध में थाना चक्रधर नगर में धारा-304 (ए) भादवि के अन्तर्गत अपराध क्र.10/2002 पंजीबद्ध किया गया था। उक्त वाहन को थाना चक्रधर नगर द्वारा जब्त किया गया था। न्यायालय द्वारा 3,00,000/-रूपये सुपुदर्गी तथा 50,000/-रूपये के बैंक गारंटी पर सुपुदर्गी में दी गई थी। आवेदक/परिवादी ने बैंक गारंटी 50,000/-रूपये एक वर्ष के लिए न्यायालय में जमा किया था। आवेदक/परिवादी द्वारा अनावेदक/विरूद्ध पार्टी बैंक में 50,000/-रूपये नगद जमा करने पर बैंक गारंटी प्रमाण पत्र दिनांक 01.02.2002 से 31.01.2003 अवधि के लिए जारी किया था। आवेदकगण/परिवादीगण को बैंक गारंटी वापस किये जाने के संबंध में बैंक अधिकारियों द्वारा बताया गया कि न्यायालय में प्रकरण समाप्त होने पर वापस किया जायेगा। न्यायालय में प्रकरण समाप्त होने पर बैंक गारंटी की राशि वापस करना था, किन्तु वापस नहीं किया गया। अनावेदक/विरूद्ध पार्टी ने आवेदकगण/परिवादीगण को न्यायालय से आदेश लाने हेतु निर्देशित किया, किन्तु आदेश दिनांक 21.07.2014 लाने के बाद भी अनावेदक/विरूद्ध पार्टी तकनीकी खामी बताकर खोजना पड़ेगा कहते हुए टालमटोल किया गया। आवेदकगण/परिवादीगण ने बैंक गारंटी की राशि वापसी के संबंध में उच्च न्यायालय में w.p 1406/2014 प्रस्तुत किया था। उच्च न्यायालय एवं मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी के आदेश का पालन न करना न्यायालयीन आदेश की अवमानना है। अनावेदक/विरूद्ध पार्टी द्वारा बैंक गारंटी राशि वापस न करने पर आवेदकगण/परिवादीगण बैंकिंग लोकपाल को शिकायत किया। उसके बाद भी आवेदकगण/परिवादीगण को बैंक गारंटी की राशि वापस नहीं किया गया। बैंक गारंटी में जमा धन 5 से 7 वर्ष में दुगुना हो जाती है। आवेदकगण/परिवादीगण दिनांक 01.02.2002 को 50,000/-रूपये अनावेदक/विरूद्ध पार्टी बैंक में जमा कर बैंक गारंटी प्राप्त किया था, इसलिए आवेदकगण/परिवादीगण ने 50,000/-रूपये की दुगुना राशि 1,00,000/-रूपये पर 9 प्रतिशत ब्याज एवं अन्य अनुतोष दिलाये जाने बाबत् यह परिवाद प्रस्तुत किये हैं।
3/ अनावेदक/विरूद्ध पार्टी की ओर से जवाब में बताया गया है कि मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी रायगढ़ द्वारा वाहन क्र.एम.पी.26-बी-1721 के संबंध में 50,000/-रूपये का बैंक गारंटी मांगे जाने पर भगवान दास के निवेदन पर अनावेदक/विरूद्ध पार्टी द्वारा जारी किया गया था। उक्त बैंक गारंटी दिनांक 31 जनवरी 2003 तक प्रभावशील थी। न्यायालय में प्रकरण समाप्त होने पर बैंक के किसी भी अधिकारी ने आवेदकगण/परिवादीगण को बैंक गारंटी की राशि वापस किये जाने का आश्वासन नहीं दिया था। बैंक गारंटी न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था, इसलिए अनावेदक/विरूद्ध पार्टी द्वारा वापस करने का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता और न ही अनावेदक/विरूद्ध पार्टी ने कोई तकनीकी खामी बताकर टालमटोल किया था। उच्च न्यायालय ने बैंक को यह निर्देश दिया था कि आवेदकगण/परिवादीगण द्वारा बैंक गारंटी प्राप्त करने हेतु जो राशि जमा किया गया था उसे चार सप्ताह के भीतर निराकृत करें। उच्च न्यायालय का उक्त आदेश गुणदोषों पर आधारित नहीं था। दिनांक 02.04.2014 को बैंक के आंचलिक कार्यालय से जारी बैंक गारंटी क्र.55/2006 से स्पष्ट है कि अनावेदक/विरूद्ध पार्टी के बैंक खाते में बकाया राशि दर्शित नहीं है, इसी तरह से कोई भी राशि बैंक गारंटी के लिए जमा दर्शित नहीं है। दिनांक 02.04.2014 को बैंक शाखा द्वारा आवेदकगण/परिवादीगण को पत्र प्रेषित कर सूचित किया था कि उनके पास बैंक गारंटी हेतु जमा राशि की कोई भी रसीद है तो उसे प्रस्तुत करें जिससे की
कार्यवाही की जा सके। आवेदकगण/परिवादीगण द्वारा अनावेदक बैंक में उपस्थित होकर बैंक गारंटी की राशि वापस किये जाने के संबंध में कोई निवेदन नहीं किया था। अनावेदक/विरूद्ध पार्टी द्वारा आवेदकगण/परिवादीगण को सूचित किया था कि वह बैंक गारंटी हेतु जमा नगद राशि की रसीद प्रस्तुत करें, किन्तु नहीं किया गया। अनावेदक/विरूद्ध पार्टी द्वारा किसी प्रकार की सेवा में कमी नहीं की गई है। परिवाद निरस्त किया जावे।
4/ आवेदकगण/परिवादीगण की ओर से प्रस्तुत लिखित तर्क एवं दस्तावेजों तथा अनावेदक/विरूद्ध पार्टी की ओर से प्रस्तुत लिखित तर्क का अवलोकन किया गया।
5/ आवेदकगण/परिवादीगण की ओर से बैंक गारंटी बाण्ड, उच्च न्यायालय की आदेश प्रति, मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी की आदेश प्रति, पहचान पत्र, बैकिंग लोकपाल को प्रेषित पत्र, रसीद, सेंट्रल बैंक द्वारा जमा राशि संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत करने ज्ञापन सहित समस्त दस्तावेजो की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।
6/ उक्त दस्तावेजों के अवलोकन से स्पष्ट है कि वाहन क्र.एम.पी.26-बी-1721 के संबंध में मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी रायगढ़ के आदेश के परिपालन में भगवान दास अग्रवाल द्वारा 50,000/-रूपये की बैंक गारंटी न्यायालय में प्रस्तुत कर वाहन सुपुदर्गी में प्राप्त किया था। उक्त बैंक गारंटी एक वर्ष के लिए निष्पादित की गई थी। भगवान दास ने बैंक गारंटी की राशि वापस न करने पर रिजर्व बैंक आफ इण्डिया को दिनांक 25.02.2014 को शिकायत किया था। अनावेदक/विरूद्ध पार्टी को भी दिनांक 26.12.2013 को बैंक गारंटी की राशि न दिये जाने के संबंध शिकायत किया था। अंत में भगवान दास ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय मेंंंंं याचिका प्रस्तुत किया था। जिसमें माननीय उच्च न्यायालय ने भगवान दास अग्रवाल को कानून के अन्तर्गत उचित अनुतोष प्राप्त करने का सलाह दिया था।
7/ आवेदकगण/परिवादीगण की ओर से लिखित तर्क में बताया है कि अनावेदक/विरूद्ध पार्टी ने बैंक गारंटी जारी किया जाना स्वीकार किया है, किन्तु बैंक गारंटी हेतु राशि जमा किया जाना स्वीकार नहीं किया है, जबकि बैंक के नियम व प्रावधान के अनुसार राशि जमा करने पर ही बैंक द्वारा बैंक गारंटी जारी की जाती है। बैंक गारंटी अवधि समाप्त होने पर जमा राशि वापस करने का दायित्व बैंक का होता है। बैंक गारंटी दिनांक 31.01.2003 तक प्रभावशील थी। आवेदकगण/परिवादीगण बैंक गारंटी की राशि वापस किये जाने बाबत् पत्राचार किया गया। उसके बाद भी अनावेदक/विरूद्ध पार्टी बैंक गारंटी की राशि वापस नहीं किया। बल्कि दिनांक 02.04.2014 को पत्र लिखकर आवेदकगण/परिवादीगण से बैंक गारंटी हेतु जमा राशि की रसीद प्रस्तुत करने कहा गया। आवेदकगण/परिवादीगण का प्रकरण समाप्त होने पर न्यायालय से बैंक गारंटी की मूल प्रति अनावेदक/विरूद्ध पार्टी बैंक में प्रस्तुत किया उसके बाद भी बैंक गारंटी हेतु जमा की गई राशि की रसीद प्रस्तुत करने की सूचना देकर अनावेदक/विरूद्ध पार्टी सेवा में कमी व व्यवसायिक दुराचरण किया है, इसलिए परिवाद में चाही गई अनुतोष दिलायी जावे।
8/ अनावेदक/विरूद्ध पार्टी की ओर से कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया है। अनावेदक/विरूद्ध पार्टी की ओर से लिखित तर्क में बताया गया है
कि बैंक गारंटी दिनांक 31.01.2003 तक प्रभावशील थी। बैंक अभिलेख के अनुसार बैंक गारंटी क्र.55/2006 बैंक के खाते में राशि दर्शित होना नहीं पाया गया और न ही बैंक गारंटी जारी करने हेतु कोई राशि जमा करना पाया गया। आवेदकगण/परिवादीगण को दिनांक 02.04.2014 को बैंक गारंटी हेतु जमा राशि की रसीद प्रस्तुत करने हेतु पत्र प्रेषित किया गया था, किन्तु आवेदकगण/परिवादीगण द्वारा कोई रसीद प्रस्तुत नहीं किया गया। जिसके फलस्वरूप कार्यवाही नहीं की जा सकती। अनावेदक/विरूद्ध पार्टी का यह भी तर्क है कि आवेदकगण/परिवादीगण द्वारा बैंक गारंटी हेतु जमा राशि की रसीद प्रस्तुत करने पर कार्यवाही की जा सकती है। अनावेदक/विरूद्ध पार्टी द्वारा किसी प्रकार की सेवा में कमी व व्यवसायिक दुराचरण नहीं किया है।
9/ प्रकरण में प्रस्तुत बैंक गारंटी (छायाप्रति) से स्पष्ट है कि अनावेदक/विरूद्ध पार्टी द्वारा बैंक गारंटी क्र.55/2006 दर्ज कर बैंक गारंटी जारी किया था। बैंक गारंटी दिनांक 31.01.2003 तक प्रभावशील थी। मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी रायगढ़ के न्यायालय से विचाराधीन प्रकरण का निराकरण भी दिनांक 31.01.2012 को हो गया था। मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी रायगढ़ ने दिनांक 21.07.2014 को भगवान दास की ओर से प्रस्तुत आवेदन के आधार पर मूल बैंक गारंटी वापस करने का आदेश किया था। 50,000/-रूपये का बैंक गारंटी निष्पादित होना अनावेदक/विरूद्ध पार्टी ने स्वीकार किया है। उसके बाद भी बैंक गारंटी हेतु जमा की गई राशि की रसीद प्रस्तुत न करने के आधार पर अनावेदक/विरूद्ध पार्टी द्वारा बैंक गारंटी की राशि वापिस न किया जाना घोर अनियमितता व व्यसायिक दुराचरण एवं सेवा में कमी की श्रेणी में आता है। हम लोगों की राय में आवेदकगण/परिवादीगण बैंक गारंटी राशि मय ब्याज पाने का अधिकारी है। अतः यह आदेश पारित किया जाता हैः-
अ. अनावेदक/विरूद्ध पार्टी, आवेदकगण/परिवादीगण को बैंक गारंटी की राशि 50,000/-(पचास हजार रूपये) एक महीने के भीतर भुगतान करेगा तथा 50,000/-(पचास हजार रूपये) पर परिवाद प्रस्तुति दिनांक 25.09.2014 से भुगतान दिनांक तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भुगतान करेगा।
ब. अनावेदक / विरूद्ध पार्टी, आवेदकगण / परिवादीगण को 25,000/-(पच्चीस हजार रूपये) मानसिक क्षतिपूर्ति तथा 2,000/-(दो हजार रूपये) वाद व्यय भुगतान करेगा।
(सनमान सिंह) (सुभाष पाण्डेय)
अध्यक्ष सदस्य
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