राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद सं0- 135/2016
(सुरक्षित)
Hira singh rawat aged about 57 years S/o Late Sri Roop singh R/-205/4B Avas vikas colony Bodla Agra.
……Complainant
Versus
- Care Diagnostics 1024, Sector-4, Awas vikas colony, Bodla, Agra.
- Dr. Rajesh jain, Sonologist and Rediologist, Care Diagnostics, 1024, Sector- 4, Awas vikas colony, Bodla, Agra.
……….. Opposite Parties.
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
परिवादी की ओर से उपस्थित : व्यक्तिगत रूप से।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक:- 15.03.2018
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
परिवादी हीरा सिंह ने यह परिवाद विपक्षीगण केयर डायग्नोस्टिक एवं Dr. Rajesh jain, Sonologist and Rediologist, Care Diagnostics, के विरुद्ध धारा- 17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-
- To direct the opposite party to make the payment of Rs. 20,00,000/- for deficiency in serevic and also for physical and mental harassment.
- To direct the respondent to pay Rs. 25,000/- for cost of the case.
- Any other relief which this Hon’ble Court deems fit and proper in the interest of justice.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि दि0 08.11.2014 को वह एस0एन0 मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल आगरा में अपनी आंख का टेस्ट कराने गया। जहां डॉक्टर ने Blood, Sugar, Lipid, HbAc, Blood Urea and serum Creatinine के टेस्ट की सलाह दी। परिवाद पत्र के अनुसार उसकी आंखों का टेस्ट किये जाने पर Prescription पर निम्न प्रविष्टि अंकित की गई :- R-6/24 और L-6/18 और उसे बताया गया कि मोतियाबिन्द दोनों आंखों में है। परिवाद पत्र का संलग्नक 1 उक्त Prescription दिनांकित 08.11.2014 है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि वह पुन: दि0 24.01.2015 को एस0एन0 मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल आगरा अपनी आंख के टेस्ट के लिए गया तो इस बार उसे यह सूचित किया गया कि उसे मोतियाबिन्द दोनों आंख में नहीं है। इस बार का Prescription परिवाद का संलग्नक 2 है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि दि0 21.04.2015 को परिवादी ने विपक्षी सं0- 1 से अपनी आंखों का टेस्ट कराया जिसके लिए 1200/-रू0 उसके यहां जमा किया तब विपक्षी सं0- 1 ने उसकी दोनों आंखों का अल्ट्रासाउण्ड व बी स्कैन करने के बाद रिपोर्ट दी की उसे Cataract (मोतियाबिन्द) दोनों आंखों में है। विपक्षी सं0- 1 द्वारा दी गई रिपोर्ट दिनांकित 21.04.2015 परिवाद का संलग्नक 4 है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि उसने पुन: सरन आश्रम हॉस्पिटल में दि0 23.11.2015 को टेस्ट कराया तो मोतियाबिन्द का कोई चिन्ह उसकी दोनों आंखों में नहीं पाया गया। उसे पांच दिन की दवा दी गई और यहां वह दि0 06.12.2015 तक इलाज में रहा। दि0 06.12.2015 तक सरन आश्रम हॉस्पिटल दयालबाग, आगरा में उसके इलाज के बाद उसने पुन: एस0एन0 मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल आगरा से यह कंफर्म करने हेतु सम्पर्क किया कि वास्तव में उसे मोतियाबिन्द है या नहीं और उसने अल्ट्रासाउण्ड टेस्ट हेतु 201/-रू0 जमा किया। तब उसकी आंखों को उचित ढंग से टेस्ट किया गया और दवाइयां लिखी गईं तथा उसे सूचित किया गया कि उसकी दोनों आंखों में मोतियाबिन्द नहीं है। इसके साथ ही उसे बी स्कैन की सलाह दी गई।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि परिवादी ने यह जानने हेतु कि परिवादी को मोतियाबिन्द है या नहीं अनेकों अस्पतालों में आंख का टेस्ट कराना पड़ा जिससे उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ गई और उसे शारीरिक कष्ट भी उठाना पड़ा जिसके लिए उसे मेंटल एण्ड हेल्थ हॉस्पिटल से दवा करानी पड़ी। जिसके लिए विपक्षीगण उत्तरदायी हैं, क्योंकि उन्होंने परिवादी की दोनों आंख में मोतियाबिन्द होने की गलत रिपोर्ट दी थी।
विपक्षीगण ने अपना लिखित कथन प्रस्तुत किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि दि0 21.04.2015 को परिवादी की दोनों आंखों के अल्ट्रासाउण्ड (बी स्कैन) के बाद विपक्षी सं0- 1 ने अपनी राय दी है कि उसे दोनों आंखों में Cataract (मोतियाबिन्द) है। विपक्षी सं0- 1 की रिपोर्ट पर कोई प्रश्न चिन्ह नहीं लगाया जा सकता है। लिखित कथन में विपक्षीगण ने कहा है कि परिवादी को डॉक्टरों पर विश्वास नहीं रहा है और वह एक स्थान से दूसरे स्थान तक यह तय करने हेतु जाता रहा है कि कौन सा डॉक्टर सही है और कौन सा डॉक्टर गलत है। लिखित कथन में विपक्षीगण ने कहा है कि उन्होंने सेवा में कोई त्रुटि नहीं की है।
परिवादी हीरा सिंह रावत ने परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में अपना शपथ पत्र प्रस्तुत किया है।
विपक्षीगण की ओर से कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है।
परिवाद में अन्तिम सुनवाई के समय परिवादी व्यक्तिगत रूप से उपस्थित आये हैं, परन्तु विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
परिवादी द्वारा याचित अनुतोष से स्पष्ट है कि उसने विपक्षीगण द्वारा की गई सेवा में कमी के लिए 20,00,000/-रू0 क्षतिपूर्ति की मांग की है और इसके साथ ही उसने 25,000/-रू0 वाद व्यय मांगा है।
धारा 17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अनुसार राज्य आयोग को ऐसे परिवाद को ग्रहण करने की अधिकारिता है जहां माल या सेवा का मूल्य और दावा प्रतिकर कोई हो 20,00,000/-रू0 से अधिक हो। दावा प्रतिकर 20,00,000/-रू0 से अधिक होने पर ही परिवाद आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया जा सकता है। धारा 17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत परिवाद का मूल्यांकन सेवा के मूल्य और दावा प्रतिकर की धनराशि के आधार पर किया जायेगा। वाद व्यय सेवा या दावा प्रतिकर में नहीं आता है। अत: परिवादी द्वारा याचित अनुतोष के आधार पर परिवाद का मूल्यांकन 20,00,000/-रू0 से अधिक नहीं है। ऐसी स्थिति में यह परिवाद राज्य आयोग के आर्थिक क्षेत्राधिकार से परे है। परिवादी द्वारा याचित अनुतोष के आधार पर यह परिवाद जिला फोरम के आर्थिक क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आता है। अत: परिवाद परिवादी को सक्षम जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किये जाने हेतु वापस किया जाना आवश्यक है। तदनुसार परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत करने हेतु परिवादी को वापस किया जाता है।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
शेर सिंह आशु0,
कोर्ट नं0-1