मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-2473/2012
इन्द्रजीत पुत्र श्री बड़े लाल, निवासी-ग्राम खजूरी, पोस्ट-खजूरी, पुलिस स्टेशन-पयागपुर, तहसील व जिला बहराइच।
अपीलकर्ता/परिवादी
बनाम
1. सेण्ट्रल बैंक आफ इण्डिया, ब्रांच विशेश्वर गंज, पोस्ट-विशेश्वर गंज, जिला बहराइच, द्वारा ब्रांच मैनेजर।
2. जनरल मैनेजर, सेण्ट्रल बैंक आफ इण्डिया, ह्यूमन रिर्सोसेज डेवलेपमेंट सेक्शन, सेण्ट्रल आफिस चन्द्र मुखी, नरिमन प्वाइंट, मुम्बई-400021 ।
3. डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट/कलेक्टर, जिला बहराइच।
4. तहसीलदार सदर, जिला बहराइच।
प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
1. मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
अपीलकर्ता की ओर से - श्री आलोक कुमार त्रिपाठी, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-1 व 2 की ओर से - श्री जफर अजीज, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-3 व 4 की ओर से - कोई नहीं।
दिनांक : 16.05.2019
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता श्री आलोक कुमार त्रिपाठी तथा प्रत्यर्थी संख्या-1 व 2 के विद्वान अधिवक्ता श्री जफर अजीज उपस्थित आए। विद्वान अधिवक्तागण द्वारा अपील का निस्तारण गुणदोष के आधार पर किये जाने का आग्रह किया गया। अत: उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क सुने गये।
प्रस्तुत अपील, जिला मंच, बहराइच द्वारा परिवाद संख्या-76/2011 में पारित प्रश्नगत आदेश दिनांक 28.02.2012 एवं परिवाद संख्या-123/2012 में पारित प्रश्नगत आदेश दिनांक 05.09.2012 के विरूद्ध योजित की गयी है।
-2-
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि अपीलकर्ता/परिवादी द्वारा योजित परिवाद संख्या-76/2011 को जिला मंच द्वारा दिनांक 28.02.2012 को उभय पक्ष की ओर से कोई उपस्थित न होने के कारा निरस्त कर दिया गया है। तदोपरान्त समान वादकारण एवं समान तथ्यों पर दूसरा परिवाद संख्या-123/2012 योजित किया गया। यह परिवाद जिला मंच द्वारा पोषणीय न पाते हुए आदेश दिनांक 05.09.2012 द्वारा निरस्त कर दिया गया।
दौरान तर्क अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता ने अपना अनुतोष परिवाद संख्या-123/2012 में पारित प्रश्नगत आदेश दिनांक 05.09.2012 के सन्दर्भ में सीमित किया। प्रश्नगत आदेश दिनांक 05.09.2012 की प्रमाणित प्रति अपीलकर्ता को दिनांक 10.09.2012 को प्राप्त करायी गयी तथा यह अपील दिनांक 30.10.2012 को योजित की गयी है। अपीलकर्ता द्वारा अपील के प्रस्तुतीकरण में हुए विलम्ब को क्षमा किये जाने हेतु प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया है तथा प्रार्थना पत्र के साथ अपीलकर्ता/परिवादी का शपथपत्र भी संलग्न किया गया है। इस शपथ पत्र के विरूद्ध कोई प्रति शपथपत्र प्रत्यर्थीगण की ओर से प्रस्तुत नहीं किया गया है। इस शपथपत्र में उल्लिखित तथ्यों को पर्याप्त पाते हुए अपील के प्रस्तुतीकरण में हुआ विलम्ब क्षमा किया जाता है।
अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि जिला मंच द्वारा पारित प्रश्नगत आदेश दिनांक 05.09.2012 त्रुटिपूर्ण है, क्योंकि पूर्व योजित परिवाद संख्या-76/2011 गुणदोष के आधार पर निर्णीत नहीं किया गया है, बल्कि उभय पक्षों की अनुपस्थिति में निरस्त किया गया है। अपने तर्क के समर्थन में अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता द्वारा इण्डियन मशीनरी कम्पनी बनाम अंसल हाउसिंग एण्ड कंस्ट्रक्शन लिमिटेड, सिविल अपील संख्या-557/2016 (2016) 3 एससीसी 689 के मामलें में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दिये गये निर्णय पर विश्वास व्यक्त किया गया। उनके द्वारा तर्क प्रस्तुत किया गया कि माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा
-3-
दिये गये उपरोक्त निर्णय में समान परिस्थितियों में दूसरे योजित परिवाद को पोषणीय माना गया है। अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता द्वारा प्रश्नगत परिवाद गुणदोष के आधार पर निस्तारित किये जाने हेतु जिला मंच को प्रतिप्रेषित किये जाने की प्रार्थना की गयी।
प्रत्यर्थी संख्या-1 व 2 के विद्वान अधिवक्ता ने दूसरा परिवाद गुणदोष के आधार पर निर्णीत किये जाने हेतु प्रतिप्रेषित किये जाने पर कोई आपत्ति नहीं की।
ऐसी परिस्थिति में परिवाद संख्या-123/2012 गुणदोष के आधार पर निस्तारित किये जाने हेतु जिला मंच को प्रतिप्रेषित किया जाना न्यायसंगत होगा। तदनुसार प्रस्तुत अपील स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। परिवाद संख्या-123/2012 में पारित प्रश्नगत आदेश दिनांक 05.09.2012 अपास्त किया जाता है। जिला मंच को प्रस्तुत प्रकरण इस निर्देश के साथ प्रतिप्रेषित किया जाता है कि वह परिवाद संख्या-123/2012 को अपने मूल नम्बर पर पुनर्स्थापित करते हुए उभय पक्ष को साक्ष्य एवं सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान करते हुए गुणदोष के आधार पर निर्णीत किया जाना सुनिश्चित करें।
उभय पक्ष जिला मंच के समक्ष दिनांक 22.07.2019 को उपस्थित होना सुनिश्चित करें।
इस अपील का व्यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय
(उदय शंकर अवस्थी) (गोवर्द्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2