जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण अजमेर
मकबूल पुत्र नूर मोहम्मद, जाति- मुसलमान, निवासी- मकान नं. 2548, बडीमण्डी, नसीराबाद, जिला-अजमेर (राजस्थान)
- प्रार्थी
बनाम
मुख्य अधिषाषी अधिकारी जरिए छावनी परिषद कार्यालय, नसीराबाद, जिला-अजमेर (राजस्थान)
- अप्रार्थी
परिवाद संख्या 444/2012
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1 श्री धर्मेन्द्र जैन, अधिवक्ता प्रार्थी
2.श्री कुलदीप रारिया, अधिवक्ता अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- आदेष:ः- दिनांकः- 09.06.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि
उसने दिनंाक 18.5.2011 को अप्रार्थी कार्यालय में एक बोर्ड मिटिंग में पारित प्रस्ताव की नकल दिलाने हेतु आवेदन किया । । प्रार्थी ने आवेदन की प्रति एनेक्सचर -1 होना दर्षाया और इस हेतु प्रार्थी ने दिनंाक 2.6.20011 को अप्रार्थी द्वारा की गई मांग के अनुसार रू. 10/- ष्षुल्क की राषि भी जमा कराई । प्रार्थी को चाही गई प्रति छावनी मण्डल,नसीराबाद में पी.पी.एक्ट के अन्तर्गत विचाराधीन प्रकरण में प्रस्तुत करनी थी। प्रार्थी को नकले जारी नहीं की गई तब प्रार्थी की ओर से एक आवेदन दिनांक 6.8.2011 को अप्रार्थी के कार्यालय में दिया । इसके उपरान्त भी प्रार्थी को वांछित नकल नहीं दी गई । अतः अप्रार्थी का यह कृत्य उसके पक्ष में सेवा में कमी दर्षाता है एवं परिवाद में चाहे गए अनुतोष की मांग की है । परिवाद के समर्थन में प्रार्थी ने स्वयं का ष्षपथपत्र पेष किया ।
2. अप्रार्थी की ओर से जवाब प्रस्तुत कर प्रार्थी द्वारा एक आवेदन दिनंाक 18.5.2011 को प्रस्तुत किए जाने के तथ्य को स्वीकार किया । किन्तु रू. 10/- जो जमा कराए वो सम्पति संख्या -48 व स्टोल की सांख्यिकी रिपोर्ट की प्रति प्राप्त करने हेतु जमा करना दर्षाया है। इसी तरह से प्रार्थी ने एनेक्सचर -1 आवेदन के संबंध में कोई राषि जमा नहीं करवाई तथा दिनंाक 2.6.2011 को जो राषि जमा कराई उसकी नकल प्रार्थी को दी जा चुकी है । अतिरिक्त कथन में बतलाया कि प्रार्थी द्वारा यह कार्यवाही अप्रार्थी छावनी पर अवैध रूप से दबाव डालने हेतु पेष की है एवं परिवाद खारिज होने योग्य बताया । जवाब के समर्थन मे श्री जे.एस.साल्वी, अधिषाषी अधिकारी का षपथपत्र पेष हुआ है ।
3. उभय पक्षकारान के अपनी अपनी लिखित बहस में उन्हीं तथ्यों व तर्को को दोहराया है जो उन्होंने परिवाद व इसके प्रति उत्तर में उठाए है । प्रार्थी का प्रमुख रूप से तर्क यह रहा है कि उसने दिनंाक 18.5.2011 को बोर्ड मिटिंग में पारित प्रस्ताव की नकल दिलाने हेतु आवेदन देते हुए ष्षुल्क रू. 10/- जमा करवा दिए थे। किन्तु बावजूद षिकायत के उसे ये नकले नहीं दी गई जबकि अप्रार्थी का तर्क रहा है कि प्रार्थी द्वारा जो बोर्ड मिटिंग के प्रस्ताव की नकल का आवेदन नहीं किया गया था अपितु सम्पति नम्बर 48 व स्टोल की सांख्यिकी रिपोर्ट की प्रति बाबत् आवेदन षुल्क जमा करवाया था जिसकी उसे प्रति दी जा चुकी है ।
4. परस्पर तर्को के प्रकाष में हालांकि प्रार्थी ने अपने प्रार्थना पत्र एनेक्सचर -1 दिनंाक 18.5.2011 के द्वारा छावनी बोर्ड की दिनंाक 3.12.2009 को सम्पन्न हुई बोर्ड मिटिंग के प्रस्ताव संख्या 12 के संबंध में राजस्व षाखा द्वारा छावनी निधी सम्पति की स्थिति के संबंध में प्रस्तुत की गई रिपोर्ट तथा उस पर बोर्ड द्वारा पारित प्रस्ताव की नकल चाही है । किन्तु एनेक्सचर -2 के अनुसार उसके द्वारा मात्र 48 नम्बर व स्टोल की सांख्यिकी रिपोर्ट की प्रति हेतु षुल्क जमा करवाया है । इस विषय की रिपोर्ट उसे दी जा चुकी है । वैसे भी किसी विभाग के समक्ष नकल हेतु प्रस्तुत आवेदन के फलस्वरूप दी गई प्रतियों बाबत् असन्तुष्ट होने पर यदि ऐसा व्यक्ति उपभोक्ता मंच के समक्ष अपनी षिकायत दर्ज करवाता है तो वह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत ’’ उपभोक्ता ’’ की परिभाषा की परिधि में नहीं आता है । यदि उसे अप्रार्थी की ओर से किसी प्रकार की कोई प्रतिलिपि मांगे जाने के बावजूद नहीं दी गई है तो वह इसके विरूद्व उसी विभाग के उच्च अधिकारियों अथवा समकक्ष मंच के समक्ष अपनी पीड़ा उठाने व अनुतोष प्राप्त करने के लिए सक्षम है । इस मंच के समक्ष वह किसी प्रकार का कोई अनुतोष प्राप्त करने का हकदार नहीं है । मंच की राय में प्रार्थी का परिवाद खारिज होने योग्य है । अतः आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
5 प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
आदेष दिनांक 09.06.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष