जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।
़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़ ़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़उपस्थितिः-(1) श्री चन्द्र पाल अध्यक्ष
(2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य
परिवाद सं0-193/2006
अल्ला नेवाज पुत्र श्री अब्दुल सत्तार निवासी गोशाईगंज परगना अमसिन तहसील सदर जिला फैजाबाद .................... परिवादी
बनाम
1- शाखा प्रबन्धक सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया शाखा गोशाईगंज परगना अमसिन तहसील सदर जिला फैजाबाद।
2- जिला अधिकारी महोदय फैजाबाद।
3- तहसीलदार तहसील सदर जिला फैजाबाद ................. विपक्षीगण
निर्णय दि0 09.02.2016
निर्णय
उद्घोषित द्वाराः-श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
परिवादी ने यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध वसूली की कार्यवाही रोकने तथा क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु योजित किया है।
( 2 )
संक्षेप में परिवादी का परिवाद इस प्रकार है कि परिवादी ने प्रधानमंत्री रोजगार योजना के अन्तर्गत मु0 8,750=00 का ऋण विपक्षी सं0-1 सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया गोशाईगंज शाखा से दि0 22.10.2003 में लिया था, जिससे अपनी पेन्ट की दुकान को सुचारू रूप से चला रहा है। परिवादी अपनी किश्तें प्रतिमाह जमा कर रहा था, परन्तु इधर कुछ दिनों से परिवादी के बच्चे की तवियत खराब हो जाने के कारण कुछ किश्तें जो लगभग मु0 10,000=00 निकलती है बकाया हो गयी। फिर भी परिवादी अपनी किश्तों को जैसे ही रूपयों का इन्तजाम हो जाता था जमा करता रहा है तथा अभी अंतिम बार माह मई 2006 में भी अपनी किश्तें जमा की थी तथा भविष्य में भी अपनी किश्तें प्रतिमाह जमा करता रहेगा। इस समय तक परिवादी ने मु0 30,350=00 जमा कर चुका है। माह मई 2006 में सम्बन्धित शाखा के फील्ड आफिसर महोदय मु0 7,000=00 के पेन्ट का सामान लेने परिवादी की दुकान पर आये और सारा सामान निकलवा लिया तथा रूपयों को बाद में देने को कहा इस पर परिवादी तैयार नहीं हुआ क्योंकि फील्ड आफिसर महोदय को उधार सामान देकर रूपया वापस पाना सम्भव नहीं था इसलिए परिवादी ने उधार देने से साफ-साफ मना कर दिया। इस बात से नाराज होकर फील्ड आफिसर महोदय ने बैंक जाकर बिना कोई नोटिस दिये हुए ही परिवादी के खाते में वसूली प्रमाण-पत्र मु0 85,000=00 का जारी कर दिया और व्यक्तिगत रूप से पैरवी करके विपक्षी सं0-2 व 3 के माध्यम से वसूली अमीन को परिवादी के पास वसूली प्रमाण-पत्र के आधार पर रूपया वसूलने हेतु भेज दिया। विपक्षी सं0-1 के द्वारा परिवादी के विरूद्ध गलत ढंग से जारी की गयी आर0सी0 प्रमाण-पत्र पर वसूली की कार्यवाही रोक दी जाय।
विपक्षी सं0-1 ने अपने जवाब में कहा कि परिवादी ने संविदा की शर्तो का उल्लंघन किया और उसने बैंक में किश्त जमा करना बंद कर दिया। मजबूर होकर विपक्षी सं0-1 ने अपने दायित्वों का पालन करते हुए आर0सी0 जारी की जो नियमान्तर्गत ही है। परिवादी ऋणी तथा विपक्षी सं0-1 ऋणदाता है। उनके मध्य ऋणी व ऋणदाता का सम्बन्ध है। उनके मध्य क्रेता बिक्रेता का कोई सम्बन्ध नहीं है। ऐसी दशा में प्रश्नगत वाद माननीय न्यायालय के समक्ष चलने योग्य नहीं है।
विपक्षी सं0-2 व 3 की ओर से कोई जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया।
( 3 )
मैं पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन किया। परिवादी को अपना परिवाद स्वयं साबित करना है। परिवाद के अनुसार परिवादी ने विपक्षी सं0-1 से दि0 22.10.2003 को मु0 87,500=00 ऋण पेन्ट की दुकान हेतु लिया था। परिवादी ने मु0 30,350=00 जमा किया। सन् 2006 के उपरान्त् परिवादी ने कोई भी धनराशि जमा नहीं किया। बैंक के संविदा के शर्तो के अनुसार परिवादी को लिये गये ऋण की वापसी करना चाहिए। परिवादी का यह आक्षेप कि फील्ड आफिसर को मु0 7,000=00 का पेन्ट नहीं दिया इसलिए वसूली प्रमाण-पत्र भेज दिया यह तथ्य सिद्ध नहीं होता क्योंकि परिवादी ने लिये गये ऋण की वापसी नहीं किया। इस प्रकार परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध साबित नहीं होता इसलिए परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) ( चन्द्र पाल )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 09.02.2016 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) ( चन्द्र पाल )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष