/जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम,जांजगीर चांपा छ0ग0/
प्रकरण क्रमांक सी.सी. /2013/25
प्रस्तुति दिनांक 11/10/2013
अशोक कुमार श्रीवास,
उम्र 38 वर्ष,
आ.स्व.मामचंद श्रीवास,
निवासी सदर बाजार,चांपा
तहसील व थाना चांपा
जिला जांजगीर चांपा, छ.ग. ......आवेदक/परिवादी
// विरूद्ध//
श्रीमान् शाखा प्रबंधक,
सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया,शाखा चांपा
तहसील चांपा,सदर बाजार के पास
तहसील व थाना चांपा
जिला जांजगीर चांपा, छ.ग. ........अनावेदक/विरोधी पक्षकार
/// आदेश///
(आज दिनांक 13/02/2015 को पारित)
1. आवेदक अशोक कुमार श्रीवास ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदक बैंक के विरूद्ध सेवा में कमी के आधार पर पेश किया है और अनावेदक बैंक से बीमा की राशि 1,50,000/.रु0 को ब्याज एवं क्षतिपूर्ति के साथ दिलाए जाने का निवेदन किया है ।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक का पिता मामचंद श्रीवास अनावेदक बैंक से दिनांक 05.08.2005 को 2,50,000/.रु0 हाउसिंग लोन लिया था, जिसके साथ अनावेदक बैंक द्वारा आवेदक के पिता का 1,50,000/.रु0 का बीमा किया गया था, जिसकी प्रीमियम राशि लोन की राशि से ही काटी गई थी, दिनांक 18.05.2008 को आवेदक के पिता की मृत्यु हो गई, जिसकी सूचना आवेदक द्वारा अनावेदक बैंक को दी गई और बीमित राशि से लोन की राशि जमा कर लिया जाने का निवेदन किया, किंतु बार-बार मौखिक एवं लिखित निवेदन किये जाने के बाद भी अनावेदक बैंक द्वारा इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया, बल्कि बताया गया कि बीमा पाॅलिसी आवेदक के पिता के नाम पर न होकर आवेदक के नाम पर है, जबकि आवेदक के अनुसार हाउसिंग लोन उसके पिता द्वारा लिया गया था और बीमा पाॅलिसी भी उसी के नाम पर जारी की गई थी । अतः यह अभिकथित करते हुए कि अनावेदक बैंक द्वारा बीमा पाॅलिसी में आवेदक के पिता के बजाय उसका नाम दर्ज करना घोर लापरवाहीपूर्ण कृत्य है, आवेदक ने यह परिवाद पेश कर अनावेदक बैंक से वांछित अनुतोष दिलाए जाने का निवेदन किया है।
3. अनावेदक बैंक द्वारा जवाब में परिवाद का विरोध इस आधार पर किया गया है कि प्रष्नाधीन लोन आवेदक और उसके दो अन्य भाईयों ने संयुक्त रूप से लिया था तथा एल.आई.सी.आई. की स्कीम के तहत आवेदक के पिता की उम्र 65 वर्श से अधिक होने के कारण उसका बीमा न हो सकने से ग्रुप मार्टगेज रिडेम्पषन स्कीम के तहत आवेदक का बीमा किया गया था, जिस बात की जानकारी स्वयं आवेदक को भी थी, किंतु उसके बाद भी यह परिवाद ऋण की अदायगी से बचने के लिए पेष किया गया है, जबकि वह कोई अनुतोश प्राप्त करने की अधिकारी नहीं। उक्त आधार पर अनावेदक बैंक आवेदक के परिवाद को निरस्त किये जाने का निवेदन किया है।
4. उभय पक्ष अधिवक्ता का तर्क सुन लिया गया है । प्रकरण का अवलोकन किया गया।
5. देखना यह है कि क्या आवेदक अनावेदक बैंक से वांछित अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी है?
सकारण निष्कर्ष
6. आवेदक के अनुसार, कि आवेदक का पिता मामचंद श्रीवास अनावेदक बैंक से दिनांक 05.08.2005 को 2,50,000/.रु0 हाउसिंग लोन लिया था, जिसके साथ अनावेदक बैंक द्वारा आवेदक के पिता का 1,50,000/.रु0 का बीमा किया गया था, जिसका प्रीमियम 5443/.रु0 भी हाउसिंग लोन से काटा गया था, किंतु जब दिनांक 18.05.2008 को उसके पिता की मृत्यु हो गई और इस संबंध में अनावेदक बैंक का सूचित किया गया और बीमा की राशि लोन में जमा कर लिये जाने का निवेदन किया, तब उसे यह जानकारी दी गई कि बीमा पाॅलिसी उसके पिता के नाम पर नहीं, बल्कि उसके नाम पर जारी किया गया है । अतः अनावेदक बैंक के इस कृत्य को सेवा में कमी होना निरूपित करते हुए यह परिवाद पेश करना बताया गया है ।
7. इसके विपरीत अनावेदक बैंक की ओर से कहा गया है कि हाउसिंग लोन आवेदक के पिता आवेदक सहित अपने दो अन्य पुत्रों के साथ संयुक्त रूप से लिया था। साथ ही कहा है कि उन्हें आवास ऋण एल.आई.सी.आई.की गु्रप मार्टगेज रिडेम्प्शन स्कीम के तहत उपलब्ध कराया गया था, जिसके अनुसार, आवेदक के पिता की उम्र 65 वर्ष से अधिक होने के कारण उसे बीमा कराने की पात्रता न होने से आवेदक उक्त स्कीम का सदस्य बना और उसका 1,50,000/.रू0 का बीमा किया गया था । इस प्रकार अनावेदक बैंक आवेदक के इस कथन का खंडन किया है, जिसका कहना है कि हाउसिंग लोन उसके पिता द्वारा लिया गया था।
8. आवेदक की ओर से प्रकरण में संलग्न दस्तावेजों के अवलोकन से यह प्रकट होता है कि अनावेदक बैंक से एल.आई.सी.आई. की ग्रुप मार्टगेज रिडेम्प्षन स्कीम के तहत हाउसिंग लोन आवेदक, उसके पिता एवं भाईयों द्वारा संयुक्त रूप से लिया गया था। साथ ही यह तथ्य भी प्रकट होता है कि उक्त स्कीम के तहत लोन लेते समय आवेदक के पिता की आयु 65 वर्श से अधिक होने के कारण स्कीम में सदस्य बनने का आवेदन आवेदक द्वारा दिया गया था और जिसके आधार पर बीमा पाॅलिसी भी उसी के नाम पर जारी की गई थी। अतः आवेदक का यह कथन कि अनावेदक बैंक द्वारा बीमा पाॅलिसी उसके पिता के नाम पर लिया गया था, फलस्वरूप उसकी मृत्यु पर बीमा की राशि लोन खाते में समायोजित न कर अनावेदक बैंक द्वारा सेवा में कमी की गई,स्वीकर किये जाने योग्य नहीं पाया जाता ।
9. प्रश्नगत मामले में आवेदक अपने अभिकथन के समर्थन में अनावेदक बैंक की शाखा चांपा द्वारा क्षेत्रीय कार्यालय एवं मंडल प्रबंधक, रायपुर को भेजे गए पत्र दिनांक 08.06.2013 एवं 02.08.2013 का आश्रय लेने का प्रयास किया है, किंतु अनावेदक बैंक का उक्त पत्र अनावेदक बैंक का स्वीकारोक्ति पत्र न होने के आधार पर उसका कोई लाभ आवेदक को प्राप्त नहीं हो सकता।
10. उपरोक्त विवेचना के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि आवेदक अनावेदक बैंक से कोई अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है अतः उसका परिवाद निरस्त किया जाता है ।
11. उभयपक्ष अपना-अपना वादव्यय स्वयं वहन करेंगे ।
आदेश पारित
(अशोक कुमार पाठक) (श्रीमती शशि राठौर) (मणिशंकर गौरहा)
अध्यक्ष सदस्य सदस्य