जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी (म0प्र0)
:-समक्ष :-
प्रकरण क्रमांक 632014
प्रस्तुति दिनांक-23.09.2014
अध्यक्ष - व्ही0पी0 षुक्ला।
सदस्य - वीरेन्द्र सिंह राजपूत।
मोहन साहू, आत्मज स्वगीय श्री
बाबूलाल साहू, प्रोप्रार्इटर ष्याम
आटोमेटिक फोटोकापी सेंटर, नेहरू
रोड, तहसील व जिला सिवनी
(म0प्र0)..............................................................आवेदकपरिवादी।
:-विरूद्ध-:
(1) श्रीमान प्रबंधक महोदय, सेन्ट्रल
बैंक आफ इंडिया षाखा सिवनी,
अमर टाकीज के सामने, तहसील
व जिला सिवनी (म0प्र0)।
(2) श्रीमान कार्यपालन यंत्री, तिलवारा
एल.बी.सी. डिवीजन केवलारी, जिला
सिवनी (म0प्र0)।.................................अनावेदकगणविपक्षीगण।
:-आदेश-:
(आज दिनांक- 23.03.2015 को पारित)
द्वारा-अध्यक्ष:-
(1) परिवादी ने यह परिवाद, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के अन्तर्गत सेवा में कमी के आधार पर 4,776-रूपये मय ब्याज एवं वाद व्यय दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया है।
(2) परिवादी का पक्ष संक्षेप में इस प्रकार है कि-परिवादी का ष्याम आटोमेटिक फोटाकापी सेंटर के नाम से सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया,षाखा अमर टाकीज के सामने (जिसे आगे बैंक कहा जावेगा), में खाता है परिवादी इस खाते से व्यापारिक लेनदेन करता है। परिवादी ने बैंक में दिनांक-07.03.2014 को चेक क्रमांक-013973 राषि 4,776-रूपये जमा किया, इस चेक की वैधता अवधि दिनांक 31.03.2014 तक थी। परिवादी ने दिनांक-05.04.2014 को अपने खाते की जानकारी ली, तब उसे यह ज्ञात हुआ कि चेक की राषि का उसके खाते में समायोजन नहीं हुआ है। उसने बैंक के अधिकारियों से जानकारी ली, तब उसे अवगत कराया गया कि बैंक ने चेक केवलारी षाखा को न भेजते हुये, सेन्ट्रल बैंक आफ षाखा लखनादौन को भेज दिया। लखनादौन बैंक की षाखा ने दिनांक-26.03.2014 को मेमो सहित अनावेदक क्रमांक-1बैंक को चेक वापस कर दिया। अनावेदक क्रमांक-1बैंक ने पुन: बैंक की केवलारी षाखा को चेक कलेक्षन हेतु प्रेषित नहीं किया । अनावेदक क्रमांक-1 ने परिवादी को मेमो सहित चेक वापस कर दिया। उस समय चेक की वैधता अवधि समाप्त हो गर्इ थी, जो अनावेदक क्रमांक-1 की सेवा में कमी है। परिवादी ने अनावेदक क्रमांक-1 से संपर्क कर उसके खाते में राषि जमा करने का अनुरोध किया, किन्तु अनावेदक क्रमांक-1 द्वारा कोर्इ कार्यवाही नहीं की गर्इ। परिवादी ने अनावेदक क्रमांक-2 से संपर्क कर पुन: चेक प्रदाय करने का अनुरोध किया, किन्तु अनावेदक क्रमांक-2 द्वारा उसे दूसरा चेक प्रदाय नहीं किया गया। अतएव परिवादी ने अनावेदकगण के विरूद्ध 4,776-रूपये मय ब्याज दिलाये जाने तथा वाद व्यय दिलाये जाने हेतु यह परिवाद प्रस्तुत किया है।
(3) अनावेदक क्रमांक-1 एकपक्षीय है।
(4) अनावेदक क्रमांक-2 का पक्ष संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी द्वारा जो षासकीय कार्य कराया गया था, उसके अनुसरण में परिवादी को चेक क्रमांक-013973 दिनांक 28.02.2014 द्वारा 4,776-रूपये दिया गया था। चेक की वैधता दिनांक 31.03.2014 तक थी। परिवादी द्वारा अनावेदक क्रमांक-2 के कार्यालय में दिनांक-08.04.2014 तक कोर्इ लिखित षिकायत नहीं की गर्इ थी। अनावेदक क्रमांक-2 द्वारा सेवा में कोर्इ कमी नहीं की गर्इ है। अतएव अनावेदक क्रमांक-2 ने परिवादी का परिवाद निरस्त किये जाने का निवेदन किया है।
(5) विचारणीय बिन्दु यह है कि-:
क्या अनावेदक क्रमांक-1 द्वारा, परिवादी को चेक
क्रमांक-013973 राषि 4776-रूपये का भुगतान न कर, सेवा में कमी की गर्इ है?
-:सकारण निष्कर्ष:-
(6) परिवादी मोहन साहू ने षपथ-पत्र पर प्रकट किया कि उसका बैंक में ष्याम आटोमेटिक फोटोकापी सेंटर के नाम से खाता क्रमांक-2071894455 है, जिसमें वह व्यवसायिक लेनदेन करता है। उसने बैंक में दिनांक-07.03.2014 को चेक क्रमांक- 013973 राषि 4,776-रूपये जमा किया था, चेक की वैधता अवधि दिनांक-31.03.2014 तक थी। उसने दिनांक-05.04.2014 को अपने खाते की जानकारी ली, तब उसे यह जानकारी मिली कि उसके खाते में राषि का समायोजन नहीं हुआ था। उसने बैंक अधिकारियों से जानकारी ली, तब उसे यह ज्ञात हुआ कि बैंक द्वारा उसका चेक केवलारी षाखा को न भेजकर, सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया, षाखा लखनादौन को प्रेशित कर दिया गया। बैंक आफ इंडिया, षाखा लखनादौन द्वारा अनावेदक क्रमांक-1 को दिनांक-26.03.2014 को चेक मूलत: वापस कर दिया गया था, किन्तु अनावेदक क्रमांक-1 द्वारा चेक केवलारी बैंक को नहीं प्रशित किया गया, जिसके कारण चेक की वैधता अवधि समाप्त हो गर्इ।
(7) अनावेदक क्रमांक-2 द्वारा यह आपतित ली गर्इ है कि परिवादी ने जो षासकीय कार्य किया था, उसके अनुसरण में उसे दिनांक-28.02.2014 को चेक क्रमांक-86114 द्वारा राषि 4,776- रूपये का भुगतान किया गया था। चेक की वैधता दिनांक- 31.03.2014 तक थी। परिवादी के चेक का भुगतान न होने में अनावेदक क्रमांक-2 का कोर्इ दायित्व नहीं है।
(8) परिवादी ने बैंक में चेक क्रमांक-013973 को जमा करने की रसीद दिनांक-07.03.2014 प्रस्तुत किया है, जिससे स्पश्ट है कि परिवादी द्वारा चेक क्रमांक-013973 दिनांक-07.03.2014 बैंक में प्रस्तुत किया गया था। परिवादी ने चेक वापसी का मेमो दिनांकित- 26.03.2014 प्रस्तुत किया है, जिसके अनुसार बैंक आफ इंडिया, षाखा लखनादौन द्वारा सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया, षाखा सिवनी को इस टीप के साथ चेक वापस प्रेशित किया गया था कि चेक का कलेक्षन केवलारी षाखा से किया जावे, किन्तु बैंक द्वारा केवलारी षाखा को कलेक्षन हेतु चेक प्रेशित नहीं किया गया। अनावेदक की ओर से परिवादी को यह जानकारी नहीं दी गर्इ कि किन आधारों पर परिवादी का चेक, कलेक्षन हेतु सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया, षाखा लखनादौन को कलेक्षन हेतु प्रेशित किया गया, जबकि चेक को कलेक्षन हेतु बैंक की केवलारी षाखा को प्रेशित किया जाना था। इस प्रकार अनावेदक क्रमांक-1 की उपेक्षा एवं लापरवाही के कारण परिवादी का चेक क्रमांक-013973 राषि 4776-रूपये का भुगतान नहीं हो पाया एवं चेक की वैधता अवधि समाप्त हो गर्इ, जो अनावेदक क्रमांक-1 की सेवा में कमी है। हमारे मत में अनावेदक क्रमांक-1 को परिवादी को चेक क्रमांक-013973 की राषि 4,776- रूपये वापस दिलाये जाने का निर्देष दिया जाना युकितयुक्त है। इसके अतिरिक्त अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा परिवादी के खाते में चेक की राषि 4776-रूपये जमा न करने से उसको जो मानसिक कश्ट हुआ, उसके लिये हम उसे 500-रूपये की राषि प्रतिकर के रूप में दिलाया जाना युकितयुक्त समझते हैं।
(9) उपरोक्त विवेचना के आधार पर मामले में निम्न आदेष पारित किया जाता है:-
(1) अनावेदक क्रमांक-1 परिवादी को एक माह
में 4,776-रूपये (चार हजार सात सौ छयत्तर रूपये) अदा करे।
(2) अनावेदक क्रमांक-1 परिवादी को मानसिक
कश्ट हेतु 500-रूपये (पांच सौ रूपये) तथा
वाद-व्यय हेतु 1,000-रूपये (एक हजार
रूपये) अदा करे।
(3) उपरोक्त राषि यदि एक माह में अदा नहीं की जाती है, तब अनावेदक क्रमांक-1 द्वारा परिवादी को संपूर्ण राषि पर 8 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से ब्याज का भुगतान
किया जावे।
(4) अनावेदक क्रमांक-2 के विरूद्ध परिवादी का
परिवाद निरस्त किया जाता है।
मैं सहमत हूँ। मेरे द्वारा लिखवाया गया।
(वीरेन्द्र सिंह राजपूत) (व्ही0पी0 षुक्ला)
सदस्य अध्यक्ष
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