सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ
परिवाद संख्या 38 सन 2012
सुमन देवी पत्नी श्री सत्येन्द्र नाथ त्रिपाठी प्रो0 भारतीय मशीनरी एण्ड टूल्स 330/1 सिविल लाइन्स प्रधान डाकघर के निकट देवरिया पोस्ट एवं जनपद –देवरिया हाल पता निवासी 5/308, विराम खण्ड गोमतीनगर लखनऊ ।
............परिवादिनी
बनाम
सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया शाखा अन्सारी रोड, देवरिया द्वारा वरिष्ठ शाखा प्रबन्धक एवं अन्य । . ............. विपक्षीगण
समक्ष:-
1 मा0 श्री चन्द्र भाल श्रीवास्तव, पीठासीन सदस्य।
2 मा0 श्री राजकमल गुप्ता , सदस्य।
परिवादिनी की ओर से विद्वान अधिवक्ता – श्री बी0के0 उपाध्याय ।
विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री जफर अजीज
दिनांक: 06-08-2015
श्री चन्द्रभाल श्रीवास्तव, सदस्य (न्यायिक) द्वारा उदघोषित ।
निर्णय
परिवादिनी, सुमन देवी पत्नी श्री सत्येन्द्र नाथ त्रिपाठी द्वारा यह परिवाद इस आशय का प्रस्तुत किया गया है कि विपक्षी द्वारा सी0सी0लिमिट 05 लाख रू0 को फर्जी तौर पर 50 लाख रू0 कर दिया तथा 5 से पहले 3 बढ़ाकर 35 लाख कर दिया जोकि विधि-विरूद्ध है, अत: उक्त सी0सी0लिमिट देने की जिम्मेदारी परिवादिनी की नहीं है और ऐसी स्थिति में विपक्षी को सरफेसी एक्ट के अन्तर्गत मार्गेज किए गए मकान को कब्जे में लेने का अधिकार नहीं है । परिवादिनी द्वारा निम्नलिखित अनुतोष मांगे गए हैं :-
1 '' यहकि विपक्षीगण को मना किया जाए कि वे मेरे भवन संख्या 330/1 स्थित सिविल लाइन्स देवरिया सटे प्रधान डाकघर देवरिया को जो तथाकथित सी0सी0लिमिट में एक्वीटेबुल मार्गेज नहीं है, को गैर कानूनी ढंग से कब्जे में न ले एवं उसका बिक्रय न करें ।
2 यहकि विपक्षीगण को आदेश दिया जाए कि गलत ढंग से मेरे नाम दी गयी तथा कथित सी0सी0लिमिट 35 लाख रूपए एवं उस पर जोड़ा जा रही ब्याज तत्कालीन शाखा प्रबन्धक एवं एजेण्ट से वसूल करें। मेरे विरूद्ध की जा रही वसूली कार्यवाही समाप्त कर दें।
3 यहकि विपक्षीगण से वाद व्यय अधिवक्ता फीस के मद में बीस हजार रूपया तथा मानसिक एवं शारीरिक कष्ट के रूप में दस लाख रूपया दिलवाया जाए ।
4 यहकि विपक्षीगण द्वारा गैर कानूनी ढग से तथाकथित सी0सी0लिमिट मेरे नाम दिखाने एवं उक्त सी0सी0लिमिट सुविधा दिए जाने दिनांक 07.1.2005 के बाद दिनांक 10.2.2005 को भवन संख्या 330/1 के मूल बैनामा विलेख पंजाब नेशनल बैंक शाखा सिविल लाइन्स देवरिया से प्राप्त कर भवन को गलत ढंग से कब्जे में लेकर बेचने की धमकी को देखते हुए दस लाख रूपया प्यूनिटीव डैमेजेज विपक्षीगण से दिलवाया जाए।
5 यहकि यदि माननीय आयोग की नजर में कोई अन्य अनुतोष जो मुझे दिलवाया जाना आवश्यक है उसे भी विपक्षीगण से मुझे दिलवाया जाए।''
विपक्षी द्वारा लिखित दाखिल किया गया है जिसमें यह कहा गया है कि यह प्रकरण सरफेसी से संबंधित है और जिसके संबंध में उपभोक्ता न्यायालय को कोई सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है । यह भी कहा गया है कि इस प्रकरण में डी0आर0टी0 इलाहाबाद में प्रकरण विचाराधीन है।
उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा अभिलेख का अनुशीलन किया गया।
परिवादिनी ने अपने परिवाद में फर्जी तौर पर सी0सी0लिमिट दिलाए जाने का जो अभिकथन किया है, उसका निस्तारण सक्षम न्यायालय से ही किया जा सकता है। जालसाजी के प्रकरण का निस्तारण उपभोक्ता फोरम द्वारा सम्भव नहीं है। वैसे भी इस परिवाद को सरफेसी एक्ट से प्रभावित कहा गया है और पक्षकारों के बीच डी0आर0टी0 इलाहाबाद में प्रकरण लम्बित है ।
परिणामत:, हम यह पाते हैं कि यह परिवाद अवधारणीय नहीं है।
आदेश
प्रस्तुत परिवाद तदनुसार निरस्त किया जाता है।
उभय पक्ष इस परिवाद का अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार नि:शुल्क उपलब्ध करा दी जाए।
(चन्द्र भाल श्रीवास्तव) (राज कमल गुप्ता)
पीठा0 सदस्य (न्यायिक) सदस्य
कोर्ट-2
(S.K.Srivastav,PA)