Dr. Jamil Ahmad filed a consumer case on 11 Sep 2015 against Capital First ltd., Manager in the Kota Consumer Court. The case no is CC/66/2015 and the judgment uploaded on 16 Sep 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा (राजस्थान)
परिवाद संख्या:- 66/15
डा0 जमील अहमद पुत्र सलीम मोहम्मद जाति मुसलमान निवासी 23 सूरजपोल स्कूल के पीछे, हाॅस्टल के सामने, श्रीपुरा, कोटा, राजस्थान।
-परिवादी
बनाम
01. मैनेजर, केपीटल फस्र्ट लिमिटेड, फोर्चुन हाईट 104,105,106,107, फस्र्ट फ्लोर सी-94, सी स्कीम, अपोजिट आई.सी.आई.सी.आई. बैक, सुभाष मार्ग, जयपुर 302001
02. निदेशक, नेक्सट् रिटेल इंडियालिमिटेड प्लाट नं. 1 अडवानी भवन, शिवपूजा मैरिज हाॅल, टीचर्स काॅलोनी, गुमानपुरा, कोटा-राजस्थान। -विपक्षीगण
समक्ष:-
भगवान दास ः अध्यक्ष
हेमलता भार्गव ः सदस्य
परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
01. श्री सत्यनारायण मेघवाल, अधिवक्ता, परिवादी की ओर से ।
02. विपक्षीगण के विरूद्ध एक पक्षीय कार्यवाही।
निर्णय दिनांक 11.09.2015
परिवादी ने विपक्षीगण के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के अन्तर्गत लिखित परिवाद प्रस्तुत कर संक्षेप में सेवा दोष बताया है कि दिनांक 04.09.13 को विपक्षीसं. 2 सेे एल.ई.डी. 43,557/- रूपये में खरीदी थी, जिसक फाईनेन्स विपक्षी सं. 1 से कराया था 8 किस्तों में प्रति-माह फाईनेन्स राशि 3,500/- रूपये के अनुसार अदा करनी थी, जिसकी दूसरी किस्त का दिनांक 14.02.14 को एजेन्ट ने नकद भुगतान प्राप्त कर लिया व बैंक के जरिये भी उस किस्त की राशि पुनः प्राप्त कर ली । किस्तें पूरी हो जाने पर उक्त राशि को लौटाने या समायोजित करने का भी आशवासन दिया लेकिन राशि नहीं लौटाई गई जिससे उसे आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक संताप हुआ है।
विपक्षीगण नोटिस की विधिवत रजिस्टर्ड डाक के जरिये तामील होने के बावजूद उपस्थित नहीं हुये , जवाब भी नहीं दिया इसलिये उनके विरूद्ध दिनांक 05.06.15 को एक पक्षीय कार्यवाही के आदेश दिये गये।
परिवादी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा नोटिस की प्रति, नकद अदा की गई राशि 3,500/- रूपये की रसीद दिनांक 15.02.14, बैंक खाते का विवरण, इनवाईस आदि दस्तावेजात की प्रति प्रस्तुत की।
हमने परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी। पत्रावली का अवलोकन किया।
विचार हेतु प्रश्न है कि क्या विपक्षीगण ने परिवादी से फाइनेन्स की किस्तो के पेटे एक मासिक किस्त के 3,500/- रूपये की राशि नकद व बैंक के जरिये दो बार प्राप्त कर ली थी व उसे नही लौटाकर सेवा-दोष किया ?
उल्लेखनीय है कि किस्त की अदायगी विपक्षी सं. 1 को ही होनी थी, विपक्षी सं. 2 का उससे कोई संबंध नहीं है। जमा रसीद भी विपक्षी सं. 1 की ओर से ही जारी हुई है। नकद किस्त अदायगी की रसीद 15.12.14 के जरिये विपक्षी सं. 1 ने परिवादी से 3,500/- रूपये लिये है तथा इसी किस्त की राशि परिवादी के बैंक खाते केे जरिये भी प्राप्त कर ली गई जो बैंक खाते के विवरण से स्पष्ट है। इस प्रकार परिवादी से विपक्षी सं. 1 ने मासिक किस्त 3,500/- रूपये की राशि दो बार प्राप्त कर ली, मांगे जाने पर उसे नहीं लौटाई । परिवादी का नोटिस मिलने व जवाब का अवसर मिलने के बाद भी परिवादी के केस का खंडन नहीं किया ।
इस प्रकार विपक्षी सं. 1 का सेवादोष पूरी तरह सिद्ध है। अतः परिवादी का परिवाद विपक्षी सं. के विरूद्ध स्वीकार किये जाने योग्य है और विपक्षी सं. 2 के विरूद्ध खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी डा0 जमील अहमद का परिवाद, विपक्षी सं. 1 के खिलाफ स्वीकार किया जाकर निर्देश दिये जाते है कि परिवादी से अधिक वसूली गई राशि 3,500/- रूपये, मानसिक संताप व परिवाद व्यय के पेटे 1,500/- रूपये सहित कुल 5,000/- रूपये की राशि इस आदेश की रजिस्टर्ड ए/डी डाक से परिवादी की ओर से प्रेषित प्रति प्राप्त होने के एक माह के अंदर परिवादी को अदा की जावे। उसके पश्चात अदायगी करने पर अदायगी तक इस राशि पर 9 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज अलग से देना होगा। विपक्षी सं. 2 के विरूद्ध परिवाद खारिज किया जाता है।
(हेमलता भार्गव) (भगवान दास)
सदस्य अध्यक्ष
निर्णय आज दिनंाक 11.09.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
सदस्य अध्यक्ष
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