Final Order / Judgement | (मौखिक) राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ। अपील सं0 :- 1169/2012 (जिला उपभोक्ता आयोग, फैजाबाद द्वारा परिवाद सं0- 121/2001 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 04/05/2012 के विरूद्ध) Smt. Kusum Gupta, aged about 32 years W/O Sri Pawan Kumar Gupta R/O Mohalla-Haiderganj, Haveli Avadh, Tehsil-Sadar, District-Faizabad. - Appellant
- The Chairman, Consumer Disputes Redressal Forum, Faizabad.
- Branch Manager, Central Bank of India, Chowk Branch, Faizabad.
समक्ष - मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य
- मा0 डा0 आभा गुप्ता, सदस्य
उपस्थिति: अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- श्री राजेन्द्र कुमार गुप्ता, एडवोकेट प्रत्यर्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- श्री जफर अजीज, एडवोकेट दिनांक:-24.02.2022 माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय - जिला उपभोक्ता आयोग, फैजाबाद द्वारा परिवाद सं0- 121/2001 कुसुम गुप्ता बनाम शाखा प्रबंधक में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 04/05/2012 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गयी है, जिसके माध्यम से परिवादिनी का परिवाद निरस्त किया गया है।
- परिवादिनी ने यह परिवाद इन अभिकथनों के साथ योजित किया है कि उसने प्रत्यर्थी बैंक में अपने बचत खाता सं0 5921 के लिए एक चेक रूपये 20,000/- का दिनांक 09.01.2001 को स्टेट बैंक आफ पटियाला चंडीगढ़ का जमा किया था, जिसकी रसीद परिवादिनी के पास है। चेक जमा करने के पांच माह तक जब धनराशि परिवादिनी के खाते में नहीं आई तो परिवादिनी ने पत्र दिनांकित 06.06.2001 प्रत्यर्थी बैंक के शाखा प्रबंधक को दिया किन्तु कोई उत्तर नहीं मिला। दिनांक 30.06.2001 को प्रत्यर्थी ने खाते में पैसा जमा करने से इंकार कर दिया, इसके उपरान्त यह परिवाद प्रस्तुत किया गया।
- विपक्षी बैंक की ओर से परिवाद के दौरान उत्तर पत्र प्रस्तुत किया गया, जिसमें बैंक ने परिवादिनी का खाता और रूपये 20,000/- का चेक जमा करने का स्वीकार किया। बैंक द्वारा कहा गया कि दिनांक 09.01.2001 को परिवादिनी द्वारा जमा किया गया चेक कलेक्शन हेतु पंजीकृत डाक से चंडीगढ़ भेजा गया था, किन्तु धनराशि प्राप्त न होने के कारण प्रत्यर्थी ने दिनांक 04.07.2001, 27.07.2001, 09.04.2001 को पंजीकृत डाक से रिमाइंडर भेजे तथा दिनांक 03.01.2008 को दूरभाष द्वारा भी भुगतान हेतु पेयी बैंक से कहा, किन्तु चेक का भुगतान विपक्षी बैंक को प्राप्त नहीं हुआ। दिनांक 07.01.2008 को प्रत्यर्थी बैंक ने सूचना दी, एवं यह कहा कि यदि दूसरा चेक प्राप्त हो गया हो, तो चेक दे दे, किन्तु परिवादिनी ने कोई उत्तर पत्र नहीं दिया। प्रत्यर्थी के अनुसार पेयी बैंक स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, चंडीगढ़ से धनराशि प्राप्त न होने के कारण परिवादिनी के खाते में धनराशि जमा नहीं की गयी है। स्वयं बैंक द्वारा कोई सेवा में कमी नहीं की गयी है। अत: परिवादिनी का परिवाद प्रत्यर्थी के विरूद्ध खारिज होने योग्य है।
- विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम ने निम्नलिखित आदेश पारित किया:-
- ‘’विपक्षी बैंक ने अपने पक्ष के समर्थन में बाहरी बिलों के संग्रह के रजिस्टर की प्रति दिनांक 09.01.2001, चंडीगढ़ को लिखे गये पत्र दिनांक 27.04.2001 तथा 09.04.2007 की प्रति एवं परिवादिनी को लिखे गये पत्र दिनांक 07.01.2003 की प्रति संलग्न की है जो विपक्षी बैंक के कथन को प्रमाणित करती है। विपक्षी बैंक ने अपनी सेवा में कमी नहीं की है, जिस बैंक से पैसा आना था वहीं से पैसा न आने के कारण परिवादिनी के खाते में पैसा जमा नहीं हुआ। परिवादिनी का परिवाद खारिज होने योग्य है।‘’
- उपरोक्त आदेश से व्यथित होकर यह अपील प्रस्तुत की गयी है। अपील में मुख्य रूप से यह कथन किया गया है कि प्रत्यर्थी बैंक ने परिवादिनी को यह अवगत नहीं कराया था कि उनके द्वारा पेयी बैंक से धनराशि प्राप्त करने के लिए क्या कार्यवाही की गयी थी। विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा यह कहा गया है कि प्रत्यर्थी बैंक स्टेट बैंक ऑफ पटियाला को दिनांक 07.07.2001 को तथा 27.04.2001 को पत्र भेजे गये, किन्तु इसके उपरान्त 06 वर्ष बाद तथा 07 वर्ष बाद पत्र भेजे गये। इस प्रकार प्रत्यर्थी ने सेवा में कमी की है क्योंकि उनके द्वारा तुरंत ही कोई कार्यवाही नहीं की गयी है, किन्तु 07 वर्ष तक चेक के बारे में कोई सूचना न प्राप्त होने के संबंध में सेवा में त्रुटि की गयी है। अत: अपील स्वीकार किये जाने योग्य है।
- अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री राजेन्द्र कुमार गुप्ता तथा प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री जफर अजीज को विस्तार से सुना। पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेख का अवलोकन किया:-
- स्वयं परिवादिनी ने अपने परिवाद में स्वीकार किया कि उनके द्वारा स्टेट बैंक ऑफ पटियाला का एक चेक प्रस्तुत किया गया था एवं उनको धनराशि प्राप्त नहीं हुई। प्रत्यर्थी द्वारा यह कथन किया गया कि उन्होंने दिनांक 07.04.2001 तथा दिनांक 27.04.2001 को स्टेट बैंफ ऑफ पटियाला पेयी बैंक को रिमाइंडर भेजे, किन्तु चेक अनादृत होने अथवा धनराशि प्राप्त न होने के संबंध में परिवादिनी को कोई सूचना बैंक के माध्यम से दी गयी है। यह स्पष्ट नहीं होता है। अभिकथनों में यह उल्लेख किया गया है कि दिनांक 07.01.2008 को प्रथम बार परिवादिनी को कोई भी कम्यूनिकेशन किया गया। इस प्रकार 07 वर्ष तक अपीलार्थी/परिवादिनी को इस तथ्य से बैंक द्वारा अवगत नहीं कराया गया कि उक्त धनराशि का भुगतान उक्त चेक का भुगतान बैंक को प्राप्त नहीं हुआ है। अपीलार्थी/परिवादिनी ने दिनांक 06.06.2001 को एक प्रार्थना पत्र दिये जाने की बात कही है, किन्तु इस प्रार्थना पत्र पर परिवादिनी को बैंक द्वारा जवाब में क्या सूचित किया गया है, यह भी स्पष्ट नहीं है तथा इसके उपरान्त प्रथम बार लगगभ 07 वर्ष बाद परिवादिनी कोई भी पत्र भेजना बैंक द्वारा कहा गया है। अत: प्रत्यर्थी बैंक इस प्रकार सेवा में त्रुटि का दोषी है, यदि परिवादिनी को इस आशय की सूचना दी जाती तो निश्चय ही परिवादिनी पेयी बैंक स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, चण्डीगढ़ को भुगतान हेतु प्रयत्न करती, किन्तु ऐसा कोई उल्लेख प्रत्यर्थी बैंक द्वारा नहीं कहा गया है। अत: यद्यपि सम्पूर्ण धनराशि के लिए प्रत्यर्थी बैंक उत्तरदायित्व नहीं रखते हैं क्योंकि यह धनराशि न दिया जाना स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, चण्डीगढ़ अर्थात पेयी बैंक का उत्तरदायित्व है, जिसके लिए वे दोषी माने जा सकते हैं अथवा जिस व्यक्ति द्वारा चेक निर्गत किया गया है, वह भुगतान न देने का दोषी हो सकता है, किन्तु समय पर आवश्यक सूचना परिवादिनी को न देना बैंकिंग सेवा में त्रुटि है, जिसके लिए परिवादिनी क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारिणी है। परिवादिनी को हुई असुविधा के लिए प्रत्यर्थी बैंक रूपये 5,000/- तथा वाद योजन की तिथि से वास्तविक अदायगी तक इस पर 06 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी दिया जायेगा। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
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अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। प्रत्यर्थी बैंक को निर्देशित किया जाता है कि वे अपीलार्थी/परिवादिनी को रूपये 5,000/- तथा वाद योजन की तिथि से वास्तविक अदायगी तक इस पर 06 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी देंगे। अपील में उभय पक्ष अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे। आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें। (विकास सक्सेना) (डा0 आभा गुप्ता) सदस्य सदस्य संदीप, आशु0 कोर्ट नं0-3 | |