Uttar Pradesh

Faizabad

CC/39/2013

Lallan Yadav - Complainant(s)

Versus

Cenera Bank - Opp.Party(s)

14 Oct 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/39/2013
 
1. Lallan Yadav
Faizabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Cenera Bank
FAIZABAD
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद।

 

उपस्थित -     (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
        (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य

              परिवाद सं0-39/2013

               
लल्लन यादव पुत्र स्व0 रामफेर निवासी ग्राम व पो0 हरीपुर जलालाबाद जनपद-फैजाबाद।
                                                            .............. परिवादी
बनाम
1.    प्रबन्धक केनरा बैंक सिविल लाइन फैजाबाद।
2.    क्षेत्रीय प्रबन्धक, केनरा बैंक, ग्राहक सेवा अनुभाग, विपिन खण्ड, गोमती नगर, अन्चल कार्यालय, लखनऊ।                                     ..........  विपक्षीगण
निर्णय दिनाॅंक 14.10.2015            
उद्घोषित द्वारा: श्रीमती माया देवी षाक्य, सदस्या।
                        निर्णय
    परिवादी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादी का एक बचत खाता संख्या-1641101052806 जिस पर ए0टी0एम0 सुविधा भी है तथा एक लोन एकाउन्ट नं0- 1641601002292 विपक्षी के बैंक में संचालित है। परिवादी ने अपने लोन खाते में वर्श 2006 तक लोन की धनराषि मय ब्याज सहित निर्धारित किस्तों में जमा किया है। परिवादी ने अपने बचत खाते से जारिये ए0टी0एम0 द्वारा वर्श 2007 में कई अलग-अलग तिथियों पर कुल 23,900/- का बिड्राल लगाया किन्तु हर बार ए0टी0एम0 में पैसा न होने के कारण उसे भुगतान नहीं मिला किन्तु प्रत्येक लगाये गये बिड्राल का पैसा उसके बचत खाता से काट लिया गया। परिवादी ने विपक्षी नं0 1 व 2 से व उनके उच्चाधिकारियों से ए0टी0एम0 द्वारा भुगतान हेतु लगाये बिड्राल का पैसा प्राप्त न होने की षिकायत एवं लिखा पढ़ी की विपक्षी सं0 1 व उसके अधीनस्थ कर्मचारियों ने षिकायत का निस्तारण करने के बाजय उससे उलझ गये और यह कहने लगे कि वे लोन एकाउन्ट का नोडूज प्रमाण पत्र भी नहीं देगें। परिवादी ने प्रधान प्रबन्धक/चेयरमैन के समक्ष अपनी समस्यों के निस्तारण हेतु दिनंाक 20-01-2007 को स्पीट पोस्ट द्वारा लिखा पढ़ी की विपक्षी नं0 1 ने परिवादी के बचत खाते से ए0टी0एम0 द्वारा लगाये गये विड्राल की धनराषि की कटौती आज तक उसके बचत खाते उपरोक्त में वापस नहीं की, उल्टे लोन खाते में बकाया न रहते हुए भी दिनंाक 01-01-2013 तक रूपये 11,000/- तथा ब्याज की मांग की जा रही है। विपक्षीगण से परिवादी को रूपये 23,900/- मय ब्याज उसके बचत खाता सं0 1641101052806 में वापस जमा कराया जाय, लोन एकाउन्ट नं0 1641601002292 का नोडूज प्रमाण पत्र विपक्षीगण द्वारा जारी करने का आदेष दिया जाये, बतोैर जुर्माना व मुकदमा खर्चा विपक्षीगण से परिवादी को रूपये 75,000/-कुल मिलाकर 1,00000/- मय ब्याज दिलाया जाए।
    विपक्षी सं0 1 ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत किया है तथा कथन किया है कि परिवादी विपक्षी द्वारा दिये गये ऋण का बकायेदार है तथा विपक्षी नं0 1 द्वारा दिनंाक 17-01-2013 को अधिषाशी अभियन्ता, नलकूप निर्माण खण्ड रमना फैजाबाद को ऋण बकाये की वसूली हेतु पत्र लिखा जाना स्वीकार है। परिवादी द्वारा केन बजट योजना के अन्र्तगत व्यक्तिगत ऋण रूपये 50,000/- दिनंाक 20-12-2006 को विपक्षी संख्या 1 से लिया था। ऋण से सम्बन्धित प्रपत्र, प्रोनोट, निश्पादित किया गया है जो बैंक में सुरक्षित है। उक्त ऋण की अदायगी मय ब्याज परिवादी द्वारा 36 मासिक किष्तों में जो रूपये 1,660/- प्रतिमाह अपने उक्त ऋण से सम्बन्धित खाते में जमा किया जाना था जिसे जिसे परिवादी द्वारा विपक्षी नं01 के षर्तो के अनुसार नहीं किया गया। परिवादी के जिम्मे उक्त ऋण मय ब्याज तथा पेैनल ब्याज का बकाया दिनंाक 19-01-2014 तक रूपये 13,070/- है। परिवादी को विपक्षी द्वारा कई बार मौखिक एवं लिखित रूप से सूचित भी किया गया। इसके बावजूद जब परिवादी द्वारा उक्त ऋण के बकाये की अदायगी नहीं की गई तो विवष होकर विपक्षी संख्या 1 द्वारा अधिषाशी अभियन्ता नलकूप निर्माण खण्ड, रमना फैजाबाद को उक्त ऋण से सम्बन्धित बकाये की अदायगी हेतु दिनंाक 17-01-2013 को पत्र लिखा गया। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में दर्षाया गया है कि उसके द्वारा अपने बचत खाता सं0 1641101052806 के ए0टी0एम0 कार्ड से रूपये 23,900/- का विड्राल किया गया परन्तु उसे ए0टी0एम0 मषीन से पैसे नहीं प्राप्त हुये, परन्तु परिवादी द्वारा परिवाद पत्र में यह नही उल्लिखित किया गया कि परिवादी ने किन-किन तिथियों पर कितनी कितनी धनराषि का बिड्राल अपने ए0टी0एम0 कार्ड से किस किस बैंक के ए0टी0एम से किया। जिस नाते इसका उत्तर दे पाना सम्भव नहीं है जब तक कि परिवादी उक्त तथ्यों को बताए नहीं। परिवादी द्वारा ऋण खाते के बकाये धनराषि की अदायगी नही की गई जिस नाते नोडूज प्रमाण पत्र विपक्षी सं0 1 द्वारा नही दिया जा सकता है। परिवादी द्वारा ऋण अदायगी से बचने के लिये गलत तथ्यों के आधार पर परिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया है जो निरस्त होने योग्य है। विपक्षीगण द्वारा अपनी सेवा में किसी प्रकार की कोई त्रृटि नहीं की है।
    पत्रावली का भली भांति परिषीलन किया। परिवादी एवं विपक्षीगण द्वारा द्वाखिल प्रपत्रों का अवलोकन किया। परिवादी ने कहा है कि उसने ए0टी0एम0 से वर्श 2007 में विभिन्न तारीखों में ए0टी0एम0 से पैसा निकाला मगर उसे ए0टी0एम0 से पैसा नहीं मिला और बैंक ने परिवादी के खाते से पैसा काट लिया। परिवादी का एक ऋण खाता संख्या 1641601002292 है। जिसमें उसने वर्श 2006 तक अदायगी की, विपक्षी ने कथित किया है कि परिवादी ऋण का बकाये दार है। दिनंाक 17-01-2013 को अधिषाशी अभियन्ता नलकूप निर्माण खण्ड रमना फैजाबाद को पत्र लिखकर ऋण की बकाये की वसूली के लिए पत्र लिखा था। परिवादी ने केन बजट योजना में व्यक्तिगत ऋण दिनंाक 20-12-2006 को रूपये 50,000/- लिया था। जिससे सम्बन्धित प्रोनोट एवं टेक डिलिवरी लेटर हस्ताक्षर बना कर निश्पादित किया, जो बैंक में सुरक्षित है। परिवादी को ऋण की अदायगी 36 मासिक किष्तों में रूपये 1,660/- प्रतिमाह करना था। जिसे बैंक की षर्तों के अनुसार परिवादी ने जमा नहीं किया। परिवादी पर दिनंाक 19-01-2014 तक रूपये 13,070/- बकाया है। परिवादी को लिखित व मौखिक रूप से सूचित किया गया, लेकिन परिवादी ने ऋण का भुगतान नहीं किया। परिवादी ने अपने पक्ष के समर्थन में ए0टी0एम0 की जो स्लिप दाखिल की हैं, उसमें नीचे की ओर लिखा हैेेेे, टंªाजेक्षन डिक्लाइन्ड और कुछ पर्चीयों पर लिखा है, खाते में पैसा नहीं अथवा कार्ड अवैध, इस प्रकार परिवादी के ए0टी0एम0 से पैसा नहीं निकाला है, किन्तु परिवादी ने अपने बचत खाते की पास बुक अथवा बैंक स्टेटमेंट दाखिल नहीं किया है। इससे प्रमाणित नहीं होता है कि परिवादी के खाते से ए0टी0एम0 द्वारा पैसा निकाला गया जो, न निकलने पर परिवादी के खाते से काट लिया गया। परिवादी बंैक से रुपये की निकासी को प्रमाणित करने में असफल रहा है। परिवादी ने विपक्षी बैंक से रूपये 50,000/- का व्यक्तिगत ऋण दिनंाक 20-12-2006 को लिया था, जिसकी अदायगी परिवादी ने नियमित रूप से नहीं की जिसकी बकाये की वसूली के लिए विपक्षी बैंक ने परिवादी के विभाग के अधिषाशी अभियन्ता को पत्र लिखा था। जिसकी अदायगी से बचने के लिये परिवादी ने यह परिवाद दाखिल किया है। विपक्षी बैंक ने परिवादी के ऋण सम्बन्धी कागजात दाखिल किये है तथा ऋण खाते का बैंक स्टेटमेंट दाखिल किया है, इस प्रकार परिवादी बैंक का बकायेदार है। परिवादी अपना परिवाद प्रमाणित करने में असफल रहा। विपक्षी बैंक ने अपनी सेवा में कोई कमी नहीं की है। परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
    परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।
          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)              
              सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष      
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 14.10.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।

          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)           
              सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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